deepak sharma

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साँप के आलिंगनों में मौन चंदन तन पड़े हैं सेज के सपनों भरे कुछ फूल मुर्दों पर चढ़े हैं ----------------------------- स्वप्न के शव पर खड़े हो माँग भरती हैं प्रथाएँ कंगनों से तोड़ हीरा खा रहीं कितनी व्यथाएँ ------------------------------- जो समर्पण ही नहीं हैं वे समर्पण भी हुए हैं देह सब जूठी पड़ी है प्राण फिर भी अनछुए हैं - भारत भूषण ©deepak sharma

#कविता  साँप के आलिंगनों में 
मौन चंदन तन पड़े हैं 
सेज के सपनों भरे कुछ 
फूल मुर्दों पर चढ़े हैं
-----------------------------
स्वप्न के शव पर खड़े हो 
माँग भरती हैं प्रथाएँ 
कंगनों से तोड़ हीरा 
खा रहीं कितनी व्यथाएँ 
-------------------------------
जो समर्पण ही नहीं हैं 
वे समर्पण भी हुए हैं 
देह सब जूठी पड़ी है 
प्राण फिर भी अनछुए हैं

- भारत भूषण

©deepak sharma

कल के पर्व की स्टेटस और स्टोरीज देखकर भारत भूषण जी कविता के कुछ अंश 😄🤪

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#कविता

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#कविता #thepredator  संडे को भी समय नहीं है जिनके पास हमारी खातिर।
सब नकली बातें करते थे, सब मतलब के है भारी शातिर।


हमें कौनसा पागल तुझसे पूरे दिन बतियाना था।
तिरा पूछते और हमें तो अपना हाल बताना था।


भूल गया था मैं कि तुमपर कितनी जिम्मेदारी है।
में समझा था सबकी जैसे एक सी दुनियादारी है।


एहसासों के मर जाने का, शायद उसको एहसास नहीं होता।
प्यास पता होती है प्यासे को, सागर को एहसास नहीं होता।


- दीपक शर्मा

©deepak sharma

#thepredator

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#कविता #thepredator  मिलने से महीने, मैसेज से दिन प्यारे हो जाते हैं।
ऐसे  प्यारे लोग भला  क्यों सब न्यारे हो जाते हैं।



आवाज़ भी उसकी मीठी, प्यारी जैसे खुशबूदार बनाई है।
सुन लो तो लगता है केसर क्यारी,उसकी पहरेदार बनाईं है।


दुनिया की  बातों का  सब कूड़ा कचरा धुल जाता है।
जब उसकी मीठी बातों का रस कानों में घुल जाता है।

- दीपक शर्मा

©deepak sharma

#thepredator

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#समाज #sunsetnature  sunset nature युग पुरुष का महाप्रयाण,आचार्य श्री श्री विद्यासागर जी महाराज का अवसान सम्पूर्ण राष्ट्र की अपूरणीय क्षति है।
नमोस्तु, नमोस्तु।
सादर नमन,विनम्र श्रद्धांजलि
ॐ शांति शांति

©deepak sharma

#sunsetnature

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#कविता  Red sands and spectacular sandstone rock formations पूज्य पिताजी की पांचवीं पुण्यतिथि पर श्री चरणों में अर्पित ...

पतझड़ में बट छांव पिता थे
मझधारो में नाव पिता थे।।

शहरों की कोलाहल में 
जैसे कोई गांव पिता थे।।

 मानों साधु- संत पिता थे
हर मुश्किल का अंत पिता थे

मेरे दर-ऒ-दीवार पिता थे
मानो सब संसार पिता थे।।

- दीपक शर्मा

©deepak sharma

Red sands and spectacular sandstone rock formations पूज्य पिताजी की पांचवीं पुण्यतिथि पर श्री चरणों में अर्पित ... पतझड़ में बट छांव पिता थे मझधारो में नाव पिता थे।। शहरों की कोलाहल में जैसे कोई गांव पिता थे।। मानों साधु- संत पिता थे हर मुश्किल का अंत पिता थे मेरे दर-ऒ-दीवार पिता थे मानो सब संसार पिता थे।। - दीपक शर्मा ©deepak sharma

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