sukhwant kumar

sukhwant kumar "Saकेत" Lives in Kolkata, West Bengal, India

Still Scribbling ...

https://instagram.com/pyrrhic_scribbler?igshid=1sudqvq3bk8fh

  • Latest
  • Popular
  • Repost
  • Video
#sad_shayari #Rakib  White लोग कई साथ हैं ! खुद से बहुत दूर खड़ा हूं मैं,
बिंदी सा अस्तित्व मेरा, यूं तो समंदर से बड़ा हूं मैं,
उन्स है ! या दिलकशी के चौखट पे खड़ा हूं मैं ||

सफर किया है सन्नाटों में ताउम्र, बिफर कर बोलता रहा हूं मैं ,
तमन्ना थी मुझे उस पार जाने की, किनारे निहारता रहा हूं मैं,
दिलकशी, उन्स, इश्क़,अकीदत, इबादत, जुनून और मौत
सब तुझसे, मगर बरसों से रकीब रहा हूं मैं,
सबके क़रीब खुद के बहुत दूर रहा हूं मैं...

©sukhwant kumar saket

रहा हूं मैं .. #sad_shayari #Rakib

198 View

हिंदी आज भी संघर्ष की भाषा है, युग बीते पर हिंदी हाशिए पर पड़ी रही, आज भी पुस्तकों के मेले में,हिंदी खुद को टाट पर टिमटिमाती हुई पीली रोशनी के बीच पाती है, और ब्रितानी इंग्लिश ने अपने लिए तीन मंजिला! मकान बना लिए हैं! आलम ये है जैसा संसार वैसा श्रृंगार, अंग्रेज़ी नई बात कहती है,युवा खूब रीझते है, हाथ में एक अंग्रेजी की क़िताब FOMO से बचाती है, अरे !भाई अंग्रेज़ी नवीनीकरण की उदाहरण है ! और हिंदी साहित्य दबी,और छायावादी ढंग से अपनी पेशी लगाती है, डर ये भी है कन्ही जोर से आवाज़ दी तो रही सही क़मर भी तोड़ दी जाएगी ! मैं भी कुछ पल द्वंद में था की woke बनूं या यथार्थ चुनूं ? तभी नज़र एक ओर पड़े परसाई जी पर आ ठहरी ! अंग्रेजीदा लोगों के बीच मैंने व्यंग चुना और आवाज़ लगाईं "how much for this?". गौरतलब हो सारी हिंदीनुमा थकी नज़रे किताबें छोड़ तनी भृकुटी से मेरी ओर हुई और मुस्कुराते हुए किताबें टटोलने लगी. भीड़ अब भी अंग्रेज़ी की ओर ही थी, शायद थोड़ी परेशान भी, बस मैं और कुछ हिंदी पसंद लोग मुस्कुरा रहे थे, उन्हें पता था इस मीठे व्यंग का जवाब अंग्रेज़ी में नहीं है.! मैं गलत था हिंदी संघर्ष की नहीं संवाद की खूबसूरत भाषा है । ©sukhwant kumar saket

#हिंदी #hindi_poetry #Books  हिंदी आज भी संघर्ष की भाषा है,
युग बीते पर हिंदी हाशिए पर पड़ी रही,
आज भी पुस्तकों के मेले में,हिंदी खुद को टाट पर टिमटिमाती हुई पीली रोशनी के बीच पाती है,
और ब्रितानी इंग्लिश ने अपने लिए तीन मंजिला! मकान बना लिए हैं!
आलम ये है जैसा संसार वैसा श्रृंगार,
अंग्रेज़ी नई बात कहती है,युवा खूब रीझते है,
हाथ में एक अंग्रेजी की क़िताब FOMO से बचाती है, अरे !भाई अंग्रेज़ी नवीनीकरण की उदाहरण है ! 
और हिंदी साहित्य दबी,और छायावादी ढंग से अपनी पेशी लगाती है,
डर ये भी है कन्ही जोर से आवाज़ दी तो रही सही क़मर भी तोड़ दी जाएगी ! 

मैं भी कुछ पल द्वंद में था की woke बनूं या यथार्थ चुनूं ?
तभी नज़र एक ओर पड़े परसाई जी पर आ ठहरी !
अंग्रेजीदा लोगों के बीच मैंने व्यंग चुना और आवाज़ लगाईं "how much for this?".
गौरतलब हो सारी हिंदीनुमा थकी नज़रे किताबें छोड़ तनी भृकुटी से मेरी ओर हुई और मुस्कुराते हुए किताबें टटोलने लगी.

भीड़ अब भी अंग्रेज़ी की ओर ही थी, शायद थोड़ी परेशान भी,
 बस मैं और  कुछ हिंदी पसंद लोग मुस्कुरा रहे थे, उन्हें पता था इस मीठे व्यंग का जवाब अंग्रेज़ी में नहीं है.!

मैं गलत था हिंदी संघर्ष की नहीं संवाद की खूबसूरत भाषा है ।

©sukhwant kumar saket

कहानियां:कुछ Unकही कुछ Unसुनी

कहानियां:कुछ Unकही कुछ Unसुनी

Tuesday, 27 December | 08:05 pm

10 Bookings

Expired
#किस्सा #हिस्सा #कहानी #हिंदी #कविता #कहनी  मेरे सर पर अब नहीं आसमान मेरा,
वक्त और कितने लेगा इम्तेहान मेरा,
तुम कहते हो रूखा है लफ्ज़ ए बयान मेरा!
एक पन्ना ले गया सारा साबो सामान मेरा,
हो मशरूफ सजाया था एक सपना सुनहरा,
रिश्ते का बटवारा करके तोड़ दिया वादों का घेरा,
अब बिखर गए तो सौदा करने आए हो  ये हिस्सा तेरा वो हिस्सा मेरा !

©sukhwant kumar saket

हिस्से का किस्सा #हिस्सा #किस्सा #कहनी #कहानी #हिंदी

237 View

एक सूरज ढल जायेगा, एक रात सुनहरी आयेगी , चांद फलक पर आएगा ,दिल को बगिया रौशन हो जायेगी, एक रात कल भी आई थी एक रात कल भी आएगी , एक बात अधूरी है कल से शायद कल पूरी हो जाएगी, रुको जरा नया सवेरा तो देखो ,जिस सपने की आस तुम्हें कल शायद पूरी हो जाएगी । आज भी ना आए खुशी कल शायद आजायेगी .... ©sukhwant kumar saket

#poem✍🧡🧡💛 #कविता #hindi_poetry #Community #Sayad  एक सूरज ढल जायेगा, एक रात सुनहरी आयेगी ,
चांद फलक पर  आएगा ,दिल को बगिया रौशन हो जायेगी,
एक रात कल भी आई थी एक रात कल भी आएगी ,
एक बात अधूरी है कल से शायद कल पूरी हो जाएगी,
रुको जरा नया सवेरा तो देखो ,जिस सपने की आस तुम्हें कल शायद पूरी हो जाएगी ।
आज भी ना आए खुशी कल शायद आजायेगी ....

©sukhwant kumar saket

वैसे हर रंग की कलम है दराज में पर रंग कोई इतना गहरा नहीं की फर्क करदे मेरे बीते कल और आज में , फिर वही साज लिख रहा हूं मैं ...। पुराने लफ्ज़,पुरानी हलचल सब संजो रहा हूं मैं । फिर वही साज लिख रहा हूं मैं ...। पन्नों की सिलवटों के बीच शब्दोें का अड़ा तिरछापन पिरो रहा हूं मैं . फिर वही साज लिख रहा हूं मैं ... हर ढलती शाम फिर से समझ रहा हूं मैं कई कहानियों के बीच चल रहा हूं मैं फिर वही सब लिख रहा हूं मैं ... पुराने मर्म पर नए मरहम मल रहा हूं मैं.. फिर वही सब लिख रहा हूं मैं . हर रात पुराने ख़्वाब में नई करवटें बदल रहा हूं मैं .. देखो ना ! फिर वही साज लिख रहा हूं मैं .. अधूरे , पुराने, गमगीन ,बदगुमा, निराश किरदार रच रहा हूं मैं ..... फिर वही सब लिख रहा हूं मैं ! ©sukhwant kumar saket

#कविता #WritersSpecial  वैसे हर रंग की कलम है दराज में 
पर  रंग कोई इतना गहरा नहीं की 
फर्क करदे मेरे बीते कल और आज में ,
फिर वही साज लिख रहा हूं मैं ...।
पुराने लफ्ज़,पुरानी हलचल सब संजो रहा हूं मैं ।
फिर वही साज लिख रहा हूं मैं ...।
पन्नों की सिलवटों के बीच शब्दोें का अड़ा तिरछापन
पिरो रहा हूं मैं .
फिर वही साज लिख रहा हूं मैं ... 
हर ढलती शाम फिर से समझ रहा हूं मैं
कई कहानियों के बीच चल रहा हूं मैं 
फिर वही सब लिख रहा हूं मैं ...
पुराने मर्म पर नए मरहम मल रहा हूं मैं..
फिर वही सब लिख रहा हूं मैं .
हर रात पुराने ख़्वाब में नई करवटें बदल रहा हूं मैं ..
देखो ना ! फिर वही साज लिख रहा हूं मैं ..
अधूरे , पुराने, गमगीन ,बदगुमा, निराश किरदार रच रहा हूं मैं .....
फिर वही सब लिख रहा हूं मैं !

©sukhwant kumar saket

सब लिख रहा हूं मैं ।। #WritersSpecial

13 Love

Trending Topic