अधूरे इश्क़ का मुकम्मल दास्तान लिखूंगा
ख्वाइशों के जनाजे, ओर ख्वाबों का कब्रिस्तान लिखूंगा
लिख दूंगा हैवान खुदको यकीनन
पर तुझमें ही अपना सारा ज़हान लिखूंगा
-sanjeev sangam
उठा कलम कर्मों का
तू एक नया अध्याय लिखेगा
क्यों छुपते इस भीड़ में हो तुम
तू भीड़ से बिल्कुल अलग दिखेगा
काम क्रोध का त्याग करो तुम
तू कलयुग का राम बनेगा
इंसानों की यहां कमी बहुत है
तू सबका भगवान बनेगा
उठा कलम कर्मों का
तू एक नया अध्याय लिखेगा
तुझमें अंबर तुझमें सागर तुझमें ही संसार बसेगा
तू कृष्ण का अवतार तू ही टीपू का तलवार बनेगा
उठा कलम कर्मों का
तू एक नया अध्याय लिखेगा
-sanjeev sangam
कलम की स्याही खत्म हो चली थी
मुझे अभी कई दिलों पर अपना नाम लिखना था
माँ ने रक्त बिखेर दी पन्नों पर
कहा, बेटा तुझे शायद कोई कलाम लिखना था
-Sanjeev Sangam
चंद टुकड़ा कागज का बटोर रखा है
हर किसी से नाता वो तोड़ रखा है
सिरहाने तले तो चाभियां है तिजोरी का
उनसे पूछो, घर में सुकून किस ओर रखा है
बिठा रखे हैं दरबान दरवाजे पर
दिल में छुपाकर वो चोर रखा है
चंद टुकड़ा कागज का बटोर रखा है
उनसे पूछो, घर में सुकून किस ओर रखा है
- Sanjeev Sangam
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