थाम कर दिल तेरी खुशियों का सफ़र देखुगां
केसी होती है मोहब्बत की सहर देखुगां
अपने अरमानों का लुटता हुआ घर देखुगां
मुझसे देखा तो ना जाऐग मगर देखुगां
तेरी रूसवाई का आगांज़ ना होने दुगां
दिल भी टुटेगा तो अवाज़ ना होने दुगां
लेके आगौ़श में डोली से ऊतारेगा कोई
तेरी बिखरी हुई ज़ुल्फो को संवारेगा कोई
ज़िन्दगी तेरी ही बाहौं में गुज़ारेगा कोई
अपना महबूब तुझे कहके पुकारेगा कोई
सुर्ख जोड़े में बहुत खूब दीखाई देगी
हर सहेली खुश होके बधाई देगी
जब किसी ग़ेर की डोली में कदम तु रखना
दूर खुद से भी मेरे प्यार की खुशबू रखना
याद हरगिज़ ना मेरी आंखों के आंसु रखना
अपने मचले हुए जज़्बात प काबू रखना
वक़्ते रुख़सत कोई इलज़ाम ना आजाऐ कही
तेरे होठों पा मेरा नाम ना आजाऐ कही
बहूत ही कड़वी बात कहुंगा बहुत से लोगों को
पसन्द भी नहीं आयेगी
(लेकिन हकीकत हैं)
नंगे जिस्मों को ढकने के लिए लोग एक पैसा भी नहीं देते
लेकिन जिस्म को नंगा करने के लिए लोग अपनी दोलत तक लुटा देते हैं
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