Kavi Vikas Singh

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भोजपुरी फिल्मों के स्टारों से एक मुलाकात दिनेश लाल यादव,निरहुआ, व उनके भाई,विजय लाल यादव,सुपर स्टार नीतू सिंह। ©Kavi Vikas Singh

#ज़िन्दगी  भोजपुरी फिल्मों के स्टारों से एक मुलाकात दिनेश लाल यादव,निरहुआ, व उनके भाई,विजय लाल यादव,सुपर स्टार नीतू सिंह।

©Kavi Vikas Singh

भोजपुरी फिल्मों के सुपर स्टार, दिनेश लाल ,निरहुआ, व उनके छोटे भाई ,विजय लाल,स्टार नीतू सिंह, से एक मुलाकात।

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मन से तुम सब चाहों तो, हर  लक्ष्य  को पा सकते हो, गहरे सागर से लेकर तुम ,अम्बर  तक  जा  सकते हो। खुद को साधारण मत समझो,तुम सिंहों  कि फौज हो, आर्यावर्त के वीर जवानों,तुम भगत सिंह,और बोस हो। विकास शाहजहाँपुरी ©Kavi Vikas Singh

#IndianAirforceday #विचार  मन से तुम सब चाहों तो, हर  लक्ष्य  को पा सकते हो,
गहरे सागर से लेकर तुम ,अम्बर  तक  जा  सकते हो।
खुद को साधारण मत समझो,तुम सिंहों  कि फौज हो,
आर्यावर्त के वीर जवानों,तुम भगत सिंह,और बोस हो।
विकास शाहजहाँपुरी

©Kavi Vikas Singh

मन से तुम सब चाहों तो, हर  लक्ष्य  को पा सकते हो, गहरे सागर से लेकर तुम ,अम्बर  तक  जा  सकते हो। खुद को साधारण मत समझो,तुम सिंहों  कि फौज हो, आर्यावर्त के वीर जवानों,तुम भगत सिंह,और बोस हो। विकास शाहजहाँपुरी ©Kavi Vikas Singh

#IndianAirforceday #विचार  मन से तुम सब चाहों तो, हर  लक्ष्य  को पा सकते हो,
गहरे सागर से लेकर तुम ,अम्बर  तक  जा  सकते हो।
खुद को साधारण मत समझो,तुम सिंहों  कि फौज हो,
आर्यावर्त के वीर जवानों,तुम भगत सिंह,और बोस हो।
विकास शाहजहाँपुरी

©Kavi Vikas Singh

विचार #IndianAirforceday

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【आर्यावर्त के वीर】 माँ   भारती   को  अपने , पुत्रों  से  स्नहे  अपार  है, क्यों  भूलते  हो  तुम  पर , सम्पूर्ण  देश  का भार है। याद करो अपने बल को, क्यों मोह  माया में मस्त हो, पवन  पुत्र  हनुमान  के , तुम  सबसे  प्यारे  भक्त  हो। मन से तुम सब चाहों तो, हर  लक्ष्य  को पा सकते हो, गहरे सागर से लेकर तुम ,अम्बर  तक  जा  सकते हो। खुद को साधारण मत समझो,तुम सिंहों  कि फौज हो, आर्यावर्त के वीर जवानों,तुम भगत सिंह,और बोस हो।                        विकास शाहजहाँपुरी ©Kavi Vikas Singh

 【आर्यावर्त के वीर】
माँ   भारती   को  अपने , पुत्रों  से  स्नहे  अपार  है,
क्यों  भूलते  हो  तुम  पर , सम्पूर्ण  देश  का भार है।

याद करो अपने बल को, क्यों मोह  माया में मस्त हो,
पवन  पुत्र  हनुमान  के , तुम  सबसे  प्यारे  भक्त  हो।

मन से तुम सब चाहों तो, हर  लक्ष्य  को पा सकते हो,
गहरे सागर से लेकर तुम ,अम्बर  तक  जा  सकते हो।

खुद को साधारण मत समझो,तुम सिंहों  कि फौज हो,
आर्यावर्त के वीर जवानों,तुम भगत सिंह,और बोस हो।


                       विकास शाहजहाँपुरी

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kavita

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【तुम आते हो】 मैं  खुद  को  भूल  बैठा हूँ, मगर  तुम  याद   आते  है। ख़्वाबों    में    सताते   हो, रातों     में    रुलाते    हो। जब  मुझसे दूर जाना  था, क्यों  मेरे पास तुम  आये। मेरी   पलकों   पर  अपने ख़्वाब क्यों तुमने सजाये। जुगनुओं   को   पकड़कर, मैं  तेरी  तस्वीर  को  देखूं। जो कभी थी नहीं हाथों में, मैं   उस  लकीर  को  देखूं। मेरी  आँखों  में अश्कों का, तुम बनके सैलाब आते हो। मैं  खुद  को  भूल  बैठा  हूँ, मगर   तुम  याद  आते  हो। --------------------------------- 'विकास शाहजहाँपुरी' ©Kavi Vikas Singh

#कविता #TEARSGIF  【तुम आते हो】

मैं  खुद  को  भूल  बैठा हूँ,

मगर  तुम  याद   आते  है।

ख़्वाबों    में    सताते   हो,

रातों     में    रुलाते    हो।

जब  मुझसे दूर जाना  था,

क्यों  मेरे पास तुम  आये।

मेरी   पलकों   पर  अपने

ख़्वाब क्यों तुमने सजाये।

जुगनुओं   को   पकड़कर,

मैं  तेरी  तस्वीर  को  देखूं।

जो कभी थी नहीं हाथों में,

मैं   उस  लकीर  को  देखूं।

मेरी  आँखों  में अश्कों का,

तुम बनके सैलाब आते हो।

मैं  खुद  को  भूल  बैठा  हूँ,

मगर   तुम  याद  आते  हो।

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'विकास शाहजहाँपुरी'

©Kavi Vikas Singh

कविता #TEARSGIF

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    【आदमी हो तुम】 ----------------------------------------- आदमी   हो  तुम  ,आदमी   ही  रहोगे,  विधाता  तो   तुम  ,बन   सकते  नहीं। चाँद से तुम जलन  कितनी  भी  करलो, नूर  उसका   कभी   छीन  सकते  नहीं। कद  भले  हो तुम्हारा, पर्वतों  की  तरह, आसमां को  कभी , तुम छू सकते नहीं। चाहें  लाख  दीपक  जला  लो धरा  तुम, तारों  जैसी   नुमाइश   कर सकते नहीं। पथ  नदियों   का  तुम   भले   मोड़  लो, लहर  सागर  की तुम  रोक सकते  नहीं। ज्ञान चाहें तुम कितना भी अर्चित करलो, विधाता का लिखा,तुम  पढ़ सकते  नहीं। काम करने का तरीका उसका निराला है, उसकी तरह तुम कुछ  कर  सकते  नहीं। इंद्रधनुष, फूल ,तितलियों,  पेड़ पौधों  में, उसकी तरह तुम  रंग  भर सकते नहीं। जो वो चाहेगा इस जहाँ में  ,होगा  वो ही, उसके आगे कुछ ,तुम  कर  सकते नहीं। आदमी   हो    तुम , आदमी   ही  रहोगे, विधाता   तो   तुम  , बन   सकते   नहीं। ------------------------------------------- 'विकास शाहजहाँपुरी' ©Kavi Vikas Singh

     【आदमी हो तुम】
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आदमी   हो  तुम  ,आदमी   ही  रहोगे,
 विधाता  तो   तुम  ,बन   सकते  नहीं।
चाँद से तुम जलन  कितनी  भी  करलो,
नूर  उसका   कभी   छीन  सकते  नहीं।
कद  भले  हो तुम्हारा, पर्वतों  की  तरह,
आसमां को  कभी , तुम छू सकते नहीं।
चाहें  लाख  दीपक  जला  लो धरा  तुम,
तारों  जैसी   नुमाइश   कर सकते नहीं।
पथ  नदियों   का  तुम   भले   मोड़  लो,
लहर  सागर  की तुम  रोक सकते  नहीं।
ज्ञान चाहें तुम कितना भी अर्चित करलो,
विधाता का लिखा,तुम  पढ़ सकते  नहीं।
काम करने का तरीका उसका निराला है,
उसकी तरह तुम कुछ  कर  सकते  नहीं।
इंद्रधनुष, फूल ,तितलियों,  पेड़ पौधों  में,
उसकी  तरह  तुम  रंग  भर  सकते  नहीं।
जो वो चाहेगा इस जहाँ में  ,होगा  वो ही,
उसके आगे कुछ ,तुम  कर  सकते नहीं।
आदमी   हो    तुम , आदमी   ही  रहोगे,
विधाता   तो   तुम  , बन   सकते   नहीं।
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           'विकास शाहजहाँपुरी'

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मेरी कलम से

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