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Teacher , learner and part time an artist
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राहगीर इतने पक्के रहे राह के हम , हमने किन्ही के दिलों में पक्के घर नहीं बनाए । ~स्वयं , ©Poetry From Heart
Poetry From Heart
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.......... ©Poetry From Heart
10 Love
जब मौत जिंदगी से अच्छी लगने लगे उस दौर को क्या कहें , रास्ता एक ही हो और अंधेरा ही अंधेरा हो उस ओर को क्या कहें , लिपटी हो जिससे झूठी कहानियां, बंधे हों झूठे रिश्ते जिससे उस डोर को क्या कहें , टूटा हो बहुत कुछ लेकिन आवाज दब गई हो अंदर गूंजते उस शोर को क्या कहें । उस दौर , उस और , उस डोर को क्या कहें ~ स्वयं Insta @poetry_from_heart_1 ©Poetry From Heart
7 Love
बदल जाएंगे हम भी , तुम लौटने की गुंजाइशें तो खत्म करो ।~स्वयं . ©Poetry From Heart
9 Love
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