दीपेश

दीपेश Lives in Rewa, Madhya Pradesh, India

अंतर्मन मन को लिख दो ये एक महाकाव्य बन जाता है। मन का मंत्र मानो में धंसकर मनोरोग से छाता है और महामंत्र बन जाता है।

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White काश ! काश एक ऐसा पेन पाऊं सूरज चांद तलक लिख पाऊं तो सूरज में राम लिखूं मैं और चांद में सीता बादल को हनुमान लिखूं ब्रह्माण्ड लिखूं मैं गीता बोलो रामचंद्र की जय! ©दीपेश

#विचार #GoodMorning  White काश !
काश एक ऐसा पेन पाऊं
सूरज चांद तलक लिख पाऊं 
तो सूरज में राम लिखूं मैं
और चांद में सीता
बादल को हनुमान लिखूं
ब्रह्माण्ड लिखूं मैं गीता
बोलो रामचंद्र की जय!

©दीपेश

#GoodMorning बेस्ट सुविचार शुभ विचार सुविचार इन हिंदी

11 Love

White दुनिया में दुखी बस बाप नही भाई से बड़ी सौगात नही पढ़ खगोल विद्या सारी देता है बढ़ा औकात वही मां बाप से सीखा जो कुछ भी संवर्धित रूप दिखाता है छोटे भाई के खातिर लड़ता पढ़ता और पढ़ाता है दंद फंद दुनिया के सारे कहां बाप बतलाता है वाह सोख के पानी सागर का बदल सा बरस उगाता कभी जो उखड़े जड़ थोड़ी वाह मिट्टी भी बन जाता दोस्त वही सबसे पहला गुरु अंतर्मन सा होता है वही ब्याह देवरान जेठानी के फिर झांसे में आ जाता है दोनो भाई ग्रह उपग्रह से दूर भ्रमण में रहते है प्रथम मित्र गुरु अंतर्मन का फिर बनकर न मिलते है मां बाप की मर्यादा फिर भी भाई सम्मान नही पाता लेकिन सच है की भाई बिन भाई को ज्ञान नही आता वही सिखाता है साइकल और गेम वही खिलवाता है पहली सीडी फिल्म की लाकर सारेगामा गाता है गली मोहल्ला हर कोना बन रक्षक खड़ा हो जाता है पालन पोषण बस हाथ नही बाकी भाई के बिना कोई बात नही दुनिया में दुखी बस बाप नही भाई से बड़ी सौगात नही ©दीपेश

#कविता #भाई #sad_qoute #Brother  White दुनिया में दुखी बस बाप नही भाई से बड़ी सौगात नही
पढ़ खगोल विद्या सारी  देता है बढ़ा औकात वही
मां बाप से सीखा जो कुछ भी संवर्धित रूप दिखाता है
छोटे भाई के खातिर लड़ता  पढ़ता और पढ़ाता है
दंद फंद दुनिया के सारे कहां बाप बतलाता है
वाह सोख के पानी सागर का बदल सा बरस उगाता
कभी जो उखड़े जड़ थोड़ी वाह मिट्टी भी बन जाता
दोस्त वही सबसे पहला गुरु अंतर्मन सा होता है
वही ब्याह देवरान जेठानी के फिर झांसे में आ जाता है
दोनो भाई ग्रह उपग्रह से दूर भ्रमण में रहते है
प्रथम मित्र गुरु अंतर्मन का फिर बनकर न मिलते है
मां बाप की मर्यादा फिर भी भाई सम्मान नही पाता 
लेकिन सच है की भाई बिन भाई को ज्ञान नही आता
वही सिखाता है साइकल और गेम वही खिलवाता है
पहली सीडी फिल्म की लाकर सारेगामा गाता है
गली मोहल्ला हर कोना बन रक्षक खड़ा हो जाता है
पालन पोषण बस हाथ नही बाकी भाई के बिना कोई बात नही
दुनिया में दुखी बस बाप नही  भाई से बड़ी सौगात नही

©दीपेश

White कैसे नजरे चार करू उस रूप मनोहर की रानी से रूप में पहरा बालो का कुछ सुंदर जड़ी रूमालो का कुछ पहरा मेरी नजरो में भी उन नजरो का जो पहले से रत है निखरा खोज रहे मुझमें जो पहले से ही निरखत हैं कुछ लाज है मेरी आंखों में की कही लजा ना वो जाए देख ये चेहरा राहू सा कहीं चंद्रग्रहण न लग जाए यह सोच वृषभ के पीछे से मैं कन्या राशि निहारुगा बस एक झलक तो मिल जाए सपनो में ही बस पा लूंगा ©दीपेश

#सुंदरी #कविता  White कैसे नजरे चार करू
उस रूप मनोहर की रानी से
रूप में पहरा बालो का
कुछ सुंदर जड़ी रूमालो का
कुछ पहरा मेरी नजरो में भी
उन नजरो का जो पहले से रत है
निखरा खोज रहे मुझमें
जो पहले से ही निरखत हैं
कुछ लाज है मेरी आंखों में
की कही लजा ना वो जाए
देख ये चेहरा राहू सा
कहीं चंद्रग्रहण न लग जाए
यह सोच वृषभ के पीछे से
मैं कन्या राशि निहारुगा
बस एक झलक तो मिल जाए
सपनो में ही बस पा लूंगा

©दीपेश
#फ़िल्म #RadheGovinda

#RadheGovinda

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White मेरे तन मन हाव भाव गुस्सा जोश खुशी गर्व शर्मिंदी कौन कहे भावों की भाषा नही विचारो की होती मेरी तो हर स्वप्न साधना अंतर्द्वंद्व की भाषा हिंदी ©दीपेश

#कविता #hindi_diwas  White मेरे तन मन हाव भाव
गुस्सा जोश खुशी गर्व शर्मिंदी
कौन कहे भावों की भाषा
नही विचारो की होती
मेरी तो हर स्वप्न साधना
अंतर्द्वंद्व की भाषा हिंदी

©दीपेश

#hindi_diwas

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#कविता #love_shayari #vilagedays  White हरियाली तस्वीरों में है
भाग जहां से आए थे
कांक्रीट के स्वप्न सजाकर
कीचड़ से घबराए थे
अब यादों में बसा हुआ है
गांव का फूला गुलदस्ता
कभी जुट का झोला लेकर
लेकर कभी फूल का बुक्का
हैं मन को बहलाती दुनिया
घूम रही हो हक्का बक्का

©दीपेश
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