भरत सिंह

भरत सिंह Lives in Jaipur, Rajasthan, India

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प्रेम परिपक्व होकर पिता बन जाता है, दुख परिपक्व होकर 'अनुभव' बेईमानी परिपक्व होकर 'सत्यनिष्ठा' बन जाती है अतः प्रेम सिर्फ प्रेम रहता है

 प्रेम परिपक्व होकर 
पिता बन जाता है,
 दुख परिपक्व होकर 
'अनुभव'
बेईमानी परिपक्व होकर 
'सत्यनिष्ठा' बन जाती है 

अतः प्रेम सिर्फ प्रेम रहता है

___________________ परिपक्व होना निश्चित है हर वस्तु के लिए, प्रेम परिपक्व होकर पिता बन जाता है, दुख परिपक्व होकर 'अनुभव'

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वो 'मैं' मर गया जो प्रेम करना जानता था मैं वो बचा हूँ जिसे प्रेम करना सिखाया जा रहा है

 वो 'मैं' मर गया 
जो प्रेम करना जानता था

मैं 
वो बचा हूँ 
जिसे प्रेम करना 
सिखाया जा रहा है

वो 'मैं' मर गया जो प्रेम करना जानता था मैं वो बचा हूँ जिसे प्रेम करना सिखाया जा रहा है

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जो असाधारण है वही तो साधारण व सरल दिखता है भरोसा ना हो तो अब्दुल कलाम को ही देख लो

 जो असाधारण है 
वही तो साधारण व सरल दिखता है 
भरोसा ना हो तो 
अब्दुल कलाम को ही देख लो

जो असाधारण है वही तो साधारण व सरल दिखता है भरोसा ना हो तो अब्दुल कलाम को ही देख लो

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संदेह के घेरे इतने बड़े होते हैं कि "शीलं परम भूषणं" लिखने वाला व्यक्ति भी इस घेरे में आसानी से आ जाता है यही कृत्य सद्य:कालीन मानसिकता का पर्याय हो सकता है, ऐसी मानसिकताओं को सीखना चाहिए "पिण्डेष्वनास्था खलु भौतिकेषु" के संदर्भ में विचार की सूक्ति ही शरीर का आवरण गढ़ती है और आवरण से बाहर होना तो अति सामान्य होगा महज़ सामान्य होना ही शील कैसे बनायेगा ??

 संदेह के घेरे इतने बड़े होते हैं कि
"शीलं परम भूषणं"
लिखने वाला व्यक्ति भी 
इस घेरे में आसानी से आ जाता है 
यही कृत्य सद्य:कालीन मानसिकता का पर्याय हो सकता है,
ऐसी मानसिकताओं को सीखना चाहिए 
"पिण्डेष्वनास्था खलु भौतिकेषु" 
के संदर्भ में विचार की सूक्ति ही शरीर का आवरण गढ़ती है और
आवरण से बाहर होना तो अति सामान्य होगा
महज़ सामान्य होना ही शील कैसे बनायेगा ??

संदेह के घेरे इतने बड़े होते हैं कि "शीलं परम भूषणं" लिखने वाला व्यक्ति भी इस घेरे में आसानी से आ जाता है यही कृत्य सद्य:कालीन मानसिकता का पर्याय हो सकता है, ऐसी मानसिकताओं को सीखना चाहिए "पिण्डेष्वनास्था खलु भौतिकेषु" के संदर्भ में विचार की सूक्ति ही शरीर का आवरण गढ़ती है और आवरण से बाहर होना तो अति सामान्य होगा महज़ सामान्य होना ही शील कैसे बनायेगा ??

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बुद्धिमान ___________________ बुद्धिमान को कहाँ पंख होते हैं , उन्हें समझने होते हैं अनपढ़ होकर भी भावनाओं के शब्द ! जैसे मां समझती है कब झुनझुना बजाना है ____________________ भरत राजगुरु

 बुद्धिमान
___________________
बुद्धिमान को 
कहाँ पंख होते हैं ,
उन्हें समझने होते हैं
अनपढ़ होकर भी 
भावनाओं के 
शब्द !

जैसे मां समझती है
कब झुनझुना बजाना है 
____________________

भरत राजगुरु

बुद्धिमान ___________________ बुद्धिमान को कहाँ पंख होते हैं , उन्हें समझने होते हैं अनपढ़ होकर भी भावनाओं के शब्द ! जैसे मां समझती है कब झुनझुना बजाना है ____________________ भरत राजगुरु

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भान्दरा री ऄक जात व्है मिनख़ां जैड़ी , अर् मिनखां री ऄक जात रैवे भान्दरा जैड़ी फैर भी मिनख अचम्भो करे कि अरे देख मिनख जेड़ो भान्द्रों

#paidstory  भान्दरा री ऄक जात व्है
मिनख़ां जैड़ी ,
अर् मिनखां री ऄक जात रैवे 
भान्दरा जैड़ी 

फैर भी मिनख 
अचम्भो करे 
कि 
अरे देख 
मिनख जेड़ो 
भान्द्रों

#paidstory

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