Sk mishra

Sk mishra Lives in Haridwar, Uttarakhand, India

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जिंदगी सफर है, इसको गुज़र जाना है, बचपन, जवानी, बुढ़ापा फिर मर जाना है। आ गया हूं बोहोत दूर चलते चलते, परेशान हूं कि अब किधर जाना है। ये गुमां ए हुस्न किस बात का है तुम्हे, ये गुलशन है, इक दिन इसे भी झड़ जाना है। ये दौलत, ये शौहरत कुछ पल के साथी है, सुबह होते ही परिंदो को उड़ जाना है। अरसा हुआ मुहब्बत में भटकते हुए "मिश्रा", थक चुका हूं बहुत, मुझे अब घर जाना है। ©Sk mishra

#शायरी #morningcoffee #nojotenglish #nojotohindi #nojotolive  जिंदगी सफर है, इसको गुज़र जाना है,
बचपन, जवानी, बुढ़ापा फिर मर जाना है।

आ गया हूं बोहोत दूर चलते चलते,
परेशान हूं कि अब किधर जाना है।

ये गुमां ए हुस्न किस बात का है तुम्हे,
ये गुलशन है, इक दिन इसे भी झड़ जाना है।

ये दौलत, ये शौहरत कुछ पल के साथी है,
सुबह होते ही परिंदो को उड़ जाना है।

अरसा हुआ मुहब्बत में भटकते हुए "मिश्रा",
थक चुका हूं बहुत, मुझे अब घर जाना है।

©Sk mishra

ये अब मुझसे नहीं होगा... किसी को याद रखना हो, या फिर उसको भूलना हो, किसी से दूर जाना हो, या फिर अपना बनाना हो, किसी को छोड़ देना हो, या फिर रिश्ता निभाना हो।। ये अब मुझसे नहीं होगा.... ©Sk mishra

 ये अब मुझसे नहीं होगा...

किसी को याद रखना हो,
या फिर उसको भूलना हो,
किसी से दूर जाना हो,
या फिर अपना बनाना हो,
किसी को छोड़ देना हो,
या फिर रिश्ता निभाना हो।।

ये अब मुझसे नहीं होगा....

©Sk mishra

#शायरी #shayri #nojotohindi #Dark

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तुम बिन क्यों जिंदगी अधूरी सी है, ना जाने क्यों दर्मियां ये दूरी सी है, मुहब्बत तो है तुमसे, और बताना भी है, फिर ना जाने क्यों ये मज़बूरी सी है। ©Sk mishra

#शायरी  तुम बिन क्यों जिंदगी अधूरी सी है,
ना जाने क्यों दर्मियां ये दूरी सी है,
मुहब्बत तो है तुमसे, और बताना भी है,
फिर ना जाने क्यों ये मज़बूरी सी है।

©Sk mishra

तुम बिन क्यों जिंदगी अधूरी सी है, ना जाने क्यों दर्मियां ये दूरी सी है, मुहब्बत तो है तुमसे, और बताना भी है, फिर ना जाने क्यों ये मज़बूरी सी है। ©Sk mishra

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कब तलक यूं घर उजाड़ें जाएंगे, कब तलक बेबस यूं मारे जाएंगे। जो उठे बनकर आवाज सच की, सबसे पहले वो ही सिर उतारे जाएंगे। फिर मार कर बैठा है ठेकेदार पैसा, मुस्कुराइए भूखे गरीब फिर से मारे जाएंगे। सिर के ऊपर बह चला जो आज दरिया, तय है कि फिर हम ही मारे जाएंगे। कट गई है गुरबतो में जिंदगानी, कब तलक यूं दिन गुजारे जाएंगे। ©Sk mishra

#शायरी #alone  कब तलक यूं घर उजाड़ें जाएंगे,
कब तलक बेबस यूं मारे जाएंगे।

जो उठे बनकर आवाज सच की,
सबसे पहले वो ही सिर उतारे जाएंगे।

फिर मार कर बैठा है ठेकेदार पैसा,
मुस्कुराइए भूखे गरीब फिर से मारे जाएंगे।

सिर के ऊपर बह चला जो आज दरिया,
तय है कि फिर हम ही मारे जाएंगे।

कट गई है गुरबतो में जिंदगानी,
कब तलक यूं दिन गुजारे जाएंगे।

©Sk mishra

#alone

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Maa मेरी  मम्मी भोली भाली मेरी मम्मी भोली भाली, समझ ना पाती चक्करचाली, जब उनको समझता हूं मै, उनसे थप्पड़ खाता हूं मै, गुस्सा होकर देती गाली, मेरी मम्मी भोली भाली। जब जब हम है शोर मचाते, या फिर आपस में लड़ जाते, मम्मी हमको आंख दिखती, उनकी बात हम समझ ना पाते, गुस्से में मम्मी कर देती, मेरी गोरी चमड़ी काली। मेरी मम्मी भोली भाली।। Sk mishra (स्वरचित)

#मम्मी #कविता #मां #penpoetry #mummy  Maa  मेरी  मम्मी भोली भाली

मेरी मम्मी भोली भाली,
समझ ना पाती चक्करचाली,
जब उनको समझता हूं मै,
उनसे थप्पड़ खाता हूं मै,
गुस्सा होकर देती गाली,
मेरी मम्मी भोली भाली।

जब जब हम है शोर मचाते,
या फिर आपस में लड़ जाते,
मम्मी हमको आंख दिखती,
उनकी बात हम समझ ना पाते,
गुस्से में मम्मी कर देती, 
मेरी गोरी चमड़ी काली।
मेरी मम्मी भोली भाली।।

Sk mishra (स्वरचित)

सबने देखा है उस पापी रावण के अभिमान को, नहीं समझता था वह कुछ भी, किसी और के सम्मान को। एक दिन अपने अहंकार में सब कुछ था वह भूल गया, बालि से लडने आया और चाट के रण में धूल गया। तुम क्या जानो छह महीने कितना रावण पछताया था, कितना बलशाली था बालि ये उसको समझ में आया था। और बताता हूं तुमको रावण के दंभ के मर्दन की, बच्चों द्वारा घुड़साल में बंधी उस अभिमानी की गर्दन की। उस दिन रावण ने सोचा था राजा बली से  लड़ना है, कुछ भी करके पाताल नरेश बली का वध उसे करना है। पर उसके इस कुटिल मनोरथ को कुछ बच्चे जान गए, रावण की बुरी नियत को वो बस पल भर में पहचान गए। बांध लिया घुड़साल में उसको उसका मद फिर चूर किया, रावण जैसे महाबली को कुछ बच्चों ने मजबुर किया। और सुनो तुम्हे बात सहस्र बाहु अर्जुन की बतलाता हूं, कौन वीर था अर्जुन ये भी तुमको समझता हूं। जब अर्जुन से लडने रावण सेना समेत टकराया था, तब अर्जुन का देख पराक्रम रावण भी चकराया था। नर्मदा नदी का समस्त जल जब अर्जुन ने रावण पे छोड़ दिया, सेना समेत रावण का अभिमान पुनः किसी ने तोड़ दिया। इसलिए हे मित्र, बात कभी ना करना रावण के अभिमान पे, अभिमान की चिता जला दो जाकर किसी और श्मशान में। sk mishra (स्वरचित)

#रावण #nojotostory #penpoetry  सबने देखा है उस पापी रावण के अभिमान को,
नहीं समझता था वह कुछ भी, किसी और के सम्मान को।

एक दिन अपने अहंकार में सब कुछ था वह भूल गया,
बालि से लडने आया और चाट के रण में धूल गया।

तुम क्या जानो छह महीने कितना रावण पछताया था,
कितना बलशाली था बालि ये उसको समझ में आया था।

और बताता हूं तुमको रावण के दंभ के मर्दन की,
बच्चों द्वारा घुड़साल में बंधी उस अभिमानी की गर्दन की।

उस दिन रावण ने सोचा था राजा बली से  लड़ना है,
कुछ भी करके पाताल नरेश बली का वध उसे करना है।

पर उसके इस कुटिल मनोरथ को कुछ बच्चे जान गए,
रावण की बुरी नियत को वो बस पल भर में पहचान गए।

बांध लिया घुड़साल में उसको उसका मद फिर चूर किया,
रावण जैसे महाबली को कुछ बच्चों ने मजबुर किया।

और सुनो तुम्हे बात सहस्र बाहु अर्जुन की बतलाता हूं,
कौन वीर था अर्जुन ये भी तुमको समझता हूं।

जब अर्जुन से लडने रावण सेना समेत टकराया था,
तब अर्जुन का देख पराक्रम रावण भी चकराया था।

नर्मदा नदी का समस्त जल जब अर्जुन ने रावण पे छोड़ दिया,
सेना समेत रावण का अभिमान पुनः किसी ने तोड़ दिया।

इसलिए हे मित्र, बात कभी ना करना रावण के अभिमान पे,
अभिमान की चिता जला दो जाकर किसी और श्मशान में।

sk mishra (स्वरचित)

#रावण का abhiman mardan, #nojotostory #penpoetry

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