कब तक यूं ही भागेगा मन
जो पीछे मुड़ के देखो
रह जाता है सन
बहुत लंबा रास्ता तय कर लिया
जाने कैसे क्या-क्या पा लिया
बहुत सारी नहीं थी ख्वाहिशें
फिर भी बहुत कुछ रह गया
अब बस कहने को दिल करता है
पता नहीं क्यों
यह मन हर बात से डरता है
रुकता नहीं है थकता नहीं है
बस भागता है और भागने को कहता है
दिल का क्या है
वह तो हर बात पर बहल जाता है
कितने उतार-चढ़ाव हैं
देखें इस जिंदगी के
और कितने पड़ाव हैं
कोई नहीं जानता है
दृढ़ निश्चय का दृढ़ संकल्प है
जो कहा, जो सोचा
करने को बेताब है
कब तक किसके लिए
यूं ही जिंदगी चले
यूं ही जीवन घटे
कौन किस की सुनें
मन भागे और दिल डरे ।।
मीनाक्षी मुसाफ़िर...
कब तक यूं ही भागेगा मन
जो पीछे मुड़ के देखो
रह जाता है सन
बहुत लंबा रास्ता तय कर लिया
जाने कैसे क्या-क्या पा लिया
बहुत सारी नहीं थी ख्वाहिशें
फिर भी बहुत कुछ रह गया
अब बस कहने को दिल करता है
पता नहीं क्यों
यह मन हर बात से डरता है
रुकता नहीं है थकता नहीं है
बस भागता है और भागने को कहता है
दिल का क्या है
वह तो हर बात पर बहल जाता है
कितने उतार-चढ़ाव हैं
देखें इस जिंदगी के
और कितने पड़ाव हैं
कोई नहीं जानता है
दृढ़ निश्चय का दृढ़ संकल्प है
जो कहा, जो सोचा
करने को बेताब है
कब तक किसके लिए
यूं ही जिंदगी चले
यूं ही जीवन घटे
कौन किस की सुनें
मन भागे और दिल डरे ।।
मीनाक्षी मुसाफ़िर...
मचा है चारों ओर आह- हाहाकार,
आ जाओ अब होकर शेर पर सवार,
दे - दो सबको शक्ति अंदर बाहर,
हे जग माता तुम्हारी दया अपरंपार,
कलयुग के इस कठिन समय में,
हो जाए सब का बेड़ा पारन ।।
मीनाक्षी मुसाफ़िर...
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