रखलो कैद करके इस पल को ,क्या पता कल ये हसीन मुलाक़ात हो न हो ,
मुलाक़ात हो भी जाये पर क्या पता मुलाक़ात में पहले जैसी बात हो न हो,
बात हो भी जाये पहले जैसी पर क्या पता बात में वो जज्बात हो न हो,
हम तो निकल भी आये धूप में कि उनके इश्क़ में भीगेंगे,
पर क्या पता उनकी मोहब्बत की बरसात हो न हो,अगर मुलाक़ात का वादा वो सुबह का करे तो शाम को ही मिल लेना,
क्या पता उस सुबह को लाने वाली रात हो न हो,
तुमको ही तोड़नी होगी हर दीवार इश्क़ में,क्या पता दो दिलो को अलग करने वाली कभी खत्म ये जात-पात हो न हो,
जी भरके जी लो इन पलो को यारो,क्या पता अगले पल जीने में वो बात हो न हो ,वो बात हो न हो...
✍️.मयंक शर्मा
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