योगेश योगी

योगेश योगी Lives in Jabalpur, Madhya Pradesh, India

यहाँ सब कुछ असली हैं, व्यवहार से लेकर विचार तक।

https://youtu.be/P-6MfxlcASY

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कविताएं मुझें मिटने नहीं देती है। जब भी भटकता हूँ इधर उधर, कुछ कविताएं मुझें, अपनी ओर खींच लेती है। बांध लेती है ये मुझें असंख्य विचारों की परिधि में, और कैद करती हैं, कुछ उम्दा अनुभवों के बीच। ये मुझें टूटने नहीं देती, एक मामूली तिनके की तरह, जैसे मेरे टूटने से, इनका भावार्थ बदल जाएगा। कहीं बिखर ना जाए, मेरे जीवन से छंद और तुकांत, शायद इस लिए ये मुझें, समेट कर रखती हैं शांत। ना ही मुझें समाज के कड़वे, अनुभवों से कटने देती हैं, मैं मिटना भी चाहूं तो क्या, कविताएं मुझें मिटने नहीं देती है। ©योगेश योगी

#poem  कविताएं मुझें मिटने नहीं देती है।

जब भी भटकता हूँ इधर उधर,
कुछ कविताएं मुझें,
अपनी ओर खींच लेती है।

बांध लेती है ये मुझें
असंख्य विचारों की परिधि में,
और कैद करती हैं,
कुछ उम्दा अनुभवों के बीच।

ये मुझें टूटने नहीं देती,
एक मामूली तिनके की तरह,
जैसे मेरे टूटने से,
इनका भावार्थ बदल जाएगा।

कहीं बिखर ना जाए,
मेरे जीवन से छंद और तुकांत,
शायद इस लिए ये मुझें,
समेट कर रखती हैं शांत।

ना ही मुझें समाज के कड़वे,
अनुभवों से कटने देती हैं,
मैं मिटना भी चाहूं तो क्या,
कविताएं मुझें मिटने नहीं देती है।

©योगेश योगी

कविताएं मुझें मिटने नहीं देती है। जब भी भटकता हूँ इधर उधर, कुछ कविताएं मुझें, अपनी ओर खींच लेती है। बांध लेती है ये मुझें असंख्य विचारों की परिधि में, और कैद करती हैं, कुछ उम्दा अनुभवों के बीच। ये मुझें टूटने नहीं देती, एक मामूली तिनके की तरह, जैसे मेरे टूटने से, इनका भावार्थ बदल जाएगा। कहीं बिखर ना जाए, मेरे जीवन से छंद और तुकांत, शायद इस लिए ये मुझें, समेट कर रखती हैं शांत। ना ही मुझें समाज के कड़वे, अनुभवों से कटने देती हैं, मैं मिटना भी चाहूं तो क्या, कविताएं मुझें मिटने नहीं देती है। ©योगेश योगी

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जान तुम हो ये जानती हो ना? जो नहीं जानती तो जानो जान। जान तुम हो तो जान भी लो अब, उठ के जाती हो बस तो जाए जान। ख़त्म हो जाए इन्तज़ार अब तो, देर इतनी न हो कि निकले जान। जान कर जो ये ज़ुल्म करते हो, जान का तो ख़्याल कर लो जान! जान लेनी हो, जान स्वागत है, बढ़के तुमसे ये कब है मेरी जान ? जानती हो तुम जान हो मेरी है, गर तुम नहीं तो क्या है जान? शायरी की भी जान बस तुम हो तुम नहीं गर तो लफ़्ज़ हर बेजान! -योगेश"योगी" ©योगेश योगी

#योगेशयोगी  जान  तुम हो ये जानती हो ना?
जो नहीं जानती तो जानो जान।

जान  तुम हो तो जान भी लो अब,
उठ के जाती हो बस तो जाए जान।

ख़त्म  हो  जाए इन्तज़ार अब तो,
देर इतनी न हो कि निकले जान।

जान  कर  जो ये ज़ुल्म  करते हो,
जान का तो ख़्याल कर लो जान!

जान  लेनी  हो,  जान  स्वागत है,
बढ़के तुमसे ये कब है मेरी जान ?

जानती हो तुम जान हो मेरी है,
गर तुम  नहीं  तो  क्या है जान?

शायरी  की  भी जान  बस तुम हो
तुम नहीं गर तो लफ़्ज़ हर बेजान!

-योगेश"योगी"

©योगेश योगी

जान। ❤️❤️❤️ #योगेशयोगी

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#yogikibaat

#yogikibaat

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वो सरेआम कहते है हमें इक़रार नहीं, अब तुम भी सुनो हमें तुमसे प्यार नही, खुद्दारी का आलम अब क्या बताएं तुम्हें, अब तो शब-ए-वस्ल तक का इंतेज़ार नहीं। ©योगेश योगी

#Light  वो   सरेआम  कहते है  हमें  इक़रार  नहीं,
अब  तुम  भी सुनो  हमें  तुमसे  प्यार नही,

खुद्दारी का आलम  अब  क्या  बताएं तुम्हें,
अब तो शब-ए-वस्ल तक का इंतेज़ार नहीं।

©योगेश योगी

अब इंतेज़ार नहीं। #Light

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क़लम क़लम आगाज़ लिख, तू इंक़लाब लिख। जीवन से मृत्यु बड़ी, सरदार भगत आज लिख। अनीति के विरुद्ध लिख, रूढ़िवादी युद्ध लिख। देश की शिराओं में, बहता रक्त आज लिख। ये सोया समाज लिख, हर दबी आवाज़ लिख। अब है स्वतंत्र तू, हर छोटी बड़ी बात लिख। मन का विश्वास लिख, आम चाहे खास लिख। जो ना जान पाया कभी, ऐसा कोई राज़ लिख। वीर का अंदाज लिख, भारत की लाज लिख। थोड़े में ज्यादा जिया, सरदार भगत आज लिख। -कवि योगेश "योगी" ©योगेश योगी

#Shaheedi_diwas  क़लम क़लम आगाज़ लिख, तू इंक़लाब लिख।
जीवन से मृत्यु बड़ी, सरदार भगत आज लिख।

अनीति के विरुद्ध लिख, रूढ़िवादी युद्ध लिख।
देश की शिराओं  में,  बहता  रक्त आज  लिख।

ये सोया समाज लिख, हर दबी आवाज़ लिख।
अब  है  स्वतंत्र तू, हर छोटी  बड़ी  बात लिख।

मन का विश्वास लिख, आम  चाहे  खास लिख।
जो ना जान पाया कभी, ऐसा  कोई राज़ लिख।

वीर का  अंदाज  लिख, भारत  की लाज  लिख।
थोड़े में ज्यादा जिया, सरदार भगत आज लिख।

-कवि योगेश "योगी"

©योगेश योगी

कभी मां, कभी दादी, तो कभी नानी बन कर आई हो, कैसे नकार सकता है कोई आपका किरदार दुनिया में, आप हर वक़्त दुनिया में छाई हो। कभी बहन, कभी दोस्त, कभी पत्नी बनकर संभाला है, ज़िन्दगी के हर मोड़ पर, आज मोर्चा संभाला है। कभी दुर्गा, कभी काली, कभी राधा सी प्रेम की मूरत हो, किसी की जान, किसी का जहा, किसी के लिए सबसे खूबसूरत हो। आज दुनिया की ऊंची से ऊंची, उड़ान तुम भरती हो, कोई कार्य तुमसे बचा नहीं, जो आज नहीं करती हो। तुम्हारे किरदार को "योगी" सिर्फ़ वही मानता है, जो आज भी इंसान में, भगवान को पहचानता है। ©योगेश योगी

#योगीदिलसे #योगेशयोगी #international_womens_day  कभी मां, कभी दादी, 
तो कभी नानी बन कर आई हो,
कैसे नकार सकता है कोई 
आपका किरदार दुनिया में,
आप हर वक़्त दुनिया में छाई हो।

कभी बहन, कभी दोस्त,
कभी पत्नी बनकर संभाला है,
ज़िन्दगी के हर मोड़ पर,
आज मोर्चा संभाला है।

कभी दुर्गा, कभी काली,
कभी राधा सी प्रेम की मूरत हो,
किसी की जान, किसी का जहा,
किसी के लिए सबसे खूबसूरत हो।

आज दुनिया की ऊंची से ऊंची,
उड़ान तुम भरती हो,
कोई कार्य तुमसे बचा नहीं,
जो आज नहीं करती हो।

तुम्हारे किरदार को "योगी" 
सिर्फ़ वही मानता है,
जो आज भी इंसान में,
भगवान को पहचानता है।

©योगेश योगी

नारी शक्ति को प्रणाम। #international_womens_day #योगेशयोगी #योगीदिलसे

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