Daya Triapthi

Daya Triapthi

I'm belong to Rewa and live in bhopal m.p and studies in graduation and prepration of neet for mbbs

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मैं पता नही किस आश में बैठा हुं, खुद बेख्याल होकर आपके खयाल में बैठा हुं। आपने तो सारे वक्त के हर मंजर को, अपने इन चूड़ियों में पिरोए रखीं हैं, इनकी खंखानहट को को सुनने के लिए तो ये दिल भी खूब तब्ज्जो चाहता है , और इनका इजहार करना भी इकबाल होगा मेरे लिए, इन आंखों की नुमाईश भी फकत कुछ यही चाहता है। समेट लो एक टूटा खिलौना समझ कर मुझे , जोड़ना या तोड़ना ये तो तुम्हारे हाथ में ही है। ©Daya Triapthi

#Flower  मैं पता नही किस आश में बैठा हुं,
खुद बेख्याल होकर आपके खयाल में बैठा हुं।

आपने तो सारे वक्त के हर मंजर को,
अपने  इन चूड़ियों में पिरोए रखीं हैं,

इनकी खंखानहट को को सुनने के लिए तो 
ये दिल भी खूब तब्ज्जो चाहता है ,

और इनका इजहार करना भी इकबाल होगा मेरे लिए,
इन आंखों की नुमाईश भी फकत कुछ यही चाहता है।

समेट लो एक टूटा खिलौना समझ कर मुझे ,
जोड़ना या तोड़ना ये तो तुम्हारे हाथ में ही है।

©Daya Triapthi

#Flower

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#Quotes  जिनके नजरों की फलक ढलती शाम से मिलती हो,
उन नजरों पर  कोई क्यू  ना फिदा हो जाएं।

©Daya Triapthi

जिनके नजरों की फलक ढलती शाम से मिलती हो, उन नजरों पर कोई क्यू ना फिदा हो जाएं। ©Daya Triapthi

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हर रास्ते का आखिरी मंजिल अगर हसीं होगा, तो वो रास्ता भी कितना खुशनसीब होगा। इतने दूर आसमा के फलक तक जाने कि चाह कौन ही करता है, अगर उसे पता हो, इस जमीं पर भी एक चांद मशहूर होगा। ©Daya Triapthi

#aashiqui  हर रास्ते का आखिरी मंजिल अगर हसीं होगा,
तो वो रास्ता भी कितना खुशनसीब होगा।
इतने दूर आसमा के फलक तक जाने 
कि चाह कौन ही करता है,
अगर उसे पता हो,
इस जमीं पर भी एक चांद मशहूर होगा।

©Daya Triapthi

#aashiqui

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 मैंने पहली बार,
 ख़ूबसूरती को बिखरते देखा है,
मैंने इस ज़मीन पर,
 एक और चाँद को चमकते देखा है। 
उसकी रौशनी की रौनक के सामने ,
ख़फ़ा है ,इस जहां के सारे  नूर,
 मैंने खुले बालों में ,
उस चाँद को निखरते देखा है ।।

©Daya Triapthi

मैंने पहली बार, ख़ूबसूरती को बिखरते देखा है, मैंने इस ज़मीन पर, एक और चाँद को चमकते देखा है। उसकी रौशनी की रौनक के सामने , ख़फ़ा है ,इस जहां के सारे नूर, मैंने खुले बालों में , उस चाँद को निखरते देखा है ।। ©Daya Triapthi

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 इन लंबी दूरियों को अकेले हम कब तक तय करेंगे ,
यार अब तुम्ही बताओ हम दोनो फिर कब साथ चलेंगे।

 और ये वक्त ढल जायेगा  यूं ही कुछ दिनों में ,
आखिर कब तक इस जिन्दगी में ये गुमराह रास्ता तय करेंगे।

©Daya Triapthi

इन लंबी दूरियों को अकेले हम कब तक तय करेंगे , यार अब तुम्ही बताओ हम दोनो फिर कब साथ चलेंगे। और ये वक्त ढल जायेगा यूं ही कुछ दिनों में , आखिर कब तक इस जिन्दगी में ये गुमराह रास्ता तय करेंगे। ©Daya Triapthi

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मिलोगे जब तुम कभी , बताएंगे की क्या हुआ । असर अभी तक है रुका , कोई कसर तक नही छूटा। सताता है ये रात भर, रुलाता है हर बात पर । किधर भी फेरूं निगाहें ये , तलाशती है हर राह पर। और बैठता हूं कभी किधर, जिक्र तुम्हारा ही हर बात पर। कई वक्त हो चुका है , साथ चलते एक राह पर । ©Daya Triapthi

#cycle  मिलोगे जब तुम कभी ,
बताएंगे की क्या हुआ ।

असर अभी तक है रुका ,
कोई कसर तक नही छूटा।

सताता है ये रात भर,
रुलाता है हर बात पर ।

किधर भी फेरूं निगाहें ये ,
तलाशती है हर राह पर।

और बैठता हूं कभी किधर,
जिक्र तुम्हारा ही हर बात पर।

कई वक्त हो चुका है ,
साथ चलते एक राह पर ।

©Daya Triapthi

#cycle

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