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I'm belong to Rewa and live in bhopal m.p and studies in graduation and prepration of neet for mbbs
मैं पता नही किस आश में बैठा हुं, खुद बेख्याल होकर आपके खयाल में बैठा हुं। आपने तो सारे वक्त के हर मंजर को, अपने इन चूड़ियों में पिरोए रखीं हैं, इनकी खंखानहट को को सुनने के लिए तो ये दिल भी खूब तब्ज्जो चाहता है , और इनका इजहार करना भी इकबाल होगा मेरे लिए, इन आंखों की नुमाईश भी फकत कुछ यही चाहता है। समेट लो एक टूटा खिलौना समझ कर मुझे , जोड़ना या तोड़ना ये तो तुम्हारे हाथ में ही है। ©Daya Triapthi
Daya Triapthi
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हर रास्ते का आखिरी मंजिल अगर हसीं होगा, तो वो रास्ता भी कितना खुशनसीब होगा। इतने दूर आसमा के फलक तक जाने कि चाह कौन ही करता है, अगर उसे पता हो, इस जमीं पर भी एक चांद मशहूर होगा। ©Daya Triapthi
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मिलोगे जब तुम कभी , बताएंगे की क्या हुआ । असर अभी तक है रुका , कोई कसर तक नही छूटा। सताता है ये रात भर, रुलाता है हर बात पर । किधर भी फेरूं निगाहें ये , तलाशती है हर राह पर। और बैठता हूं कभी किधर, जिक्र तुम्हारा ही हर बात पर। कई वक्त हो चुका है , साथ चलते एक राह पर । ©Daya Triapthi
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