रोशनी ,युगो से उजाले का, सवेरे का, आशाओं का प्रतीक रही है,
चाहे वो रोशनी सूरज की हो , दीपक की यां मन की रोशनी ,
पर बीते समय में बहुत से घरों के दीप बुझ गए ,
बहुत से घरों की रोशनी खत्म हो गई ।
जब रोशनी सबकी सांझी है ,
तो दिवाली भी , दुख भी और सुख भी सांझा होता है
तो आइए बीते समय में उस भयंकर अंधकार को याद करते हुए
हम सब उन सब लोगों को जो दुनिया के किसी भी कोने में बसते है
इस दिवाली एक जलते दिये के साथ
उनको श्रद्धांजलि अर्पित करे।
संसार मे शांति की कामना करे।
पंकज राज
ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्षँ शान्ति:,
पृथ्वी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति: ।
वनस्पतय: शान्तिर्विश्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति:,
सर्वँ शान्ति:, शान्तिरेव शान्ति:, सा मा शान्तिरेधि ॥
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति: ॥
©RAJ RAAJ
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here