RAJ RAAJ

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गुज़रा है जो ये बरस अब के ,बड़ी मुश्किल से, कर रुख़्सत इसे,साल-ए-नौ का इस्तक़बाल कर। पंकज राज                              (साल-ए-नौ = नया साल ) ©RAJ RAAJ

#ज़िन्दगी #New  गुज़रा है जो ये बरस अब के ,बड़ी मुश्किल से, 
कर रुख़्सत इसे,साल-ए-नौ का इस्तक़बाल कर। 

पंकज राज 

                             (साल-ए-नौ = नया साल )

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àà #New year

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बुरा वक्त वो नहीं , जब आपके के साथ , कुछ अच्छा नहीं हो रहा । बुरा वक्त वो है , जब आप अपने साथ , कुछ अच्छा नहीं कर रहे । पंकज राज ©RAJ RAAJ

#ज़िन्दगी #shayri #kavita #ehsaas #zindgi  बुरा वक्त वो नहीं ,
जब आपके के साथ ,
   कुछ अच्छा नहीं हो रहा ।
बुरा वक्त वो है ,
जब आप अपने साथ ,
   कुछ अच्छा नहीं कर रहे । 

पंकज राज

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ईजाबी #Lines #Poetry #nazm #kavita #shayri #zindgi #ehsaas #vichar

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जिस समाज को देखना था किरदार औरत का वह सदियों से देखता आया जिस्म औरत का  इसलिए आया उसके हिस्से में  घुंघट, बुर्क़ा और पर्दा पंकज राज ©RAJ RAAJ

#Silent #Lines #nazm  जिस समाज को देखना था 
किरदार औरत का
वह सदियों से देखता आया 
जिस्म औरत का  
इसलिए आया उसके हिस्से में  
घुंघट, बुर्क़ा और पर्दा 

पंकज राज

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किरदार #Lines #Poetry #nazm #Silent

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उसने कहा मुझसे अकेला, तन्हा, छोड़ दो मैंने मान ली ,बात उसकी और उसे भर लिया ,बाहों में पंकज राज ©RAJ RAAJ

#ज़िन्दगी #shayri #kavita #pyaar  उसने कहा मुझसे 
अकेला, तन्हा, छोड़ दो 
मैंने मान ली ,बात उसकी 
और 
उसे भर लिया ,बाहों में 

पंकज राज

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राज़-ओ-नियाज़ #kavita #shayri #Thoughts #pyaar

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कुदरत  का आधार ,कर्म प्रधान है दुनिया का हर प्राणी, जीव-जंतु कर्म के दायरे से बाहर नहीं जा सकता अंतर केवल इतना है , कि कोई प्रेरित होकर, कर्म करता है कोई बाध्य होकर । विश्वाकर्मा दिवस पंकज राज ©RAJ RAAJ

#विचार #Inspiration #Vishwakarma  कुदरत  का आधार ,कर्म प्रधान है 
दुनिया का हर प्राणी, जीव-जंतु 
कर्म के दायरे से बाहर नहीं जा सकता 
अंतर केवल इतना है ,
कि कोई प्रेरित होकर, कर्म करता है 
कोई बाध्य होकर ।
विश्वाकर्मा दिवस 

पंकज राज

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#Vishwakarma #Poetry# #Inspiration

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रोशनी ,युगो से उजाले का, सवेरे का, आशाओं का प्रतीक रही है, चाहे वो रोशनी सूरज की हो , दीपक की यां मन की रोशनी , पर बीते समय में बहुत से घरों के दीप बुझ गए , बहुत से घरों की रोशनी खत्म हो गई । जब रोशनी सबकी सांझी है , तो दिवाली भी , दुख भी और सुख भी सांझा होता है तो आइए बीते समय में उस भयंकर अंधकार को याद करते हुए हम सब उन सब लोगों को जो दुनिया के किसी भी कोने में बसते है इस दिवाली एक जलते दिये के साथ उनको श्रद्धांजलि अर्पित करे। संसार मे शांति की कामना करे। पंकज राज ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्षँ शान्ति:, पृथ्वी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति: । वनस्पतय: शान्तिर्विश्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति:, सर्वँ शान्ति:, शान्तिरेव शान्ति:, सा मा शान्तिरेधि ॥ ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति: ॥ ©RAJ RAAJ

#Diwali  रोशनी ,युगो से उजाले का, सवेरे का, आशाओं का प्रतीक रही है,
 चाहे वो रोशनी सूरज की हो , दीपक की यां मन की रोशनी ,
पर बीते समय में बहुत से घरों के दीप बुझ गए ,
बहुत से घरों की रोशनी खत्म हो गई । 
जब रोशनी सबकी सांझी है ,
तो दिवाली भी , दुख भी और सुख भी सांझा होता है 
तो आइए बीते समय में उस भयंकर अंधकार को याद करते हुए 
हम सब उन सब लोगों को जो दुनिया के किसी भी कोने में बसते है
 इस दिवाली एक जलते दिये के साथ 
उनको श्रद्धांजलि अर्पित करे। 
संसार मे शांति की कामना करे।

पंकज राज 

ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्षँ शान्ति:,
पृथ्वी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति: । 

वनस्पतय: शान्तिर्विश्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति:,
सर्वँ शान्ति:, शान्तिरेव शान्ति:, सा मा शान्तिरेधि ॥
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति: ॥

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