अलंकृत हुई वह उस वंशज से जो देवों की बानी हो
मातृभाषा की ताज लिये जो भाषाओं की रानी हो।
शब्द,व्याख्या,संवादों से स्वयं को जो परिपूर्ण करे
सत्य है उस भाषा की सिद्धी राष्ट्र को सम्पूर्ण करे।।
हिन्द की हिन्दी से जहां अखंड राष्ट्र को लाना है
सभ्यताओं संस्कृतियों के बल विश्वगुरु कहलाना है
विस्मृत हुए,जो बीत गया उस काल को दोहराना है
आओ हम संकल्प करें अब हिंदी परचम लहराना है
सरल, सुन्दर,सुमनोहर हिन्दी का जो गान करे
मातृभूमि की पावनधरा पर स्वयं वो अभिमान करे।
दिन,पाख,या मास,वर्ष हो बारम्बार बखान करे
हिन्द हिन्दी हिन्दुस्तान अमर रहे भगवान करे।।
Aakash Dwivedi ✍️
©Aakash Dwivedi
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