माँ केवल बोलकर रिश्तों को निभा नही सकते
टूटे पत्तो को पेड़ पर सजा नही सकते
हर इंसान में एक सम्बन्ध सीमित होता है
हम हर किसी को तो 'माँ' बना नही सकते
~ सत्यम बरनवाल
तुम्हारे साथ रहकर
अक्सर मुझे ऐसा महसूस हुआ है
कि दिशाएँ पास आ गयी हैं,
हर रास्ता छोटा हो गया है,
दुनिया सिमटकर
एक आँगन-सी बन गयी है
जो खचाखच भरा है,
कहीं भी एकान्त नहीं
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कितनी स्मृतियां घुल गई,घुट कर सपने पीने में
कितनी यादें मिट गई, मिलकर रिश्ते सीने में
बेड़ियाँ टूट गई स्वतः अपनेपन की अंगड़ाई में
कितनी ख़्वाईसे दफन हुई खुलकर जीवन जीने में
~ सत्यम बरनवाल
कितनी स्मृतियां घुल गई,घुट कर सपने पीने में
कितनी यादें मिट गई, मिलकर रिश्ते सीने में
बेड़ियाँ टूट गई स्वतः अपनेपन की अंगड़ाई में
कितनी ख़्वाईसे दफन हुई खुलकर जीवन जीने में
~ सत्यम बरनवाल
22 Love
वक्त हर किसी का समान नही होता
तोड़ने वाला कभी महान नही होता
आज जो तेरा है वह कल मेरा होगा
कोई इंसान कभी भगवान नही होता
~ सत्यम बरनवाल
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