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HALDWANI NAINITAL
Omi Sharma
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रो -रोकर पूछते हैं मुझसे ,पैरों के छाले ।, कहाँ मिलते हैं ? ये बिछड़ने वाले ।। ओमी ©Omi Sharma
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जब किसी मज़लूम की आह लगती है । सब धुंआ हो जाता है ऐसी आग लगती है ।। ओमी मज़लूम -पीड़ित, सताया हुआ ©Omi Sharma
58 Love
इक मुद्दत के बाद घर से आज निकले हैं ।। भरी दोपहर में ढूँढने चाँद निकले हैं ।। ओमी ©Omi Sharma
51 Love
ईधर बे ख़्याली में भी तेरा ख़्याल है । तु बता ! ऊधर तेरा क्या हाल है ।। ओमी ©Omi Sharma
64 Love
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