White इतनी मोहलत भी ना मांगी थी जो ना दे सके तुम मुझको,,
हमारी चाह थी कि तुम्हारे आंचल तले चंद लम्हे ही सही आराम करूं
ख्वाहिशे परवान चढ़े मेरी और अपने चाहतों की शाम करूं
इतनी मोहलत भी ना मांगी थी जो ना तुम दे सके मुझको
ये बेवक्त रूठ के जाने का सितम अब सहे नहीं जाते
राज ऐ हकीकत से जुदा होकर अब रहे नहीं जाते
समझ नहीं आता कि अब कौन सा बेहतर अहकाम करूं
इतनी मोहलत भी ना मांगी थी जो ना दे सके तुम मुझको
ए जिंदगी इस दर्द से विदा दे दे मुझे
मैं भी दूर कहीं वीराने के आगोश में आराम करूं
ख्वाहिशे परवान चढ़े मेरी और अपने चाहतों की शाम करूं
इतनी मोहलत भी ना मांगी थी जो ना दे सके तुम मुझको
©MD Aurangzeb Khan
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