शमशूदिन सुलेमानी कुरैशी

शमशूदिन सुलेमानी कुरैशी Lives in Bikaner, Rajasthan, India

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#chaand  मोहब्बत से जो पाला था वो बछड़ा बेच आया हूं
जो मेरी गोद में खेला,,,,,,वो बकरा बेच आया हूं

किसी के फ़र्ज़ की ख़ातिर, कलेजा बेच आया हूं
मैं कुर्बानी के जज़्बे में,,,,,,खिलौना बेच आया हूं

वो मन्डी थी, किसे फ़ुर्सत वहां रिश्ते समझ पाता 
वो‌ कहते थे कि महंगा है,,,मैं सस्ता बेच आया हूं

ट्राफ़िक से अटी गलियों में शहज़ादा पड़ा होगा
वो इस्माईल था मेरा_____मैं बेटा बेच आया हूं

🤲🙏

©शमशूदिन सुलेमानी कुरैशी

P-२ @everyone रहमत की बारिश बरसने को है शयातीन भी सब जकड़ने को है दिले बाग़-ए-इन्सा संभलने को है हर जानिब नेकी मचलने को है सेहरी से घर सब महकने को है इफ्तारी चादर भी सजने को है मेहमान, रमज़ान बनने को है आसमानी हिलाल अब उतरने को है नसीबा ऐ 'समीर ' संवरने को है क़िस्मत तेरा नाज़ करने को है ©शमशूदिन सुलेमानी कुरैशी

#ramadan  P-२

@everyone

रहमत की बारिश बरसने को है
शयातीन भी सब जकड़ने को है

दिले बाग़-ए-इन्सा संभलने को है
हर जानिब नेकी मचलने को है

सेहरी से घर सब महकने को है
इफ्तारी चादर भी सजने को है

मेहमान, रमज़ान बनने को है
आसमानी हिलाल अब उतरने को है

नसीबा ऐ 'समीर ' संवरने को है
क़िस्मत तेरा नाज़ करने को है

©शमशूदिन सुलेमानी कुरैशी

#ramadan

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#Quotes  व्यक्ति अपना नुकसान भूल सकता है लेकिन अपमान नहीं.
इसलिए अपनी भाषा पर सयंम बरते.
अन्यथा जो बोया है उसे काटने के लिए तैयार रहे.

©शमशूदिन सुलेमानी कुरैशी

व्यक्ति अपना नुकसान भूल सकता है लेकिन अपमान नहीं. इसलिए अपनी भाषा पर सयंम बरते. अन्यथा जो बोया है उसे काटने के लिए तैयार रहे. ©शमशूदिन सुलेमानी कुरैशी

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#Quotes  भाङ में जाए मेरा मनपसन्द शख्स ,

जो मेरा बने मैं उस पर कुर्बान....!!

©शमशूदिन सुलेमानी कुरैशी

भाङ में जाए मेरा मनपसन्द शख्स , जो मेरा बने मैं उस पर कुर्बान....!! ©शमशूदिन सुलेमानी कुरैशी

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 आग सीने में बड़ी तेज़ जला रख्खी है
मेरी शोहरत ने तेरी नींद उड़ा रख्खी है

शहर मेँ जब से हवा चलने लगी है मेरी
मेरे दुश्मन ने उछल कूद मचा रखी है 

लुट गया जो भी बुजर्गों से मिला था हम को
हम ने दस्तार मगर अब भी बचा रख्खी है

ग़ैर मुमकिन है मुझे कोई बला छू जाए
माँ के हाथों ने मेरे सर पे दुआ रख्खी है

ठोकरों में तुझे रखते हैं ख़ुदा वाले मगर।
हम ने ए दुनिया तेरी लाज बचा रक्खी है।

बस उसी चीज़ पे आंखें हैं कई लोगों की
तू ने जो चीज़ दुपट्टे में छुपा रक्खी है

©शमशूदिन सुलेमानी कुरैशी

आग सीने में बड़ी तेज़ जला रख्खी है मेरी शोहरत ने तेरी नींद उड़ा रख्खी है शहर मेँ जब से हवा चलने लगी है मेरी मेरे दुश्मन ने उछल कूद मचा रखी है लुट गया जो भी बुजर्गों से मिला था हम को हम ने दस्तार मगर अब भी बचा रख्खी है ग़ैर मुमकिन है मुझे कोई बला छू जाए माँ के हाथों ने मेरे सर पे दुआ रख्खी है ठोकरों में तुझे रखते हैं ख़ुदा वाले मगर। हम ने ए दुनिया तेरी लाज बचा रक्खी है। बस उसी चीज़ पे आंखें हैं कई लोगों की तू ने जो चीज़ दुपट्टे में छुपा रक्खी है ©शमशूदिन सुलेमानी कुरैशी

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दोस्त रूठे तो मना लो कि सुना है मैंने आईना टूट के खंजर में बदल जाता है 🙏 ©शमशूदिन सुलेमानी कुरैशी

#विचार #hands  दोस्त रूठे तो मना लो कि सुना है मैंने

आईना टूट के खंजर में बदल जाता है

🙏

©शमशूदिन सुलेमानी कुरैशी

#hands

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