अब किसी से नहीं अपने आप से दिल लगाना है
अब किसी के साथ नहीं अपने साथ वक्त बिताना है
समेट कर अपने हालात को बस चलते जाना है
फूल मिले या कांटे , हर हाल में मुस्कुराना है ।
जिंदगी की किताब कई हिस्सों किस्सों से गुजरती है
गिरती है संभलती है फिर अपने आप में सिमटती है
अब किसी को नहीं अपने आप को समझाना है
कोई किसी का नहीं ,सब एक अफसाना है ।।
अब तक के सफ़र से बस इतना पहचाना है
जो लिखा है घटित होना उससे तो ना बच पाना है
बात मामूली सी है पर गहराई बहुत ज्यादा है
इस दुनिया में जो आया है, उसको एक दिन जाना है ।।।
✍️✍️ सोना
©Vinita Sharma
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