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New लग जा गले से ए तन्हाई Status, Photo, Video

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एक मैं ही नहीं जो तन्हा सफर करता हूं ऐ औरंगज़ेब मैंने उसे पपीहे को भी खुश देखा है जिसका कोई हमसफ़र ही नहीं ©Aurangzeb Khan

#तन्हाई #मेरी  एक मैं ही नहीं जो तन्हा सफर करता हूं ऐ औरंगज़ेब 
मैंने उसे पपीहे को भी खुश देखा है जिसका कोई हमसफ़र ही नहीं

©Aurangzeb Khan
#SAD  ऐसे आंखे फेर ली उसने मुझसे ।
जैसे कभी देखा ही न हो

©mehar

मेरी तन्हाई

72 View

तन्हाई है वीराना है खामोशी है सन्नाटा है ये बस्ती उजड़ चुकी है अब यहां कौन आता जाता है ©FAKIR SAAB(ek fakir)

#Couple  तन्हाई है वीराना है
खामोशी है सन्नाटा है
ये बस्ती उजड़ चुकी है
अब यहां 
कौन आता जाता है

©FAKIR SAAB(ek fakir)

#Couple तन्हाई

24 Love

White दरमियान तो हरदम रहे करीब रहे ना सके। सैलाब था दिल में लब्ज़ कुछ कहे ना सके। आज भी रूहमें मौजूदगी चांद सी रोशन है, हासिल रहे हर लम्हा,तुम हमे ढूंढ ना सके । अंदर ही अंदर जलाती रही तन्हाई की आग, आए गए बारिशोंके कई मौसम बुज ना सके। ©Brsolanki

#तन्हाई #शायरी  White दरमियान तो हरदम रहे करीब रहे ना सके।
सैलाब था दिल में लब्ज़ कुछ कहे ना सके।
आज भी रूहमें मौजूदगी चांद सी रोशन है,
 हासिल रहे हर लम्हा,तुम हमे ढूंढ ना सके ।
अंदर ही अंदर जलाती रही तन्हाई की आग,
 आए गए बारिशोंके कई मौसम बुज ना सके।

©Brsolanki
#वीडियो #Shorts

दिल ए जब लग जाता है। #Shorts

99 View

White महफ़िल में भी मिली अकेली तन्हाई, गम के पन्ने पलट रही थी रुस्वाई, गिरा ताड़ से अटका किसी खजूरे पर, बेचारे ने कैसी है किस्मत पाई, बैठ गया खालीपन उसके जाने से, कभी नहीं हो सकती जिसकी भरपाई, बिन बरसे ही सावन घर को लौट गया, मन के अंदर ख़्वाहिश लेती अंगड़ाई, दिन ढ़लने को आतुर मेरे आंगन का, लगी छुड़ाने पीछा अपनी परछाई, आम आदमी की थाली से गायब है, कोर-कसर पूरा कर देती महंगाई, पैसों से तक़दीर की टोपी मिल जाती, दूर सिसकती बैठी मिलती तरुणाई, दिल की बात सुनाऊँ मैं किससे गुंजन, आहत करती मन को यादें दुखदाई, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' समस्तीपुर बिहार ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #मिली  White महफ़िल में भी मिली अकेली तन्हाई, 
गम  के  पन्ने  पलट  रही थी  रुस्वाई, 

गिरा ताड़ से अटका किसी खजूरे पर, 
बेचारे   ने   कैसी  है   किस्मत   पाई, 

बैठ  गया  खालीपन  उसके  जाने से, 
कभी नहीं हो सकती जिसकी भरपाई, 

बिन बरसे ही सावन घर को लौट गया, 
मन के अंदर  ख़्वाहिश लेती  अंगड़ाई, 

दिन ढ़लने को आतुर  मेरे आंगन का, 
लगी   छुड़ाने  पीछा  अपनी  परछाई,

आम  आदमी की  थाली से  गायब है, 
कोर-कसर  पूरा   कर   देती  महंगाई,

पैसों से तक़दीर की टोपी मिल जाती,
दूर  सिसकती  बैठी  मिलती तरुणाई,

दिल की बात सुनाऊँ मैं किससे गुंजन,
आहत करती  मन  को  यादें  दुखदाई,
     ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
            समस्तीपुर बिहार

©Shashi Bhushan Mishra

#मिली अकेली तन्हाई#

14 Love

एक मैं ही नहीं जो तन्हा सफर करता हूं ऐ औरंगज़ेब मैंने उसे पपीहे को भी खुश देखा है जिसका कोई हमसफ़र ही नहीं ©Aurangzeb Khan

#तन्हाई #मेरी  एक मैं ही नहीं जो तन्हा सफर करता हूं ऐ औरंगज़ेब 
मैंने उसे पपीहे को भी खुश देखा है जिसका कोई हमसफ़र ही नहीं

©Aurangzeb Khan
#SAD  ऐसे आंखे फेर ली उसने मुझसे ।
जैसे कभी देखा ही न हो

©mehar

मेरी तन्हाई

72 View

तन्हाई है वीराना है खामोशी है सन्नाटा है ये बस्ती उजड़ चुकी है अब यहां कौन आता जाता है ©FAKIR SAAB(ek fakir)

#Couple  तन्हाई है वीराना है
खामोशी है सन्नाटा है
ये बस्ती उजड़ चुकी है
अब यहां 
कौन आता जाता है

©FAKIR SAAB(ek fakir)

#Couple तन्हाई

24 Love

White दरमियान तो हरदम रहे करीब रहे ना सके। सैलाब था दिल में लब्ज़ कुछ कहे ना सके। आज भी रूहमें मौजूदगी चांद सी रोशन है, हासिल रहे हर लम्हा,तुम हमे ढूंढ ना सके । अंदर ही अंदर जलाती रही तन्हाई की आग, आए गए बारिशोंके कई मौसम बुज ना सके। ©Brsolanki

#तन्हाई #शायरी  White दरमियान तो हरदम रहे करीब रहे ना सके।
सैलाब था दिल में लब्ज़ कुछ कहे ना सके।
आज भी रूहमें मौजूदगी चांद सी रोशन है,
 हासिल रहे हर लम्हा,तुम हमे ढूंढ ना सके ।
अंदर ही अंदर जलाती रही तन्हाई की आग,
 आए गए बारिशोंके कई मौसम बुज ना सके।

©Brsolanki
#वीडियो #Shorts

दिल ए जब लग जाता है। #Shorts

99 View

White महफ़िल में भी मिली अकेली तन्हाई, गम के पन्ने पलट रही थी रुस्वाई, गिरा ताड़ से अटका किसी खजूरे पर, बेचारे ने कैसी है किस्मत पाई, बैठ गया खालीपन उसके जाने से, कभी नहीं हो सकती जिसकी भरपाई, बिन बरसे ही सावन घर को लौट गया, मन के अंदर ख़्वाहिश लेती अंगड़ाई, दिन ढ़लने को आतुर मेरे आंगन का, लगी छुड़ाने पीछा अपनी परछाई, आम आदमी की थाली से गायब है, कोर-कसर पूरा कर देती महंगाई, पैसों से तक़दीर की टोपी मिल जाती, दूर सिसकती बैठी मिलती तरुणाई, दिल की बात सुनाऊँ मैं किससे गुंजन, आहत करती मन को यादें दुखदाई, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' समस्तीपुर बिहार ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #मिली  White महफ़िल में भी मिली अकेली तन्हाई, 
गम  के  पन्ने  पलट  रही थी  रुस्वाई, 

गिरा ताड़ से अटका किसी खजूरे पर, 
बेचारे   ने   कैसी  है   किस्मत   पाई, 

बैठ  गया  खालीपन  उसके  जाने से, 
कभी नहीं हो सकती जिसकी भरपाई, 

बिन बरसे ही सावन घर को लौट गया, 
मन के अंदर  ख़्वाहिश लेती  अंगड़ाई, 

दिन ढ़लने को आतुर  मेरे आंगन का, 
लगी   छुड़ाने  पीछा  अपनी  परछाई,

आम  आदमी की  थाली से  गायब है, 
कोर-कसर  पूरा   कर   देती  महंगाई,

पैसों से तक़दीर की टोपी मिल जाती,
दूर  सिसकती  बैठी  मिलती तरुणाई,

दिल की बात सुनाऊँ मैं किससे गुंजन,
आहत करती  मन  को  यादें  दुखदाई,
     ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
            समस्तीपुर बिहार

©Shashi Bhushan Mishra

#मिली अकेली तन्हाई#

14 Love

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