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#Quotes  White चाह गई चिंता मिटी मनुआ बेपरवाह।
जिनको कुछ नहीं चाहिए, वे साहन के साह।।

©Vandana Rana

चाह गई चिंता मिटी मनुआ बेपरवाह। जिनको कुछ नहीं चाहिए, वे साहन के साह।।

144 View

White ग़ज़ल :- लोग वह खुशनसीब होते हैं साथ जिनके हबीब होते हैं अपनी हम क्या सुनाये अब तुमको  हम से पैदा गरीब होते हैं तुमने देखा न ढंग से शायद किस तरह बदनसीब होते हैं  पास जिनके हो रूप की दौलत  उनके लाखों रक़ीब होते हैं  प्यार जिनको हुआ नहीं दिल से वो कहाँ फिर करीब होते हैं जो न करते यकीं वफ़ा पे अब बस वही बदनसीब होते हैं पास ख़ुद ही ख़ुशी चली आती  जिनके अच्छे नसीब होते हैं दिल से कैसे अमीर वो होगें जिनके ऐसे मुज़ीब होते हैं  तू नहीं सोचना प्रखर अब कुछ दिल के रिश्ते अजीब होते है  महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#शायरी  White ग़ज़ल :-
लोग वह खुशनसीब होते हैं
साथ जिनके हबीब होते हैं
अपनी हम क्या सुनाये अब तुमको 
हम से पैदा गरीब होते हैं
तुमने देखा न ढंग से शायद
किस तरह बदनसीब होते हैं 
पास जिनके हो रूप की दौलत
 उनके लाखों रक़ीब होते हैं 
प्यार जिनको हुआ नहीं दिल से
वो कहाँ फिर करीब होते हैं
जो न करते यकीं वफ़ा पे अब
बस वही बदनसीब होते हैं
पास ख़ुद ही ख़ुशी चली आती 
जिनके अच्छे नसीब होते हैं
दिल से कैसे अमीर वो होगें
जिनके ऐसे मुज़ीब होते हैं 
तू नहीं सोचना प्रखर अब कुछ
दिल के रिश्ते अजीब होते है 
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- लोग वह खुशनसीब होते हैं साथ जिनके हबीब होते हैं अपनी हम क्या सुनाये अब तुमको  हम से पैदा गरीब होते हैं तुमने देखा न ढंग से शायद किस त

13 Love

#subhadrakumarichauhanjayanti #मोटिवेशनल #subhadrakumarichauhanpoetry #subhadrakumarichauhanquotes #subhadrakumarichauhan #कॉमेडी  White सुप्रीम सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म आज 16 अगस्त 1904 को इलाहाबाद (  वर्तमान में प्रयागराज )  के निहालपुर गाँव में हुआ। वह एक मशहूर कवयित्री और स्वतंत्रता सेनानी भी थी। जिनको आज देशभक्ति की भावना विशेष रूप से समाज के लिए एक प्रेरणा का प्रतीक है। उन्होंने अपने द्वारा की गई रचना में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की वीरता और समर्पण भाव का वर्णन करती है। उन्होंने अपने जीवन कल में 88 कविताऐं 46 कहानियाँ  की रचनाएँ की थी। उनका साहित्य और देश भक्ति में एक विशेष भाव था। आईए जानते है उनके द्वारा किए गए देश के प्रेम में कुछ महत्वपूर्ण कार्यों को: https://bit.ly/37MAkjI

#subhadrakumarichauhan #subhadrakumarichauhanpoetry #subhadrakumarichauhanquotes #subhadrakumarichauhanjayanti

©ARTI DEVI(Modern Mira Bai)

#sad_shayari #लव #शायरी #कविता #Love #कॉमेडी सुप्रीम सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म आज 16 अगस्त 1904 को इलाहाबाद ( वर्तमान में प्रयागराज

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मुक्तक :- करके सुख का त्याग , बना देखो वह सैनिक । थाम तिरंगा हाथ , नहीं वह होता पैनिक । इस जीवन में प्यार , नही होगा दोबारा । लेता है यह कौल , देश का सैनिक दैनिक ।। ये भी हैं इंसान , हृदय इनके भी होते । यह मत सोचों आप , चैन से सैनिक सोते । कुछ मत पूछो याद ,उन्हें जब घर की आती- किसी किनारे बैठ , सिसक कर वह भी रोते ।। लिए तिरंगा हाथ ,  बढ़े सैनिक जब आगे । बढ़े देश की शान , खौफ़ से दुश्मन भागे । ऐसे वीर जवान , देश में मेरे अपने- सुनकर दुश्मन आज, रात भर अपना जागे ।। मुझ सैनिक के पास , बहन की राखी आयी । देख उसे अब आज , याद वैशाखी आयी । बहनों का ही प्रेम , जगत में सबसे ऊपर - यही दिलाने याद , घरों की पाती आयी ।। अब भी है उम्मीद , बहन राखी का तेरी । आ जाये जब याद , भेज दे राखी मेरी । तेरा भैय्या आज , दूर सरहद पर बैठा- क्या है तू मजबूर , हुई जो इतनी देरी ।। जिनको दिया उधार , कहीं न नजर वो आते । जग में ऐसे लोग , तोड़ देते हैं नाते । मानो मेरी बात , दूर अब रहना इनसे- ये है काले नाग , समय पाकर डस जाते ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  मुक्तक :-

करके सुख का त्याग , बना देखो वह सैनिक ।
थाम तिरंगा हाथ , नहीं वह होता पैनिक ।
इस जीवन में प्यार , नही होगा दोबारा ।
लेता है यह कौल , देश का सैनिक दैनिक ।।

ये भी हैं इंसान , हृदय इनके भी होते ।
यह मत सोचों आप , चैन से सैनिक सोते ।
कुछ मत पूछो याद ,उन्हें जब घर की आती-
किसी किनारे बैठ , सिसक कर वह भी रोते ।।

लिए तिरंगा हाथ ,  बढ़े सैनिक जब आगे ।
बढ़े देश की शान , खौफ़ से दुश्मन भागे ।
ऐसे वीर जवान , देश में मेरे अपने-
सुनकर दुश्मन आज, रात भर अपना जागे ।।

मुझ सैनिक के पास , बहन की राखी आयी ।
देख उसे अब आज , याद वैशाखी आयी ।
बहनों का ही प्रेम , जगत में सबसे ऊपर -
यही दिलाने याद , घरों की पाती आयी ।।

अब भी है उम्मीद , बहन राखी का तेरी ।
आ जाये जब याद , भेज दे राखी मेरी ।
तेरा भैय्या आज , दूर सरहद पर बैठा-
क्या है तू मजबूर , हुई जो इतनी देरी ।।

जिनको दिया उधार , कहीं न नजर वो आते ।
जग में ऐसे लोग , तोड़ देते हैं नाते ।
मानो मेरी बात , दूर अब रहना इनसे-
ये है काले नाग , समय पाकर डस जाते ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मुक्तक :- करके सुख का त्याग , बना देखो वह सैनिक । थाम तिरंगा हाथ , नहीं वह होता पैनिक । इस जीवन में प्यार , नही होगा दोबारा । लेता है यह कौ

10 Love

𝐌𝐀𝐍𝐙𝐈𝐋 𝐒𝐄 𝐉𝐀𝐘𝐃𝐀🤗💫 𝐒𝐀𝐅𝐀𝐑 𝐏𝐑 𝐁𝐇𝐀𝐑𝐎𝐒𝐇𝐀 𝐑𝐀𝐊𝐇𝐓𝐀 𝐇𝐔𝐔 🥀💙 _____________________ ___________________ दिल मैं में जिनको भी जगह देता हूँ खुद से ज़्यादा

135 View

गीत :- हरे-भरे खेतों की हलधर , बतलाता है बात । मन को लेता मोह सभी के , जब आती बरसात ।। हरे-भरे खेतो की हलधर.... पत्ते-पत्ते पर है ठहरी , बारिश की हर बूँद । कर उनका एहसास कभी तू , अपनी आँखें मूँद ।। मोती जैसे ही लगते हैं , चाहे पेड़ बबूल । पर इनके भी दिन ढलते हैं , आती है फिर रात । हरे-भरे खेतो की हलधर..... सुनो प्रकृति के जैसा जीवन , होता कहाँ नसीब । जिनको भी मिलता है जीवन , कहते हमीं गरीब ।। हमने देखा नित्य प्रकृति ही, देती सबको सीख । तब ही मानव जीवन की सुन , हो सुंदर शुरुआत । हरे-भरे खेतों की हलधर..... इनके भी हो घाव हरे सुन , होता इनमें दर्द । लेकिन देने वाला ही अब, कहता खुद को मर्द ।। फिर भी खूब हँसातें सबको , रखकर हृदय विशाल पूर्ण जरूरत सबकी करता , पाकर जग से घात ।। हरे-भरे खेतों की हलधर , बतलाता है बात । मन को लेते मोह सभी के , जब आती बरसात ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  गीत :-
हरे-भरे खेतों की हलधर , बतलाता है बात ।
मन को लेता मोह सभी के , जब आती बरसात ।।
हरे-भरे खेतो की हलधर....

पत्ते-पत्ते पर है ठहरी , बारिश की हर बूँद ।
कर उनका एहसास कभी तू , अपनी आँखें मूँद ।।
मोती जैसे ही लगते हैं , चाहे पेड़ बबूल ।
पर इनके भी दिन ढलते हैं , आती है फिर रात ।
हरे-भरे खेतो की हलधर.....

सुनो प्रकृति के जैसा जीवन , होता कहाँ नसीब ।
जिनको भी मिलता है जीवन , कहते हमीं गरीब ।।
हमने देखा नित्य प्रकृति ही, देती सबको सीख ।
तब ही मानव जीवन की सुन , हो सुंदर शुरुआत ।
हरे-भरे खेतों की हलधर.....

इनके भी हो घाव हरे सुन , होता इनमें दर्द ।
लेकिन देने वाला ही अब, कहता खुद को मर्द ।।
फिर भी खूब हँसातें सबको , रखकर हृदय विशाल
पूर्ण जरूरत सबकी करता , पाकर जग से घात ।।

हरे-भरे खेतों की हलधर , बतलाता है बात ।
मन को लेते मोह सभी के , जब आती बरसात ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत :- हरे-भरे खेतों की हलधर , बतलाता है बात । मन को लेता मोह सभी के , जब आती बरसात ।। हरे-भरे खेतो की हलधर....

17 Love

#Quotes  White चाह गई चिंता मिटी मनुआ बेपरवाह।
जिनको कुछ नहीं चाहिए, वे साहन के साह।।

©Vandana Rana

चाह गई चिंता मिटी मनुआ बेपरवाह। जिनको कुछ नहीं चाहिए, वे साहन के साह।।

144 View

White ग़ज़ल :- लोग वह खुशनसीब होते हैं साथ जिनके हबीब होते हैं अपनी हम क्या सुनाये अब तुमको  हम से पैदा गरीब होते हैं तुमने देखा न ढंग से शायद किस तरह बदनसीब होते हैं  पास जिनके हो रूप की दौलत  उनके लाखों रक़ीब होते हैं  प्यार जिनको हुआ नहीं दिल से वो कहाँ फिर करीब होते हैं जो न करते यकीं वफ़ा पे अब बस वही बदनसीब होते हैं पास ख़ुद ही ख़ुशी चली आती  जिनके अच्छे नसीब होते हैं दिल से कैसे अमीर वो होगें जिनके ऐसे मुज़ीब होते हैं  तू नहीं सोचना प्रखर अब कुछ दिल के रिश्ते अजीब होते है  महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#शायरी  White ग़ज़ल :-
लोग वह खुशनसीब होते हैं
साथ जिनके हबीब होते हैं
अपनी हम क्या सुनाये अब तुमको 
हम से पैदा गरीब होते हैं
तुमने देखा न ढंग से शायद
किस तरह बदनसीब होते हैं 
पास जिनके हो रूप की दौलत
 उनके लाखों रक़ीब होते हैं 
प्यार जिनको हुआ नहीं दिल से
वो कहाँ फिर करीब होते हैं
जो न करते यकीं वफ़ा पे अब
बस वही बदनसीब होते हैं
पास ख़ुद ही ख़ुशी चली आती 
जिनके अच्छे नसीब होते हैं
दिल से कैसे अमीर वो होगें
जिनके ऐसे मुज़ीब होते हैं 
तू नहीं सोचना प्रखर अब कुछ
दिल के रिश्ते अजीब होते है 
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- लोग वह खुशनसीब होते हैं साथ जिनके हबीब होते हैं अपनी हम क्या सुनाये अब तुमको  हम से पैदा गरीब होते हैं तुमने देखा न ढंग से शायद किस त

13 Love

#subhadrakumarichauhanjayanti #मोटिवेशनल #subhadrakumarichauhanpoetry #subhadrakumarichauhanquotes #subhadrakumarichauhan #कॉमेडी  White सुप्रीम सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म आज 16 अगस्त 1904 को इलाहाबाद (  वर्तमान में प्रयागराज )  के निहालपुर गाँव में हुआ। वह एक मशहूर कवयित्री और स्वतंत्रता सेनानी भी थी। जिनको आज देशभक्ति की भावना विशेष रूप से समाज के लिए एक प्रेरणा का प्रतीक है। उन्होंने अपने द्वारा की गई रचना में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की वीरता और समर्पण भाव का वर्णन करती है। उन्होंने अपने जीवन कल में 88 कविताऐं 46 कहानियाँ  की रचनाएँ की थी। उनका साहित्य और देश भक्ति में एक विशेष भाव था। आईए जानते है उनके द्वारा किए गए देश के प्रेम में कुछ महत्वपूर्ण कार्यों को: https://bit.ly/37MAkjI

#subhadrakumarichauhan #subhadrakumarichauhanpoetry #subhadrakumarichauhanquotes #subhadrakumarichauhanjayanti

©ARTI DEVI(Modern Mira Bai)

#sad_shayari #लव #शायरी #कविता #Love #कॉमेडी सुप्रीम सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म आज 16 अगस्त 1904 को इलाहाबाद ( वर्तमान में प्रयागराज

99 View

मुक्तक :- करके सुख का त्याग , बना देखो वह सैनिक । थाम तिरंगा हाथ , नहीं वह होता पैनिक । इस जीवन में प्यार , नही होगा दोबारा । लेता है यह कौल , देश का सैनिक दैनिक ।। ये भी हैं इंसान , हृदय इनके भी होते । यह मत सोचों आप , चैन से सैनिक सोते । कुछ मत पूछो याद ,उन्हें जब घर की आती- किसी किनारे बैठ , सिसक कर वह भी रोते ।। लिए तिरंगा हाथ ,  बढ़े सैनिक जब आगे । बढ़े देश की शान , खौफ़ से दुश्मन भागे । ऐसे वीर जवान , देश में मेरे अपने- सुनकर दुश्मन आज, रात भर अपना जागे ।। मुझ सैनिक के पास , बहन की राखी आयी । देख उसे अब आज , याद वैशाखी आयी । बहनों का ही प्रेम , जगत में सबसे ऊपर - यही दिलाने याद , घरों की पाती आयी ।। अब भी है उम्मीद , बहन राखी का तेरी । आ जाये जब याद , भेज दे राखी मेरी । तेरा भैय्या आज , दूर सरहद पर बैठा- क्या है तू मजबूर , हुई जो इतनी देरी ।। जिनको दिया उधार , कहीं न नजर वो आते । जग में ऐसे लोग , तोड़ देते हैं नाते । मानो मेरी बात , दूर अब रहना इनसे- ये है काले नाग , समय पाकर डस जाते ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  मुक्तक :-

करके सुख का त्याग , बना देखो वह सैनिक ।
थाम तिरंगा हाथ , नहीं वह होता पैनिक ।
इस जीवन में प्यार , नही होगा दोबारा ।
लेता है यह कौल , देश का सैनिक दैनिक ।।

ये भी हैं इंसान , हृदय इनके भी होते ।
यह मत सोचों आप , चैन से सैनिक सोते ।
कुछ मत पूछो याद ,उन्हें जब घर की आती-
किसी किनारे बैठ , सिसक कर वह भी रोते ।।

लिए तिरंगा हाथ ,  बढ़े सैनिक जब आगे ।
बढ़े देश की शान , खौफ़ से दुश्मन भागे ।
ऐसे वीर जवान , देश में मेरे अपने-
सुनकर दुश्मन आज, रात भर अपना जागे ।।

मुझ सैनिक के पास , बहन की राखी आयी ।
देख उसे अब आज , याद वैशाखी आयी ।
बहनों का ही प्रेम , जगत में सबसे ऊपर -
यही दिलाने याद , घरों की पाती आयी ।।

अब भी है उम्मीद , बहन राखी का तेरी ।
आ जाये जब याद , भेज दे राखी मेरी ।
तेरा भैय्या आज , दूर सरहद पर बैठा-
क्या है तू मजबूर , हुई जो इतनी देरी ।।

जिनको दिया उधार , कहीं न नजर वो आते ।
जग में ऐसे लोग , तोड़ देते हैं नाते ।
मानो मेरी बात , दूर अब रहना इनसे-
ये है काले नाग , समय पाकर डस जाते ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मुक्तक :- करके सुख का त्याग , बना देखो वह सैनिक । थाम तिरंगा हाथ , नहीं वह होता पैनिक । इस जीवन में प्यार , नही होगा दोबारा । लेता है यह कौ

10 Love

𝐌𝐀𝐍𝐙𝐈𝐋 𝐒𝐄 𝐉𝐀𝐘𝐃𝐀🤗💫 𝐒𝐀𝐅𝐀𝐑 𝐏𝐑 𝐁𝐇𝐀𝐑𝐎𝐒𝐇𝐀 𝐑𝐀𝐊𝐇𝐓𝐀 𝐇𝐔𝐔 🥀💙 _____________________ ___________________ दिल मैं में जिनको भी जगह देता हूँ खुद से ज़्यादा

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गीत :- हरे-भरे खेतों की हलधर , बतलाता है बात । मन को लेता मोह सभी के , जब आती बरसात ।। हरे-भरे खेतो की हलधर.... पत्ते-पत्ते पर है ठहरी , बारिश की हर बूँद । कर उनका एहसास कभी तू , अपनी आँखें मूँद ।। मोती जैसे ही लगते हैं , चाहे पेड़ बबूल । पर इनके भी दिन ढलते हैं , आती है फिर रात । हरे-भरे खेतो की हलधर..... सुनो प्रकृति के जैसा जीवन , होता कहाँ नसीब । जिनको भी मिलता है जीवन , कहते हमीं गरीब ।। हमने देखा नित्य प्रकृति ही, देती सबको सीख । तब ही मानव जीवन की सुन , हो सुंदर शुरुआत । हरे-भरे खेतों की हलधर..... इनके भी हो घाव हरे सुन , होता इनमें दर्द । लेकिन देने वाला ही अब, कहता खुद को मर्द ।। फिर भी खूब हँसातें सबको , रखकर हृदय विशाल पूर्ण जरूरत सबकी करता , पाकर जग से घात ।। हरे-भरे खेतों की हलधर , बतलाता है बात । मन को लेते मोह सभी के , जब आती बरसात ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  गीत :-
हरे-भरे खेतों की हलधर , बतलाता है बात ।
मन को लेता मोह सभी के , जब आती बरसात ।।
हरे-भरे खेतो की हलधर....

पत्ते-पत्ते पर है ठहरी , बारिश की हर बूँद ।
कर उनका एहसास कभी तू , अपनी आँखें मूँद ।।
मोती जैसे ही लगते हैं , चाहे पेड़ बबूल ।
पर इनके भी दिन ढलते हैं , आती है फिर रात ।
हरे-भरे खेतो की हलधर.....

सुनो प्रकृति के जैसा जीवन , होता कहाँ नसीब ।
जिनको भी मिलता है जीवन , कहते हमीं गरीब ।।
हमने देखा नित्य प्रकृति ही, देती सबको सीख ।
तब ही मानव जीवन की सुन , हो सुंदर शुरुआत ।
हरे-भरे खेतों की हलधर.....

इनके भी हो घाव हरे सुन , होता इनमें दर्द ।
लेकिन देने वाला ही अब, कहता खुद को मर्द ।।
फिर भी खूब हँसातें सबको , रखकर हृदय विशाल
पूर्ण जरूरत सबकी करता , पाकर जग से घात ।।

हरे-भरे खेतों की हलधर , बतलाता है बात ।
मन को लेते मोह सभी के , जब आती बरसात ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत :- हरे-भरे खेतों की हलधर , बतलाता है बात । मन को लेता मोह सभी के , जब आती बरसात ।। हरे-भरे खेतो की हलधर....

17 Love

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