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#नयावद्उमानाथपादारविन्दम् #श्रीशिवरुद्राष्टकम् #हरहरमहादेव #devotionally_spiritually_taru #कवितावाचक #भक्ति

वास्तविक आवाज शीर्षक न यावद् उमानाथपादारविन्दम् श्री शिव रुद्राष्टकम् हिंदी अर्थ सहित . . विधा श्री शिव रुद्राष्टकम् हिंदी अर्थ सहित श्लोक

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#ग़ज़ल :- #जन्मदिन_की_बहुत_बहुत_बधाई_एंव_ शुभकामनाएं_कीर्ति_बेटा तुझे ऊँचा अफसर बनाने की हसरत है । जहाँ तक पढ़े तू पढ़ाने की हसरत है ।।१ खिलों फूल सा अब हँसाने की हसरत है । तुम्हारे लिए चाँद लाने की हसरत है ।।२ हटाकर मैं काँटे तेरे रास्ते के डगर साफ़ सुथरी दिखाने की हसरत है ।।३ करो खूब बेटी सदा नाम जग में । यही कीर्ति तुमको दिलाने की हसरत है ४ महादेव लाए घड़ी वह सुहानी । कि डोली तुम्हारी सजाने की हसरत है ५ कली बाग की तुम हमारी हो पहली । तुम्हें देख कर मुस्कुराने की हसरत है ।। ६ खुशी से मनाए प्रखर दिन तुम्हारा । खुशी आज पूरी जताने की हसरत है ७ १४/०८/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#जन्मदिन_की_बहुत_बहुत_बधाई_एंव_शुभकामनाएं_कीर्ति_बेटा #जन्मदिन_की_बहुत_बहुत_बधाई_एंव_ #शायरी #ग़ज़ल  #ग़ज़ल :-
#जन्मदिन_की_बहुत_बहुत_बधाई_एंव_
शुभकामनाएं_कीर्ति_बेटा

तुझे ऊँचा अफसर बनाने की हसरत है ।
जहाँ तक पढ़े तू पढ़ाने की हसरत है ।।१
खिलों फूल सा अब हँसाने की हसरत है ।
तुम्हारे लिए चाँद लाने की हसरत है ।।२
हटाकर मैं काँटे तेरे रास्ते के
डगर साफ़ सुथरी दिखाने की हसरत है ।।३
करो खूब बेटी सदा नाम जग में ।
यही कीर्ति तुमको दिलाने की हसरत है ४
महादेव लाए घड़ी वह सुहानी ।
कि डोली तुम्हारी सजाने की हसरत है ५
कली बाग की तुम हमारी हो पहली ।
तुम्हें देख कर मुस्कुराने की हसरत है ।। ६
खुशी से मनाए प्रखर दिन तुम्हारा ।
खुशी आज पूरी जताने की हसरत है ७
१४/०८/२०२३    - महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#ग़ज़ल :- #जन्मदिन_की_बहुत_बहुत_बधाई_एंव_शुभकामनाएं_कीर्ति_बेटा तुझे ऊँचा अफसर बनाने की हसरत है । जहाँ तक पढ़े तू पढ़ाने की हसरत है ।।१ खिलों

16 Love

#shamawritesBebaak #writersofindia #poetsofindia #shayarilover #urdupoetry #Sad_shayri  White ©हमने परिंदो के चमन को उजड़ते देखा,समंदर ए साहिल पे,तिश्नगी में मरते देखा//१
                            
अपने गमजे छुपाकर उसे मैने हंँसते देखा,यानि एक जिंदा दिल को घुटकर मरते देखा//२
                          
बागबा को पैरो से गुलों को मसलते देखा,हमने सब्जे शजर को उखड़ते देखा//३

मिन्नते बहुत की उसने उल्फते-वस्ल् की,हमने
उल्फते वस्ल को हिज़्र में तड़पते देखा//४

माना नशा ए इश्क बहुत बुरी लत है,हमने इश्के लत को हर उम्र में चढते देखा/५
         
ऐ इब्न् आदम इतना मगरूर ना हो इस जवानी पर,हमनें हर जवानी को बुढ़ापे में ढलते देखा//६

एतबार ना करना चांद से मेहबूब पर"शमा"ने ईद के चांद को भी अर्श में छुपते देखा//७
#shamawritesbebaak

©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

#Sad_shayri ©हमने परिंदो के चमन को उजड़ते देखा,समंदर ए साहिल पे,तिश्नगी में मरते देखा//१ अपने गमजे छुपाकर उसे म

423 View

दोहा :- पढ़ा लिखा इतिहास का , दो अब सारे फेक । रहे सनातन याद बस , काम यही है नेक ।।१ बढ़ती दुनिया देखकर  , मन करता है आज । जाऊँ पीछे आज बस , जहाँ लखन का राज ।।२ राजा बनकर राज कर , बनना नहीं नवाब । पारिजात को भूलकर , खोजे आज गुलाब ।।३ अपना भी इतिहास पढ़, खोल पुराने ग्रंथ । वह बतलायेंगे तुम्हें , सरल सुलभ नित पंथ ।।४ सुनना चाहो आप नित , कोई कहे नवाब । क्या अपने फिर धर्म को , दोगे आप जवाब ।।५ सबको अपने धर्म का , करना चहिये मान । इसीलिए तो जन्म ये , दिया तुम्हें भगवान ।।६ बने सनातन फिर रहे , गली-गली सब लोग । होता ज्ञान अगर तुम्हें , करते उचित प्रयोग ।।७ ज्ञान नहीं है धर्म का ,  भटक रहे सब लोग । तब ही तो तुम कर रहे , अनुचित यहां प्रयोग ।।८ हुआ तुम्हारे कर्म से , धर्म अगर बदनाम । याद रखो बख्शे नहीं , तुम्हें कभी भी राम ।।९ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  दोहा :-
पढ़ा लिखा इतिहास का , दो अब सारे फेक ।
रहे सनातन याद बस , काम यही है नेक ।।१

बढ़ती दुनिया देखकर  , मन करता है आज ।
जाऊँ पीछे आज बस , जहाँ लखन का राज ।।२

राजा बनकर राज कर , बनना नहीं नवाब ।
पारिजात को भूलकर , खोजे आज गुलाब ।।३

अपना भी इतिहास पढ़, खोल पुराने ग्रंथ ।
वह बतलायेंगे तुम्हें , सरल सुलभ नित पंथ ।।४

सुनना चाहो आप नित , कोई कहे नवाब ।
क्या अपने फिर धर्म को , दोगे आप जवाब ।।५

सबको अपने धर्म का , करना चहिये मान ।
इसीलिए तो जन्म ये , दिया तुम्हें भगवान ।।६

बने सनातन फिर रहे , गली-गली सब लोग ।
होता ज्ञान अगर तुम्हें , करते उचित प्रयोग ।।७

ज्ञान नहीं है धर्म का ,  भटक रहे सब लोग ।
तब ही तो तुम कर रहे , अनुचित यहां प्रयोग ।।८

हुआ तुम्हारे कर्म से , धर्म अगर बदनाम ।
याद रखो बख्शे नहीं , तुम्हें कभी भी राम ।।९
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- पढ़ा लिखा इतिहास का , दो अब सारे फेक । रहे सनातन याद बस , काम यही है नेक ।।१ बढ़ती दुनिया देखकर  , मन करता है आज । जाऊँ पीछे आज बस ,

9 Love

#shamawritesBebaak #shayri

#shayari खुदाया तेरी ये दुनियां भी उकता गई हैं,के*जुल्मते _गिरफ्त से घबरा गई है//१ *घोर अन्धकार की पकड़ क्या उफ्फ करूँ,और क्या आह भरूं,बिन ब

612 View

#shamawritesBebaak #Sad_shayri #shayri  White खुदाया तेरी ये दुनियां भी उकता गई हैं,
के*जुल्मते_गिरफ्त से घबरा गई है//१

क्या उफ्फ करूँ,और क्या आह भरूं,बिन बोले
मेरी ये*लब_कुशाई भी अब शरमा गई है//२

सावन के चरे को हरा ही हरा दिखा,इन
किफायती चश्म से अबतक ना हाय तौबा गई है//३

अपनी सादादिली की सजा ये भुगती,
   के बाइसे सादगी ही हमे ठुकरा गई है//४

एक बशर जो लगता था बेहद अज़ीज़,
उसी अज़ीज़ की अब बेवफाई रुला गई है//५

*वालिद की*फौतगी ने वो_वो मंज़र दिखाए,के
अपनों की बद_सलुकी भी बेहिसाब सता गई है//६

खुदाया आस पास से होकर मायूस,
"शमा"की*आहफुगा भी अब थर्रा गई है//७ 
 #shamawritesbebaak 
#poetry #shayri

©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

#Sad_shayri खुदाया तेरी ये दुनियां भी उकता गई हैं,के*जुल्मते _गिरफ्त से घबरा गई है//१ *घोर अन्धकार की पकड़ क्या उफ्फ करूँ,और क्या आह भरूं,बि

387 View

#नयावद्उमानाथपादारविन्दम् #श्रीशिवरुद्राष्टकम् #हरहरमहादेव #devotionally_spiritually_taru #कवितावाचक #भक्ति

वास्तविक आवाज शीर्षक न यावद् उमानाथपादारविन्दम् श्री शिव रुद्राष्टकम् हिंदी अर्थ सहित . . विधा श्री शिव रुद्राष्टकम् हिंदी अर्थ सहित श्लोक

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#ग़ज़ल :- #जन्मदिन_की_बहुत_बहुत_बधाई_एंव_ शुभकामनाएं_कीर्ति_बेटा तुझे ऊँचा अफसर बनाने की हसरत है । जहाँ तक पढ़े तू पढ़ाने की हसरत है ।।१ खिलों फूल सा अब हँसाने की हसरत है । तुम्हारे लिए चाँद लाने की हसरत है ।।२ हटाकर मैं काँटे तेरे रास्ते के डगर साफ़ सुथरी दिखाने की हसरत है ।।३ करो खूब बेटी सदा नाम जग में । यही कीर्ति तुमको दिलाने की हसरत है ४ महादेव लाए घड़ी वह सुहानी । कि डोली तुम्हारी सजाने की हसरत है ५ कली बाग की तुम हमारी हो पहली । तुम्हें देख कर मुस्कुराने की हसरत है ।। ६ खुशी से मनाए प्रखर दिन तुम्हारा । खुशी आज पूरी जताने की हसरत है ७ १४/०८/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#जन्मदिन_की_बहुत_बहुत_बधाई_एंव_शुभकामनाएं_कीर्ति_बेटा #जन्मदिन_की_बहुत_बहुत_बधाई_एंव_ #शायरी #ग़ज़ल  #ग़ज़ल :-
#जन्मदिन_की_बहुत_बहुत_बधाई_एंव_
शुभकामनाएं_कीर्ति_बेटा

तुझे ऊँचा अफसर बनाने की हसरत है ।
जहाँ तक पढ़े तू पढ़ाने की हसरत है ।।१
खिलों फूल सा अब हँसाने की हसरत है ।
तुम्हारे लिए चाँद लाने की हसरत है ।।२
हटाकर मैं काँटे तेरे रास्ते के
डगर साफ़ सुथरी दिखाने की हसरत है ।।३
करो खूब बेटी सदा नाम जग में ।
यही कीर्ति तुमको दिलाने की हसरत है ४
महादेव लाए घड़ी वह सुहानी ।
कि डोली तुम्हारी सजाने की हसरत है ५
कली बाग की तुम हमारी हो पहली ।
तुम्हें देख कर मुस्कुराने की हसरत है ।। ६
खुशी से मनाए प्रखर दिन तुम्हारा ।
खुशी आज पूरी जताने की हसरत है ७
१४/०८/२०२३    - महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#ग़ज़ल :- #जन्मदिन_की_बहुत_बहुत_बधाई_एंव_शुभकामनाएं_कीर्ति_बेटा तुझे ऊँचा अफसर बनाने की हसरत है । जहाँ तक पढ़े तू पढ़ाने की हसरत है ।।१ खिलों

16 Love

#shamawritesBebaak #writersofindia #poetsofindia #shayarilover #urdupoetry #Sad_shayri  White ©हमने परिंदो के चमन को उजड़ते देखा,समंदर ए साहिल पे,तिश्नगी में मरते देखा//१
                            
अपने गमजे छुपाकर उसे मैने हंँसते देखा,यानि एक जिंदा दिल को घुटकर मरते देखा//२
                          
बागबा को पैरो से गुलों को मसलते देखा,हमने सब्जे शजर को उखड़ते देखा//३

मिन्नते बहुत की उसने उल्फते-वस्ल् की,हमने
उल्फते वस्ल को हिज़्र में तड़पते देखा//४

माना नशा ए इश्क बहुत बुरी लत है,हमने इश्के लत को हर उम्र में चढते देखा/५
         
ऐ इब्न् आदम इतना मगरूर ना हो इस जवानी पर,हमनें हर जवानी को बुढ़ापे में ढलते देखा//६

एतबार ना करना चांद से मेहबूब पर"शमा"ने ईद के चांद को भी अर्श में छुपते देखा//७
#shamawritesbebaak

©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

#Sad_shayri ©हमने परिंदो के चमन को उजड़ते देखा,समंदर ए साहिल पे,तिश्नगी में मरते देखा//१ अपने गमजे छुपाकर उसे म

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दोहा :- पढ़ा लिखा इतिहास का , दो अब सारे फेक । रहे सनातन याद बस , काम यही है नेक ।।१ बढ़ती दुनिया देखकर  , मन करता है आज । जाऊँ पीछे आज बस , जहाँ लखन का राज ।।२ राजा बनकर राज कर , बनना नहीं नवाब । पारिजात को भूलकर , खोजे आज गुलाब ।।३ अपना भी इतिहास पढ़, खोल पुराने ग्रंथ । वह बतलायेंगे तुम्हें , सरल सुलभ नित पंथ ।।४ सुनना चाहो आप नित , कोई कहे नवाब । क्या अपने फिर धर्म को , दोगे आप जवाब ।।५ सबको अपने धर्म का , करना चहिये मान । इसीलिए तो जन्म ये , दिया तुम्हें भगवान ।।६ बने सनातन फिर रहे , गली-गली सब लोग । होता ज्ञान अगर तुम्हें , करते उचित प्रयोग ।।७ ज्ञान नहीं है धर्म का ,  भटक रहे सब लोग । तब ही तो तुम कर रहे , अनुचित यहां प्रयोग ।।८ हुआ तुम्हारे कर्म से , धर्म अगर बदनाम । याद रखो बख्शे नहीं , तुम्हें कभी भी राम ।।९ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  दोहा :-
पढ़ा लिखा इतिहास का , दो अब सारे फेक ।
रहे सनातन याद बस , काम यही है नेक ।।१

बढ़ती दुनिया देखकर  , मन करता है आज ।
जाऊँ पीछे आज बस , जहाँ लखन का राज ।।२

राजा बनकर राज कर , बनना नहीं नवाब ।
पारिजात को भूलकर , खोजे आज गुलाब ।।३

अपना भी इतिहास पढ़, खोल पुराने ग्रंथ ।
वह बतलायेंगे तुम्हें , सरल सुलभ नित पंथ ।।४

सुनना चाहो आप नित , कोई कहे नवाब ।
क्या अपने फिर धर्म को , दोगे आप जवाब ।।५

सबको अपने धर्म का , करना चहिये मान ।
इसीलिए तो जन्म ये , दिया तुम्हें भगवान ।।६

बने सनातन फिर रहे , गली-गली सब लोग ।
होता ज्ञान अगर तुम्हें , करते उचित प्रयोग ।।७

ज्ञान नहीं है धर्म का ,  भटक रहे सब लोग ।
तब ही तो तुम कर रहे , अनुचित यहां प्रयोग ।।८

हुआ तुम्हारे कर्म से , धर्म अगर बदनाम ।
याद रखो बख्शे नहीं , तुम्हें कभी भी राम ।।९
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- पढ़ा लिखा इतिहास का , दो अब सारे फेक । रहे सनातन याद बस , काम यही है नेक ।।१ बढ़ती दुनिया देखकर  , मन करता है आज । जाऊँ पीछे आज बस ,

9 Love

#shamawritesBebaak #shayri

#shayari खुदाया तेरी ये दुनियां भी उकता गई हैं,के*जुल्मते _गिरफ्त से घबरा गई है//१ *घोर अन्धकार की पकड़ क्या उफ्फ करूँ,और क्या आह भरूं,बिन ब

612 View

#shamawritesBebaak #Sad_shayri #shayri  White खुदाया तेरी ये दुनियां भी उकता गई हैं,
के*जुल्मते_गिरफ्त से घबरा गई है//१

क्या उफ्फ करूँ,और क्या आह भरूं,बिन बोले
मेरी ये*लब_कुशाई भी अब शरमा गई है//२

सावन के चरे को हरा ही हरा दिखा,इन
किफायती चश्म से अबतक ना हाय तौबा गई है//३

अपनी सादादिली की सजा ये भुगती,
   के बाइसे सादगी ही हमे ठुकरा गई है//४

एक बशर जो लगता था बेहद अज़ीज़,
उसी अज़ीज़ की अब बेवफाई रुला गई है//५

*वालिद की*फौतगी ने वो_वो मंज़र दिखाए,के
अपनों की बद_सलुकी भी बेहिसाब सता गई है//६

खुदाया आस पास से होकर मायूस,
"शमा"की*आहफुगा भी अब थर्रा गई है//७ 
 #shamawritesbebaak 
#poetry #shayri

©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

#Sad_shayri खुदाया तेरी ये दुनियां भी उकता गई हैं,के*जुल्मते _गिरफ्त से घबरा गई है//१ *घोर अन्धकार की पकड़ क्या उफ्फ करूँ,और क्या आह भरूं,बि

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