tags

New अंजान Status, Photo, Video

Find the latest Status about अंजान from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about अंजान.

  • Latest
  • Popular
  • Video

White एक गीत इनायत सफाकत कहाँ देखता है, आब खोके मुरव्वत कहाँ देखता है। जो सर चढ़के बोले गुरूर आदमी का, फिर जमजम का पानी कहाँ देखता है। अमीरी में दूरी, गरीबी में दूरी, दिलों में जो फ़ासले गहरी कहानी। सचाई के रस्ते से गुजरे जहाँ पे, मगर अब वो रस्ता कहाँ देखता है। सजे हैं महल और चमकती हैं गलियां, मगर दिल का कस्बा कहाँ देखता है। ये दौलत के प्यासे, हैं शौहरत के दीवाने, किसी का भी रस्ता कहाँ देखता है। तू इंसान की शक्लों में मत ढूंढ ऐ दिल, खुदा का इशारा कहाँ देखता है। ये दुनियावी मंजर, ये चाहत के सपने, हक़ीक़त से दूर ये कहाँ देखते हैं। ख्वाबों में ये क्या क्या कहाँ देखता है, दिलों में जो रस्ता कहाँ देखता है। Rajeev राजीव ©samandar Speaks

#कविता #sad_quotes  White एक गीत
इनायत सफाकत कहाँ देखता है,
आब खोके मुरव्वत कहाँ देखता है।
जो सर चढ़के बोले गुरूर आदमी का,
फिर जमजम का पानी कहाँ देखता है।


अमीरी में दूरी, गरीबी में दूरी,
दिलों में जो फ़ासले गहरी कहानी।
सचाई के रस्ते से गुजरे जहाँ पे,
मगर अब वो रस्ता कहाँ देखता है।

सजे हैं महल और चमकती हैं गलियां,
मगर दिल का कस्बा कहाँ देखता है।
ये दौलत के प्यासे, हैं शौहरत के दीवाने,
किसी का भी रस्ता कहाँ देखता है।

तू इंसान की शक्लों में मत ढूंढ ऐ दिल,
खुदा का इशारा कहाँ देखता है।
ये दुनियावी मंजर, ये चाहत के सपने,
हक़ीक़त से दूर ये कहाँ देखते हैं।

ख्वाबों में ये क्या क्या कहाँ देखता है,
दिलों में जो रस्ता कहाँ देखता है।
Rajeev 

राजीव

©samandar Speaks

White मैं शिक्षक हूँ पहले ये शब्द, आध्यात्मिक चेतना का उत्सर्ग था, ज्ञान की रोशनी, जिज्ञासा का पथप्रदर्शक था, समर्पण की मूरत, संवेदनाओं का सागर, आशाओं का दीपक, जो जलता था हर घर। पर आज, ये शब्द बन गया है तिरस्कार का दंश, आवाज़ में अवमानना का वजन है अधिक, सम्मान की जगह व्यंग्य और ठहाके हैं, निष्ठा को आज नापते हैं पैसों के तराजू में। मगर मैं तो वही हूँ, जिसने सिखाई थी उड़ान सपनों को, जिसने थामी थी नन्हे हाथों की उँगलियाँ, जो हर ग़लती पर कहता था, "कोई बात नहीं, फिर से कोशिश करो।" अब भी मैं वही हूँ, जो अंधेरों में रोशनी का नाम लिए खड़ा हूँ, भले ही शब्दों में चुभन हो, पर मेरा दिल अब भी सिर्फ़ ज्ञान की सेवा में डटा है। मैं शिक्षक हूँ, और ये जिम्मेदारी, मेरे लिए सिर्फ़ एक काम नहीं, एक व्रत है, एक धर्म है, जिसे मैं हर कठिनाई के बावजूद निभाऊँगा। राजीव ©samandar Speaks

#कविता #GoodMorning  White मैं शिक्षक हूँ
पहले ये शब्द, आध्यात्मिक चेतना का उत्सर्ग था,
ज्ञान की रोशनी, जिज्ञासा का पथप्रदर्शक था,
समर्पण की मूरत, संवेदनाओं का सागर,
आशाओं का दीपक, जो जलता था हर घर।
पर आज,
ये शब्द बन गया है तिरस्कार का दंश,
आवाज़ में अवमानना का वजन है अधिक,
सम्मान की जगह व्यंग्य और ठहाके हैं,
निष्ठा को आज नापते हैं पैसों के तराजू में।
मगर मैं तो वही हूँ,
जिसने सिखाई थी उड़ान सपनों को,
जिसने थामी थी नन्हे हाथों की उँगलियाँ,
जो हर ग़लती पर कहता था,
 "कोई बात नहीं, फिर से कोशिश करो।"
अब भी मैं वही हूँ,
जो अंधेरों में रोशनी का नाम लिए खड़ा हूँ,
भले ही शब्दों में चुभन हो,
पर मेरा दिल अब भी सिर्फ़ ज्ञान की सेवा में डटा है।
मैं शिक्षक हूँ,
और ये जिम्मेदारी, मेरे लिए सिर्फ़ एक काम नहीं,
एक व्रत है, एक धर्म है,
जिसे मैं हर कठिनाई के बावजूद निभाऊँगा।

राजीव

©samandar Speaks
#कविता #Sad_Status  White हां जब तन्हा होता हूं, जब भीड़ में खोया होता हूं
जब जमीं पे अपनी पहचान ढूंढता हूं
गुमशुदा होता हूं
जिन पर खुद को कुर्बान करने वालो के रंग देखता हूं 
हां तुझे सिद्दत से याद करता हूं,तुझे हर रोज ढूंढता हू

मेरे तेरे वो सिक्के शायद हम दोनो के थे ना
मेरी तेरी साइकल शायद एक दूसरे कि थी ना
मेरे तेरे कपड़े भी शायद एक दूसरे के थे ना
अब अलग अलग सब है, धुंआ धुआं सब है 
पर अपने कंधों पे तेरा आज भी हाथ ढूंढता हूं
हां तुझे सिद्दत से याद करता हूं,तुझे हर रोज ढूंढता हूं

तुझे ढूंढता हूं बेबसी में,गमों में,अश्कों में,हर जज्बो में
तुझे बयां करता हूं,अकेले में,तन्हाई में
चंद किताबी पन्नों में 
तुझे ढूंढता हूं अश्क बाटने के चंद संजीदा पलों में
हर रोज सबको देखता हूं ,सुनता हूं,ढूंढता हूं तुझे अपने लब्जो में 
हां तुझे सिद्दत से याद करता हूं,तुझे हर रोज ढूंढता हूं
राजीव

©samandar Speaks

#Sad_Status अंजान @Mukesh Poonia @Radhey Ray @Gautam Kumar Richa Rai ( गूंज )

126 View

#अंजान  White न जान न पहचान अंजान ही मेरे रिस्तेदार बन बैठै
वो मेरे घर के मालिक़ और हम किराएदार बन बैठै

जमील

©jameel Khan

#अंजान #

225 View

#शायरी #अंजान

#अंजान..🖊️#अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻‍♀️

153 View

#रिश्ते #भगवान #शायरी #पहचान #अनमोल #अंजान  White माता-पिता से कोई अंजान नही होता।
इस रिश्ते से बढ़कर, कोई पहचान नही होता।।
ऊंगली पकड़कर जिसने चलना सिखाया हमको।
क्यों कहते हो यारों कि दुनिया में भगवान नही होता।।

©Shubham Bhardwaj

White एक गीत इनायत सफाकत कहाँ देखता है, आब खोके मुरव्वत कहाँ देखता है। जो सर चढ़के बोले गुरूर आदमी का, फिर जमजम का पानी कहाँ देखता है। अमीरी में दूरी, गरीबी में दूरी, दिलों में जो फ़ासले गहरी कहानी। सचाई के रस्ते से गुजरे जहाँ पे, मगर अब वो रस्ता कहाँ देखता है। सजे हैं महल और चमकती हैं गलियां, मगर दिल का कस्बा कहाँ देखता है। ये दौलत के प्यासे, हैं शौहरत के दीवाने, किसी का भी रस्ता कहाँ देखता है। तू इंसान की शक्लों में मत ढूंढ ऐ दिल, खुदा का इशारा कहाँ देखता है। ये दुनियावी मंजर, ये चाहत के सपने, हक़ीक़त से दूर ये कहाँ देखते हैं। ख्वाबों में ये क्या क्या कहाँ देखता है, दिलों में जो रस्ता कहाँ देखता है। Rajeev राजीव ©samandar Speaks

#कविता #sad_quotes  White एक गीत
इनायत सफाकत कहाँ देखता है,
आब खोके मुरव्वत कहाँ देखता है।
जो सर चढ़के बोले गुरूर आदमी का,
फिर जमजम का पानी कहाँ देखता है।


अमीरी में दूरी, गरीबी में दूरी,
दिलों में जो फ़ासले गहरी कहानी।
सचाई के रस्ते से गुजरे जहाँ पे,
मगर अब वो रस्ता कहाँ देखता है।

सजे हैं महल और चमकती हैं गलियां,
मगर दिल का कस्बा कहाँ देखता है।
ये दौलत के प्यासे, हैं शौहरत के दीवाने,
किसी का भी रस्ता कहाँ देखता है।

तू इंसान की शक्लों में मत ढूंढ ऐ दिल,
खुदा का इशारा कहाँ देखता है।
ये दुनियावी मंजर, ये चाहत के सपने,
हक़ीक़त से दूर ये कहाँ देखते हैं।

ख्वाबों में ये क्या क्या कहाँ देखता है,
दिलों में जो रस्ता कहाँ देखता है।
Rajeev 

राजीव

©samandar Speaks

White मैं शिक्षक हूँ पहले ये शब्द, आध्यात्मिक चेतना का उत्सर्ग था, ज्ञान की रोशनी, जिज्ञासा का पथप्रदर्शक था, समर्पण की मूरत, संवेदनाओं का सागर, आशाओं का दीपक, जो जलता था हर घर। पर आज, ये शब्द बन गया है तिरस्कार का दंश, आवाज़ में अवमानना का वजन है अधिक, सम्मान की जगह व्यंग्य और ठहाके हैं, निष्ठा को आज नापते हैं पैसों के तराजू में। मगर मैं तो वही हूँ, जिसने सिखाई थी उड़ान सपनों को, जिसने थामी थी नन्हे हाथों की उँगलियाँ, जो हर ग़लती पर कहता था, "कोई बात नहीं, फिर से कोशिश करो।" अब भी मैं वही हूँ, जो अंधेरों में रोशनी का नाम लिए खड़ा हूँ, भले ही शब्दों में चुभन हो, पर मेरा दिल अब भी सिर्फ़ ज्ञान की सेवा में डटा है। मैं शिक्षक हूँ, और ये जिम्मेदारी, मेरे लिए सिर्फ़ एक काम नहीं, एक व्रत है, एक धर्म है, जिसे मैं हर कठिनाई के बावजूद निभाऊँगा। राजीव ©samandar Speaks

#कविता #GoodMorning  White मैं शिक्षक हूँ
पहले ये शब्द, आध्यात्मिक चेतना का उत्सर्ग था,
ज्ञान की रोशनी, जिज्ञासा का पथप्रदर्शक था,
समर्पण की मूरत, संवेदनाओं का सागर,
आशाओं का दीपक, जो जलता था हर घर।
पर आज,
ये शब्द बन गया है तिरस्कार का दंश,
आवाज़ में अवमानना का वजन है अधिक,
सम्मान की जगह व्यंग्य और ठहाके हैं,
निष्ठा को आज नापते हैं पैसों के तराजू में।
मगर मैं तो वही हूँ,
जिसने सिखाई थी उड़ान सपनों को,
जिसने थामी थी नन्हे हाथों की उँगलियाँ,
जो हर ग़लती पर कहता था,
 "कोई बात नहीं, फिर से कोशिश करो।"
अब भी मैं वही हूँ,
जो अंधेरों में रोशनी का नाम लिए खड़ा हूँ,
भले ही शब्दों में चुभन हो,
पर मेरा दिल अब भी सिर्फ़ ज्ञान की सेवा में डटा है।
मैं शिक्षक हूँ,
और ये जिम्मेदारी, मेरे लिए सिर्फ़ एक काम नहीं,
एक व्रत है, एक धर्म है,
जिसे मैं हर कठिनाई के बावजूद निभाऊँगा।

राजीव

©samandar Speaks
#कविता #Sad_Status  White हां जब तन्हा होता हूं, जब भीड़ में खोया होता हूं
जब जमीं पे अपनी पहचान ढूंढता हूं
गुमशुदा होता हूं
जिन पर खुद को कुर्बान करने वालो के रंग देखता हूं 
हां तुझे सिद्दत से याद करता हूं,तुझे हर रोज ढूंढता हू

मेरे तेरे वो सिक्के शायद हम दोनो के थे ना
मेरी तेरी साइकल शायद एक दूसरे कि थी ना
मेरे तेरे कपड़े भी शायद एक दूसरे के थे ना
अब अलग अलग सब है, धुंआ धुआं सब है 
पर अपने कंधों पे तेरा आज भी हाथ ढूंढता हूं
हां तुझे सिद्दत से याद करता हूं,तुझे हर रोज ढूंढता हूं

तुझे ढूंढता हूं बेबसी में,गमों में,अश्कों में,हर जज्बो में
तुझे बयां करता हूं,अकेले में,तन्हाई में
चंद किताबी पन्नों में 
तुझे ढूंढता हूं अश्क बाटने के चंद संजीदा पलों में
हर रोज सबको देखता हूं ,सुनता हूं,ढूंढता हूं तुझे अपने लब्जो में 
हां तुझे सिद्दत से याद करता हूं,तुझे हर रोज ढूंढता हूं
राजीव

©samandar Speaks

#Sad_Status अंजान @Mukesh Poonia @Radhey Ray @Gautam Kumar Richa Rai ( गूंज )

126 View

#अंजान  White न जान न पहचान अंजान ही मेरे रिस्तेदार बन बैठै
वो मेरे घर के मालिक़ और हम किराएदार बन बैठै

जमील

©jameel Khan

#अंजान #

225 View

#शायरी #अंजान

#अंजान..🖊️#अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻‍♀️

153 View

#रिश्ते #भगवान #शायरी #पहचान #अनमोल #अंजान  White माता-पिता से कोई अंजान नही होता।
इस रिश्ते से बढ़कर, कोई पहचान नही होता।।
ऊंगली पकड़कर जिसने चलना सिखाया हमको।
क्यों कहते हो यारों कि दुनिया में भगवान नही होता।।

©Shubham Bhardwaj
Trending Topic