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मात्र ईंट पत्थर आदि पदार्थ ही घर की बुनियाद नहीं होते, ... ... माता–पिता, दादा–दादी आदि के अनगिनत सपने, मेहनत तथा प्यार भी बुनियाद का हिस्सा होते हैं।। ©Tara Chandra

#Quotes #घर #Home  मात्र ईंट पत्थर आदि पदार्थ 
ही घर की बुनियाद नहीं होते, 
...
...
माता–पिता, दादा–दादी आदि के 
अनगिनत सपने, 
मेहनत तथा प्यार 
भी बुनियाद का हिस्सा होते हैं।।

©Tara Chandra

#Home #घर

13 Love

White पहले थोड़ी कमाई से भी वृहद परिवार का भरन्न पोषणआराम हो जाता था लेकिन आज लूट खसोट वाली कमाई करने के बावजूद घर परिवार मुश्किल से चल पाता है ©Parasram Arora

 White पहले  थोड़ी कमाई से भी वृहद परिवार 
का भरन्न पोषणआराम हो जाता था 

लेकिन आज लूट खसोट वाली कमाई करने के बावजूद घर परिवार  मुश्किल से चल पाता है

©Parasram Arora

घर परिवार

11 Love

White कड़वा हे मगर सच है कूछ ओरते जिन्हे बहू घर कि लक्ष्मी कहा जाता हे उनकी हालत काम वाली बाई से ग ई गुजरी होती है कम से कम काम वाली बाई को उसकी सेलरी तो मिलती है ओर तो ओर तिज त्योहारो पर पर खूशी से भेंट भी मिलती है लेकिन घर की लक्ष्मी घर के झाडू से भी नकारा समझी जाती हे कम से कम उसकी भी ईज्जत होती है ©m kalvadiya

#विचार #घर  White कड़वा हे मगर सच है 
कूछ ओरते जिन्हे बहू घर कि लक्ष्मी कहा जाता हे उनकी हालत काम वाली बाई से ग ई गुजरी होती है कम से कम काम वाली बाई को उसकी सेलरी तो मिलती है ओर तो ओर तिज त्योहारो पर पर खूशी से भेंट भी मिलती है लेकिन घर की लक्ष्मी घर के झाडू से भी नकारा समझी जाती हे कम से कम उसकी भी ईज्जत होती है

©m kalvadiya

#घर कि‌लक्ष्मी

17 Love

White घर - घर में होने लगे, नारी का सम्मान। जग अपना लगने लगे, सभी सुखों की खान।। नवरातों के बाद जो, मान करै ना कोय। अपने हाथ विनाश को, निकट बुलावै सोय।। 'शौक' शौक में देखिये, सुमिरन ना छुट जाय। हरि साथै जो खेलिये, जन्म-मरण छुट जाय।। कण-कण उनका वास है, सब सांसों में वोहि। छण-छण उनका नाम ले, मनगति थिर तब होहि।। घर - घर में होने लगे , जगराते हरि बोल। हृदपट भी खुलनें लगें , जै मां जै मां बोल।। ©Shiv Narayan Saxena

#good_night  White घर - घर  में  होने  लगे,  नारी  का  सम्मान।
जग अपना लगने लगे, सभी सुखों की खान।।

नवरातों  के  बाद  जो,  मान  करै ना  कोय।
अपने हाथ विनाश को, निकट बुलावै  सोय।।

'शौक' शौक में देखिये, सुमिरन ना छुट जाय।
हरि साथै जो खेलिये, जन्म-मरण छुट जाय।।

कण-कण उनका वास है,  सब  सांसों  में  वोहि।
छण-छण उनका नाम ले, मनगति थिर तब होहि।।

घर - घर  में  होने  लगे , जगराते  हरि  बोल।
हृदपट  भी  खुलनें  लगें , जै मां  जै मां बोल।।

©Shiv Narayan Saxena

#good_night घर-घर में होने लगे.....

14 Love

#कविता  वक्त कितनी तेज भाग रहा है 
छोटा सा छोटू अब बड़ा हो गया है 
पहली दफा सात दिन का कैंप 
बमुश्किल झेल पाया था 
भोलू तो चौथा दिन भाग आया था 
आज़ सात साल फिर घर दूर दोनों गया 
लेकिन छोटू वहीँ पर है 
और भोलू फिर लौट कर आ रहा है 
समय बदल गया है लेकिन आदते 
जस की तस है 
एक कहता रहा लूंगा 
दूसरा कहता पापा मुझे नहीं रहना घर से दूर

©ranjit Kumar rathour

घर से दूर

162 View

मनहरण घनाक्षरी :- फेसबुक व्हाट्सएप , छोड़ भी दो अब आप , घर माता-पिता अब , सेवा कर लीजिए । दूर हो न रिश्ते नाते , कर लो उनसे बातें , छोड़ के मोबाइल को , समय उन्हें दीजिए । व्यर्थ गँवाया समय ,  देख बोलता तनय , सोचिए पुनः फिर से ,शांत मन कीजिए । छोड नही घर द्वार , तेरा अच्छा  परिवार, मान मेरी बात कर , नीर अब पीजिए ।। 2**************************** कर गणेश वंदना , पूर्ण हो फिर कामना , भक्त का रखते वही , सदा नित ध्यान हैं । माँ गौरा के लाल वह , भक्त पे निहाल वह , देख भक्त की श्रद्धा को , देते वरदान हैं । दूब ही अति प्यारी है , मूसक की सवारी है , भक्तों के कष्टों का वह , देते समाधान हैं । देवों में पूज्य प्रथम , जानते हैं अब हम, सारे जग में उनकी , करूणा महान है ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  मनहरण घनाक्षरी :-
फेसबुक व्हाट्सएप , छोड़ भी दो अब आप ,
घर माता-पिता अब , सेवा कर लीजिए ।
दूर हो न रिश्ते नाते , कर लो उनसे बातें ,
छोड़ के मोबाइल को , समय उन्हें दीजिए ।
व्यर्थ गँवाया समय ,  देख बोलता तनय ,
सोचिए पुनः फिर से ,शांत मन कीजिए ।
छोड नही घर द्वार , तेरा अच्छा  परिवार,
मान मेरी बात कर , नीर अब पीजिए ।।

2****************************

कर गणेश वंदना , पूर्ण हो फिर कामना ,
भक्त का रखते वही , सदा नित ध्यान हैं ।
माँ गौरा के लाल वह , भक्त पे निहाल वह ,
देख भक्त की श्रद्धा को , देते वरदान हैं ।
दूब ही अति प्यारी है , मूसक की सवारी है ,
भक्तों के कष्टों का वह , देते समाधान हैं ।
देवों में पूज्य प्रथम , जानते हैं अब हम,
सारे जग में उनकी , करूणा महान है ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मनहरण घनाक्षरी :- फेसबुक व्हाट्सएप , छोड़ भी दो अब आप , घर माता-पिता अब , सेवा कर लीजिए । दूर हो न रिश्ते नाते , कर लो उनसे बातें , छोड़ के मो

14 Love

मात्र ईंट पत्थर आदि पदार्थ ही घर की बुनियाद नहीं होते, ... ... माता–पिता, दादा–दादी आदि के अनगिनत सपने, मेहनत तथा प्यार भी बुनियाद का हिस्सा होते हैं।। ©Tara Chandra

#Quotes #घर #Home  मात्र ईंट पत्थर आदि पदार्थ 
ही घर की बुनियाद नहीं होते, 
...
...
माता–पिता, दादा–दादी आदि के 
अनगिनत सपने, 
मेहनत तथा प्यार 
भी बुनियाद का हिस्सा होते हैं।।

©Tara Chandra

#Home #घर

13 Love

White पहले थोड़ी कमाई से भी वृहद परिवार का भरन्न पोषणआराम हो जाता था लेकिन आज लूट खसोट वाली कमाई करने के बावजूद घर परिवार मुश्किल से चल पाता है ©Parasram Arora

 White पहले  थोड़ी कमाई से भी वृहद परिवार 
का भरन्न पोषणआराम हो जाता था 

लेकिन आज लूट खसोट वाली कमाई करने के बावजूद घर परिवार  मुश्किल से चल पाता है

©Parasram Arora

घर परिवार

11 Love

White कड़वा हे मगर सच है कूछ ओरते जिन्हे बहू घर कि लक्ष्मी कहा जाता हे उनकी हालत काम वाली बाई से ग ई गुजरी होती है कम से कम काम वाली बाई को उसकी सेलरी तो मिलती है ओर तो ओर तिज त्योहारो पर पर खूशी से भेंट भी मिलती है लेकिन घर की लक्ष्मी घर के झाडू से भी नकारा समझी जाती हे कम से कम उसकी भी ईज्जत होती है ©m kalvadiya

#विचार #घर  White कड़वा हे मगर सच है 
कूछ ओरते जिन्हे बहू घर कि लक्ष्मी कहा जाता हे उनकी हालत काम वाली बाई से ग ई गुजरी होती है कम से कम काम वाली बाई को उसकी सेलरी तो मिलती है ओर तो ओर तिज त्योहारो पर पर खूशी से भेंट भी मिलती है लेकिन घर की लक्ष्मी घर के झाडू से भी नकारा समझी जाती हे कम से कम उसकी भी ईज्जत होती है

©m kalvadiya

#घर कि‌लक्ष्मी

17 Love

White घर - घर में होने लगे, नारी का सम्मान। जग अपना लगने लगे, सभी सुखों की खान।। नवरातों के बाद जो, मान करै ना कोय। अपने हाथ विनाश को, निकट बुलावै सोय।। 'शौक' शौक में देखिये, सुमिरन ना छुट जाय। हरि साथै जो खेलिये, जन्म-मरण छुट जाय।। कण-कण उनका वास है, सब सांसों में वोहि। छण-छण उनका नाम ले, मनगति थिर तब होहि।। घर - घर में होने लगे , जगराते हरि बोल। हृदपट भी खुलनें लगें , जै मां जै मां बोल।। ©Shiv Narayan Saxena

#good_night  White घर - घर  में  होने  लगे,  नारी  का  सम्मान।
जग अपना लगने लगे, सभी सुखों की खान।।

नवरातों  के  बाद  जो,  मान  करै ना  कोय।
अपने हाथ विनाश को, निकट बुलावै  सोय।।

'शौक' शौक में देखिये, सुमिरन ना छुट जाय।
हरि साथै जो खेलिये, जन्म-मरण छुट जाय।।

कण-कण उनका वास है,  सब  सांसों  में  वोहि।
छण-छण उनका नाम ले, मनगति थिर तब होहि।।

घर - घर  में  होने  लगे , जगराते  हरि  बोल।
हृदपट  भी  खुलनें  लगें , जै मां  जै मां बोल।।

©Shiv Narayan Saxena

#good_night घर-घर में होने लगे.....

14 Love

#कविता  वक्त कितनी तेज भाग रहा है 
छोटा सा छोटू अब बड़ा हो गया है 
पहली दफा सात दिन का कैंप 
बमुश्किल झेल पाया था 
भोलू तो चौथा दिन भाग आया था 
आज़ सात साल फिर घर दूर दोनों गया 
लेकिन छोटू वहीँ पर है 
और भोलू फिर लौट कर आ रहा है 
समय बदल गया है लेकिन आदते 
जस की तस है 
एक कहता रहा लूंगा 
दूसरा कहता पापा मुझे नहीं रहना घर से दूर

©ranjit Kumar rathour

घर से दूर

162 View

मनहरण घनाक्षरी :- फेसबुक व्हाट्सएप , छोड़ भी दो अब आप , घर माता-पिता अब , सेवा कर लीजिए । दूर हो न रिश्ते नाते , कर लो उनसे बातें , छोड़ के मोबाइल को , समय उन्हें दीजिए । व्यर्थ गँवाया समय ,  देख बोलता तनय , सोचिए पुनः फिर से ,शांत मन कीजिए । छोड नही घर द्वार , तेरा अच्छा  परिवार, मान मेरी बात कर , नीर अब पीजिए ।। 2**************************** कर गणेश वंदना , पूर्ण हो फिर कामना , भक्त का रखते वही , सदा नित ध्यान हैं । माँ गौरा के लाल वह , भक्त पे निहाल वह , देख भक्त की श्रद्धा को , देते वरदान हैं । दूब ही अति प्यारी है , मूसक की सवारी है , भक्तों के कष्टों का वह , देते समाधान हैं । देवों में पूज्य प्रथम , जानते हैं अब हम, सारे जग में उनकी , करूणा महान है ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  मनहरण घनाक्षरी :-
फेसबुक व्हाट्सएप , छोड़ भी दो अब आप ,
घर माता-पिता अब , सेवा कर लीजिए ।
दूर हो न रिश्ते नाते , कर लो उनसे बातें ,
छोड़ के मोबाइल को , समय उन्हें दीजिए ।
व्यर्थ गँवाया समय ,  देख बोलता तनय ,
सोचिए पुनः फिर से ,शांत मन कीजिए ।
छोड नही घर द्वार , तेरा अच्छा  परिवार,
मान मेरी बात कर , नीर अब पीजिए ।।

2****************************

कर गणेश वंदना , पूर्ण हो फिर कामना ,
भक्त का रखते वही , सदा नित ध्यान हैं ।
माँ गौरा के लाल वह , भक्त पे निहाल वह ,
देख भक्त की श्रद्धा को , देते वरदान हैं ।
दूब ही अति प्यारी है , मूसक की सवारी है ,
भक्तों के कष्टों का वह , देते समाधान हैं ।
देवों में पूज्य प्रथम , जानते हैं अब हम,
सारे जग में उनकी , करूणा महान है ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मनहरण घनाक्षरी :- फेसबुक व्हाट्सएप , छोड़ भी दो अब आप , घर माता-पिता अब , सेवा कर लीजिए । दूर हो न रिश्ते नाते , कर लो उनसे बातें , छोड़ के मो

14 Love

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