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New दुष्यंत कुमार की कविता Status, Photo, Video

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©The smile

#कविता  ©The smile

कुमार विश्वास की कविता

15 Love

ravi ji he ©kanhiya Gupta

#कविता  ravi ji he

©kanhiya Gupta

कुमार विश्वास की कविता

12 Love

#कविता  White ध्रुव की आँखो से आंसू अब निकलते भी नहीं हैं
क्या करूँगा अब मैं अर्पण दरपन तुम्हारे सामने? 

हाँ मृत्यु भले विराम हैं, जीवन भले संग्राम है
मैं भटकता ही रहूँगा भले ही इस जहान में, 
हर वक़्त खुद को खो कर या हो कर विलीन मैं, 
शून्य में ,क्या मिल सकूँगा तुम्हारे सामने?

 ध्रुव की आँखो से आंसू अब निकलते भी नहीं हैं
क्या करूँगा अब मैं अर्पण दरपन तुम्हारे सामने?

©ध्रुव

# कुमार विश्वास की कविता# प्रेरणादायी कविता हिंदी

81 View

चाँदनी छत पे चल रही होगी, अब अकेली टहल रही होगी। फिर मेरा जिक्र आ गया होगा, वो बरफ़-सी पिघल रही होगी। कल का सपना बहुत सुहाना था, ये उदासी न कल रही होगी। सोचता हूँ कि बंद कमरे में, एक शमआ-सी जल रही होगी। शहर की भीड़-भाड़ से बचकर, तू गली से निकल रही होगी। आज बुनियाद थरथराती है, वो दुआ फूल-फल रही होगी। तेरे गहनों-सी खनखनाती थी, बाज़रे की फ़सल रही होगी। जिन हवाओं ने तुझको दुलराया, उनमें मेरी ग़ज़ल रही होगी। . ©Arpit Mishra

 चाँदनी छत पे चल रही होगी, 
अब अकेली टहल रही होगी।

फिर मेरा जिक्र आ गया होगा, 
वो बरफ़-सी पिघल रही होगी।

कल का सपना बहुत सुहाना था,
 ये उदासी न कल रही होगी।

सोचता हूँ कि बंद कमरे में, 
एक शमआ-सी जल रही होगी।

शहर की भीड़-भाड़ से बचकर, 
तू गली से निकल रही होगी।

आज बुनियाद थरथराती है, 
वो दुआ फूल-फल रही होगी।

तेरे गहनों-सी खनखनाती थी,
बाज़रे की फ़सल रही होगी।

जिन हवाओं ने तुझको दुलराया,
उनमें मेरी ग़ज़ल रही होगी।







.

©Arpit Mishra

दुष्यंत कुमार

12 Love

#कविता

कुमार विश्वास की कविता

108 View

#कविता

दुष्यंत कुमार असरार जौनपुरी

252 View

©The smile

#कविता  ©The smile

कुमार विश्वास की कविता

15 Love

ravi ji he ©kanhiya Gupta

#कविता  ravi ji he

©kanhiya Gupta

कुमार विश्वास की कविता

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#कविता  White ध्रुव की आँखो से आंसू अब निकलते भी नहीं हैं
क्या करूँगा अब मैं अर्पण दरपन तुम्हारे सामने? 

हाँ मृत्यु भले विराम हैं, जीवन भले संग्राम है
मैं भटकता ही रहूँगा भले ही इस जहान में, 
हर वक़्त खुद को खो कर या हो कर विलीन मैं, 
शून्य में ,क्या मिल सकूँगा तुम्हारे सामने?

 ध्रुव की आँखो से आंसू अब निकलते भी नहीं हैं
क्या करूँगा अब मैं अर्पण दरपन तुम्हारे सामने?

©ध्रुव

# कुमार विश्वास की कविता# प्रेरणादायी कविता हिंदी

81 View

चाँदनी छत पे चल रही होगी, अब अकेली टहल रही होगी। फिर मेरा जिक्र आ गया होगा, वो बरफ़-सी पिघल रही होगी। कल का सपना बहुत सुहाना था, ये उदासी न कल रही होगी। सोचता हूँ कि बंद कमरे में, एक शमआ-सी जल रही होगी। शहर की भीड़-भाड़ से बचकर, तू गली से निकल रही होगी। आज बुनियाद थरथराती है, वो दुआ फूल-फल रही होगी। तेरे गहनों-सी खनखनाती थी, बाज़रे की फ़सल रही होगी। जिन हवाओं ने तुझको दुलराया, उनमें मेरी ग़ज़ल रही होगी। . ©Arpit Mishra

 चाँदनी छत पे चल रही होगी, 
अब अकेली टहल रही होगी।

फिर मेरा जिक्र आ गया होगा, 
वो बरफ़-सी पिघल रही होगी।

कल का सपना बहुत सुहाना था,
 ये उदासी न कल रही होगी।

सोचता हूँ कि बंद कमरे में, 
एक शमआ-सी जल रही होगी।

शहर की भीड़-भाड़ से बचकर, 
तू गली से निकल रही होगी।

आज बुनियाद थरथराती है, 
वो दुआ फूल-फल रही होगी।

तेरे गहनों-सी खनखनाती थी,
बाज़रे की फ़सल रही होगी।

जिन हवाओं ने तुझको दुलराया,
उनमें मेरी ग़ज़ल रही होगी।







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©Arpit Mishra

दुष्यंत कुमार

12 Love

#कविता

कुमार विश्वास की कविता

108 View

#कविता

दुष्यंत कुमार असरार जौनपुरी

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