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#विनोदी

विनोदी भारुड उन्हाळा जोक्स मराठी नाटक विनोदी

162 View

White अच्छे थे वो, कच्चे घर भी, इमारतों में, इंतजाम बहुत है!! गाँव की गलियाँ, खाली पड़ी हैं, शहरों में, सामान बहुत है!! खुली हवा में, जो चैन मिलता, बंद कमरों में, धुआँ बहुत है!! न रिश्तों की अब, गर्मी बची है, पर तकनीकी, सम्मान बहुत है!! दादी-नानी की बातें छूटीं, मोबाईल में ही ज्ञान बहुत है!! सच्ची हंसी, कम दिखती अब, लेकिन चेहरे पर ,नकाब बहुत है!! सुख-सुविधाओं से घिरा इंसान, पर दिलों में, अरमान बहुत है!! दौड़ रही दुनिया, आगे बढ़ने को, फिर भी जीने में, थकान बहुत है!! सादगी की जो मिठास थी कभी, अब दिखावे में, ईमान बहुत है!! अकेले होते लोग भीड़ में, फिर भी दिखते, महान बहुत है!! *अशोक वर्मा "हमदर्द"*(कोलकाता) ©Ashok Verma "Hamdard"

#कविता #गांव  White अच्छे थे वो, कच्चे घर भी,
इमारतों में, इंतजाम बहुत है!!

गाँव की गलियाँ, खाली पड़ी हैं,
शहरों में, सामान बहुत है!!

खुली हवा में, जो चैन मिलता,
बंद कमरों में, धुआँ बहुत है!!

न रिश्तों की अब, गर्मी बची है,
पर तकनीकी, सम्मान बहुत है!!

दादी-नानी की बातें छूटीं,
 मोबाईल में ही ज्ञान बहुत है!!

सच्ची हंसी, कम दिखती अब,
लेकिन चेहरे पर ,नकाब बहुत है!!

सुख-सुविधाओं से घिरा इंसान,
पर दिलों में, अरमान बहुत है!!

दौड़ रही दुनिया, आगे बढ़ने को,
फिर भी जीने में, थकान बहुत है!!

सादगी की जो मिठास थी कभी,
अब दिखावे में, ईमान बहुत है!!

अकेले होते लोग भीड़ में,
फिर भी दिखते, महान बहुत है!!

*अशोक वर्मा "हमदर्द"*(कोलकाता)

©Ashok Verma "Hamdard"

#गांव और शहर

13 Love

#विचार  White पक्षियों की उड़ान स्वतंत्र हैं और इंसानों को बंदिशों के दायरे में काम करना पड़ता है क्योंकि एक दूसरे की सरहद पार करना बहुत बड़ा गुनाह है।

©Satish Kumar Meena

स्वतंत्रता और बंदिश

189 View

White कुछ वक्त और ठहर जाओ तो अच्छा होगा जैसे हर पतझड़ के बाद बाग दुबारा खिल उठता है हवा अपना मुख मोड़कर दुबारा उन्ही पेड़ों से लिपट जाती है हर रोज अंधेरे के बाद सूरज की पहली किरण रोशनी ले आती है तुम भी दुबारा उन्ही लम्हों से गुजर जाओ तो अच्छा होगा खुशियों का समुंद्र भर लाओ सुकून के कुछ पल साथ बिता जाओ कितना खोया कितना पाया खुद बता जाओ चले जाते है सब लोग जिंदगी में साथ छोड़कर तुम उम्र भर साथ निभा पाओ तो अच्छा होगा ©seema patidar

 White कुछ वक्त और ठहर जाओ तो अच्छा होगा
जैसे हर पतझड़ के बाद बाग दुबारा खिल उठता है
हवा अपना मुख मोड़कर दुबारा उन्ही पेड़ों से लिपट जाती है
हर रोज अंधेरे के बाद सूरज की पहली किरण रोशनी ले आती है
तुम भी दुबारा उन्ही लम्हों से गुजर जाओ तो अच्छा होगा
खुशियों का समुंद्र भर लाओ 
सुकून के कुछ पल साथ बिता जाओ
कितना खोया कितना पाया खुद बता जाओ
चले जाते है सब लोग जिंदगी में साथ छोड़कर
तुम उम्र भर साथ निभा पाओ तो अच्छा होगा

©seema patidar

कुछ वक्त और ......

12 Love

White निराश होना कायरता के समान है क्योंकि कायरता मानस पटल पर स्वयं को नष्ट करती है और सफलता की किरण भी स्वयं के पास ही होती है जो एक दिन मेहनत से प्रकाशित जरूर होती हैं। ©Satish Kumar Meena

#विचार  White निराश होना कायरता के समान है क्योंकि कायरता मानस पटल पर स्वयं को नष्ट करती है और सफलता की किरण भी स्वयं के पास ही होती है जो एक दिन मेहनत से प्रकाशित जरूर होती हैं।

©Satish Kumar Meena

उजाले की किरण

17 Love

#कविता

काव्य महारथी किरण अग्रवाल, प्रतापगढ़, उत्तरप्रदेश प्रेरणादायी कविता हिंदी हिंदी कविता कविता

180 View

#विनोदी

विनोदी भारुड उन्हाळा जोक्स मराठी नाटक विनोदी

162 View

White अच्छे थे वो, कच्चे घर भी, इमारतों में, इंतजाम बहुत है!! गाँव की गलियाँ, खाली पड़ी हैं, शहरों में, सामान बहुत है!! खुली हवा में, जो चैन मिलता, बंद कमरों में, धुआँ बहुत है!! न रिश्तों की अब, गर्मी बची है, पर तकनीकी, सम्मान बहुत है!! दादी-नानी की बातें छूटीं, मोबाईल में ही ज्ञान बहुत है!! सच्ची हंसी, कम दिखती अब, लेकिन चेहरे पर ,नकाब बहुत है!! सुख-सुविधाओं से घिरा इंसान, पर दिलों में, अरमान बहुत है!! दौड़ रही दुनिया, आगे बढ़ने को, फिर भी जीने में, थकान बहुत है!! सादगी की जो मिठास थी कभी, अब दिखावे में, ईमान बहुत है!! अकेले होते लोग भीड़ में, फिर भी दिखते, महान बहुत है!! *अशोक वर्मा "हमदर्द"*(कोलकाता) ©Ashok Verma "Hamdard"

#कविता #गांव  White अच्छे थे वो, कच्चे घर भी,
इमारतों में, इंतजाम बहुत है!!

गाँव की गलियाँ, खाली पड़ी हैं,
शहरों में, सामान बहुत है!!

खुली हवा में, जो चैन मिलता,
बंद कमरों में, धुआँ बहुत है!!

न रिश्तों की अब, गर्मी बची है,
पर तकनीकी, सम्मान बहुत है!!

दादी-नानी की बातें छूटीं,
 मोबाईल में ही ज्ञान बहुत है!!

सच्ची हंसी, कम दिखती अब,
लेकिन चेहरे पर ,नकाब बहुत है!!

सुख-सुविधाओं से घिरा इंसान,
पर दिलों में, अरमान बहुत है!!

दौड़ रही दुनिया, आगे बढ़ने को,
फिर भी जीने में, थकान बहुत है!!

सादगी की जो मिठास थी कभी,
अब दिखावे में, ईमान बहुत है!!

अकेले होते लोग भीड़ में,
फिर भी दिखते, महान बहुत है!!

*अशोक वर्मा "हमदर्द"*(कोलकाता)

©Ashok Verma "Hamdard"

#गांव और शहर

13 Love

#विचार  White पक्षियों की उड़ान स्वतंत्र हैं और इंसानों को बंदिशों के दायरे में काम करना पड़ता है क्योंकि एक दूसरे की सरहद पार करना बहुत बड़ा गुनाह है।

©Satish Kumar Meena

स्वतंत्रता और बंदिश

189 View

White कुछ वक्त और ठहर जाओ तो अच्छा होगा जैसे हर पतझड़ के बाद बाग दुबारा खिल उठता है हवा अपना मुख मोड़कर दुबारा उन्ही पेड़ों से लिपट जाती है हर रोज अंधेरे के बाद सूरज की पहली किरण रोशनी ले आती है तुम भी दुबारा उन्ही लम्हों से गुजर जाओ तो अच्छा होगा खुशियों का समुंद्र भर लाओ सुकून के कुछ पल साथ बिता जाओ कितना खोया कितना पाया खुद बता जाओ चले जाते है सब लोग जिंदगी में साथ छोड़कर तुम उम्र भर साथ निभा पाओ तो अच्छा होगा ©seema patidar

 White कुछ वक्त और ठहर जाओ तो अच्छा होगा
जैसे हर पतझड़ के बाद बाग दुबारा खिल उठता है
हवा अपना मुख मोड़कर दुबारा उन्ही पेड़ों से लिपट जाती है
हर रोज अंधेरे के बाद सूरज की पहली किरण रोशनी ले आती है
तुम भी दुबारा उन्ही लम्हों से गुजर जाओ तो अच्छा होगा
खुशियों का समुंद्र भर लाओ 
सुकून के कुछ पल साथ बिता जाओ
कितना खोया कितना पाया खुद बता जाओ
चले जाते है सब लोग जिंदगी में साथ छोड़कर
तुम उम्र भर साथ निभा पाओ तो अच्छा होगा

©seema patidar

कुछ वक्त और ......

12 Love

White निराश होना कायरता के समान है क्योंकि कायरता मानस पटल पर स्वयं को नष्ट करती है और सफलता की किरण भी स्वयं के पास ही होती है जो एक दिन मेहनत से प्रकाशित जरूर होती हैं। ©Satish Kumar Meena

#विचार  White निराश होना कायरता के समान है क्योंकि कायरता मानस पटल पर स्वयं को नष्ट करती है और सफलता की किरण भी स्वयं के पास ही होती है जो एक दिन मेहनत से प्रकाशित जरूर होती हैं।

©Satish Kumar Meena

उजाले की किरण

17 Love

#कविता

काव्य महारथी किरण अग्रवाल, प्रतापगढ़, उत्तरप्रदेश प्रेरणादायी कविता हिंदी हिंदी कविता कविता

180 View

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