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New साये में धूप दुष्यंत कुमार Status, Photo, Video

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White आज देखे हैं मैंने रिश्तों के बेनकाब होते मुखोटे जो कहते रहे कि हम साथ हैं पर सालों से कोई साथ ना दिया, दिया तो अकेलापन मायूसी उदासियां, वक्त अकेला गवाह रहा रिश्तों की चिंदियां उड़ा चले गए अपनापन और मां-बाप के प्यार परवरिश को लंबी गाड़ी में बैठ धुआं बना के उड़ा गए। ©shaanvi

#जिंदगी #कविता  White आज देखे हैं मैंने रिश्तों के बेनकाब होते मुखोटे 
जो कहते रहे कि हम साथ हैं 
पर सालों से कोई साथ ना दिया,
 दिया तो 
अकेलापन मायूसी उदासियां, 
वक्त अकेला गवाह रहा 
रिश्तों की चिंदियां उड़ा चले गए 
अपनापन और मां-बाप के प्यार परवरिश को 
लंबी गाड़ी में बैठ धुआं बना के 
उड़ा गए।

©shaanvi

#जिंदगी की धूप ✍️

16 Love

जो दिल में वही लिखते हैं हम। क्यों कि उसके साये से भी डरते हैं हम ©JEETENDRA Sharma

#शायरी  जो दिल में वही लिखते हैं हम। क्यों कि उसके साये से भी डरते हैं हम

©JEETENDRA Sharma

साये से

15 Love

#Videos

लखन कुमार

54 View

White सफ़र की धूप में चेहरे सुनहरे कर लिए हम ने वो अंदेशे थे रंग आँखों के गहरे कर लिए हम ने ख़ुदा की तरह शायद क़ैद हैं अपनी सदाक़त में अब अपने गिर्द अफ़्सानों के पहरे कर लिए हम ने ज़माना पेच-अंदर-पेच था हम लोग वहशी थे ख़याल आज़ार थे लहजे इकहरे कर लिए हम ने मगर उन सीपियों में पानियों का शोर कैसा था समुंदर सुनते सुनते कान बहरे कर लिए हम ने वही जीने की आज़ादी वही मरने की जल्दी है दिवाली देख ली हम ने दसहरे कर लिए हम ने ©Jashvant

 White सफ़र की धूप में चेहरे सुनहरे कर लिए हम ने
वो अंदेशे थे रंग आँखों के गहरे कर लिए हम ने

ख़ुदा की तरह शायद क़ैद हैं अपनी सदाक़त में
अब अपने गिर्द अफ़्सानों के पहरे कर लिए हम ने

ज़माना पेच-अंदर-पेच था हम लोग वहशी थे
ख़याल आज़ार थे लहजे इकहरे कर लिए हम ने

मगर उन सीपियों में पानियों का शोर कैसा था
समुंदर सुनते सुनते कान बहरे कर लिए हम ने

वही जीने की आज़ादी वही मरने की जल्दी है
दिवाली देख ली हम ने दसहरे कर लिए हम ने

©Jashvant

सफर की धूप में @Nandani patel @Andy Mann @Rakesh Srivastava @Mukesh Poonia @Sangeet...

18 Love

White जीवन पथ पर मैंने ज़ब भी धूप से बचने के. लिये छाया को चुना..... जिंदगी को आलसी होने से न बचा सका लेकिन ज़ब भी मैंने धूप को चुना जिंदगी को पसीनो की सौगात मिली और मेरे होसलो मे गज़ब का इज़ाफ़ा हुआ ©Parasram Arora

#कविता  White जीवन पथ पर मैंने ज़ब भी  धूप से बचने के.
लिये छाया को चुना..... जिंदगी को आलसी होने से न बचा सका 

लेकिन ज़ब भी मैंने धूप को चुना   जिंदगी को पसीनो की सौगात मिली  और मेरे होसलो मे गज़ब का इज़ाफ़ा हुआ

©Parasram Arora

धूप छाया

16 Love

चाँदनी छत पे चल रही होगी, अब अकेली टहल रही होगी। फिर मेरा जिक्र आ गया होगा, वो बरफ़-सी पिघल रही होगी। कल का सपना बहुत सुहाना था, ये उदासी न कल रही होगी। सोचता हूँ कि बंद कमरे में, एक शमआ-सी जल रही होगी। शहर की भीड़-भाड़ से बचकर, तू गली से निकल रही होगी। आज बुनियाद थरथराती है, वो दुआ फूल-फल रही होगी। तेरे गहनों-सी खनखनाती थी, बाज़रे की फ़सल रही होगी। जिन हवाओं ने तुझको दुलराया, उनमें मेरी ग़ज़ल रही होगी। . ©Arpit Mishra

 चाँदनी छत पे चल रही होगी, 
अब अकेली टहल रही होगी।

फिर मेरा जिक्र आ गया होगा, 
वो बरफ़-सी पिघल रही होगी।

कल का सपना बहुत सुहाना था,
 ये उदासी न कल रही होगी।

सोचता हूँ कि बंद कमरे में, 
एक शमआ-सी जल रही होगी।

शहर की भीड़-भाड़ से बचकर, 
तू गली से निकल रही होगी।

आज बुनियाद थरथराती है, 
वो दुआ फूल-फल रही होगी।

तेरे गहनों-सी खनखनाती थी,
बाज़रे की फ़सल रही होगी।

जिन हवाओं ने तुझको दुलराया,
उनमें मेरी ग़ज़ल रही होगी।







.

©Arpit Mishra

दुष्यंत कुमार

12 Love

White आज देखे हैं मैंने रिश्तों के बेनकाब होते मुखोटे जो कहते रहे कि हम साथ हैं पर सालों से कोई साथ ना दिया, दिया तो अकेलापन मायूसी उदासियां, वक्त अकेला गवाह रहा रिश्तों की चिंदियां उड़ा चले गए अपनापन और मां-बाप के प्यार परवरिश को लंबी गाड़ी में बैठ धुआं बना के उड़ा गए। ©shaanvi

#जिंदगी #कविता  White आज देखे हैं मैंने रिश्तों के बेनकाब होते मुखोटे 
जो कहते रहे कि हम साथ हैं 
पर सालों से कोई साथ ना दिया,
 दिया तो 
अकेलापन मायूसी उदासियां, 
वक्त अकेला गवाह रहा 
रिश्तों की चिंदियां उड़ा चले गए 
अपनापन और मां-बाप के प्यार परवरिश को 
लंबी गाड़ी में बैठ धुआं बना के 
उड़ा गए।

©shaanvi

#जिंदगी की धूप ✍️

16 Love

जो दिल में वही लिखते हैं हम। क्यों कि उसके साये से भी डरते हैं हम ©JEETENDRA Sharma

#शायरी  जो दिल में वही लिखते हैं हम। क्यों कि उसके साये से भी डरते हैं हम

©JEETENDRA Sharma

साये से

15 Love

#Videos

लखन कुमार

54 View

White सफ़र की धूप में चेहरे सुनहरे कर लिए हम ने वो अंदेशे थे रंग आँखों के गहरे कर लिए हम ने ख़ुदा की तरह शायद क़ैद हैं अपनी सदाक़त में अब अपने गिर्द अफ़्सानों के पहरे कर लिए हम ने ज़माना पेच-अंदर-पेच था हम लोग वहशी थे ख़याल आज़ार थे लहजे इकहरे कर लिए हम ने मगर उन सीपियों में पानियों का शोर कैसा था समुंदर सुनते सुनते कान बहरे कर लिए हम ने वही जीने की आज़ादी वही मरने की जल्दी है दिवाली देख ली हम ने दसहरे कर लिए हम ने ©Jashvant

 White सफ़र की धूप में चेहरे सुनहरे कर लिए हम ने
वो अंदेशे थे रंग आँखों के गहरे कर लिए हम ने

ख़ुदा की तरह शायद क़ैद हैं अपनी सदाक़त में
अब अपने गिर्द अफ़्सानों के पहरे कर लिए हम ने

ज़माना पेच-अंदर-पेच था हम लोग वहशी थे
ख़याल आज़ार थे लहजे इकहरे कर लिए हम ने

मगर उन सीपियों में पानियों का शोर कैसा था
समुंदर सुनते सुनते कान बहरे कर लिए हम ने

वही जीने की आज़ादी वही मरने की जल्दी है
दिवाली देख ली हम ने दसहरे कर लिए हम ने

©Jashvant

सफर की धूप में @Nandani patel @Andy Mann @Rakesh Srivastava @Mukesh Poonia @Sangeet...

18 Love

White जीवन पथ पर मैंने ज़ब भी धूप से बचने के. लिये छाया को चुना..... जिंदगी को आलसी होने से न बचा सका लेकिन ज़ब भी मैंने धूप को चुना जिंदगी को पसीनो की सौगात मिली और मेरे होसलो मे गज़ब का इज़ाफ़ा हुआ ©Parasram Arora

#कविता  White जीवन पथ पर मैंने ज़ब भी  धूप से बचने के.
लिये छाया को चुना..... जिंदगी को आलसी होने से न बचा सका 

लेकिन ज़ब भी मैंने धूप को चुना   जिंदगी को पसीनो की सौगात मिली  और मेरे होसलो मे गज़ब का इज़ाफ़ा हुआ

©Parasram Arora

धूप छाया

16 Love

चाँदनी छत पे चल रही होगी, अब अकेली टहल रही होगी। फिर मेरा जिक्र आ गया होगा, वो बरफ़-सी पिघल रही होगी। कल का सपना बहुत सुहाना था, ये उदासी न कल रही होगी। सोचता हूँ कि बंद कमरे में, एक शमआ-सी जल रही होगी। शहर की भीड़-भाड़ से बचकर, तू गली से निकल रही होगी। आज बुनियाद थरथराती है, वो दुआ फूल-फल रही होगी। तेरे गहनों-सी खनखनाती थी, बाज़रे की फ़सल रही होगी। जिन हवाओं ने तुझको दुलराया, उनमें मेरी ग़ज़ल रही होगी। . ©Arpit Mishra

 चाँदनी छत पे चल रही होगी, 
अब अकेली टहल रही होगी।

फिर मेरा जिक्र आ गया होगा, 
वो बरफ़-सी पिघल रही होगी।

कल का सपना बहुत सुहाना था,
 ये उदासी न कल रही होगी।

सोचता हूँ कि बंद कमरे में, 
एक शमआ-सी जल रही होगी।

शहर की भीड़-भाड़ से बचकर, 
तू गली से निकल रही होगी।

आज बुनियाद थरथराती है, 
वो दुआ फूल-फल रही होगी।

तेरे गहनों-सी खनखनाती थी,
बाज़रे की फ़सल रही होगी।

जिन हवाओं ने तुझको दुलराया,
उनमें मेरी ग़ज़ल रही होगी।







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©Arpit Mishra

दुष्यंत कुमार

12 Love

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