White देखो बड़ी उदासी छाई थी
जिंदगी में ढेर सारी कठिनाई थी
न मिल रहे थे मंजिल कहीं भी
न किसी ने उम्मीद ही जगाई थी ।
प्रेम के गलियों में मिलेंगे खूब आशिक यहां
नौसिखिए दो दिन के प्यार पे इतराएंगे
न समझ हैं आजकल के लोग भी, खुद
नाबालिग होकर भी हक बालिग की तरह जताएंगे ।
यूं तो मिलते हैं हजारों, भरे बाजार में
जन्म मृत्यु की कसमें खाते हैं संसार में
मगर आती बात जब भी असल प्रेम की
नहीं टिकते हैं लोग दो पल भी साथ में ।
हर वक्त अग्नि परीक्षा होती है जिंदगी की लड़ाई में
हासिल करने को मंजिल तपते हैं लोग इस संसार में
आज के युवाओं से पूछो उनके मन की व्यथा
कितने बेरोजगार भरे हैं आज कल इस बाजार में ।
दस रहे हैं कुछ लोग इस समाज को आहिस्ते आहिस्ते
लूट रहे आबरू इज्जत खुद की इस संसार में वो
न जाने भला अब ये दौर कब जायेगा, मानवता
और भाई चारे का माहौल भला कब हमें मिल पाएगा ।
©Gaurav Prateek
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