White तेरी मोहब्बत में ऐसा मक़ाम आ गया
आज मेरी ख्वाहिशों में तेरा नाम आ गया
लिखता हूँ रोज़ तुझे अपने जज़्बातों का पैगाम
तेरी यादों में ज़िन्दगी का आराम आ गया
मुझपर बेवफाई का इलज़ाम आ गया
सब कहते आज फ़िर हुस्न का गुलाम आ गया
हम रोते रहे दिन रात चाँद की तन्हाई में
हमारे एक - एक आंसू पर वफ़ा का सलाम आ गया
मैं शायर अनजान ही सही , तेरे ख्यालों में परेशान ही सही
तू ख़ुश रहे अपने ईमान से , मैं अपने हुनर का बेईमान ही सही
जब भी लिखता हूँ अपनी कहानी टूटे फूटे अल्फाज़ों से
कम से कम अपनी शयारी से तुझे हँसाने के काम आ गया
मैंने निभाई अपनी वफ़ा , तोड़ कर अपने दिल को
मैंने पाई अपनी सज़ा , छोड़ कर अपनी मंज़िल की
एक तुझे ना समझ इस " शायर " की आशिकी ऐ मेरे ख़ुदा
आज फ़िर हाथों में तेरी जुदाई का जाम आ गया
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©Sethi Ji
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