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White मज़ाक था या सच जाने क्या सोचकर आया था मेरा अज़ीज़ मुझको गिफ्ट में आईना लाया था वो आसूं सिर्फ आसूं नहीं बाग़ी भी हो सकते थे पर क्या शख्स रहा था वो जो फिर भी निभाया था जिससे ज्यादातर नाराज़ ही रहता रहा ये दिल उसको ही अपने बुरे दिनों में अपने साथ पाया था वो मेरी जान से जिक्र की है कि वो मेरी होती जो मुझे उन दिनों बर्बाद ओ बेकार बताया था ©dharmendra kumar yadav

#शायरी  White मज़ाक था या सच जाने क्या सोचकर आया था 
मेरा  अज़ीज़  मुझको गिफ्ट में आईना लाया था

वो आसूं  सिर्फ  आसूं नहीं बाग़ी  भी हो  सकते थे
पर क्या शख्स रहा था वो जो फिर भी निभाया था

जिससे  ज्यादातर  नाराज़  ही  रहता  रहा ये दिल
उसको ही  अपने  बुरे दिनों में अपने साथ पाया था

वो  मेरी  जान  से  जिक्र  की  है कि  वो मेरी होती
जो मुझे  उन  दिनों  बर्बाद ओ  बेकार  बताया था

©dharmendra kumar yadav

ग़ज़ल

17 Love

White सबसे ज्यादा सही क्या है... इंसान या.. इंसानियत मेहनत या .......नियत धर्म या धर्म ...का ज्ञान ज़मीन या .. आसमान ©neelu

#इंसानियत #ज्यादा #मेहनत #इंसान #ज्ञान #diwali_wishes  White सबसे ज्यादा सही क्या है...
इंसान या.. इंसानियत
मेहनत या .......नियत
धर्म या धर्म ...का ज्ञान
ज़मीन या  ..   आसमान

©neelu

#diwali_wishes #सबसे #ज्यादा #सही #क्या है... #इंसान या.. #इंसानियत #मेहनत या .......#नियत धर्म या धर्म ...का #ज्ञान ज़मीन या .. आसमान

23 Love

White मैं अपने बारे में लिखूं भी तो क्या लिखूं थोड़ा अच्छा या काफी बुरा लिखूं !!🕊️ मैं कहानी हूं पूरी या किस्सा अधूरा लिखूं ✨ मैं कौन हूं मैं खुद को क्या लिखूं !!🕊️ अपनी उम्र से तजुर्बों में बढ़ा लिखूं ✨ या उम्मीदों की लाशों पर चला लिखूं!!🕊️ ना समझेगा कोई भला मैं क्या लिखूं✨ लोग समझते हैं सुलझा हुआ तो खुद को क्या उलझा हुआ लिखूं !!🕊️ हम अपने बारे में और जानते ही नहीं ✨ चलो छोड़ो भी आज खुद को सरफिरा लिखूं !!✨❣️ ©बेजुबान शायर shivkumar

#कविता  White मैं अपने बारे में लिखूं भी तो क्या लिखूं 
थोड़ा अच्छा या काफी बुरा लिखूं !!🕊️

मैं कहानी हूं पूरी या किस्सा अधूरा लिखूं ✨
मैं कौन हूं मैं खुद को क्या लिखूं !!🕊️

अपनी उम्र से तजुर्बों में बढ़ा लिखूं ✨
या उम्मीदों की लाशों पर चला लिखूं!!🕊️

ना समझेगा कोई भला मैं क्या लिखूं✨
लोग समझते हैं सुलझा हुआ 
तो खुद को क्या उलझा हुआ लिखूं !!🕊️

हम अपने बारे में और जानते ही नहीं ✨
चलो छोड़ो भी आज खुद को सरफिरा लिखूं !!✨❣️

©बेजुबान शायर shivkumar

@Sethi Ji @Kshitija @poonam atrey @angel rai @puja udeshi कविता कविताएं हिंदी कविता कविता कोश मैं अपने बारे में लिखूं भी तो क्या लिखूं

14 Love

#good_night #Quotes  White 
जीना हैं अकेले फिर भी लोगों के पीछे दुख के मेले हैं 
किसी के साथ होते हुए भी ना जाने क्यों हम अब भी अकेले हैं 
जलते हैं अकेले ही यादों के दरिया में भी बुझती नहीं वो आग  
तफ़्दिशे जलन भी झेले हैं
किसी के साथ होते हुए भी ना जाने क्यों मगर और भी अकेले हैं

नसीब का लिखा वो ही जाने तक़दीर का दिया हुआ
 दर्द_ए _नसीब हम ने भी झेले है 
अब इस के बाद न जाने नसीब में क्या है
 ना आओ साथ हमारे जिंदगी में हमारे बहुत झमेले हैं

ना याद आते अब वो लम्हे ना याद आते हो तुम कभी
 इस कदर मेरे सफ़र में ओ मुसाफ़िर 
कि अब  तन्हाई इस कदर मेरी यादों में घुल गई कि 
ना अब कोई मिलता ना अब कभी बिछड़ता 
शायद अब हम अपने आप से भी नहीं मिलते कि 
अब हम अपने ध्यान से उतरे हुए से आसुओं के रेले हैं

के ना अब कभी कहना मुझसे कि साथ चलने को 
तुम्हारे हम अपना सब कुछ छोड़ चलते हैं 
अब ना  मिलेंगे हम ना वो हमारी मोहब्बत 
मिलेंगे तो सिर्फ हम और हमारी तन्हाई जिसको दिया तुमने 
और हमने वो जख्म सदियों से झेले है 

फिर ये खेल ना खेलो हमारे साथ समझ जरा ज़ख्मी हु 
और टूटे हुए इस कदर की फ़िर ना जुड़ सकू दोबारा 

जो खेल लोगों ने सदियों से खेले हैं मत आजमा ए ज़ालिम
 कि आवाज़ तक नहीं आएगी मेरे दर्द कि हम 
अब अकेले बहुत अकेले हैं

©Sonuzwrites

#good_night ग़ज़ल ✍️

126 View

मत देना एक ग़ज़ल

423 View

#विचार

जरूरी या जबरजस्ती

207 View

White मज़ाक था या सच जाने क्या सोचकर आया था मेरा अज़ीज़ मुझको गिफ्ट में आईना लाया था वो आसूं सिर्फ आसूं नहीं बाग़ी भी हो सकते थे पर क्या शख्स रहा था वो जो फिर भी निभाया था जिससे ज्यादातर नाराज़ ही रहता रहा ये दिल उसको ही अपने बुरे दिनों में अपने साथ पाया था वो मेरी जान से जिक्र की है कि वो मेरी होती जो मुझे उन दिनों बर्बाद ओ बेकार बताया था ©dharmendra kumar yadav

#शायरी  White मज़ाक था या सच जाने क्या सोचकर आया था 
मेरा  अज़ीज़  मुझको गिफ्ट में आईना लाया था

वो आसूं  सिर्फ  आसूं नहीं बाग़ी  भी हो  सकते थे
पर क्या शख्स रहा था वो जो फिर भी निभाया था

जिससे  ज्यादातर  नाराज़  ही  रहता  रहा ये दिल
उसको ही  अपने  बुरे दिनों में अपने साथ पाया था

वो  मेरी  जान  से  जिक्र  की  है कि  वो मेरी होती
जो मुझे  उन  दिनों  बर्बाद ओ  बेकार  बताया था

©dharmendra kumar yadav

ग़ज़ल

17 Love

White सबसे ज्यादा सही क्या है... इंसान या.. इंसानियत मेहनत या .......नियत धर्म या धर्म ...का ज्ञान ज़मीन या .. आसमान ©neelu

#इंसानियत #ज्यादा #मेहनत #इंसान #ज्ञान #diwali_wishes  White सबसे ज्यादा सही क्या है...
इंसान या.. इंसानियत
मेहनत या .......नियत
धर्म या धर्म ...का ज्ञान
ज़मीन या  ..   आसमान

©neelu

#diwali_wishes #सबसे #ज्यादा #सही #क्या है... #इंसान या.. #इंसानियत #मेहनत या .......#नियत धर्म या धर्म ...का #ज्ञान ज़मीन या .. आसमान

23 Love

White मैं अपने बारे में लिखूं भी तो क्या लिखूं थोड़ा अच्छा या काफी बुरा लिखूं !!🕊️ मैं कहानी हूं पूरी या किस्सा अधूरा लिखूं ✨ मैं कौन हूं मैं खुद को क्या लिखूं !!🕊️ अपनी उम्र से तजुर्बों में बढ़ा लिखूं ✨ या उम्मीदों की लाशों पर चला लिखूं!!🕊️ ना समझेगा कोई भला मैं क्या लिखूं✨ लोग समझते हैं सुलझा हुआ तो खुद को क्या उलझा हुआ लिखूं !!🕊️ हम अपने बारे में और जानते ही नहीं ✨ चलो छोड़ो भी आज खुद को सरफिरा लिखूं !!✨❣️ ©बेजुबान शायर shivkumar

#कविता  White मैं अपने बारे में लिखूं भी तो क्या लिखूं 
थोड़ा अच्छा या काफी बुरा लिखूं !!🕊️

मैं कहानी हूं पूरी या किस्सा अधूरा लिखूं ✨
मैं कौन हूं मैं खुद को क्या लिखूं !!🕊️

अपनी उम्र से तजुर्बों में बढ़ा लिखूं ✨
या उम्मीदों की लाशों पर चला लिखूं!!🕊️

ना समझेगा कोई भला मैं क्या लिखूं✨
लोग समझते हैं सुलझा हुआ 
तो खुद को क्या उलझा हुआ लिखूं !!🕊️

हम अपने बारे में और जानते ही नहीं ✨
चलो छोड़ो भी आज खुद को सरफिरा लिखूं !!✨❣️

©बेजुबान शायर shivkumar

@Sethi Ji @Kshitija @poonam atrey @angel rai @puja udeshi कविता कविताएं हिंदी कविता कविता कोश मैं अपने बारे में लिखूं भी तो क्या लिखूं

14 Love

#good_night #Quotes  White 
जीना हैं अकेले फिर भी लोगों के पीछे दुख के मेले हैं 
किसी के साथ होते हुए भी ना जाने क्यों हम अब भी अकेले हैं 
जलते हैं अकेले ही यादों के दरिया में भी बुझती नहीं वो आग  
तफ़्दिशे जलन भी झेले हैं
किसी के साथ होते हुए भी ना जाने क्यों मगर और भी अकेले हैं

नसीब का लिखा वो ही जाने तक़दीर का दिया हुआ
 दर्द_ए _नसीब हम ने भी झेले है 
अब इस के बाद न जाने नसीब में क्या है
 ना आओ साथ हमारे जिंदगी में हमारे बहुत झमेले हैं

ना याद आते अब वो लम्हे ना याद आते हो तुम कभी
 इस कदर मेरे सफ़र में ओ मुसाफ़िर 
कि अब  तन्हाई इस कदर मेरी यादों में घुल गई कि 
ना अब कोई मिलता ना अब कभी बिछड़ता 
शायद अब हम अपने आप से भी नहीं मिलते कि 
अब हम अपने ध्यान से उतरे हुए से आसुओं के रेले हैं

के ना अब कभी कहना मुझसे कि साथ चलने को 
तुम्हारे हम अपना सब कुछ छोड़ चलते हैं 
अब ना  मिलेंगे हम ना वो हमारी मोहब्बत 
मिलेंगे तो सिर्फ हम और हमारी तन्हाई जिसको दिया तुमने 
और हमने वो जख्म सदियों से झेले है 

फिर ये खेल ना खेलो हमारे साथ समझ जरा ज़ख्मी हु 
और टूटे हुए इस कदर की फ़िर ना जुड़ सकू दोबारा 

जो खेल लोगों ने सदियों से खेले हैं मत आजमा ए ज़ालिम
 कि आवाज़ तक नहीं आएगी मेरे दर्द कि हम 
अब अकेले बहुत अकेले हैं

©Sonuzwrites

#good_night ग़ज़ल ✍️

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मत देना एक ग़ज़ल

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#विचार

जरूरी या जबरजस्ती

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