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White दुश्मनों से कहना, हमसे बचकर रहें, हमारा अंदाज़ ही ऐसा है कि आग भी पानी मांगती है हमारे सामने। ©Attitude Life

#शायरी #Attitudeshayari #selfrespect #Motivation #Zindagi  White दुश्मनों से कहना, हमसे बचकर रहें,
हमारा अंदाज़ ही ऐसा है कि
आग भी पानी मांगती है हमारे सामने।

©Attitude Life

दुश्मनों से कहना, हमसे बचकर रहें, हमारा अंदाज़ ही ऐसा है कि आग भी पानी मांगती है हमारे सामने। #Attitudeshayari #Zindagi #selfrespect #Motiva

9 Love

White अपना कहकर आप,फिर ग़ैर समझते हो गैराना ताल्लुकात में, फिर क्यु उलझते हौ बेहाल आखे , हिसाब मांगती है अश्कों का, गोरे गाल पर रोज़ फिर क्यु फिसलते हो खुले आसमान में,चांद से मिलाकर आंखें, हुस्नकी नज़ाकत,से,फिर क्यूं बिखरते हो बैताब इस दिलमे, बहुत तमन्नाएं बसी है, उम्मीदों का बाजार खुला फिर क्यूं रखते हो खाक और मीट्टीमे, कुछ भी फर्क कहां है? फिक्र ज़िंदगीमे बेफिजूल ,फिर क्यूं करते हैं आसान कहां है ? फरमाएं इश्क़ मिज़ाज, हाल ए दिल हक़ीक़त में फिर क्यूं मचलते हो ©Mohanbhai आनंद

#good_night #Quotes  White अपना कहकर आप,फिर ग़ैर समझते हो
गैराना ताल्लुकात में, फिर क्यु उलझते हौ

बेहाल आखे , हिसाब मांगती है अश्कों का,
गोरे गाल पर रोज़ फिर क्यु फिसलते हो 

खुले आसमान में,चांद से मिलाकर आंखें,
हुस्नकी नज़ाकत,से,फिर क्यूं बिखरते हो

बैताब  इस दिलमे, बहुत तमन्नाएं बसी है,
उम्मीदों का बाजार खुला फिर क्यूं रखते हो

खाक और मीट्टीमे, कुछ भी फर्क कहां है?
फिक्र ज़िंदगीमे बेफिजूल ,फिर क्यूं करते हैं 

आसान कहां है ? फरमाएं इश्क़ मिज़ाज,
हाल ए दिल हक़ीक़त में फिर क्यूं मचलते हो

©Mohanbhai आनंद

#good_night अपना कहकर आप,फिर ग़ैर समझते हो गैराना ताल्लुकात में, फिर क्यु उलझते हौ बेहाल आखे , हिसाब मांगती है अश्कों का, गोरे गाल पर रोज़

11 Love

#वीडियो

"सावित्री और सत्यवान की कथा:" - सावित्री और सत्यवान की कथा" में प्रेम की शक्ति का अद्भुत अनुभव करें। साहसी सावित्री के साथ चलें, जो अपने प्र

90 View

White अपना कहकरआप,फिर ग़ैर समझते हो गैराना ताल्लुकात हे, फिर क्यु उलझते हौ बेहाल आखे हिसाब मांगती है अश्कों का गोरे गाल पर रोज़ फिर क्यु बरसते हो खुले आसमान में,चांद से मिलाकर आंखें, हुस्नकी नज़ाकत,फिर क्यूं चुराया करते हो बैताब इस दिलमे बहुत तमन्नाएं बसी है, उम्मीदों का बाजार खुला फिर क्यूं रखते हो खाक और मीट्टीमे, कुछ भी फर्क कहां है? फिक्र ज़िंदगीमे बेफिजूल ,फिर क्यूं करते हैं आसान कहां है ?फरमाएं इश्क़ मिज़ाज, हकीकी मैं हाल ए दिल फिर क्यूं मचलते हो ©Mohanbhai आनंद

#GoodMorning #Quotes  White अपना  कहकरआप,फिर ग़ैर समझते हो
गैराना ताल्लुकात हे, फिर क्यु उलझते हौ

बेहाल आखे हिसाब मांगती है अश्कों का
गोरे गाल पर रोज़ फिर क्यु बरसते हो 

खुले आसमान में,चांद से मिलाकर आंखें,
हुस्नकी नज़ाकत,फिर क्यूं चुराया करते हो

बैताब  इस दिलमे बहुत तमन्नाएं बसी है,
उम्मीदों का बाजार खुला फिर क्यूं रखते हो

खाक और मीट्टीमे, कुछ भी फर्क कहां है?
फिक्र ज़िंदगीमे बेफिजूल ,फिर क्यूं करते हैं 

आसान कहां है ?फरमाएं इश्क़ मिज़ाज,
हकीकी मैं हाल ए दिल फिर क्यूं मचलते हो

©Mohanbhai आनंद

#GoodMorning अपना कहकरआप,फिर ग़ैर समझते हो गैराना ताल्लुकातमे फिर क्यु उलझते हौ बेहाल आखे हिसाब मांगती है अश्कों का गोरे गाल पर रोज़ फि

13 Love

#rohanroymotivation #dailymotivation #RohanRoy  White जिस्म-जिस्म कतरा-कतरा का, 
आवाज हमें ना सुनाई देगा।
तब कैसे एक बेटी का, 
तड़पना अब हमें दिखाई देगा।
जब रो कर गिरकर जमीन से लिपटी, 
तब नर में छिपा जानवर मिला। 
हिफाजत मांगती आवाज लगाई, 
फिर लाखों भीड़ में एक ना दिखा।
क्यों बढ़ रहे हैं दरिंदगी के हौसले, 
या बढ़ रहे सितम समाज में।
फिर लिखते क्यों है ऐसी कहानी, 
जो पढ़ ना सके कल और आज में। 
लाख बुराइयों को मिटाए, 
फिर भी ना मिटे बुराई समाज में।
जब तक बुराई विचारों से नहीं मिटती, 
यह बीमारी मिलेगी कल और आज में। 
जब मिला सहारा इस जीवन का, 
इस ऋण को चुकाना भी होगा। 
जैसा खेल रचा है तुमने, 
इसका परिणाम अवश्य मिलेगा।
Author_ _Rohan Roy

©Rohan Roy

जिस्म-जिस्म कतरा-कतरा का, आवाज हमें ना सुनाई देगा। तब कैसे एक बेटी का, तड़पना अब हमें दिखाई देगा। जब रो कर गिरकर जमीन से लिपटी, तब नर में

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White दुश्मनों से कहना, हमसे बचकर रहें, हमारा अंदाज़ ही ऐसा है कि आग भी पानी मांगती है हमारे सामने। ©Attitude Life

#शायरी #Attitudeshayari #selfrespect #Motivation #Zindagi  White दुश्मनों से कहना, हमसे बचकर रहें,
हमारा अंदाज़ ही ऐसा है कि
आग भी पानी मांगती है हमारे सामने।

©Attitude Life

दुश्मनों से कहना, हमसे बचकर रहें, हमारा अंदाज़ ही ऐसा है कि आग भी पानी मांगती है हमारे सामने। #Attitudeshayari #Zindagi #selfrespect #Motiva

9 Love

White अपना कहकर आप,फिर ग़ैर समझते हो गैराना ताल्लुकात में, फिर क्यु उलझते हौ बेहाल आखे , हिसाब मांगती है अश्कों का, गोरे गाल पर रोज़ फिर क्यु फिसलते हो खुले आसमान में,चांद से मिलाकर आंखें, हुस्नकी नज़ाकत,से,फिर क्यूं बिखरते हो बैताब इस दिलमे, बहुत तमन्नाएं बसी है, उम्मीदों का बाजार खुला फिर क्यूं रखते हो खाक और मीट्टीमे, कुछ भी फर्क कहां है? फिक्र ज़िंदगीमे बेफिजूल ,फिर क्यूं करते हैं आसान कहां है ? फरमाएं इश्क़ मिज़ाज, हाल ए दिल हक़ीक़त में फिर क्यूं मचलते हो ©Mohanbhai आनंद

#good_night #Quotes  White अपना कहकर आप,फिर ग़ैर समझते हो
गैराना ताल्लुकात में, फिर क्यु उलझते हौ

बेहाल आखे , हिसाब मांगती है अश्कों का,
गोरे गाल पर रोज़ फिर क्यु फिसलते हो 

खुले आसमान में,चांद से मिलाकर आंखें,
हुस्नकी नज़ाकत,से,फिर क्यूं बिखरते हो

बैताब  इस दिलमे, बहुत तमन्नाएं बसी है,
उम्मीदों का बाजार खुला फिर क्यूं रखते हो

खाक और मीट्टीमे, कुछ भी फर्क कहां है?
फिक्र ज़िंदगीमे बेफिजूल ,फिर क्यूं करते हैं 

आसान कहां है ? फरमाएं इश्क़ मिज़ाज,
हाल ए दिल हक़ीक़त में फिर क्यूं मचलते हो

©Mohanbhai आनंद

#good_night अपना कहकर आप,फिर ग़ैर समझते हो गैराना ताल्लुकात में, फिर क्यु उलझते हौ बेहाल आखे , हिसाब मांगती है अश्कों का, गोरे गाल पर रोज़

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#वीडियो

"सावित्री और सत्यवान की कथा:" - सावित्री और सत्यवान की कथा" में प्रेम की शक्ति का अद्भुत अनुभव करें। साहसी सावित्री के साथ चलें, जो अपने प्र

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White अपना कहकरआप,फिर ग़ैर समझते हो गैराना ताल्लुकात हे, फिर क्यु उलझते हौ बेहाल आखे हिसाब मांगती है अश्कों का गोरे गाल पर रोज़ फिर क्यु बरसते हो खुले आसमान में,चांद से मिलाकर आंखें, हुस्नकी नज़ाकत,फिर क्यूं चुराया करते हो बैताब इस दिलमे बहुत तमन्नाएं बसी है, उम्मीदों का बाजार खुला फिर क्यूं रखते हो खाक और मीट्टीमे, कुछ भी फर्क कहां है? फिक्र ज़िंदगीमे बेफिजूल ,फिर क्यूं करते हैं आसान कहां है ?फरमाएं इश्क़ मिज़ाज, हकीकी मैं हाल ए दिल फिर क्यूं मचलते हो ©Mohanbhai आनंद

#GoodMorning #Quotes  White अपना  कहकरआप,फिर ग़ैर समझते हो
गैराना ताल्लुकात हे, फिर क्यु उलझते हौ

बेहाल आखे हिसाब मांगती है अश्कों का
गोरे गाल पर रोज़ फिर क्यु बरसते हो 

खुले आसमान में,चांद से मिलाकर आंखें,
हुस्नकी नज़ाकत,फिर क्यूं चुराया करते हो

बैताब  इस दिलमे बहुत तमन्नाएं बसी है,
उम्मीदों का बाजार खुला फिर क्यूं रखते हो

खाक और मीट्टीमे, कुछ भी फर्क कहां है?
फिक्र ज़िंदगीमे बेफिजूल ,फिर क्यूं करते हैं 

आसान कहां है ?फरमाएं इश्क़ मिज़ाज,
हकीकी मैं हाल ए दिल फिर क्यूं मचलते हो

©Mohanbhai आनंद

#GoodMorning अपना कहकरआप,फिर ग़ैर समझते हो गैराना ताल्लुकातमे फिर क्यु उलझते हौ बेहाल आखे हिसाब मांगती है अश्कों का गोरे गाल पर रोज़ फि

13 Love

#rohanroymotivation #dailymotivation #RohanRoy  White जिस्म-जिस्म कतरा-कतरा का, 
आवाज हमें ना सुनाई देगा।
तब कैसे एक बेटी का, 
तड़पना अब हमें दिखाई देगा।
जब रो कर गिरकर जमीन से लिपटी, 
तब नर में छिपा जानवर मिला। 
हिफाजत मांगती आवाज लगाई, 
फिर लाखों भीड़ में एक ना दिखा।
क्यों बढ़ रहे हैं दरिंदगी के हौसले, 
या बढ़ रहे सितम समाज में।
फिर लिखते क्यों है ऐसी कहानी, 
जो पढ़ ना सके कल और आज में। 
लाख बुराइयों को मिटाए, 
फिर भी ना मिटे बुराई समाज में।
जब तक बुराई विचारों से नहीं मिटती, 
यह बीमारी मिलेगी कल और आज में। 
जब मिला सहारा इस जीवन का, 
इस ऋण को चुकाना भी होगा। 
जैसा खेल रचा है तुमने, 
इसका परिणाम अवश्य मिलेगा।
Author_ _Rohan Roy

©Rohan Roy

जिस्म-जिस्म कतरा-कतरा का, आवाज हमें ना सुनाई देगा। तब कैसे एक बेटी का, तड़पना अब हमें दिखाई देगा। जब रो कर गिरकर जमीन से लिपटी, तब नर में

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