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White अरे तुम सुसुप्त से प्रदर्शित होते हो ,लेखनी मुरझाई सी लगती है क्या लिखे इसी सोच में ,बड़ी अलसाई सी लगती है विरह बचा है या श्रृंगार का संयोग वियोग अलंकृत होते होते संधियां हो जाती अनकही बातों और मासूम मुस्कुराहट इतर के चक्कर में तितर बितर हो जाती निहारती कभी नहर या जलकुंभी ये जीवन की परछाई सी लगती है मैं में अहम हैया बिखर रहा भरी ओज है पर तडप रहा कपाट के पीछे से आवाज आती दंभी समाज के दर्पणों के चक्कर में पडें सारे मायने अब खोते खोते जीवन की सच्चाई भरी दुपहरी सी देखा है छोटे से बडे होते होते आशा है या उन्माद बचा है खोई अस्मिता या कायम है तुच्छ या वृहद प्रमाण बचा है बड़ी होती बातें जहां जहां मुरझाये से प्रसून उपवन के मन झूम उठे निर्झल भाव से ऐसी अब सेवा भाव कहां ©Shilpa Yadav

#shilpayadavpoetry #कविता #nojotohindi #hindi_diwas #अरे  White अरे तुम सुसुप्त से प्रदर्शित होते हो
,लेखनी मुरझाई सी लगती है
क्या लिखे इसी सोच में
,बड़ी अलसाई सी लगती है
विरह बचा है या श्रृंगार का संयोग वियोग
अलंकृत होते होते संधियां हो जाती
अनकही बातों और मासूम मुस्कुराहट 
इतर के चक्कर में तितर बितर हो जाती
निहारती कभी नहर या जलकुंभी
ये जीवन की परछाई सी लगती है
मैं में अहम हैया बिखर रहा
भरी ओज है पर तडप रहा
कपाट के पीछे से आवाज आती
दंभी समाज के दर्पणों के चक्कर में पडें
सारे मायने अब खोते खोते
जीवन की सच्चाई भरी दुपहरी सी
देखा है छोटे से बडे होते होते
आशा है या उन्माद बचा है
खोई अस्मिता या कायम है
तुच्छ या वृहद प्रमाण बचा है
बड़ी होती बातें जहां जहां
मुरझाये से प्रसून उपवन के
मन झूम उठे निर्झल भाव से
ऐसी अब सेवा भाव कहां

©Shilpa Yadav
#कविता #nojotohindi #sad_quotes  White पल्लव की डायरी
सत्य की कीमत सब करे
जीवन बगिया खिल जायेगी
आवरण असत्य का जो धारे है
भय डर को ओडे रहते है
प्रपंचो को रचकर,सुध अपनी खोते है
झूठ के बादल जब छटेगे
परास्त खुद को पायेगे
उद्घाटित सत्य होगा
चमक जीवन की बढ़ाते है
                                       प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#sad_quotes प्रपंचो को रचकर,सुध अपनी खोते है #nojotohindi

81 View

 शोभा (दोहे)

शोभा देती है नहीं, अब तुमको ये बात।
दुर्जन वाले काम कर, देते हो आघात।।

कटु वचन नहीं बोलिये, हिय में होती पीर।
बाणों जैसे ही चुभें, खोते भी फिर धीर।।

क्या शोभा देती तुम्हें, जो देते हो तंज।
भान नहीं इसका तुम्हें, होता कितना रंज।।

मधुर वचन जो बोलते, ये शोभा है मान।
ऐसे ही जो तुम रहो, खुश होते भगवान।।

गलती पर जो डांँटते, ये उनका है फर्ज।
शोभा अपनी है यही, माने उनका कर्ज।।

शोभा ये जिससे बढ़े, उसे कहें संस्कार।
निश्छल निर्मल मन रहे, सुंदर हो व्यवहार।।
...........................................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#शोभा #दोहे #nojotohindi #N_writes शोभा (दोहे) शोभा देती है नहीं, अब तुमको ये बात। दुर्जन वाले काम कर, देते हो आघात।। कटु वचन नहीं बोलिय

252 View

#nojotohindipoetry #दोहे #sandiprohila #nojotohindi #नशा  नशा (दोहे)

नशा करे कोई कभी, उसको घेरे रोग।
मन से भी विचलित नहीं, हैं कैसे ये लोग।।

तम्बाकू को ले रहे, समझे अपनी शान।
सभी जगह पर थूकते, खोते अपना मान।।

मदिरा भी शामिल वहीं, होश गँवाते लोग।
अपशब्दों से तौलते, दिखता उसमें रोग।।

डगमग-डगमग पैर हों, मन में भरे विकार।
रिश्तों की चिंता नहीं, डालें खूब दरार।।

कहती है सद्भावना, नशा करे बरबाद।
छोड़ सको तो छोड़ दो, हो जाओ आबाद।।

क्यों करना अब है नशा, कर दो इसका त्याग।
मुक्ति केंद्र भी हैं खुले, ले लो इसमें भाग।।

जीवन यह अनमोल है, मत करना उपहास।
सुखमय भी यह तब रहे, हो उसमें उल्लास।।
.............................................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#नशा #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry नशा (दोहे) नशा करे कोई कभी, उसको घेरे रोग। मन से भी विचलित नहीं, हैं कैसे ये लोग।। तम्बाकू को

270 View

White अरे तुम सुसुप्त से प्रदर्शित होते हो ,लेखनी मुरझाई सी लगती है क्या लिखे इसी सोच में ,बड़ी अलसाई सी लगती है विरह बचा है या श्रृंगार का संयोग वियोग अलंकृत होते होते संधियां हो जाती अनकही बातों और मासूम मुस्कुराहट इतर के चक्कर में तितर बितर हो जाती निहारती कभी नहर या जलकुंभी ये जीवन की परछाई सी लगती है मैं में अहम हैया बिखर रहा भरी ओज है पर तडप रहा कपाट के पीछे से आवाज आती दंभी समाज के दर्पणों के चक्कर में पडें सारे मायने अब खोते खोते जीवन की सच्चाई भरी दुपहरी सी देखा है छोटे से बडे होते होते आशा है या उन्माद बचा है खोई अस्मिता या कायम है तुच्छ या वृहद प्रमाण बचा है बड़ी होती बातें जहां जहां मुरझाये से प्रसून उपवन के मन झूम उठे निर्झल भाव से ऐसी अब सेवा भाव कहां ©Shilpa Yadav

#shilpayadavpoetry #कविता #nojotohindi #hindi_diwas #अरे  White अरे तुम सुसुप्त से प्रदर्शित होते हो
,लेखनी मुरझाई सी लगती है
क्या लिखे इसी सोच में
,बड़ी अलसाई सी लगती है
विरह बचा है या श्रृंगार का संयोग वियोग
अलंकृत होते होते संधियां हो जाती
अनकही बातों और मासूम मुस्कुराहट 
इतर के चक्कर में तितर बितर हो जाती
निहारती कभी नहर या जलकुंभी
ये जीवन की परछाई सी लगती है
मैं में अहम हैया बिखर रहा
भरी ओज है पर तडप रहा
कपाट के पीछे से आवाज आती
दंभी समाज के दर्पणों के चक्कर में पडें
सारे मायने अब खोते खोते
जीवन की सच्चाई भरी दुपहरी सी
देखा है छोटे से बडे होते होते
आशा है या उन्माद बचा है
खोई अस्मिता या कायम है
तुच्छ या वृहद प्रमाण बचा है
बड़ी होती बातें जहां जहां
मुरझाये से प्रसून उपवन के
मन झूम उठे निर्झल भाव से
ऐसी अब सेवा भाव कहां

©Shilpa Yadav
#कविता #nojotohindi #sad_quotes  White पल्लव की डायरी
सत्य की कीमत सब करे
जीवन बगिया खिल जायेगी
आवरण असत्य का जो धारे है
भय डर को ओडे रहते है
प्रपंचो को रचकर,सुध अपनी खोते है
झूठ के बादल जब छटेगे
परास्त खुद को पायेगे
उद्घाटित सत्य होगा
चमक जीवन की बढ़ाते है
                                       प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#sad_quotes प्रपंचो को रचकर,सुध अपनी खोते है #nojotohindi

81 View

 शोभा (दोहे)

शोभा देती है नहीं, अब तुमको ये बात।
दुर्जन वाले काम कर, देते हो आघात।।

कटु वचन नहीं बोलिये, हिय में होती पीर।
बाणों जैसे ही चुभें, खोते भी फिर धीर।।

क्या शोभा देती तुम्हें, जो देते हो तंज।
भान नहीं इसका तुम्हें, होता कितना रंज।।

मधुर वचन जो बोलते, ये शोभा है मान।
ऐसे ही जो तुम रहो, खुश होते भगवान।।

गलती पर जो डांँटते, ये उनका है फर्ज।
शोभा अपनी है यही, माने उनका कर्ज।।

शोभा ये जिससे बढ़े, उसे कहें संस्कार।
निश्छल निर्मल मन रहे, सुंदर हो व्यवहार।।
...........................................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#शोभा #दोहे #nojotohindi #N_writes शोभा (दोहे) शोभा देती है नहीं, अब तुमको ये बात। दुर्जन वाले काम कर, देते हो आघात।। कटु वचन नहीं बोलिय

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#nojotohindipoetry #दोहे #sandiprohila #nojotohindi #नशा  नशा (दोहे)

नशा करे कोई कभी, उसको घेरे रोग।
मन से भी विचलित नहीं, हैं कैसे ये लोग।।

तम्बाकू को ले रहे, समझे अपनी शान।
सभी जगह पर थूकते, खोते अपना मान।।

मदिरा भी शामिल वहीं, होश गँवाते लोग।
अपशब्दों से तौलते, दिखता उसमें रोग।।

डगमग-डगमग पैर हों, मन में भरे विकार।
रिश्तों की चिंता नहीं, डालें खूब दरार।।

कहती है सद्भावना, नशा करे बरबाद।
छोड़ सको तो छोड़ दो, हो जाओ आबाद।।

क्यों करना अब है नशा, कर दो इसका त्याग।
मुक्ति केंद्र भी हैं खुले, ले लो इसमें भाग।।

जीवन यह अनमोल है, मत करना उपहास।
सुखमय भी यह तब रहे, हो उसमें उल्लास।।
.............................................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#नशा #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry नशा (दोहे) नशा करे कोई कभी, उसको घेरे रोग। मन से भी विचलित नहीं, हैं कैसे ये लोग।। तम्बाकू को

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