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#कविता #आ_गयी

#आ_गयी-दीवाली

117 View

रोशनी पूंजी नहीं है, जो तिजोरी में समाये, वह खिलौना भी न, जिसका दाम हर गाहक लगाये, वह पसीने की हंसी है, वह शहीदों की उमर है, जो नया सूरज उगाये जब तड़पकर तिलमिलाये, उग रही लौ को न टोको, ज्योति के रथ को न रोको, यह सुबह का दूत हर तम को निगलकर ही रहेगा। जल गया है दीप तो अंधियार ढल कर ही रहेगा। ©Mohan Sardarshahari

#कविता  रोशनी पूंजी नहीं है, जो तिजोरी में समाये,
वह खिलौना भी न, जिसका दाम हर गाहक लगाये,
वह पसीने की हंसी है, वह शहीदों की उमर है,
जो नया सूरज उगाये जब तड़पकर तिलमिलाये,
उग रही लौ को न टोको,
ज्योति के रथ को न रोको,
यह सुबह का दूत हर तम को निगलकर ही रहेगा।
जल गया है दीप तो अंधियार ढल कर ही रहेगा।

©Mohan Sardarshahari

शुभ दीवाली

12 Love

White सहेली....... में और हमसफर के साथ nojoto परिवार को दिवाली की शुभकामनाएं लिखते हैं ।। लाला..... ©Mahesh Patel

 White सहेली.......
में और हमसफर के साथ nojoto परिवार को दिवाली की शुभकामनाएं लिखते हैं ।।
लाला.....

©Mahesh Patel

सहेली... दीवाली... लाला....

16 Love

White जैसे जैसे दीवाली करीब आ रही थी,वैसे वैसे समय पंख लिए पीछे की ओर भाग रहा था।अतीत का गुज़रा हुआ पल चलचित्र की भांति आँखों के आगे घूम रहा था।मैं हर वर्ष अपने पूरे परिवार के साथ खरीदारी करने जाती थी।बाज़ार की भीड़ भाड़ और रौनकों के बीच में भी मेरी नज़रे उन लोगों को ढूढ़ लेती थी,जो हालात के मारे छोटे छोटे बच्चे दिए में रुई लगाने वाली बत्तियां बेचते थे।या दीए बेचते उन महिला पुरुषों पर होती थी जो सड़क में एक तरफ बच्चे को लिटाये सामान बेच रहे होते थे।मुझे नहीं पता पर मैं सब कुछ छोड़कर उन्ही के पास जाती और उनसे ही सामान लेती।सोचती थी कि ये लोग वक़्त के मारे वक़्त काट रहे हैं या वक़्त उन्हें काट रहा है।उनसे सामान लेने के बाद उनकी चेहरे की खुशी मुझे आत्मिक सुख देती थी।अब वक्त तेजी से भाग रहा है।मेरा शहर,दोस्त वो माहौल सब कुछ छूट गया।लेकिन याद आता है वो गुज़रा वक़्त जो वर्तमान में अतीत बन के रह रहा है स्मृतियों में ........... ©Richa Dhar

#विचार #GoodMorning  White जैसे जैसे दीवाली करीब आ रही थी,वैसे वैसे समय पंख लिए पीछे की ओर भाग रहा था।अतीत का गुज़रा हुआ पल चलचित्र की भांति आँखों के आगे घूम रहा था।मैं हर वर्ष अपने पूरे परिवार के साथ खरीदारी करने जाती थी।बाज़ार की भीड़ भाड़ और रौनकों के बीच में भी मेरी नज़रे उन लोगों को ढूढ़ लेती थी,जो हालात के मारे छोटे छोटे बच्चे दिए में रुई लगाने वाली बत्तियां बेचते थे।या दीए बेचते उन महिला पुरुषों पर होती थी जो सड़क में एक तरफ बच्चे को लिटाये सामान बेच रहे होते थे।मुझे नहीं पता पर मैं सब कुछ छोड़कर उन्ही के पास जाती और उनसे ही सामान लेती।सोचती थी कि ये लोग वक़्त के मारे वक़्त काट रहे हैं या वक़्त उन्हें काट रहा है।उनसे सामान लेने के बाद उनकी चेहरे की खुशी मुझे आत्मिक सुख देती थी।अब वक्त तेजी से भाग रहा है।मेरा शहर,दोस्त वो माहौल सब कुछ छूट गया।लेकिन याद आता है वो गुज़रा वक़्त जो वर्तमान में अतीत बन के रह रहा है स्मृतियों में ...........

©Richa Dhar

#GoodMorning दीवाली

0 Love

#कविता

दीवाली

135 View

कुछ बातें धर्म से परे हो गई, तुझे देखा तो लगा मेरी ईद हो गई । किया नहीं था इज़हार, तुमसे अपनी मोहब्बत का कभी, मगर जब बाहों में भरा, उनकी तो जैसे दिवाली हो गई । खुदा ने तो शायद बताया था धर्म परे है मोहब्बत में, फिर भी दुनिया की नज़रों में मैं हिंदू, वो मुसलमान हो गई । ©Jayesh gulati

#शायरी  कुछ बातें धर्म से परे हो गई,
तुझे देखा तो लगा मेरी ईद हो गई ।
किया नहीं था इज़हार, तुमसे अपनी मोहब्बत का कभी,
मगर जब बाहों में भरा, उनकी तो जैसे दिवाली हो गई ।
खुदा ने तो शायद बताया था धर्म परे है मोहब्बत में, 
फिर भी दुनिया की नज़रों में मैं हिंदू, वो मुसलमान हो गई ।

©Jayesh gulati

दीवाली हो गई ।।

9 Love

#कविता #आ_गयी

#आ_गयी-दीवाली

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रोशनी पूंजी नहीं है, जो तिजोरी में समाये, वह खिलौना भी न, जिसका दाम हर गाहक लगाये, वह पसीने की हंसी है, वह शहीदों की उमर है, जो नया सूरज उगाये जब तड़पकर तिलमिलाये, उग रही लौ को न टोको, ज्योति के रथ को न रोको, यह सुबह का दूत हर तम को निगलकर ही रहेगा। जल गया है दीप तो अंधियार ढल कर ही रहेगा। ©Mohan Sardarshahari

#कविता  रोशनी पूंजी नहीं है, जो तिजोरी में समाये,
वह खिलौना भी न, जिसका दाम हर गाहक लगाये,
वह पसीने की हंसी है, वह शहीदों की उमर है,
जो नया सूरज उगाये जब तड़पकर तिलमिलाये,
उग रही लौ को न टोको,
ज्योति के रथ को न रोको,
यह सुबह का दूत हर तम को निगलकर ही रहेगा।
जल गया है दीप तो अंधियार ढल कर ही रहेगा।

©Mohan Sardarshahari

शुभ दीवाली

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White सहेली....... में और हमसफर के साथ nojoto परिवार को दिवाली की शुभकामनाएं लिखते हैं ।। लाला..... ©Mahesh Patel

 White सहेली.......
में और हमसफर के साथ nojoto परिवार को दिवाली की शुभकामनाएं लिखते हैं ।।
लाला.....

©Mahesh Patel

सहेली... दीवाली... लाला....

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White जैसे जैसे दीवाली करीब आ रही थी,वैसे वैसे समय पंख लिए पीछे की ओर भाग रहा था।अतीत का गुज़रा हुआ पल चलचित्र की भांति आँखों के आगे घूम रहा था।मैं हर वर्ष अपने पूरे परिवार के साथ खरीदारी करने जाती थी।बाज़ार की भीड़ भाड़ और रौनकों के बीच में भी मेरी नज़रे उन लोगों को ढूढ़ लेती थी,जो हालात के मारे छोटे छोटे बच्चे दिए में रुई लगाने वाली बत्तियां बेचते थे।या दीए बेचते उन महिला पुरुषों पर होती थी जो सड़क में एक तरफ बच्चे को लिटाये सामान बेच रहे होते थे।मुझे नहीं पता पर मैं सब कुछ छोड़कर उन्ही के पास जाती और उनसे ही सामान लेती।सोचती थी कि ये लोग वक़्त के मारे वक़्त काट रहे हैं या वक़्त उन्हें काट रहा है।उनसे सामान लेने के बाद उनकी चेहरे की खुशी मुझे आत्मिक सुख देती थी।अब वक्त तेजी से भाग रहा है।मेरा शहर,दोस्त वो माहौल सब कुछ छूट गया।लेकिन याद आता है वो गुज़रा वक़्त जो वर्तमान में अतीत बन के रह रहा है स्मृतियों में ........... ©Richa Dhar

#विचार #GoodMorning  White जैसे जैसे दीवाली करीब आ रही थी,वैसे वैसे समय पंख लिए पीछे की ओर भाग रहा था।अतीत का गुज़रा हुआ पल चलचित्र की भांति आँखों के आगे घूम रहा था।मैं हर वर्ष अपने पूरे परिवार के साथ खरीदारी करने जाती थी।बाज़ार की भीड़ भाड़ और रौनकों के बीच में भी मेरी नज़रे उन लोगों को ढूढ़ लेती थी,जो हालात के मारे छोटे छोटे बच्चे दिए में रुई लगाने वाली बत्तियां बेचते थे।या दीए बेचते उन महिला पुरुषों पर होती थी जो सड़क में एक तरफ बच्चे को लिटाये सामान बेच रहे होते थे।मुझे नहीं पता पर मैं सब कुछ छोड़कर उन्ही के पास जाती और उनसे ही सामान लेती।सोचती थी कि ये लोग वक़्त के मारे वक़्त काट रहे हैं या वक़्त उन्हें काट रहा है।उनसे सामान लेने के बाद उनकी चेहरे की खुशी मुझे आत्मिक सुख देती थी।अब वक्त तेजी से भाग रहा है।मेरा शहर,दोस्त वो माहौल सब कुछ छूट गया।लेकिन याद आता है वो गुज़रा वक़्त जो वर्तमान में अतीत बन के रह रहा है स्मृतियों में ...........

©Richa Dhar

#GoodMorning दीवाली

0 Love

#कविता

दीवाली

135 View

कुछ बातें धर्म से परे हो गई, तुझे देखा तो लगा मेरी ईद हो गई । किया नहीं था इज़हार, तुमसे अपनी मोहब्बत का कभी, मगर जब बाहों में भरा, उनकी तो जैसे दिवाली हो गई । खुदा ने तो शायद बताया था धर्म परे है मोहब्बत में, फिर भी दुनिया की नज़रों में मैं हिंदू, वो मुसलमान हो गई । ©Jayesh gulati

#शायरी  कुछ बातें धर्म से परे हो गई,
तुझे देखा तो लगा मेरी ईद हो गई ।
किया नहीं था इज़हार, तुमसे अपनी मोहब्बत का कभी,
मगर जब बाहों में भरा, उनकी तो जैसे दिवाली हो गई ।
खुदा ने तो शायद बताया था धर्म परे है मोहब्बत में, 
फिर भी दुनिया की नज़रों में मैं हिंदू, वो मुसलमान हो गई ।

©Jayesh gulati

दीवाली हो गई ।।

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