White कभी कभी तस्वीरों में छिपी
एक झलक होती है बेहिसाब,
दिल को जकड़ लेती है यूं
जैसे छू लिया हो कोई ख्वाब।
नज़रें ठहर जाती हैं जहां,
वहां नियत का क्या है काम,
तस्वीरों में मासूम चेहरे
बना जाते हैं कई अरमान।
कभी कोई मुस्कान भुला देती है,
सारी दुनिया का हिसाब-किताब,
पर कभी-कभी वही मुस्कान
नियत की राह में बिछाती है ख़राब।
आंखों का धोखा, दिल की कमजोरी,
तस्वीरों में होता है कुछ अनजाना,
जो नियत को घेर लेता है,
और मन को भटका देता है पाना।
पर तस्वीरें तो बस कागज के रंग हैं,
नियत का खेल मन का जाल,
सच्चा हो दिल, सच्ची हो नज़र
तो तस्वीरें होंगी बेअसर हाल।
अशोक वर्मा "हमदर्द*
©Ashok Verma "Hamdard"
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