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#साहिब_ए_मसनद #आवामएहिंद #राजनीति #भारतीय #अदनासा #हिंदी  मुसलसल मेरे ज़ख़्मों पर यूंही नमक मलने की
गंदी सी लत पड़ चुकी है साहिब-ए-मसनद को
पर वो आज-कल करने लगे है बातें मरहम की
और घबराने लगे है देख ज़ख़्मों के हर कद को
संगीन जुर्म है यह जले घरों पर हाथ सेंकने की
जैसी करनी वैसी भरनी पता है हर सरहद को
हम अवाम-ए-हिंद है हमें आदत नही सहने की
ना आंको साहिब-ए-मसनद आवाम की हद को

©अदनासा-

चित्र सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳https://images.app.goo.gl/5yGszMd2tUSv3h4J9 #भारतीय #साहिब_ए_मसनद #हिंदी #आदत #आवाम #आवामएहिंद #राजनीति

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#सर्वधर्मसमभाव #अदनासा #हिंदी #शायरी #इंसान #मज़हब  अगर मैं इंसान हूं तो एतराज़ भला क्यों हो मज़हब से
और इंसान तो वही है जो हर मज़हब में रब देखता है
पर इंसान बेहद ग़म-ज़दा है शर्मसार सा है उन सब से 
जो इंसान में रब नही महज़ मज़हब ही ढूंढता रहता है

©अदनासा-

चित्र सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳https://pin.it/2YC358vsM #भारत #देश #सर्वधर्मसमभाव #हिंदी #मज़हब #सब #इंसान #Pinterest #Instagram #अदना

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गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष वर्ग नारी पर भारी , क्यों होता है करो विचार । निकल पड़ो हाथो में लेकर , घर से अपने आज कटार ।। बेटे भाई पति को अपने , दान करो अपने शृंगार । तुम जननी हो इस जग की .... कितनी बहनें कितनी बेटी , होंगी कब तक भला शिकार । चुप बैठी है सत्ता सारी , विवश हुआ है पालनहार ।। मन में अपने दीप जलाओ , नहीं मोम से जग उँजियार । तुम जननी हो इस जग की ..... छोड़ों चकला बेलन सारे , बढ़कर इन पर करो प्रहार । बहुत खिलाया बना-बना कर , इन्हें पौष्टिक तुम आहार ।। बन चंडी अब पहन गले में ,  इनको मुंडों का तू हार । तुम जननी हो इस जग की .... बन्द करो सभी भैय्या दूज , बन्द करो राखी त्यौहार । ये इसके हकदार नही है , आज त्याग दो इनका प्यार ।। जहाँ दिखे शैतान तुम्हें ये , वहीं निकालो तुम तलवार । तुम जननी हो इस जग की .... सिर्फ बेटियाँ जन्म लिए अब , सुतों का कर दो बहिष्कार । खो बैठें है यह सब सारे , बेटा होने का अधिकार ।। मिलकर जग से दूर करो यह , फैल रहा जो आज विकार । तुम जननी हो इस जग की .... तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  गीत :-
तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार ।
क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।।
तुम जननी हो इस जग की ....

पुरुष वर्ग नारी पर भारी , क्यों होता है करो विचार ।
निकल पड़ो हाथो में लेकर , घर से अपने आज कटार ।।
बेटे भाई पति को अपने , दान करो अपने शृंगार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

कितनी बहनें कितनी बेटी , होंगी कब तक भला शिकार ।
चुप बैठी है सत्ता सारी , विवश हुआ है पालनहार ।।
मन में अपने दीप जलाओ , नहीं मोम से जग उँजियार ।
तुम जननी हो इस जग की .....

छोड़ों चकला बेलन सारे , बढ़कर इन पर करो प्रहार ।
बहुत खिलाया बना-बना कर , इन्हें पौष्टिक तुम आहार ।।
बन चंडी अब पहन गले में ,  इनको मुंडों का तू हार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

बन्द करो सभी भैय्या दूज , बन्द करो राखी त्यौहार ।
ये इसके हकदार नही है , आज त्याग दो इनका प्यार ।।
जहाँ दिखे शैतान तुम्हें ये , वहीं निकालो तुम तलवार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

सिर्फ बेटियाँ जन्म लिए अब , सुतों का कर दो बहिष्कार ।
खो बैठें है यह सब सारे , बेटा होने का अधिकार ।।
मिलकर जग से दूर करो यह , फैल रहा जो आज विकार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार ।
क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष

12 Love

#खिलाड़ीयोंकेखिलाड़ी #विश्वविख्यात #विनेशफोगाट #मोटिवेशनल #फ़ौलादी #भारतीय  दुश्मनों की चाहत यही मैं टूटती रहूं
या इसे कुछ दोस्तों की बेरुखी कहूं
टूटकर जुड़ने का मजबूत इरादा हूं
मैं आज हर भारतीय के दिल में हूं

©अदनासा-

चित्र सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳https://images.app.goo.gl/nMQAV2oopWNu14t56 #भारतीय #कुश्ती #पहलवान #खिलाड़ीयोंकेखिलाड़ी #फ़ौलादी #विश्

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#कवयित्री #समर्पित #अदनासा #मित्र #हिंदी #शायरा  भले ही शराब शायरों में अपनी शोहरत बनाती रहें,
हम चाय पीने वाले तो चाहें चाह रोज़ चहकती रहें।

©अदनासा-

मित्र कवयित्री सुदीप्ता दीप्त जी एवं मेरे सभी चाय प्रेमी दोस्तों के लिए हार्दिक समर्पित।💐💐🌹🌹🙏🙏😊🇮🇳🇮🇳 चित्र सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳htt

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#साहिब_ए_मसनद #आवामएहिंद #राजनीति #भारतीय #अदनासा #हिंदी  मुसलसल मेरे ज़ख़्मों पर यूंही नमक मलने की
गंदी सी लत पड़ चुकी है साहिब-ए-मसनद को
पर वो आज-कल करने लगे है बातें मरहम की
और घबराने लगे है देख ज़ख़्मों के हर कद को
संगीन जुर्म है यह जले घरों पर हाथ सेंकने की
जैसी करनी वैसी भरनी पता है हर सरहद को
हम अवाम-ए-हिंद है हमें आदत नही सहने की
ना आंको साहिब-ए-मसनद आवाम की हद को

©अदनासा-

चित्र सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳https://images.app.goo.gl/5yGszMd2tUSv3h4J9 #भारतीय #साहिब_ए_मसनद #हिंदी #आदत #आवाम #आवामएहिंद #राजनीति

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#सर्वधर्मसमभाव #अदनासा #हिंदी #शायरी #इंसान #मज़हब  अगर मैं इंसान हूं तो एतराज़ भला क्यों हो मज़हब से
और इंसान तो वही है जो हर मज़हब में रब देखता है
पर इंसान बेहद ग़म-ज़दा है शर्मसार सा है उन सब से 
जो इंसान में रब नही महज़ मज़हब ही ढूंढता रहता है

©अदनासा-

चित्र सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳https://pin.it/2YC358vsM #भारत #देश #सर्वधर्मसमभाव #हिंदी #मज़हब #सब #इंसान #Pinterest #Instagram #अदना

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गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष वर्ग नारी पर भारी , क्यों होता है करो विचार । निकल पड़ो हाथो में लेकर , घर से अपने आज कटार ।। बेटे भाई पति को अपने , दान करो अपने शृंगार । तुम जननी हो इस जग की .... कितनी बहनें कितनी बेटी , होंगी कब तक भला शिकार । चुप बैठी है सत्ता सारी , विवश हुआ है पालनहार ।। मन में अपने दीप जलाओ , नहीं मोम से जग उँजियार । तुम जननी हो इस जग की ..... छोड़ों चकला बेलन सारे , बढ़कर इन पर करो प्रहार । बहुत खिलाया बना-बना कर , इन्हें पौष्टिक तुम आहार ।। बन चंडी अब पहन गले में ,  इनको मुंडों का तू हार । तुम जननी हो इस जग की .... बन्द करो सभी भैय्या दूज , बन्द करो राखी त्यौहार । ये इसके हकदार नही है , आज त्याग दो इनका प्यार ।। जहाँ दिखे शैतान तुम्हें ये , वहीं निकालो तुम तलवार । तुम जननी हो इस जग की .... सिर्फ बेटियाँ जन्म लिए अब , सुतों का कर दो बहिष्कार । खो बैठें है यह सब सारे , बेटा होने का अधिकार ।। मिलकर जग से दूर करो यह , फैल रहा जो आज विकार । तुम जननी हो इस जग की .... तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  गीत :-
तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार ।
क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।।
तुम जननी हो इस जग की ....

पुरुष वर्ग नारी पर भारी , क्यों होता है करो विचार ।
निकल पड़ो हाथो में लेकर , घर से अपने आज कटार ।।
बेटे भाई पति को अपने , दान करो अपने शृंगार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

कितनी बहनें कितनी बेटी , होंगी कब तक भला शिकार ।
चुप बैठी है सत्ता सारी , विवश हुआ है पालनहार ।।
मन में अपने दीप जलाओ , नहीं मोम से जग उँजियार ।
तुम जननी हो इस जग की .....

छोड़ों चकला बेलन सारे , बढ़कर इन पर करो प्रहार ।
बहुत खिलाया बना-बना कर , इन्हें पौष्टिक तुम आहार ।।
बन चंडी अब पहन गले में ,  इनको मुंडों का तू हार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

बन्द करो सभी भैय्या दूज , बन्द करो राखी त्यौहार ।
ये इसके हकदार नही है , आज त्याग दो इनका प्यार ।।
जहाँ दिखे शैतान तुम्हें ये , वहीं निकालो तुम तलवार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

सिर्फ बेटियाँ जन्म लिए अब , सुतों का कर दो बहिष्कार ।
खो बैठें है यह सब सारे , बेटा होने का अधिकार ।।
मिलकर जग से दूर करो यह , फैल रहा जो आज विकार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार ।
क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष

12 Love

#खिलाड़ीयोंकेखिलाड़ी #विश्वविख्यात #विनेशफोगाट #मोटिवेशनल #फ़ौलादी #भारतीय  दुश्मनों की चाहत यही मैं टूटती रहूं
या इसे कुछ दोस्तों की बेरुखी कहूं
टूटकर जुड़ने का मजबूत इरादा हूं
मैं आज हर भारतीय के दिल में हूं

©अदनासा-

चित्र सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳https://images.app.goo.gl/nMQAV2oopWNu14t56 #भारतीय #कुश्ती #पहलवान #खिलाड़ीयोंकेखिलाड़ी #फ़ौलादी #विश्

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#कवयित्री #समर्पित #अदनासा #मित्र #हिंदी #शायरा  भले ही शराब शायरों में अपनी शोहरत बनाती रहें,
हम चाय पीने वाले तो चाहें चाह रोज़ चहकती रहें।

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मित्र कवयित्री सुदीप्ता दीप्त जी एवं मेरे सभी चाय प्रेमी दोस्तों के लिए हार्दिक समर्पित।💐💐🌹🌹🙏🙏😊🇮🇳🇮🇳 चित्र सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳htt

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