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White शीर्षक (बेटी) मेरी व्यथा यहाँ समझेगा कौन, देख रहा समाज, हो मूक मौन। आंखो से करते वो चीरहरण चौराहे पर, खड़ा कर दिया हर बेटी को दोराहे पर। बाबा उम्मीदें हमसे भी पालो तुम, गिर भी जाऊं हाथ पकड़ संभालो तुम। अपमानित न हो सके कोई द्रौपदी, गिरधारी बन भैया लाज बचालो तुम। ©kumar ramesh rahi

#जिम्मेदारी #हैवानियत #उम्मीदें #गिरधारी #कविता #विनती  White शीर्षक 
(बेटी)

मेरी व्यथा यहाँ समझेगा कौन,
देख रहा समाज, हो मूक मौन।
आंखो से करते वो चीरहरण चौराहे पर,
खड़ा कर दिया हर बेटी को दोराहे पर।

बाबा उम्मीदें हमसे भी पालो तुम,
गिर भी जाऊं हाथ पकड़ संभालो तुम।
अपमानित न हो सके कोई द्रौपदी, 
गिरधारी बन भैया लाज बचालो तुम।

©kumar ramesh rahi

इस संसार में एक इंसान भिखारी हैं क्योंकि हर चीज हम लोग भगवान से मानते हैं खुशी और प्रशंसा और धन संपदा सब चीज हम लोग भगवान से ही मांगते हैं हमारा इच्छा का पात्र कभी नहीं भरता हैं और हम हमेशा भगवान से विनती करते रहते हैं प्रार्थना करते रहते हैं एक भिखारी के माफीक उनसे ही सब चीज मांगते हैं सबसे बड़े भिखारी मनुष्य हैं सब कुछ होने के बाद भी कुछ नहीं होता हैं हमने अपने कर्म से पुण्य को अर्जित करना चाहिए ताकि हमारे शरीर के अंतिम घड़ी के बाद हमारी आत्मा को पुण्य और प्रभु के चरणों में दर्शन की प्राप्ति हो ©person

#Bhakti  इस संसार में 
एक इंसान भिखारी हैं 
क्योंकि हर चीज हम लोग भगवान से मानते हैं 
खुशी और प्रशंसा और धन संपदा सब चीज हम लोग भगवान से ही मांगते हैं 
हमारा इच्छा का पात्र कभी नहीं भरता हैं 
और हम हमेशा भगवान से विनती करते रहते हैं प्रार्थना करते रहते हैं एक भिखारी के माफीक उनसे ही सब चीज मांगते हैं 
सबसे बड़े भिखारी मनुष्य हैं सब कुछ होने के बाद भी कुछ नहीं होता हैं 
हमने अपने कर्म से पुण्य को अर्जित करना चाहिए ताकि हमारे शरीर के अंतिम घड़ी के बाद हमारी आत्मा को पुण्य और प्रभु के चरणों में दर्शन की प्राप्ति हो

©person

इस संसार में एक इंसान भिखारी हैं क्योंकि हर चीज हम लोग भगवान से मानते हैं खुशी और प्रशंसा और धन संपदा सब चीज हम लोग भगवान से ही मांगते है

13 Love

White राधिका  छन्द :- सुनकर विनती मातु अब , कृपा कर देना । रोग दोष सारे अभी , सुनों हर लेना ।। मैं बालक नादान हूँ , भूल हो जाती । करो क्षमा अपराध सब , आप हो दाती ।। प्रेम ज्योति सब में जले , यही वर माँगा । दे दो भोलेनाथ जी , प्रेम का धागा ।। देख पराई पीर को , लगे सब रोने । यही भाव उत्पन्न हो, हृदय के कोने ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  White राधिका  छन्द :-

सुनकर विनती मातु अब , कृपा कर देना ।
रोग दोष सारे अभी , सुनों हर लेना ।।
मैं बालक नादान हूँ , भूल हो जाती ।
करो क्षमा अपराध सब , आप हो दाती ।।

प्रेम ज्योति सब में जले , यही वर माँगा ।
दे दो भोलेनाथ जी , प्रेम का धागा ।।
देख पराई पीर को , लगे सब रोने ।
यही भाव उत्पन्न हो, हृदय के कोने ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

राधिका  छन्द :- सुनकर विनती मातु अब , कृपा कर देना । रोग दोष सारे अभी , सुनों हर लेना ।। मैं बालक नादान हूँ , भूल हो जाती ।

14 Love

मुक्तक :- काँवड लेकर देख , कहें हम बम-बम भोले । कष्ट मिटे इस बार , द्वार हम तेरे डोले । कर दो अब उपकार , भक्त बन करते विनती- मुख में तो शिवराम , नाम की मिश्री घोले ।। निकट सरोवर था वही , जहाँ मिले थे आप । कुछ मत पूछो देखकर , मिटे सकल संताप । बुझी नयन की प्यास तो, हृदय उठा उल्लास- अब बातें याद कर , हमें दे पश्चाताप ।। कुछ कँवाड़िया आज , यहाँ पर करते दंगे । फिर भी मुख से देख , कहे वह हर हर गंगे । कहे प्रखर अब नाथ , उन्हें तो तुम ही देखो- मन के कितना साफ़ , और हैं कितने चंगे ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  मुक्तक :-
काँवड लेकर देख , कहें हम बम-बम भोले ।
कष्ट मिटे इस बार , द्वार हम तेरे डोले ।
कर दो अब उपकार , भक्त बन करते विनती-
मुख में तो शिवराम , नाम की मिश्री घोले ।।

निकट सरोवर था वही , जहाँ मिले थे आप ।
कुछ मत पूछो देखकर , मिटे सकल संताप ।
बुझी नयन की प्यास तो, हृदय उठा उल्लास-
अब बातें याद कर , हमें दे पश्चाताप ।।

कुछ कँवाड़िया आज , यहाँ पर करते दंगे ।
फिर भी मुख से देख , कहे वह हर हर गंगे ।
कहे प्रखर अब नाथ , उन्हें तो तुम ही देखो-
मन के कितना साफ़ , और हैं कितने चंगे ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मुक्तक :- काँवड लेकर देख , कहें हम बम-बम भोले । कष्ट मिटे इस बार , द्वार हम तेरे डोले । कर दो अब उपकार , भक्त बन करते विनती- मुख में तो शिवर

9 Love

#कलम_की_आवाज़ #nojotohindipoetry #दोहे #sandiprohila  कलम की आवाज़ (दोहे)

कलम चीख कर कह रही, सुन प्राणी नादान।
बल को मेरे जानकर, बनता है अनजान।।

खडग काटती एक को, मैं काटूंँ सब साथ।
मन में सच मेरे बसा, दुर्जन पीटें माथ।।

जिसका जैसा हाथ है, कलम करे वह काम।
सच से इसको प्रीत है, जिससे इसका नाम।।

वही कलम से काँपते, जिनके मन में चोर।
अधिकारी फिर सोचते, कैसे होगी भोर।।

जिसको इससे प्रेम है, सुंदर हैं वे लोग।
उत्तम वह रचना करें, करते सही प्रयोग।।

कलम कहे यह जानलो, करो नहीं नाराज़।
मेरी है विनती यही, सभी सुनें आवाज़।।
.........................................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#कलम_की_आवाज़ #दोहे #nojotohindipoetry nojotohindi कलम की आवाज़ (दोहे) कलम चीख कर कह रही, सुन प्राणी नादान। बल को मेरे जानकर, बनता है अनजान

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White शीर्षक (बेटी) मेरी व्यथा यहाँ समझेगा कौन, देख रहा समाज, हो मूक मौन। आंखो से करते वो चीरहरण चौराहे पर, खड़ा कर दिया हर बेटी को दोराहे पर। बाबा उम्मीदें हमसे भी पालो तुम, गिर भी जाऊं हाथ पकड़ संभालो तुम। अपमानित न हो सके कोई द्रौपदी, गिरधारी बन भैया लाज बचालो तुम। ©kumar ramesh rahi

#जिम्मेदारी #हैवानियत #उम्मीदें #गिरधारी #कविता #विनती  White शीर्षक 
(बेटी)

मेरी व्यथा यहाँ समझेगा कौन,
देख रहा समाज, हो मूक मौन।
आंखो से करते वो चीरहरण चौराहे पर,
खड़ा कर दिया हर बेटी को दोराहे पर।

बाबा उम्मीदें हमसे भी पालो तुम,
गिर भी जाऊं हाथ पकड़ संभालो तुम।
अपमानित न हो सके कोई द्रौपदी, 
गिरधारी बन भैया लाज बचालो तुम।

©kumar ramesh rahi

इस संसार में एक इंसान भिखारी हैं क्योंकि हर चीज हम लोग भगवान से मानते हैं खुशी और प्रशंसा और धन संपदा सब चीज हम लोग भगवान से ही मांगते हैं हमारा इच्छा का पात्र कभी नहीं भरता हैं और हम हमेशा भगवान से विनती करते रहते हैं प्रार्थना करते रहते हैं एक भिखारी के माफीक उनसे ही सब चीज मांगते हैं सबसे बड़े भिखारी मनुष्य हैं सब कुछ होने के बाद भी कुछ नहीं होता हैं हमने अपने कर्म से पुण्य को अर्जित करना चाहिए ताकि हमारे शरीर के अंतिम घड़ी के बाद हमारी आत्मा को पुण्य और प्रभु के चरणों में दर्शन की प्राप्ति हो ©person

#Bhakti  इस संसार में 
एक इंसान भिखारी हैं 
क्योंकि हर चीज हम लोग भगवान से मानते हैं 
खुशी और प्रशंसा और धन संपदा सब चीज हम लोग भगवान से ही मांगते हैं 
हमारा इच्छा का पात्र कभी नहीं भरता हैं 
और हम हमेशा भगवान से विनती करते रहते हैं प्रार्थना करते रहते हैं एक भिखारी के माफीक उनसे ही सब चीज मांगते हैं 
सबसे बड़े भिखारी मनुष्य हैं सब कुछ होने के बाद भी कुछ नहीं होता हैं 
हमने अपने कर्म से पुण्य को अर्जित करना चाहिए ताकि हमारे शरीर के अंतिम घड़ी के बाद हमारी आत्मा को पुण्य और प्रभु के चरणों में दर्शन की प्राप्ति हो

©person

इस संसार में एक इंसान भिखारी हैं क्योंकि हर चीज हम लोग भगवान से मानते हैं खुशी और प्रशंसा और धन संपदा सब चीज हम लोग भगवान से ही मांगते है

13 Love

White राधिका  छन्द :- सुनकर विनती मातु अब , कृपा कर देना । रोग दोष सारे अभी , सुनों हर लेना ।। मैं बालक नादान हूँ , भूल हो जाती । करो क्षमा अपराध सब , आप हो दाती ।। प्रेम ज्योति सब में जले , यही वर माँगा । दे दो भोलेनाथ जी , प्रेम का धागा ।। देख पराई पीर को , लगे सब रोने । यही भाव उत्पन्न हो, हृदय के कोने ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  White राधिका  छन्द :-

सुनकर विनती मातु अब , कृपा कर देना ।
रोग दोष सारे अभी , सुनों हर लेना ।।
मैं बालक नादान हूँ , भूल हो जाती ।
करो क्षमा अपराध सब , आप हो दाती ।।

प्रेम ज्योति सब में जले , यही वर माँगा ।
दे दो भोलेनाथ जी , प्रेम का धागा ।।
देख पराई पीर को , लगे सब रोने ।
यही भाव उत्पन्न हो, हृदय के कोने ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

राधिका  छन्द :- सुनकर विनती मातु अब , कृपा कर देना । रोग दोष सारे अभी , सुनों हर लेना ।। मैं बालक नादान हूँ , भूल हो जाती ।

14 Love

मुक्तक :- काँवड लेकर देख , कहें हम बम-बम भोले । कष्ट मिटे इस बार , द्वार हम तेरे डोले । कर दो अब उपकार , भक्त बन करते विनती- मुख में तो शिवराम , नाम की मिश्री घोले ।। निकट सरोवर था वही , जहाँ मिले थे आप । कुछ मत पूछो देखकर , मिटे सकल संताप । बुझी नयन की प्यास तो, हृदय उठा उल्लास- अब बातें याद कर , हमें दे पश्चाताप ।। कुछ कँवाड़िया आज , यहाँ पर करते दंगे । फिर भी मुख से देख , कहे वह हर हर गंगे । कहे प्रखर अब नाथ , उन्हें तो तुम ही देखो- मन के कितना साफ़ , और हैं कितने चंगे ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  मुक्तक :-
काँवड लेकर देख , कहें हम बम-बम भोले ।
कष्ट मिटे इस बार , द्वार हम तेरे डोले ।
कर दो अब उपकार , भक्त बन करते विनती-
मुख में तो शिवराम , नाम की मिश्री घोले ।।

निकट सरोवर था वही , जहाँ मिले थे आप ।
कुछ मत पूछो देखकर , मिटे सकल संताप ।
बुझी नयन की प्यास तो, हृदय उठा उल्लास-
अब बातें याद कर , हमें दे पश्चाताप ।।

कुछ कँवाड़िया आज , यहाँ पर करते दंगे ।
फिर भी मुख से देख , कहे वह हर हर गंगे ।
कहे प्रखर अब नाथ , उन्हें तो तुम ही देखो-
मन के कितना साफ़ , और हैं कितने चंगे ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मुक्तक :- काँवड लेकर देख , कहें हम बम-बम भोले । कष्ट मिटे इस बार , द्वार हम तेरे डोले । कर दो अब उपकार , भक्त बन करते विनती- मुख में तो शिवर

9 Love

#कलम_की_आवाज़ #nojotohindipoetry #दोहे #sandiprohila  कलम की आवाज़ (दोहे)

कलम चीख कर कह रही, सुन प्राणी नादान।
बल को मेरे जानकर, बनता है अनजान।।

खडग काटती एक को, मैं काटूंँ सब साथ।
मन में सच मेरे बसा, दुर्जन पीटें माथ।।

जिसका जैसा हाथ है, कलम करे वह काम।
सच से इसको प्रीत है, जिससे इसका नाम।।

वही कलम से काँपते, जिनके मन में चोर।
अधिकारी फिर सोचते, कैसे होगी भोर।।

जिसको इससे प्रेम है, सुंदर हैं वे लोग।
उत्तम वह रचना करें, करते सही प्रयोग।।

कलम कहे यह जानलो, करो नहीं नाराज़।
मेरी है विनती यही, सभी सुनें आवाज़।।
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देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#कलम_की_आवाज़ #दोहे #nojotohindipoetry nojotohindi कलम की आवाज़ (दोहे) कलम चीख कर कह रही, सुन प्राणी नादान। बल को मेरे जानकर, बनता है अनजान

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