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White // अंधविश्वास के खिलाफ // अंधकार में रहते हो तुम अंधविश्वास के जाल में फंसे हुए तुम्हारे मन में डर है अज्ञानता का तुम्हारे दिमाग में शंका का साया है क्यों मानते हो झूठे करिश्मे क्यों मानते हो अंधविश्वास के नुस्खे तुम्हारी बुद्धि को जागृत करो तुम्हारे मन को निर्मल करो विज्ञान की रोशनी में चलो तर्क की राह में चलो अंधविश्वास के खिलाफ बोलो सत्य की राह में चलो निर्भीकता से जीवन जियो स्वतंत्रता से सोचो अंधविश्वास के जाल से मुक्ति पाओ ज्ञान की रोशनी में जियो ©बेजुबान शायर shivkumar

#अंधविश्वास #अज्ञानता #मुक्ति #विचार #रोशनी #खिलाफ  White // अंधविश्वास के खिलाफ //

अंधकार में रहते हो तुम
अंधविश्वास के जाल में फंसे हुए
तुम्हारे मन में डर है अज्ञानता का
तुम्हारे दिमाग में शंका का साया है

क्यों मानते हो झूठे करिश्मे
क्यों मानते हो अंधविश्वास के नुस्खे
तुम्हारी बुद्धि को जागृत करो
तुम्हारे मन को निर्मल करो

विज्ञान की रोशनी में चलो
तर्क की राह में चलो
अंधविश्वास के खिलाफ बोलो
सत्य की राह में चलो

निर्भीकता से जीवन जियो
स्वतंत्रता से सोचो
अंधविश्वास के जाल से मुक्ति पाओ
ज्ञान की रोशनी में जियो

©बेजुबान शायर shivkumar

@Sethi Ji @puja udeshi @poonam atrey @Kshitija @Bhanu Priya आज का विचार अनमोल विचार अनमोल विचार अच्छे विचारों नये अच्छे विचार // #अंधविश्

17 Love

सफेद इश्क सफेद इश्क की कहानी कुछ यूँ बयां होती हैं, जैसे दिल की धड़कनें यूँ खामोश हो जाती हैं। तेरे बिना ये जीवन अधूरा सा लगता हैं, जैसे

117 View

कुण्डलिया छन्द :- गौ माता के लाल से , खेल रहे गोपाल । चलो दिखाएँ आपको , वहाँ नन्द के लाल ।। वहाँ नन्द के लाल , कहे मुझसे क्यों डरते । बनो सखा तुम आज , प्रेम हम तुमसे करते ।। आओ खेलो संग ,  हमारा निर्मल नाता । समझा दूँगा साँझ , चलो घर मैं गौ माता  ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  कुण्डलिया छन्द :-
गौ माता के लाल से , खेल रहे गोपाल ।
चलो दिखाएँ आपको , वहाँ नन्द के लाल ।।
वहाँ नन्द के लाल , कहे मुझसे क्यों डरते ।
बनो सखा तुम आज , प्रेम हम तुमसे करते ।।
आओ खेलो संग ,  हमारा निर्मल नाता ।
समझा दूँगा साँझ , चलो घर मैं गौ माता  ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

कुण्डलिया छन्द :- गौ माता के लाल से , खेल रहे गोपाल । चलो दिखाएँ आपको , वहाँ नन्द के लाल ।। वहाँ नन्द के लाल , कहे मुझसे क्यों डरते । बनो सख

17 Love

गीत :-  धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब... यहीं तो जन्में वीर अनेक, आल्हा उदल और मलखान । भूल गये हो तुम सब शायद, वीर शिवा जी औ चौहान ।। धर्म और धरती माँ पर जो, दिए प्राण का है बलिदान । देख रहा मैं क्रूर काल को , जिसका होता बुरा प्रभाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... वही डगर फिर से चुन लो सब , जो दिखलाये थे रसखान । जिसको जी कर मीरा जी ने , पाया जग में था सम्मान ।। इसी धरा पर राम नाम का , हनुमत करते थे गुणगान । नहीं हुई है अब भी देरी , जला हृदय में प्रेम अलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... निर्मल पावन गंगा कहती , यह है परशुराम का धाम । रूष्ट नहीं कर देना उनको , झुककर कर लो उन्हें प्रणाम ।। अधिक बिलंब उचित क्यों करना , बढ़कर लो अब तुम संज्ञान । ईर्ष्या द्वेष मिटाओ जग से , पनपे हृदय प्रेम के भाव ।। धरती माँ के सीने पर अब..... नीर नदी का सूख रहा है , आज जमा ले अपना पाँव । गली-गली कन्या है पीडित, भूखे ग्वाले घूमें गाँव ।। झुलस रहें हैं राही पथ के , बता मिले कब शीतल छाँव । धीरे-धीरे प्रकृति सौन्दर्य  , में दिखता क्यों हमें अभाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  गीत :- 
धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव ।
नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब...

यहीं तो जन्में वीर अनेक, आल्हा उदल और मलखान ।
भूल गये हो तुम सब शायद, वीर शिवा जी औ चौहान ।।
धर्म और धरती माँ पर जो, दिए प्राण का है बलिदान ।
देख रहा मैं क्रूर काल को , जिसका होता बुरा प्रभाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब....

वही डगर फिर से चुन लो सब , जो दिखलाये थे रसखान ।
जिसको जी कर मीरा जी ने , पाया जग में था सम्मान ।।
इसी धरा पर राम नाम का , हनुमत करते थे गुणगान ।
नहीं हुई है अब भी देरी , जला हृदय में प्रेम अलाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब....

निर्मल पावन गंगा कहती , यह है परशुराम का धाम ।
रूष्ट नहीं कर देना उनको , झुककर कर लो उन्हें प्रणाम ।।
अधिक बिलंब उचित क्यों करना , बढ़कर लो अब तुम संज्ञान ।
ईर्ष्या द्वेष मिटाओ जग से , पनपे हृदय प्रेम के भाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब.....

नीर नदी का सूख रहा है , आज जमा ले अपना पाँव ।
गली-गली कन्या है पीडित, भूखे ग्वाले घूमें गाँव ।।
झुलस रहें हैं राही पथ के , बता मिले कब शीतल छाँव ।
धीरे-धीरे प्रकृति सौन्दर्य  , में दिखता क्यों हमें अभाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब....

धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव ।
नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत :-  धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब... यहीं तो जन्

17 Love

#स्वतंत्रतादिवस #संस्कृत #15अगस्त #कविता #indepandanceday #indianwriter

सर्वेभ्यः स्वातन्त्र्यदिवसस्य शुभकामना🇮🇳🙏 आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं स्वरचित संस्कृत रचना शीर्षक अस्माकं प्रियं भार

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#मोटिवेशनल #Lion  White {Bolo Ji Radhey Radhey}
भगवान् श्री कृष्ण जी के समस्त 
कर्म आसक्ति, अहंकार और 
कामनादि दोषों से सर्वथा रहित 
निर्मल और शुद्ध तथा केवल 
लोगों का कल्याण करने एवं 
नीति, धर्म, शुद्ध प्रेम और न्याय 
आदि का जगत् में प्रचार 
करने के लिये ही होते हैं।

©N S Yadav GoldMine

#Lion {Bolo Ji Radhey Radhey} भगवान् श्री कृष्ण जी के समस्त कर्म आसक्ति, अहंकार और कामनादि दोषों से सर्वथा रहित निर्मल और शुद्ध तथा केवल

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White // अंधविश्वास के खिलाफ // अंधकार में रहते हो तुम अंधविश्वास के जाल में फंसे हुए तुम्हारे मन में डर है अज्ञानता का तुम्हारे दिमाग में शंका का साया है क्यों मानते हो झूठे करिश्मे क्यों मानते हो अंधविश्वास के नुस्खे तुम्हारी बुद्धि को जागृत करो तुम्हारे मन को निर्मल करो विज्ञान की रोशनी में चलो तर्क की राह में चलो अंधविश्वास के खिलाफ बोलो सत्य की राह में चलो निर्भीकता से जीवन जियो स्वतंत्रता से सोचो अंधविश्वास के जाल से मुक्ति पाओ ज्ञान की रोशनी में जियो ©बेजुबान शायर shivkumar

#अंधविश्वास #अज्ञानता #मुक्ति #विचार #रोशनी #खिलाफ  White // अंधविश्वास के खिलाफ //

अंधकार में रहते हो तुम
अंधविश्वास के जाल में फंसे हुए
तुम्हारे मन में डर है अज्ञानता का
तुम्हारे दिमाग में शंका का साया है

क्यों मानते हो झूठे करिश्मे
क्यों मानते हो अंधविश्वास के नुस्खे
तुम्हारी बुद्धि को जागृत करो
तुम्हारे मन को निर्मल करो

विज्ञान की रोशनी में चलो
तर्क की राह में चलो
अंधविश्वास के खिलाफ बोलो
सत्य की राह में चलो

निर्भीकता से जीवन जियो
स्वतंत्रता से सोचो
अंधविश्वास के जाल से मुक्ति पाओ
ज्ञान की रोशनी में जियो

©बेजुबान शायर shivkumar

@Sethi Ji @puja udeshi @poonam atrey @Kshitija @Bhanu Priya आज का विचार अनमोल विचार अनमोल विचार अच्छे विचारों नये अच्छे विचार // #अंधविश्

17 Love

सफेद इश्क सफेद इश्क की कहानी कुछ यूँ बयां होती हैं, जैसे दिल की धड़कनें यूँ खामोश हो जाती हैं। तेरे बिना ये जीवन अधूरा सा लगता हैं, जैसे

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कुण्डलिया छन्द :- गौ माता के लाल से , खेल रहे गोपाल । चलो दिखाएँ आपको , वहाँ नन्द के लाल ।। वहाँ नन्द के लाल , कहे मुझसे क्यों डरते । बनो सखा तुम आज , प्रेम हम तुमसे करते ।। आओ खेलो संग ,  हमारा निर्मल नाता । समझा दूँगा साँझ , चलो घर मैं गौ माता  ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  कुण्डलिया छन्द :-
गौ माता के लाल से , खेल रहे गोपाल ।
चलो दिखाएँ आपको , वहाँ नन्द के लाल ।।
वहाँ नन्द के लाल , कहे मुझसे क्यों डरते ।
बनो सखा तुम आज , प्रेम हम तुमसे करते ।।
आओ खेलो संग ,  हमारा निर्मल नाता ।
समझा दूँगा साँझ , चलो घर मैं गौ माता  ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

कुण्डलिया छन्द :- गौ माता के लाल से , खेल रहे गोपाल । चलो दिखाएँ आपको , वहाँ नन्द के लाल ।। वहाँ नन्द के लाल , कहे मुझसे क्यों डरते । बनो सख

17 Love

गीत :-  धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब... यहीं तो जन्में वीर अनेक, आल्हा उदल और मलखान । भूल गये हो तुम सब शायद, वीर शिवा जी औ चौहान ।। धर्म और धरती माँ पर जो, दिए प्राण का है बलिदान । देख रहा मैं क्रूर काल को , जिसका होता बुरा प्रभाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... वही डगर फिर से चुन लो सब , जो दिखलाये थे रसखान । जिसको जी कर मीरा जी ने , पाया जग में था सम्मान ।। इसी धरा पर राम नाम का , हनुमत करते थे गुणगान । नहीं हुई है अब भी देरी , जला हृदय में प्रेम अलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... निर्मल पावन गंगा कहती , यह है परशुराम का धाम । रूष्ट नहीं कर देना उनको , झुककर कर लो उन्हें प्रणाम ।। अधिक बिलंब उचित क्यों करना , बढ़कर लो अब तुम संज्ञान । ईर्ष्या द्वेष मिटाओ जग से , पनपे हृदय प्रेम के भाव ।। धरती माँ के सीने पर अब..... नीर नदी का सूख रहा है , आज जमा ले अपना पाँव । गली-गली कन्या है पीडित, भूखे ग्वाले घूमें गाँव ।। झुलस रहें हैं राही पथ के , बता मिले कब शीतल छाँव । धीरे-धीरे प्रकृति सौन्दर्य  , में दिखता क्यों हमें अभाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  गीत :- 
धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव ।
नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब...

यहीं तो जन्में वीर अनेक, आल्हा उदल और मलखान ।
भूल गये हो तुम सब शायद, वीर शिवा जी औ चौहान ।।
धर्म और धरती माँ पर जो, दिए प्राण का है बलिदान ।
देख रहा मैं क्रूर काल को , जिसका होता बुरा प्रभाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब....

वही डगर फिर से चुन लो सब , जो दिखलाये थे रसखान ।
जिसको जी कर मीरा जी ने , पाया जग में था सम्मान ।।
इसी धरा पर राम नाम का , हनुमत करते थे गुणगान ।
नहीं हुई है अब भी देरी , जला हृदय में प्रेम अलाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब....

निर्मल पावन गंगा कहती , यह है परशुराम का धाम ।
रूष्ट नहीं कर देना उनको , झुककर कर लो उन्हें प्रणाम ।।
अधिक बिलंब उचित क्यों करना , बढ़कर लो अब तुम संज्ञान ।
ईर्ष्या द्वेष मिटाओ जग से , पनपे हृदय प्रेम के भाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब.....

नीर नदी का सूख रहा है , आज जमा ले अपना पाँव ।
गली-गली कन्या है पीडित, भूखे ग्वाले घूमें गाँव ।।
झुलस रहें हैं राही पथ के , बता मिले कब शीतल छाँव ।
धीरे-धीरे प्रकृति सौन्दर्य  , में दिखता क्यों हमें अभाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब....

धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव ।
नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत :-  धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब... यहीं तो जन्

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#स्वतंत्रतादिवस #संस्कृत #15अगस्त #कविता #indepandanceday #indianwriter

सर्वेभ्यः स्वातन्त्र्यदिवसस्य शुभकामना🇮🇳🙏 आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं स्वरचित संस्कृत रचना शीर्षक अस्माकं प्रियं भार

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#मोटिवेशनल #Lion  White {Bolo Ji Radhey Radhey}
भगवान् श्री कृष्ण जी के समस्त 
कर्म आसक्ति, अहंकार और 
कामनादि दोषों से सर्वथा रहित 
निर्मल और शुद्ध तथा केवल 
लोगों का कल्याण करने एवं 
नीति, धर्म, शुद्ध प्रेम और न्याय 
आदि का जगत् में प्रचार 
करने के लिये ही होते हैं।

©N S Yadav GoldMine

#Lion {Bolo Ji Radhey Radhey} भगवान् श्री कृष्ण जी के समस्त कर्म आसक्ति, अहंकार और कामनादि दोषों से सर्वथा रहित निर्मल और शुद्ध तथा केवल

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