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New समसामयिकी महासागर 2020 Status, Photo, Video

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#vijudada

*🍒 महासागर 🍒* 🫐 VIJUDADA 🫐 #vijudada

144 View

#love_shayari  White ଯାତ୍ରା -19

       ତଥାପି ବଞ୍ଚିଛି 

ଏବେବି 
ମୁଁ ବଞ୍ଚିଛି ,
ତମେ ବଞ୍ଚିଛ ,
ସେମାନେ ବଞ୍ଚିଛନ୍ତି ।
ସବୁକିଛି ବୋଧେ ଶେଷ ହୋଇନାହିଁ 
ନାହିଁ ନାହିଁ ଭିତରେ ଜିଇଁଛି ଜୀବନ ,
ହତାଶାର  ମରୁଭୂମିରେ ଆଶାର ବୁଲବୁଲ ,
ବ୍ୟାସ ସରୋବରରେ ସମ୍ଭାବନାର କୋଟିଏ  ପଦ୍ମ,
ଦୂର ଦିଗବଳୟ ସେପଟେ କାହାର ବଂଶୀସ୍ବନ -
ପ୍ରଲୁବ୍ଧ କରୁଛି, ଭରିଦେଉଛି ଦେହ ମନରେ 
ଆଶାର  ମେଞ୍ଚାଏ ମହକ ।

ସମୁଦ୍ର ଭିତରେ ମୋତି ,
ବାଦଲ ପଛପଟେ ଜ୍ୱଳନ୍ତ ସୂର୍ଯ୍ୟ ,
ଆକାଶରେ ମଲାଜହ୍ନର ଏଲିଜି ,
ଅମୃତ କଳସରେ ବିଷ 
ଛାଇ ଆଲୁଅରେ ଥର ଥର କଡ ଲେଉଟଉଛି  ଜୀବନ ।

ପ୍ରେମ ଆଉ ପ୍ରତ୍ୟୟର 
ବିଶ୍ୱାସ ଆଉ ସମ୍ଭାବନାର ଯଜ୍ଞବେଦୀରେ 
ଟୋପା ଟୋପା ଲୁହ 
ତଥାପି ଗଡୁଛି ଜୀବନ ନିଃଶବ୍ଦରେ ,
ନିରାଶର ଅନ୍ଧଗଳିରେ 
ନିଶୁନ ରାଜରାସ୍ତାରେ ଏକା ଏକା 
ସାଉଁଟିବାକୁ ଭିନ୍ନଏକ ସନ୍ଦୀପ୍ତ- ବାଳଭାନୁର ଉଦୟ ଉତ୍ସବକୁ 
ହସୁଛି ଜୀବନ ମୃତ୍ୟୁକୁ ପିଠିରେ ସବାର କରି ;
ମରଣ ପଥେ ଜୀବନର ଜୟଗାନ 
କେତେ ସତ କେତେ ମିଛ 
କେତେ ସ୍ବପ୍ନ କେତେ ବାସ୍ତବ

ଜୀବନ ଶୋଇଛି ଚୁପଚାପ 
ଏକ ଜୀବନ ନଥିବା ଶବଭଳି 
ସ୍ବପ୍ନ ବିହୀନ ପୃଥିବୀରେ 
ଗୋଟା ଗୋଟା ହାଇ ମାରୁଛି 
ସତେ ଯେମିତି ଆଉଥରେ ଶୋଇଯିବ 
ସବୁଦିନ ପାଇଁ  ଘୁମନ୍ତ ପୃଥିବୀର ମୁକୁଳା ଛାତିରେ 

କିଛି ସ୍ବପ୍ନ
ଅନେକ  ଯନ୍ତ୍ରଣା 
ଟିକିଏ ହସ 
କାଣିଚାଏ ଭଲପାଇବା 
ଟୋପାଏ ବିଶ୍ୱାସ 
କିଛି ପ୍ରାପ୍ତି କିଛି ଅପ୍ରାପ୍ତି 
କିଛି ଆଶା ଆଉ ପ୍ରତିଶୃତିକୁ ନେଇ ତ  ଜୀବନ।

ସ୍ମୃତି ରଞ୍ଜନ ମହାନ୍ତି©
13.8 2020
All Copyrights Reserved
smrutiweb.wordpress.com
smrutitanuja.blogspot.com
https://www.facebook.com/titutiku/

Picture-google

©Smruti Ranjan Mohanty

#love_shayari ଯାତ୍ରା -19 ତଥାପି ବଞ୍ଚିଛି ଏବେବି ମୁଁ ବଞ୍ଚିଛି , ତମେ ବଞ୍ଚିଛ , ସେମାନେ ବଞ୍ଚିଛନ୍ତି ।

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White दोस्तों मैंने यह कविता तब लिखी थी जब NRC/CAAजैसा काला कानून देश में लाया गया था और दिल्ली में शाहीन बाग में बहुत बड़ा आंदोलन उसे खिलाफ चला था और जब शाहीन बाग में जो औरतें अपने आंदोलन में शामिल हो रही थी उनको गालियां गंदे गंदे शब्द बोले जा रहे थे तो उनके आंदोलनकारियों के सम्मान में यह कविता मैंने लिखी थी। " महान औरतें" तुम इनको औरत ना समझो क्रांति का आह्वान है शाहीन बाग का नाम विश्व में संघर्ष की पहचान है। लानत है उन पर जो करते औरत का अपमान है 4 महीने का बेटा मोहम्मद कर दिया मां ने कुर्बान है। फूलन देवी बनकर नारी जब-जब भरती हुंकार है अपने अत्याचारियों का करती फिर संहार है। आज की नारी फूलन देवी बनने को तैयार है शाहीन बाघ को देखकर अब कांपी ये सरकार है। देशभक्ति का नाटक करते बनते चौकीदार है पर्व है वह देश लूटने वाले वास्तव में गद्दार है। देश बेचकर खा गए जो क्या आदर के हकदार हैं? हिंदू मुस्लिम करने वाला धर्म का ठेकेदार है। झूठे जुमले सुनकर जनता बहुत हुई परेशान है पर जनता की यह सुने नहीं हुआ सत्ता का अभिमान है। इस सत्ता को बदलना चाहता भारत का नौजवान है तानाशाही नहीं सहेंगे करते ये आह्वान है। ©Vijay Vidrohi

#जनावाज #equality #India #poem  White दोस्तों मैंने यह कविता तब लिखी थी जब NRC/CAAजैसा  
काला कानून देश में लाया गया था और दिल्ली में शाहीन बाग में बहुत बड़ा आंदोलन उसे खिलाफ चला था और जब शाहीन बाग में जो औरतें अपने आंदोलन में शामिल हो रही थी उनको गालियां गंदे गंदे शब्द बोले जा रहे थे तो उनके आंदोलनकारियों के सम्मान में यह कविता मैंने लिखी थी।

" महान औरतें"
तुम इनको औरत ना समझो क्रांति का आह्वान है
शाहीन बाग का नाम विश्व में संघर्ष की पहचान है।

लानत है उन पर जो करते औरत का अपमान है
4 महीने का बेटा मोहम्मद कर दिया मां ने कुर्बान है।

फूलन देवी बनकर नारी जब-जब भरती हुंकार है
अपने अत्याचारियों का करती फिर संहार है।

आज की नारी फूलन देवी बनने को तैयार है
शाहीन बाघ को देखकर अब कांपी ये सरकार है।

देशभक्ति का नाटक करते बनते चौकीदार है
पर्व है वह देश लूटने वाले वास्तव में गद्दार है।

देश बेचकर खा गए जो क्या आदर के हकदार हैं?
हिंदू मुस्लिम करने वाला धर्म का ठेकेदार है।

झूठे जुमले सुनकर जनता बहुत हुई परेशान है
पर जनता की यह सुने नहीं हुआ सत्ता का अभिमान है।

इस सत्ता को बदलना चाहता भारत का नौजवान है
तानाशाही नहीं सहेंगे करते ये आह्वान है।

©Vijay Vidrohi

क्रांति_कारी लोकतंत्र #जनावाज #2019 #2020 #poem #love #India #equality Nazim Ali (Shiblu) @inaya @SIDII SAFIYA RAFIQ @Qamar Abbas S

19 Love

#प्रेरणा #sandiprohila  प्रेरणा

आप सब को पढ़ कर और सुन कर
मेरी प्रेरणा जागती है
की कुछ लिखूं मैं भी कागज पर
ये तमन्ना जागती है
फिर खो जाता हूं
अक्षरों के महासागर में
और डूब जाता हूं
शब्दों के विचारधारा में
कौन से शब्द चुनू और कौन से छोड़ूं
इसी असमंजस में फंस जाता हूं
फिर चुनता हूं शब्दों की माला को
उसी को बुनने में लग जाता हूं
जोड़ता हूं शब्दों से शब्दों को
और नई रचना को जन्म देता हूं
पहुंचाता हूं आप सब के बीच इसको
यही विचार करता हूं
पसंद आए आप सब को
 यही आशा करता हूं
………………………………….
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#प्रेरणा प्रेरणा आप सब को पढ़ कर और सुन कर मेरी प्रेरणा जागती है की कुछ लिखूं मैं भी कागज पर ये तमन्ना जागती है फिर खो जाता हूं

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#vijudada

*🍒 महासागर 🍒* 🫐 VIJUDADA 🫐 #vijudada

144 View

#love_shayari  White ଯାତ୍ରା -19

       ତଥାପି ବଞ୍ଚିଛି 

ଏବେବି 
ମୁଁ ବଞ୍ଚିଛି ,
ତମେ ବଞ୍ଚିଛ ,
ସେମାନେ ବଞ୍ଚିଛନ୍ତି ।
ସବୁକିଛି ବୋଧେ ଶେଷ ହୋଇନାହିଁ 
ନାହିଁ ନାହିଁ ଭିତରେ ଜିଇଁଛି ଜୀବନ ,
ହତାଶାର  ମରୁଭୂମିରେ ଆଶାର ବୁଲବୁଲ ,
ବ୍ୟାସ ସରୋବରରେ ସମ୍ଭାବନାର କୋଟିଏ  ପଦ୍ମ,
ଦୂର ଦିଗବଳୟ ସେପଟେ କାହାର ବଂଶୀସ୍ବନ -
ପ୍ରଲୁବ୍ଧ କରୁଛି, ଭରିଦେଉଛି ଦେହ ମନରେ 
ଆଶାର  ମେଞ୍ଚାଏ ମହକ ।

ସମୁଦ୍ର ଭିତରେ ମୋତି ,
ବାଦଲ ପଛପଟେ ଜ୍ୱଳନ୍ତ ସୂର୍ଯ୍ୟ ,
ଆକାଶରେ ମଲାଜହ୍ନର ଏଲିଜି ,
ଅମୃତ କଳସରେ ବିଷ 
ଛାଇ ଆଲୁଅରେ ଥର ଥର କଡ ଲେଉଟଉଛି  ଜୀବନ ।

ପ୍ରେମ ଆଉ ପ୍ରତ୍ୟୟର 
ବିଶ୍ୱାସ ଆଉ ସମ୍ଭାବନାର ଯଜ୍ଞବେଦୀରେ 
ଟୋପା ଟୋପା ଲୁହ 
ତଥାପି ଗଡୁଛି ଜୀବନ ନିଃଶବ୍ଦରେ ,
ନିରାଶର ଅନ୍ଧଗଳିରେ 
ନିଶୁନ ରାଜରାସ୍ତାରେ ଏକା ଏକା 
ସାଉଁଟିବାକୁ ଭିନ୍ନଏକ ସନ୍ଦୀପ୍ତ- ବାଳଭାନୁର ଉଦୟ ଉତ୍ସବକୁ 
ହସୁଛି ଜୀବନ ମୃତ୍ୟୁକୁ ପିଠିରେ ସବାର କରି ;
ମରଣ ପଥେ ଜୀବନର ଜୟଗାନ 
କେତେ ସତ କେତେ ମିଛ 
କେତେ ସ୍ବପ୍ନ କେତେ ବାସ୍ତବ

ଜୀବନ ଶୋଇଛି ଚୁପଚାପ 
ଏକ ଜୀବନ ନଥିବା ଶବଭଳି 
ସ୍ବପ୍ନ ବିହୀନ ପୃଥିବୀରେ 
ଗୋଟା ଗୋଟା ହାଇ ମାରୁଛି 
ସତେ ଯେମିତି ଆଉଥରେ ଶୋଇଯିବ 
ସବୁଦିନ ପାଇଁ  ଘୁମନ୍ତ ପୃଥିବୀର ମୁକୁଳା ଛାତିରେ 

କିଛି ସ୍ବପ୍ନ
ଅନେକ  ଯନ୍ତ୍ରଣା 
ଟିକିଏ ହସ 
କାଣିଚାଏ ଭଲପାଇବା 
ଟୋପାଏ ବିଶ୍ୱାସ 
କିଛି ପ୍ରାପ୍ତି କିଛି ଅପ୍ରାପ୍ତି 
କିଛି ଆଶା ଆଉ ପ୍ରତିଶୃତିକୁ ନେଇ ତ  ଜୀବନ।

ସ୍ମୃତି ରଞ୍ଜନ ମହାନ୍ତି©
13.8 2020
All Copyrights Reserved
smrutiweb.wordpress.com
smrutitanuja.blogspot.com
https://www.facebook.com/titutiku/

Picture-google

©Smruti Ranjan Mohanty

#love_shayari ଯାତ୍ରା -19 ତଥାପି ବଞ୍ଚିଛି ଏବେବି ମୁଁ ବଞ୍ଚିଛି , ତମେ ବଞ୍ଚିଛ , ସେମାନେ ବଞ୍ଚିଛନ୍ତି ।

117 View

White दोस्तों मैंने यह कविता तब लिखी थी जब NRC/CAAजैसा काला कानून देश में लाया गया था और दिल्ली में शाहीन बाग में बहुत बड़ा आंदोलन उसे खिलाफ चला था और जब शाहीन बाग में जो औरतें अपने आंदोलन में शामिल हो रही थी उनको गालियां गंदे गंदे शब्द बोले जा रहे थे तो उनके आंदोलनकारियों के सम्मान में यह कविता मैंने लिखी थी। " महान औरतें" तुम इनको औरत ना समझो क्रांति का आह्वान है शाहीन बाग का नाम विश्व में संघर्ष की पहचान है। लानत है उन पर जो करते औरत का अपमान है 4 महीने का बेटा मोहम्मद कर दिया मां ने कुर्बान है। फूलन देवी बनकर नारी जब-जब भरती हुंकार है अपने अत्याचारियों का करती फिर संहार है। आज की नारी फूलन देवी बनने को तैयार है शाहीन बाघ को देखकर अब कांपी ये सरकार है। देशभक्ति का नाटक करते बनते चौकीदार है पर्व है वह देश लूटने वाले वास्तव में गद्दार है। देश बेचकर खा गए जो क्या आदर के हकदार हैं? हिंदू मुस्लिम करने वाला धर्म का ठेकेदार है। झूठे जुमले सुनकर जनता बहुत हुई परेशान है पर जनता की यह सुने नहीं हुआ सत्ता का अभिमान है। इस सत्ता को बदलना चाहता भारत का नौजवान है तानाशाही नहीं सहेंगे करते ये आह्वान है। ©Vijay Vidrohi

#जनावाज #equality #India #poem  White दोस्तों मैंने यह कविता तब लिखी थी जब NRC/CAAजैसा  
काला कानून देश में लाया गया था और दिल्ली में शाहीन बाग में बहुत बड़ा आंदोलन उसे खिलाफ चला था और जब शाहीन बाग में जो औरतें अपने आंदोलन में शामिल हो रही थी उनको गालियां गंदे गंदे शब्द बोले जा रहे थे तो उनके आंदोलनकारियों के सम्मान में यह कविता मैंने लिखी थी।

" महान औरतें"
तुम इनको औरत ना समझो क्रांति का आह्वान है
शाहीन बाग का नाम विश्व में संघर्ष की पहचान है।

लानत है उन पर जो करते औरत का अपमान है
4 महीने का बेटा मोहम्मद कर दिया मां ने कुर्बान है।

फूलन देवी बनकर नारी जब-जब भरती हुंकार है
अपने अत्याचारियों का करती फिर संहार है।

आज की नारी फूलन देवी बनने को तैयार है
शाहीन बाघ को देखकर अब कांपी ये सरकार है।

देशभक्ति का नाटक करते बनते चौकीदार है
पर्व है वह देश लूटने वाले वास्तव में गद्दार है।

देश बेचकर खा गए जो क्या आदर के हकदार हैं?
हिंदू मुस्लिम करने वाला धर्म का ठेकेदार है।

झूठे जुमले सुनकर जनता बहुत हुई परेशान है
पर जनता की यह सुने नहीं हुआ सत्ता का अभिमान है।

इस सत्ता को बदलना चाहता भारत का नौजवान है
तानाशाही नहीं सहेंगे करते ये आह्वान है।

©Vijay Vidrohi

क्रांति_कारी लोकतंत्र #जनावाज #2019 #2020 #poem #love #India #equality Nazim Ali (Shiblu) @inaya @SIDII SAFIYA RAFIQ @Qamar Abbas S

19 Love

#प्रेरणा #sandiprohila  प्रेरणा

आप सब को पढ़ कर और सुन कर
मेरी प्रेरणा जागती है
की कुछ लिखूं मैं भी कागज पर
ये तमन्ना जागती है
फिर खो जाता हूं
अक्षरों के महासागर में
और डूब जाता हूं
शब्दों के विचारधारा में
कौन से शब्द चुनू और कौन से छोड़ूं
इसी असमंजस में फंस जाता हूं
फिर चुनता हूं शब्दों की माला को
उसी को बुनने में लग जाता हूं
जोड़ता हूं शब्दों से शब्दों को
और नई रचना को जन्म देता हूं
पहुंचाता हूं आप सब के बीच इसको
यही विचार करता हूं
पसंद आए आप सब को
 यही आशा करता हूं
………………………………….
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#प्रेरणा प्रेरणा आप सब को पढ़ कर और सुन कर मेरी प्रेरणा जागती है की कुछ लिखूं मैं भी कागज पर ये तमन्ना जागती है फिर खो जाता हूं

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