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White वक्त कह रहा है कुछ वक्त शांत होकर गुज़ार लो, शोर करने का भी एक दिन वक़्त आएगा... । ©harshit tyagi

 White वक्त कह रहा है कुछ वक्त शांत होकर गुज़ार लो,
शोर करने का भी एक दिन वक़्त आएगा... ।

©harshit tyagi

मधुर सुप्रभात आप सभी का दिन शुभ हो

12 Love

White शीर्षक -----कहां गए वो दिन साइकिल पर बैठकर पूरे परिवार का जाना, रिश्तों का हर दिन का दहलीज पर खिलखिलाना ll खीर बनाते से वो शक्कर का मांगना, पड़ोस के स्वाद चख कटोरिया बदल जाना ll कहां गए वो दिन जो सुकून सा लाते, आज की दुनिया में हम न बतलाते ll ©काव्य महारथी

#कविता #Sad_Status  White शीर्षक -----कहां गए वो दिन

साइकिल पर बैठकर 
पूरे परिवार का जाना,
रिश्तों का हर दिन का 
दहलीज पर खिलखिलाना ll

खीर बनाते से वो
शक्कर का मांगना,
पड़ोस के स्वाद चख
कटोरिया बदल जाना ll

कहां गए वो दिन
जो सुकून सा लाते,
आज की दुनिया 
में हम न बतलाते ll

©काव्य महारथी

#Sad_Status Piyush Yogi anuj Pankaj Pahwa " बादल राजपूत " कवि आलोक मिश्र "दीपक" हिंदी कविता बारिश पर कविता हिंदी दिवस पर कविता क

15 Love

White प्रेम जगत में प्राचीनतम अन्याय है। जिससे सब पीड़ित हैं। राजा भी ,प्रजा भी,किसान और व्यापारी भी व अन्य। बिना लिंगभेद के समान रूप से स्त्री पुरुष को प्रताड़ित करता यह अन्याय ही मनुष्य तथा देवता गढ़ता है। ©निर्भय चौहान

#कविता #GoodMorning  White प्रेम जगत में प्राचीनतम अन्याय है।
जिससे सब पीड़ित हैं।
राजा भी ,प्रजा भी,किसान और व्यापारी भी व अन्य। 
बिना लिंगभेद के समान रूप से स्त्री पुरुष को प्रताड़ित करता 
यह अन्याय ही मनुष्य तथा देवता गढ़ता है।

©निर्भय चौहान

#GoodMorning @Kumar Shaurya कवि आलोक मिश्र "दीपक" @Madhusudan Shrivastava करम गोरखपुरिया @vandan sharma Islam कविता कोश मराठी कविता बारिश

18 Love

#कविता #Sad_Status  White तरसती है निगाने आज भी
उससे बिछड़ करके
की जैसे पानी को तरसे कोई 
सागर में रह करक
             
@AJAYRAJASHAYRI

©Ajay Raja

#Sad_Status मेरी शायरी मेरे साथ कविता कोश हिंदी कविता

126 View

White कौआ कोयल की आवाज को दबा सकता है लेकिन कोयल जैसी मधुर वाणी नहीं बोल सकता ©Dinesh Sharma Jind Haryana

#विचार  White कौआ कोयल की आवाज को
दबा सकता है 
लेकिन कोयल जैसी मधुर वाणी
नहीं बोल सकता

©Dinesh Sharma Jind Haryana

मधुर वाणी

13 Love

अमावस हो रात फिर दीपक जलाने का, समय हो प्रतिकूल कान्हा को बुलाने का, मन लगा गोपाल में तन हो गया गोकुल, बस यही तरक़ीब है दुनिया भुलाने का, मिला खेवनहार दरिया पार कर लूँगा, ज़िस्म में ताकत नहीं गोता लगाने का, पुराने ज़ख़्मों को बे-मतलब कुरेदो मत, जो नहीं अपना उसे फ़िर भूल जाने का, जन्म से आखिर तक संघर्ष का आलम, बांसुरी की तान पर झूला झुलाने का, ज्ञान के पानी से बुझती प्यास जन्मों की, हृदय है प्यासा उसे पानी पिलाने का, बात जिसकी समझ में है आ गई 'गुंजन', मिल गया अवसर उसे भवपार जाने का, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ॰प्र॰ ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #दीपक  अमावस हो रात फिर दीपक जलाने का,
समय हो प्रतिकूल कान्हा को बुलाने का, 

मन लगा गोपाल में तन हो गया गोकुल, 
बस यही तरक़ीब है  दुनिया  भुलाने का,

मिला खेवनहार  दरिया पार  कर  लूँगा, 
ज़िस्म में ताकत नहीं  गोता  लगाने का,

पुराने ज़ख़्मों को बे-मतलब कुरेदो मत, 
जो नहीं अपना उसे फ़िर भूल जाने का,

जन्म से आखिर तक संघर्ष का आलम, 
बांसुरी की  तान पर  झूला  झुलाने का,

ज्ञान के पानी से बुझती प्यास जन्मों की, 
हृदय  है  प्यासा  उसे  पानी  पिलाने  का,

बात जिसकी समझ में है आ गई 'गुंजन',
मिल गया अवसर उसे भवपार जाने का,
    ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
             प्रयागराज उ॰प्र॰

©Shashi Bhushan Mishra

#दीपक जलाने का#

16 Love

White वक्त कह रहा है कुछ वक्त शांत होकर गुज़ार लो, शोर करने का भी एक दिन वक़्त आएगा... । ©harshit tyagi

 White वक्त कह रहा है कुछ वक्त शांत होकर गुज़ार लो,
शोर करने का भी एक दिन वक़्त आएगा... ।

©harshit tyagi

मधुर सुप्रभात आप सभी का दिन शुभ हो

12 Love

White शीर्षक -----कहां गए वो दिन साइकिल पर बैठकर पूरे परिवार का जाना, रिश्तों का हर दिन का दहलीज पर खिलखिलाना ll खीर बनाते से वो शक्कर का मांगना, पड़ोस के स्वाद चख कटोरिया बदल जाना ll कहां गए वो दिन जो सुकून सा लाते, आज की दुनिया में हम न बतलाते ll ©काव्य महारथी

#कविता #Sad_Status  White शीर्षक -----कहां गए वो दिन

साइकिल पर बैठकर 
पूरे परिवार का जाना,
रिश्तों का हर दिन का 
दहलीज पर खिलखिलाना ll

खीर बनाते से वो
शक्कर का मांगना,
पड़ोस के स्वाद चख
कटोरिया बदल जाना ll

कहां गए वो दिन
जो सुकून सा लाते,
आज की दुनिया 
में हम न बतलाते ll

©काव्य महारथी

#Sad_Status Piyush Yogi anuj Pankaj Pahwa " बादल राजपूत " कवि आलोक मिश्र "दीपक" हिंदी कविता बारिश पर कविता हिंदी दिवस पर कविता क

15 Love

White प्रेम जगत में प्राचीनतम अन्याय है। जिससे सब पीड़ित हैं। राजा भी ,प्रजा भी,किसान और व्यापारी भी व अन्य। बिना लिंगभेद के समान रूप से स्त्री पुरुष को प्रताड़ित करता यह अन्याय ही मनुष्य तथा देवता गढ़ता है। ©निर्भय चौहान

#कविता #GoodMorning  White प्रेम जगत में प्राचीनतम अन्याय है।
जिससे सब पीड़ित हैं।
राजा भी ,प्रजा भी,किसान और व्यापारी भी व अन्य। 
बिना लिंगभेद के समान रूप से स्त्री पुरुष को प्रताड़ित करता 
यह अन्याय ही मनुष्य तथा देवता गढ़ता है।

©निर्भय चौहान

#GoodMorning @Kumar Shaurya कवि आलोक मिश्र "दीपक" @Madhusudan Shrivastava करम गोरखपुरिया @vandan sharma Islam कविता कोश मराठी कविता बारिश

18 Love

#कविता #Sad_Status  White तरसती है निगाने आज भी
उससे बिछड़ करके
की जैसे पानी को तरसे कोई 
सागर में रह करक
             
@AJAYRAJASHAYRI

©Ajay Raja

#Sad_Status मेरी शायरी मेरे साथ कविता कोश हिंदी कविता

126 View

White कौआ कोयल की आवाज को दबा सकता है लेकिन कोयल जैसी मधुर वाणी नहीं बोल सकता ©Dinesh Sharma Jind Haryana

#विचार  White कौआ कोयल की आवाज को
दबा सकता है 
लेकिन कोयल जैसी मधुर वाणी
नहीं बोल सकता

©Dinesh Sharma Jind Haryana

मधुर वाणी

13 Love

अमावस हो रात फिर दीपक जलाने का, समय हो प्रतिकूल कान्हा को बुलाने का, मन लगा गोपाल में तन हो गया गोकुल, बस यही तरक़ीब है दुनिया भुलाने का, मिला खेवनहार दरिया पार कर लूँगा, ज़िस्म में ताकत नहीं गोता लगाने का, पुराने ज़ख़्मों को बे-मतलब कुरेदो मत, जो नहीं अपना उसे फ़िर भूल जाने का, जन्म से आखिर तक संघर्ष का आलम, बांसुरी की तान पर झूला झुलाने का, ज्ञान के पानी से बुझती प्यास जन्मों की, हृदय है प्यासा उसे पानी पिलाने का, बात जिसकी समझ में है आ गई 'गुंजन', मिल गया अवसर उसे भवपार जाने का, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ॰प्र॰ ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #दीपक  अमावस हो रात फिर दीपक जलाने का,
समय हो प्रतिकूल कान्हा को बुलाने का, 

मन लगा गोपाल में तन हो गया गोकुल, 
बस यही तरक़ीब है  दुनिया  भुलाने का,

मिला खेवनहार  दरिया पार  कर  लूँगा, 
ज़िस्म में ताकत नहीं  गोता  लगाने का,

पुराने ज़ख़्मों को बे-मतलब कुरेदो मत, 
जो नहीं अपना उसे फ़िर भूल जाने का,

जन्म से आखिर तक संघर्ष का आलम, 
बांसुरी की  तान पर  झूला  झुलाने का,

ज्ञान के पानी से बुझती प्यास जन्मों की, 
हृदय  है  प्यासा  उसे  पानी  पिलाने  का,

बात जिसकी समझ में है आ गई 'गुंजन',
मिल गया अवसर उसे भवपार जाने का,
    ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
             प्रयागराज उ॰प्र॰

©Shashi Bhushan Mishra

#दीपक जलाने का#

16 Love

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