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*" आत्मविश्वास का दिया.... "* पत्थर की तरह अडिग रहना, फूलो की तरह कोमल रहना। जिन्दगी को जीना है हर दिशा में, बाधाओं से लड़ने का जज़्बा रखना। मुश्किलों के दौर आते रहेंगे, विपदाओ से घिरते हुए रहेंगे। कठिन पलो में भी ए इन्सान, मुस्कुराहट का दामन पकड़े रखना। कोई किसी के काम आए कोई किसी को अपना जाए, दिन हो या हो रात हृदय में, ऐसे सपने सदा सजाए रखना।। बुरे से बुरा मिल जाए जब, परेशान हैरान कर जाए तब। अपने आत्मविश्वास के दिए से, ज्योत हर जिगर में जलाए रखना। ये जीवन-दर्शन एक अविराम है, बदलता हर पल एक नकाब है। वक्त के हाथो कठपुतली है सभी, जैसा नचाए तुम नाचते रहना।। ©बेजुबान शायर shivkumar

#आत्मविश्वास #मुस्कुराहट #मुश्किलों #जिन्दगी #बाधाओं #कविता  *" आत्मविश्वास का दिया.... "*

पत्थर की तरह अडिग रहना,
फूलो की तरह कोमल रहना।
जिन्दगी को जीना है हर दिशा में,
बाधाओं से लड़ने का जज़्बा रखना।

मुश्किलों के दौर आते रहेंगे,
विपदाओ से घिरते हुए रहेंगे।
कठिन पलो में भी ए इन्सान,
मुस्कुराहट का दामन पकड़े रखना।

कोई किसी के काम आए
कोई किसी को अपना जाए,
दिन हो या हो रात हृदय में,
ऐसे सपने सदा सजाए रखना।।

बुरे से बुरा मिल जाए जब,
परेशान हैरान कर जाए तब।
अपने आत्मविश्वास के दिए से,
ज्योत हर जिगर में जलाए रखना।

ये जीवन-दर्शन एक अविराम है,
बदलता हर पल एक नकाब है।
वक्त के हाथो कठपुतली है सभी,
जैसा नचाए तुम नाचते रहना।।

©बेजुबान शायर shivkumar

@Kshitija @Sana naaz @puja udeshi @angel rai @poonam atrey हिंदी कविता कविता कोश कविता कविताएं हिंदी कविता *"#आत्मविश्वास का दिया...."*

16 Love

White कठपुतली सी जिंदगी, डोर किसी और के हाथ। चलना है उसकी मर्ज़ी, खो जाती अपनी बात। कभी हंसाए, कभी रुलाए, जो चाहे वो कराए, हम बस खेलते हैं किरदार, पर खुद को नहीं पा पाए। रंग-बिरंगी ये दुनिया, सपनों का बाजार, पर पीछे छिपी हैं डोरें, जो करती हैं वार-पार। हर कदम पे नाचते हैं, पर क्यूँ नाचते हैं हम, क्या यही है जिंदगी का सच, या फिर कोई भ्रम? कभी तोड़ें ये डोर, उड़ें आजाद गगन में, खुद के फैसले खुद लें, रहें अपने ही तन-मन में। कठपुतली नहीं हम, इंसान हैं अपनी पहचान से, चलें उस राह पर, जो शुरू हो अपने अरमान से। ©aditi the writer

#कठपुतली #कविता  White 
कठपुतली सी जिंदगी, डोर किसी और के हाथ।
चलना है उसकी मर्ज़ी, खो जाती अपनी बात।

कभी हंसाए, कभी रुलाए, जो चाहे वो कराए,
हम बस खेलते हैं किरदार, पर खुद को नहीं पा पाए।

रंग-बिरंगी ये दुनिया, सपनों का बाजार,
पर पीछे छिपी हैं डोरें, जो करती हैं वार-पार।

हर कदम पे नाचते हैं, पर क्यूँ नाचते हैं हम,
क्या यही है जिंदगी का सच, या फिर कोई भ्रम?

कभी तोड़ें ये डोर, उड़ें आजाद गगन में,
खुद के फैसले खुद लें, रहें अपने ही तन-मन में।

कठपुतली नहीं हम, इंसान हैं अपनी पहचान से,
चलें उस राह पर, जो शुरू हो अपने अरमान से।

©aditi the writer

White कठपुतली सी जिंदगी, डोर किसी और के हाथ। चलना है उसकी मर्ज़ी, खो जाती अपनी बात। कभी हंसाए, कभी रुलाए, जो चाहे वो कराए, हम बस खेलते हैं किरदार, पर खुद को नहीं पा पाए। रंग-बिरंगी ये दुनिया, सपनों का बाजार, पर पीछे छिपी हैं डोरें, जो करती हैं वार-पार। हर कदम पे नाचते हैं, पर क्यूँ नाचते हैं हम, क्या यही है जिंदगी का सच, या फिर कोई भ्रम? कभी तोड़ें ये डोर, उड़ें आजाद गगन में, खुद के फैसले खुद लें, रहें अपने ही तन-मन में। कठपुतली नहीं हम, इंसान हैं अपनी पहचान से, चलें उस राह पर, जो शुरू हो अपने अरमान से। ©aditi the writer

#कठपुतली #कविता  White 
कठपुतली सी जिंदगी, डोर किसी और के हाथ।
चलना है उसकी मर्ज़ी, खो जाती अपनी बात।

कभी हंसाए, कभी रुलाए, जो चाहे वो कराए,
हम बस खेलते हैं किरदार, पर खुद को नहीं पा पाए।

रंग-बिरंगी ये दुनिया, सपनों का बाजार,
पर पीछे छिपी हैं डोरें, जो करती हैं वार-पार।

हर कदम पे नाचते हैं, पर क्यूँ नाचते हैं हम,
क्या यही है जिंदगी का सच, या फिर कोई भ्रम?

कभी तोड़ें ये डोर, उड़ें आजाद गगन में,
खुद के फैसले खुद लें, रहें अपने ही तन-मन में।

कठपुतली नहीं हम, इंसान हैं अपनी पहचान से,
चलें उस राह पर, जो शुरू हो अपने अरमान से।

©aditi the writer

कठपुतली नचा रहा कर कोई इशारा नाच रही कठपुतली विवश हुई कुछ कर नहीं सकती उसपर हावी ऊँगली सभी चाहते दुनिया उनके आगे हो नतमस्तक सारा रस पान करें फिर लोग चबाएँ गुठली कोई भी शासन में आए चले उन्हीं का सिक्का ऐसा जाल बना दें जग में जोड़ जोड़ कर सुतली बेखुद कठपुतली कहती है बहुतेरे मुझ जैसे असल खिलाडी कोई और है वो पुतला है नकली ©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#कठपुतली #कविता  कठपुतली          

नचा रहा कर कोई इशारा
नाच रही कठपुतली
विवश हुई कुछ कर नहीं सकती
उसपर हावी ऊँगली

सभी चाहते दुनिया उनके
आगे हो नतमस्तक
सारा रस पान करें फिर
लोग चबाएँ गुठली

कोई भी शासन में आए
चले उन्हीं का सिक्का
ऐसा जाल बना दें जग में
जोड़ जोड़ कर सुतली

बेखुद कठपुतली कहती है
बहुतेरे मुझ जैसे
असल खिलाडी कोई और है
वो पुतला है नकली

©Sunil Kumar Maurya Bekhud

*" आत्मविश्वास का दिया.... "* पत्थर की तरह अडिग रहना, फूलो की तरह कोमल रहना। जिन्दगी को जीना है हर दिशा में, बाधाओं से लड़ने का जज़्बा रखना। मुश्किलों के दौर आते रहेंगे, विपदाओ से घिरते हुए रहेंगे। कठिन पलो में भी ए इन्सान, मुस्कुराहट का दामन पकड़े रखना। कोई किसी के काम आए कोई किसी को अपना जाए, दिन हो या हो रात हृदय में, ऐसे सपने सदा सजाए रखना।। बुरे से बुरा मिल जाए जब, परेशान हैरान कर जाए तब। अपने आत्मविश्वास के दिए से, ज्योत हर जिगर में जलाए रखना। ये जीवन-दर्शन एक अविराम है, बदलता हर पल एक नकाब है। वक्त के हाथो कठपुतली है सभी, जैसा नचाए तुम नाचते रहना।। ©बेजुबान शायर shivkumar

#आत्मविश्वास #मुस्कुराहट #मुश्किलों #जिन्दगी #बाधाओं #कविता  *" आत्मविश्वास का दिया.... "*

पत्थर की तरह अडिग रहना,
फूलो की तरह कोमल रहना।
जिन्दगी को जीना है हर दिशा में,
बाधाओं से लड़ने का जज़्बा रखना।

मुश्किलों के दौर आते रहेंगे,
विपदाओ से घिरते हुए रहेंगे।
कठिन पलो में भी ए इन्सान,
मुस्कुराहट का दामन पकड़े रखना।

कोई किसी के काम आए
कोई किसी को अपना जाए,
दिन हो या हो रात हृदय में,
ऐसे सपने सदा सजाए रखना।।

बुरे से बुरा मिल जाए जब,
परेशान हैरान कर जाए तब।
अपने आत्मविश्वास के दिए से,
ज्योत हर जिगर में जलाए रखना।

ये जीवन-दर्शन एक अविराम है,
बदलता हर पल एक नकाब है।
वक्त के हाथो कठपुतली है सभी,
जैसा नचाए तुम नाचते रहना।।

©बेजुबान शायर shivkumar

@Kshitija @Sana naaz @puja udeshi @angel rai @poonam atrey हिंदी कविता कविता कोश कविता कविताएं हिंदी कविता *"#आत्मविश्वास का दिया...."*

16 Love

White कठपुतली सी जिंदगी, डोर किसी और के हाथ। चलना है उसकी मर्ज़ी, खो जाती अपनी बात। कभी हंसाए, कभी रुलाए, जो चाहे वो कराए, हम बस खेलते हैं किरदार, पर खुद को नहीं पा पाए। रंग-बिरंगी ये दुनिया, सपनों का बाजार, पर पीछे छिपी हैं डोरें, जो करती हैं वार-पार। हर कदम पे नाचते हैं, पर क्यूँ नाचते हैं हम, क्या यही है जिंदगी का सच, या फिर कोई भ्रम? कभी तोड़ें ये डोर, उड़ें आजाद गगन में, खुद के फैसले खुद लें, रहें अपने ही तन-मन में। कठपुतली नहीं हम, इंसान हैं अपनी पहचान से, चलें उस राह पर, जो शुरू हो अपने अरमान से। ©aditi the writer

#कठपुतली #कविता  White 
कठपुतली सी जिंदगी, डोर किसी और के हाथ।
चलना है उसकी मर्ज़ी, खो जाती अपनी बात।

कभी हंसाए, कभी रुलाए, जो चाहे वो कराए,
हम बस खेलते हैं किरदार, पर खुद को नहीं पा पाए।

रंग-बिरंगी ये दुनिया, सपनों का बाजार,
पर पीछे छिपी हैं डोरें, जो करती हैं वार-पार।

हर कदम पे नाचते हैं, पर क्यूँ नाचते हैं हम,
क्या यही है जिंदगी का सच, या फिर कोई भ्रम?

कभी तोड़ें ये डोर, उड़ें आजाद गगन में,
खुद के फैसले खुद लें, रहें अपने ही तन-मन में।

कठपुतली नहीं हम, इंसान हैं अपनी पहचान से,
चलें उस राह पर, जो शुरू हो अपने अरमान से।

©aditi the writer

White कठपुतली सी जिंदगी, डोर किसी और के हाथ। चलना है उसकी मर्ज़ी, खो जाती अपनी बात। कभी हंसाए, कभी रुलाए, जो चाहे वो कराए, हम बस खेलते हैं किरदार, पर खुद को नहीं पा पाए। रंग-बिरंगी ये दुनिया, सपनों का बाजार, पर पीछे छिपी हैं डोरें, जो करती हैं वार-पार। हर कदम पे नाचते हैं, पर क्यूँ नाचते हैं हम, क्या यही है जिंदगी का सच, या फिर कोई भ्रम? कभी तोड़ें ये डोर, उड़ें आजाद गगन में, खुद के फैसले खुद लें, रहें अपने ही तन-मन में। कठपुतली नहीं हम, इंसान हैं अपनी पहचान से, चलें उस राह पर, जो शुरू हो अपने अरमान से। ©aditi the writer

#कठपुतली #कविता  White 
कठपुतली सी जिंदगी, डोर किसी और के हाथ।
चलना है उसकी मर्ज़ी, खो जाती अपनी बात।

कभी हंसाए, कभी रुलाए, जो चाहे वो कराए,
हम बस खेलते हैं किरदार, पर खुद को नहीं पा पाए।

रंग-बिरंगी ये दुनिया, सपनों का बाजार,
पर पीछे छिपी हैं डोरें, जो करती हैं वार-पार।

हर कदम पे नाचते हैं, पर क्यूँ नाचते हैं हम,
क्या यही है जिंदगी का सच, या फिर कोई भ्रम?

कभी तोड़ें ये डोर, उड़ें आजाद गगन में,
खुद के फैसले खुद लें, रहें अपने ही तन-मन में।

कठपुतली नहीं हम, इंसान हैं अपनी पहचान से,
चलें उस राह पर, जो शुरू हो अपने अरमान से।

©aditi the writer

कठपुतली नचा रहा कर कोई इशारा नाच रही कठपुतली विवश हुई कुछ कर नहीं सकती उसपर हावी ऊँगली सभी चाहते दुनिया उनके आगे हो नतमस्तक सारा रस पान करें फिर लोग चबाएँ गुठली कोई भी शासन में आए चले उन्हीं का सिक्का ऐसा जाल बना दें जग में जोड़ जोड़ कर सुतली बेखुद कठपुतली कहती है बहुतेरे मुझ जैसे असल खिलाडी कोई और है वो पुतला है नकली ©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#कठपुतली #कविता  कठपुतली          

नचा रहा कर कोई इशारा
नाच रही कठपुतली
विवश हुई कुछ कर नहीं सकती
उसपर हावी ऊँगली

सभी चाहते दुनिया उनके
आगे हो नतमस्तक
सारा रस पान करें फिर
लोग चबाएँ गुठली

कोई भी शासन में आए
चले उन्हीं का सिक्का
ऐसा जाल बना दें जग में
जोड़ जोड़ कर सुतली

बेखुद कठपुतली कहती है
बहुतेरे मुझ जैसे
असल खिलाडी कोई और है
वो पुतला है नकली

©Sunil Kumar Maurya Bekhud
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