tags

New देवरी गांव में बारिश Status, Photo, Video

Find the latest Status about देवरी गांव में बारिश from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about देवरी गांव में बारिश.

  • Latest
  • Popular
  • Video
#कॉमेडी

हिंदी चुटकुलेसंता की गांव में बहुत पिटाई हो गई

99 View

White अच्छे थे वो, कच्चे घर भी, इमारतों में, इंतजाम बहुत है!! गाँव की गलियाँ, खाली पड़ी हैं, शहरों में, सामान बहुत है!! खुली हवा में, जो चैन मिलता, बंद कमरों में, धुआँ बहुत है!! न रिश्तों की अब, गर्मी बची है, पर तकनीकी, सम्मान बहुत है!! दादी-नानी की बातें छूटीं, मोबाईल में ही ज्ञान बहुत है!! सच्ची हंसी, कम दिखती अब, लेकिन चेहरे पर ,नकाब बहुत है!! सुख-सुविधाओं से घिरा इंसान, पर दिलों में, अरमान बहुत है!! दौड़ रही दुनिया, आगे बढ़ने को, फिर भी जीने में, थकान बहुत है!! सादगी की जो मिठास थी कभी, अब दिखावे में, ईमान बहुत है!! अकेले होते लोग भीड़ में, फिर भी दिखते, महान बहुत है!! *अशोक वर्मा "हमदर्द"*(कोलकाता) ©Ashok Verma "Hamdard"

#कविता #गांव  White अच्छे थे वो, कच्चे घर भी,
इमारतों में, इंतजाम बहुत है!!

गाँव की गलियाँ, खाली पड़ी हैं,
शहरों में, सामान बहुत है!!

खुली हवा में, जो चैन मिलता,
बंद कमरों में, धुआँ बहुत है!!

न रिश्तों की अब, गर्मी बची है,
पर तकनीकी, सम्मान बहुत है!!

दादी-नानी की बातें छूटीं,
 मोबाईल में ही ज्ञान बहुत है!!

सच्ची हंसी, कम दिखती अब,
लेकिन चेहरे पर ,नकाब बहुत है!!

सुख-सुविधाओं से घिरा इंसान,
पर दिलों में, अरमान बहुत है!!

दौड़ रही दुनिया, आगे बढ़ने को,
फिर भी जीने में, थकान बहुत है!!

सादगी की जो मिठास थी कभी,
अब दिखावे में, ईमान बहुत है!!

अकेले होते लोग भीड़ में,
फिर भी दिखते, महान बहुत है!!

*अशोक वर्मा "हमदर्द"*(कोलकाता)

©Ashok Verma "Hamdard"

#गांव और शहर

13 Love

#विचार

गोरखपुर में बारिश

108 View

बारिश की बरसती बूँदों ने जब दस्तक दी दरवाजे पर, महसूस हुआ तुम आए अंदाज़ तुम्हारे जैसे था, हवा के हल्के झोंके ने जब आहट पाई खिड़की पर, महसूस हुआ तुम गुजरे एहसास तुम्हारे जैसा था, मैने गिरती बुंदो को रोकना चाहा हाथो पर, एक सर्द सा फिर एहसास हुआ लमश् तुम्हारे जैसा था, तन्हा मै चला बारिश मे तब एक झोंकों ने साथ दिया, मै समझ तुम हो मेरे साथ वो साथ तुम्हारे जैसा था, फिर रुक गई के बारिश भी रही ना बागी आहटें भी, मै समझा तुम मुझे छोड़ गये अंदाज़ तुम्हारे जैसा था, ©SamEeR “Sam" KhAn

#बारिश  बारिश की बरसती बूँदों ने जब दस्तक दी दरवाजे पर, 
महसूस हुआ तुम आए अंदाज़ तुम्हारे जैसे था,

हवा के हल्के झोंके ने जब आहट पाई खिड़की पर, 
महसूस हुआ तुम गुजरे एहसास तुम्हारे जैसा था,

मैने गिरती बुंदो को रोकना चाहा हाथो पर, 
एक सर्द सा फिर एहसास हुआ लमश् तुम्हारे जैसा था,

तन्हा मै चला बारिश मे तब एक झोंकों ने साथ दिया, 
मै समझ तुम हो मेरे साथ वो साथ तुम्हारे जैसा था,

फिर रुक गई के बारिश भी रही ना बागी आहटें भी, 
मै समझा तुम मुझे छोड़ गये अंदाज़ तुम्हारे जैसा था,

©SamEeR “Sam" KhAn

छपते-छपते रह गया, बचते-बचते बह गया, चश्मदीद था एक अदद, जाते-जाते कह गया, मौत के साये में चुप था, दर्द ज़माने का सह गया, मिट्टी का जर्जर घर था, इस बारिश में ढह गया, छोड़ गया घर-आंगन सूना, मुद्दों से कर सुलह गया, पता ठिकाना बता कोई, जाने कौन सी जगह गया, मिटा गया रंजिशें तमाम, 'गुंजन' लेकर कलह गया, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ॰प्र॰ ©Shashi Bhushan Mishra

#शायरी #इस  छपते-छपते  रह  गया, 
बचते-बचते  बह  गया,

चश्मदीद था एक अदद, 
जाते-जाते  कह  गया,

मौत के साये में चुप था, 
दर्द ज़माने का सह गया,

मिट्टी का जर्जर घर था, 
इस बारिश में ढह गया,

छोड़ गया घर-आंगन सूना,
मुद्दों से  कर सुलह गया,

पता ठिकाना  बता कोई, 
जाने कौन सी जगह गया,

मिटा गया रंजिशें  तमाम, 
'गुंजन' लेकर कलह गया,
--शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
      प्रयागराज उ॰प्र॰

©Shashi Bhushan Mishra

#इस बारिश में ढह गया#

14 Love

 White आखरी बस से उसे विदा कर आया हु
घर में ख़ामोशी है
और
रातें लंबी
हमारे गांव का
वो आखरी बच्चा
आज शहर
जा रहा है

©बदनाम

गांव

180 View

#कॉमेडी

हिंदी चुटकुलेसंता की गांव में बहुत पिटाई हो गई

99 View

White अच्छे थे वो, कच्चे घर भी, इमारतों में, इंतजाम बहुत है!! गाँव की गलियाँ, खाली पड़ी हैं, शहरों में, सामान बहुत है!! खुली हवा में, जो चैन मिलता, बंद कमरों में, धुआँ बहुत है!! न रिश्तों की अब, गर्मी बची है, पर तकनीकी, सम्मान बहुत है!! दादी-नानी की बातें छूटीं, मोबाईल में ही ज्ञान बहुत है!! सच्ची हंसी, कम दिखती अब, लेकिन चेहरे पर ,नकाब बहुत है!! सुख-सुविधाओं से घिरा इंसान, पर दिलों में, अरमान बहुत है!! दौड़ रही दुनिया, आगे बढ़ने को, फिर भी जीने में, थकान बहुत है!! सादगी की जो मिठास थी कभी, अब दिखावे में, ईमान बहुत है!! अकेले होते लोग भीड़ में, फिर भी दिखते, महान बहुत है!! *अशोक वर्मा "हमदर्द"*(कोलकाता) ©Ashok Verma "Hamdard"

#कविता #गांव  White अच्छे थे वो, कच्चे घर भी,
इमारतों में, इंतजाम बहुत है!!

गाँव की गलियाँ, खाली पड़ी हैं,
शहरों में, सामान बहुत है!!

खुली हवा में, जो चैन मिलता,
बंद कमरों में, धुआँ बहुत है!!

न रिश्तों की अब, गर्मी बची है,
पर तकनीकी, सम्मान बहुत है!!

दादी-नानी की बातें छूटीं,
 मोबाईल में ही ज्ञान बहुत है!!

सच्ची हंसी, कम दिखती अब,
लेकिन चेहरे पर ,नकाब बहुत है!!

सुख-सुविधाओं से घिरा इंसान,
पर दिलों में, अरमान बहुत है!!

दौड़ रही दुनिया, आगे बढ़ने को,
फिर भी जीने में, थकान बहुत है!!

सादगी की जो मिठास थी कभी,
अब दिखावे में, ईमान बहुत है!!

अकेले होते लोग भीड़ में,
फिर भी दिखते, महान बहुत है!!

*अशोक वर्मा "हमदर्द"*(कोलकाता)

©Ashok Verma "Hamdard"

#गांव और शहर

13 Love

#विचार

गोरखपुर में बारिश

108 View

बारिश की बरसती बूँदों ने जब दस्तक दी दरवाजे पर, महसूस हुआ तुम आए अंदाज़ तुम्हारे जैसे था, हवा के हल्के झोंके ने जब आहट पाई खिड़की पर, महसूस हुआ तुम गुजरे एहसास तुम्हारे जैसा था, मैने गिरती बुंदो को रोकना चाहा हाथो पर, एक सर्द सा फिर एहसास हुआ लमश् तुम्हारे जैसा था, तन्हा मै चला बारिश मे तब एक झोंकों ने साथ दिया, मै समझ तुम हो मेरे साथ वो साथ तुम्हारे जैसा था, फिर रुक गई के बारिश भी रही ना बागी आहटें भी, मै समझा तुम मुझे छोड़ गये अंदाज़ तुम्हारे जैसा था, ©SamEeR “Sam" KhAn

#बारिश  बारिश की बरसती बूँदों ने जब दस्तक दी दरवाजे पर, 
महसूस हुआ तुम आए अंदाज़ तुम्हारे जैसे था,

हवा के हल्के झोंके ने जब आहट पाई खिड़की पर, 
महसूस हुआ तुम गुजरे एहसास तुम्हारे जैसा था,

मैने गिरती बुंदो को रोकना चाहा हाथो पर, 
एक सर्द सा फिर एहसास हुआ लमश् तुम्हारे जैसा था,

तन्हा मै चला बारिश मे तब एक झोंकों ने साथ दिया, 
मै समझ तुम हो मेरे साथ वो साथ तुम्हारे जैसा था,

फिर रुक गई के बारिश भी रही ना बागी आहटें भी, 
मै समझा तुम मुझे छोड़ गये अंदाज़ तुम्हारे जैसा था,

©SamEeR “Sam" KhAn

छपते-छपते रह गया, बचते-बचते बह गया, चश्मदीद था एक अदद, जाते-जाते कह गया, मौत के साये में चुप था, दर्द ज़माने का सह गया, मिट्टी का जर्जर घर था, इस बारिश में ढह गया, छोड़ गया घर-आंगन सूना, मुद्दों से कर सुलह गया, पता ठिकाना बता कोई, जाने कौन सी जगह गया, मिटा गया रंजिशें तमाम, 'गुंजन' लेकर कलह गया, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ॰प्र॰ ©Shashi Bhushan Mishra

#शायरी #इस  छपते-छपते  रह  गया, 
बचते-बचते  बह  गया,

चश्मदीद था एक अदद, 
जाते-जाते  कह  गया,

मौत के साये में चुप था, 
दर्द ज़माने का सह गया,

मिट्टी का जर्जर घर था, 
इस बारिश में ढह गया,

छोड़ गया घर-आंगन सूना,
मुद्दों से  कर सुलह गया,

पता ठिकाना  बता कोई, 
जाने कौन सी जगह गया,

मिटा गया रंजिशें  तमाम, 
'गुंजन' लेकर कलह गया,
--शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
      प्रयागराज उ॰प्र॰

©Shashi Bhushan Mishra

#इस बारिश में ढह गया#

14 Love

 White आखरी बस से उसे विदा कर आया हु
घर में ख़ामोशी है
और
रातें लंबी
हमारे गांव का
वो आखरी बच्चा
आज शहर
जा रहा है

©बदनाम

गांव

180 View

Trending Topic