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New रीता चना बाजे घना Status, Photo, Video

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* तुम बिन मेरा ये अधूरा प्रेम * आंखों में भरा ये घना सा अंधेरा, पर तुम्हारे बिना मैं सो ना सका सारी ये रात । दिल में बंद असह्य पीड़ाओं का समंदर है फिर भी उछलती लहरों जैसा रो ना सका । कमी रह गई शायद तेरे मेरे प्यार में कुछ, जो ईश्वर ने जुदा कर दिया हमें तुमसे । टूटकर यु बिखर गया हमारे इश्क का ये हार, शिद्दत से संभाले हुए है हम वो एहसासों के धागों को । प्रेम के मोतियों में मैं पिरो ना सका कभी तुम्हारे इंतज़ार में तड़पता ये अंतर्मन है । मै सिर्फ तुम्हारा ही रहकर यु चल दिया, अब यह उम्र भर किसी और का हो ना सका । * प्रेम का इंतज़ार अपनी प्रेमिका के लिए * 🥀i love you .......❤️ ©Shivkumar barman

#बेजुबानशायर143 #बेजुबानशायर #इंतज़ार #एहसासों #शिद्दत #प्यार  * तुम बिन मेरा ये अधूरा प्रेम *

आंखों में भरा ये घना सा अंधेरा,
पर तुम्हारे बिना मैं सो ना सका सारी ये रात ।

दिल में बंद असह्य पीड़ाओं का समंदर है 
फिर भी उछलती लहरों जैसा रो ना सका ।

कमी रह गई शायद तेरे मेरे प्यार में कुछ,
जो ईश्वर ने जुदा कर दिया हमें तुमसे ।

टूटकर यु बिखर गया हमारे इश्क का ये हार,
शिद्दत से संभाले हुए है हम वो एहसासों के धागों को ।

प्रेम के मोतियों में मैं पिरो ना सका कभी
तुम्हारे इंतज़ार में तड़पता ये अंतर्मन है ।

मै सिर्फ तुम्हारा ही रहकर यु चल दिया,
अब यह उम्र भर किसी और का हो ना सका ।

* प्रेम का इंतज़ार अपनी प्रेमिका के लिए *
 🥀i love you .......❤️

©Shivkumar barman

* तुम बिन मेरा ये #अधूरा प्रेम * आंखों में भरा ये घना सा अंधेरा, पर तुम्हारे बिना मैं सो ना सका सारी ये #रात । दिल में बंद असह्य पीड़ाओ

16 Love

"अस्तित्व" सिर्फ़ पेड़ होना ही काफ़ी नहीं घना और विशाल भी बनना पड़ता है। एक वृक्ष को सम्मान पाने के लिए.. नदी नहीं मानी जाती है । नदीजब तक प्रवाह में उफ़ान न हो और जल में शीतलता नही आती । मनुष्य का सिर्फ मनुष्य होना भी काफ़ी नहीं है । सत्कार पाने के लिए ज़रूरी है । बाहों में बल, चेहरे पर चमक उच्च कुल, श्रेष्ठ पदनही तो कम से कम पर्याप्त धन । नैसर्गिक मनुष्य द्वारा ही बनाए गए समाज में सिर्फ़ एक नैसर्गिक मनुष्य होने का कोई अस्तित्व नहीं ! ©बेजुबान शायर shivkumar

 "अस्तित्व"

सिर्फ़ पेड़ होना ही काफ़ी नहीं
घना और विशाल भी बनना पड़ता है।

एक वृक्ष को सम्मान पाने के लिए..
नदी नहीं मानी जाती है ।
नदीजब तक प्रवाह में उफ़ान न हो 
और जल में शीतलता नही आती ।

मनुष्य का सिर्फ मनुष्य होना भी काफ़ी नहीं है ।
सत्कार पाने के लिए ज़रूरी है ।
बाहों में बल, चेहरे पर चमक
उच्च कुल, श्रेष्ठ पदनही तो कम से कम पर्याप्त धन ।

नैसर्गिक मनुष्य द्वारा ही बनाए गए समाज में
सिर्फ़ एक नैसर्गिक मनुष्य होने का कोई अस्तित्व नहीं !

©बेजुबान शायर shivkumar

" #अस्तित्व " सिर्फ़ पेड़ होना ही काफ़ी नहीं घना और विशाल भी बनना पड़ता है। एक #वृक्ष को #सम्मान पाने के लिए.. नदी नहीं मानी जाती है । न

16 Love

* तुम बिन मेरा ये अधूरा प्रेम * आंखों में भरा ये घना सा अंधेरा, पर तुम्हारे बिना मैं सो ना सका सारी ये रात । दिल में बंद असह्य पीड़ाओं का समंदर है फिर भी उछलती लहरों जैसा रो ना सका । कमी रह गई शायद तेरे मेरे प्यार में कुछ, जो ईश्वर ने जुदा कर दिया हमें तुमसे । टूटकर यु बिखर गया हमारे इश्क का ये हार, शिद्दत से संभाले हुए है हम वो एहसासों के धागों को । प्रेम के मोतियों में मैं पिरो ना सका कभी तुम्हारे इंतज़ार में तड़पता ये अंतर्मन है । मै सिर्फ तुम्हारा ही रहकर यु चल दिया, अब यह उम्र भर किसी और का हो ना सका । * प्रेम का इंतज़ार अपनी प्रेमिका के लिए * 🥀i love you .......❤️ ©Shivkumar barman

#बेजुबानशायर143 #बेजुबानशायर #इंतज़ार #एहसासों #शिद्दत #प्यार  * तुम बिन मेरा ये अधूरा प्रेम *

आंखों में भरा ये घना सा अंधेरा,
पर तुम्हारे बिना मैं सो ना सका सारी ये रात ।

दिल में बंद असह्य पीड़ाओं का समंदर है 
फिर भी उछलती लहरों जैसा रो ना सका ।

कमी रह गई शायद तेरे मेरे प्यार में कुछ,
जो ईश्वर ने जुदा कर दिया हमें तुमसे ।

टूटकर यु बिखर गया हमारे इश्क का ये हार,
शिद्दत से संभाले हुए है हम वो एहसासों के धागों को ।

प्रेम के मोतियों में मैं पिरो ना सका कभी
तुम्हारे इंतज़ार में तड़पता ये अंतर्मन है ।

मै सिर्फ तुम्हारा ही रहकर यु चल दिया,
अब यह उम्र भर किसी और का हो ना सका ।

* प्रेम का इंतज़ार अपनी प्रेमिका के लिए *
 🥀i love you .......❤️

©Shivkumar barman

* तुम बिन मेरा ये #अधूरा प्रेम * आंखों में भरा ये घना सा अंधेरा, पर तुम्हारे बिना मैं सो ना सका सारी ये #रात । दिल में बंद असह्य पीड़ाओ

16 Love

"अस्तित्व" सिर्फ़ पेड़ होना ही काफ़ी नहीं घना और विशाल भी बनना पड़ता है। एक वृक्ष को सम्मान पाने के लिए.. नदी नहीं मानी जाती है । नदीजब तक प्रवाह में उफ़ान न हो और जल में शीतलता नही आती । मनुष्य का सिर्फ मनुष्य होना भी काफ़ी नहीं है । सत्कार पाने के लिए ज़रूरी है । बाहों में बल, चेहरे पर चमक उच्च कुल, श्रेष्ठ पदनही तो कम से कम पर्याप्त धन । नैसर्गिक मनुष्य द्वारा ही बनाए गए समाज में सिर्फ़ एक नैसर्गिक मनुष्य होने का कोई अस्तित्व नहीं ! ©बेजुबान शायर shivkumar

 "अस्तित्व"

सिर्फ़ पेड़ होना ही काफ़ी नहीं
घना और विशाल भी बनना पड़ता है।

एक वृक्ष को सम्मान पाने के लिए..
नदी नहीं मानी जाती है ।
नदीजब तक प्रवाह में उफ़ान न हो 
और जल में शीतलता नही आती ।

मनुष्य का सिर्फ मनुष्य होना भी काफ़ी नहीं है ।
सत्कार पाने के लिए ज़रूरी है ।
बाहों में बल, चेहरे पर चमक
उच्च कुल, श्रेष्ठ पदनही तो कम से कम पर्याप्त धन ।

नैसर्गिक मनुष्य द्वारा ही बनाए गए समाज में
सिर्फ़ एक नैसर्गिक मनुष्य होने का कोई अस्तित्व नहीं !

©बेजुबान शायर shivkumar

" #अस्तित्व " सिर्फ़ पेड़ होना ही काफ़ी नहीं घना और विशाल भी बनना पड़ता है। एक #वृक्ष को #सम्मान पाने के लिए.. नदी नहीं मानी जाती है । न

16 Love

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