White **खत मेरे सपनों को**
खत लिखूं मैं अपने सपनों को,
जो हर रात मेरे संग चलते हैं।
चुपचाप आकर मेरे दिल में,
अनकही बातें कहते हैं।
कभी वो रंगीन परिंदों से,
आकाश में उड़ते जाते हैं।
कभी वो चुपचाप किनारे पे,
बैठकर लहरों से खेलते हैं।
उनमें कभी इक गांव का रस्ता,
जहां मिट्टी की खुशबू होती है।
कभी शहर की चकाचौंध में,
अधूरी कहानी सोती है।
सपने हैं ये कुछ अनजाने से,
पर अपने से लगते हैं।
हर बार मुझे वो दूर कहीं,
खुद से मिलने ले चलते हैं।
खत लिखूं मैं अपने सपनों को,
शायद ये बातें समझाएं।
कभी तो वो हकीकत बनें,
और मेरी दुनिया में आ जाएं।
©aditi the writer
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