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#शायरी #अ  White गणपति    बप्पा     मोरिया
देश   में   ये   क्या   होरिया

रात  तो  मुफ्त  में  दागी  है
दिन  में  नहीं  क्या  होरिया

काली लक्ष्मी हँसी खुशी है
खून      पसीना     रोरिया

महाकाल की नगरी में नर
रेप का विडिओ बनारिया

बप्पा  तुम  कब  आओगे
शिव  के  गण सब रोरिया

©Rabindra Prasad Sinha

#अ

90 View

White गम लिखते हर पन्ने में तुम मुझको मेरे साथ दिखी, तन्हा रोज बिलखने में तुम मुझको मेरे साथ दिखी, दुनियाँ कहती है सच होते है सब भौर दिखे सपने, आज सुबह के सपने में तुम मुझको मेरे साथ दिखी। चारण गोविन्द

#चारण_गोविन्द #शायरी #CharanGovindG #love_shayari #govindkesher  White गम लिखते हर पन्ने में तुम मुझको मेरे साथ दिखी, 
तन्हा रोज बिलखने में तुम मुझको मेरे साथ दिखी,

दुनियाँ कहती है सच होते है सब भौर दिखे सपने,
आज सुबह के सपने में तुम मुझको मेरे साथ दिखी।

चारण गोविन्द

प्रीत जो ताउम्र चलें। #चारण_गोविन्द #govindkesher #actual_poet #CharanGovindG #Dream #Love #Poetry #Teacher #RAJASTHANI #love_shayari

10 Love

*विधा     सरसी छन्द आधारित गीत* आओ लौट चलें अब साथी , सुंदर अपने गाँव । वहीं मिलेगी बरगद की सुन , शीतल हमको छाँव ।। आओ लौट चलें अब साथी .... पूर्ण हुई वह खुशियाँ सारी , जो थी मन में चाह । खूब कमाकर पैसा सोचा , करूँ सुता का ब्याह ।। आज उन्हीं बच्चों ने बोला , क्यों करते हो काँव । जिनकी खातिर ठुकरा आया, मातु-पिता की ठाँव । आओ लौट चलें अब साथी ..... स्वार्थ रहित जीवन जीने से , मरना उच्च उपाय । सुख की चाह लिए भागा मैं, और बढ़ाऊँ आय ।। यह जीवन मिथ्या कर डाला , पाया संग तनाव । देख मनुज से पशु बन बैठा , डालो गले गराँव ।। आओ लौट चलें अब साथी.... भूल गया मिट्टी के घर को , किया नहीं परवाह । मिला प्रेम था मातु-पिता से , लगा न पाया थाह ।। अच्छा रहना अच्छा खाना , मन में था ठहराव । सारा जीवन लगा दिया मैं , इन बच्चों पर दाँव ।। आओ लौट चलें अब साथी ..... झुकी कमर कहती है हमसे , मिटी हाथ की रेख । गर्दन भी ये अब न न  करती ,लोग रहे सब देख ।। वो सब हँसते हम पछताते, इतने हैं बदलाव । मूर्ख बना हूँ छोड़ गाँव को , बदली जीवन नाँव ।। आओ लौट चलें साथी अब ... कभी लोभ में पड़कर भैय्या , छोड़ न जाना गाँव । एक प्रकृति ही देती हमको , शीतल-शीतल छाँव ।। और न कोई सगा धरा पर , झूठा सभी लगाव । अब यह जीवन है सुन दरिया , जाऊँ जिधर बहाव ।। आओ लौट चलें अब साथी.... आओ लौट चलें अब साथी , सुंदर अपने गाँव । वहीं मिलेगी बरगद की सुन , शीतल हमको छाँव ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  *विधा     सरसी छन्द आधारित गीत*

आओ लौट चलें अब साथी , सुंदर अपने गाँव ।
वहीं मिलेगी बरगद की सुन , शीतल हमको छाँव ।।
आओ लौट चलें अब साथी ....

पूर्ण हुई वह खुशियाँ सारी , जो थी मन में चाह ।
खूब कमाकर पैसा सोचा , करूँ सुता का ब्याह ।।
आज उन्हीं बच्चों ने बोला , क्यों करते हो काँव ।
जिनकी खातिर ठुकरा आया, मातु-पिता की ठाँव ।
आओ लौट चलें अब साथी .....

स्वार्थ रहित जीवन जीने से , मरना उच्च उपाय ।
सुख की चाह लिए भागा मैं, और बढ़ाऊँ आय ।।
यह जीवन मिथ्या कर डाला , पाया संग तनाव ।
देख मनुज से पशु बन बैठा , डालो गले गराँव ।।
आओ लौट चलें अब साथी....

भूल गया मिट्टी के घर को , किया नहीं परवाह ।
मिला प्रेम था मातु-पिता से , लगा न पाया थाह ।।
अच्छा रहना अच्छा खाना , मन में था ठहराव ।
सारा जीवन लगा दिया मैं , इन बच्चों पर दाँव ।।
आओ लौट चलें अब साथी .....

झुकी कमर कहती है हमसे , मिटी हाथ की रेख ।
गर्दन भी ये अब न न  करती ,लोग रहे सब देख ।।
वो सब हँसते हम पछताते, इतने हैं बदलाव ।
मूर्ख बना हूँ छोड़ गाँव को , बदली जीवन नाँव ।।
आओ लौट चलें साथी अब ...

कभी लोभ में पड़कर भैय्या , छोड़ न जाना गाँव ।
एक प्रकृति ही देती हमको , शीतल-शीतल छाँव ।।
और न कोई सगा धरा पर , झूठा सभी लगाव ।
अब यह जीवन है सुन दरिया , जाऊँ जिधर बहाव ।।
आओ लौट चलें अब साथी....

आओ लौट चलें अब साथी , सुंदर अपने गाँव ।
वहीं मिलेगी बरगद की सुन , शीतल हमको छाँव ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

*विधा     सरसी छन्द आधारित गीत* आओ लौट चलें अब साथी , सुंदर अपने गाँव । वहीं मिलेगी बरगद की सुन , शीतल हमको छाँव ।। आओ लौट चलें अब साथी ...

15 Love

#कविता #अ  सावन में उफनती नदी का
सुन रहा हूँ शोर

मिडिया में भी है शोर कि
बह गयीं हैं 
अभी अभी की बनी सड़कें
बह गयें हैं 
अभी अभी के बने पूल

टपक रही है
नये नवेले संसद भवन 
और अयोध्या में प्रभु राम के मंदिर का छत

बहुत शोर है
मगर कितना नपुंसक है कि
बदलाव का 
एक पत्ता तक नहीं खड़कता

©Rabindra Prasad Sinha

#अ

90 View

#Videos

Sorry dear Monika 💔 But अब कोई नही आ सकती!

126 View

#good_morning_quotes #SAD  White अपनी जिंदगी की उलझलो से
 इतना परेशान हूँ मै
की ना मै किसी को समझ रहा हूँ
और ना मुझे कोई समझ रहा है
अब तों जिंदगी जिनने से अच्छा है
चन की मौत आ जाना
By=Ramkishor

©Ramkishor Saini India

#good_morning_quotes मौत आ जाना

6,138 View

#शायरी #अ  White गणपति    बप्पा     मोरिया
देश   में   ये   क्या   होरिया

रात  तो  मुफ्त  में  दागी  है
दिन  में  नहीं  क्या  होरिया

काली लक्ष्मी हँसी खुशी है
खून      पसीना     रोरिया

महाकाल की नगरी में नर
रेप का विडिओ बनारिया

बप्पा  तुम  कब  आओगे
शिव  के  गण सब रोरिया

©Rabindra Prasad Sinha

#अ

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White गम लिखते हर पन्ने में तुम मुझको मेरे साथ दिखी, तन्हा रोज बिलखने में तुम मुझको मेरे साथ दिखी, दुनियाँ कहती है सच होते है सब भौर दिखे सपने, आज सुबह के सपने में तुम मुझको मेरे साथ दिखी। चारण गोविन्द

#चारण_गोविन्द #शायरी #CharanGovindG #love_shayari #govindkesher  White गम लिखते हर पन्ने में तुम मुझको मेरे साथ दिखी, 
तन्हा रोज बिलखने में तुम मुझको मेरे साथ दिखी,

दुनियाँ कहती है सच होते है सब भौर दिखे सपने,
आज सुबह के सपने में तुम मुझको मेरे साथ दिखी।

चारण गोविन्द

प्रीत जो ताउम्र चलें। #चारण_गोविन्द #govindkesher #actual_poet #CharanGovindG #Dream #Love #Poetry #Teacher #RAJASTHANI #love_shayari

10 Love

*विधा     सरसी छन्द आधारित गीत* आओ लौट चलें अब साथी , सुंदर अपने गाँव । वहीं मिलेगी बरगद की सुन , शीतल हमको छाँव ।। आओ लौट चलें अब साथी .... पूर्ण हुई वह खुशियाँ सारी , जो थी मन में चाह । खूब कमाकर पैसा सोचा , करूँ सुता का ब्याह ।। आज उन्हीं बच्चों ने बोला , क्यों करते हो काँव । जिनकी खातिर ठुकरा आया, मातु-पिता की ठाँव । आओ लौट चलें अब साथी ..... स्वार्थ रहित जीवन जीने से , मरना उच्च उपाय । सुख की चाह लिए भागा मैं, और बढ़ाऊँ आय ।। यह जीवन मिथ्या कर डाला , पाया संग तनाव । देख मनुज से पशु बन बैठा , डालो गले गराँव ।। आओ लौट चलें अब साथी.... भूल गया मिट्टी के घर को , किया नहीं परवाह । मिला प्रेम था मातु-पिता से , लगा न पाया थाह ।। अच्छा रहना अच्छा खाना , मन में था ठहराव । सारा जीवन लगा दिया मैं , इन बच्चों पर दाँव ।। आओ लौट चलें अब साथी ..... झुकी कमर कहती है हमसे , मिटी हाथ की रेख । गर्दन भी ये अब न न  करती ,लोग रहे सब देख ।। वो सब हँसते हम पछताते, इतने हैं बदलाव । मूर्ख बना हूँ छोड़ गाँव को , बदली जीवन नाँव ।। आओ लौट चलें साथी अब ... कभी लोभ में पड़कर भैय्या , छोड़ न जाना गाँव । एक प्रकृति ही देती हमको , शीतल-शीतल छाँव ।। और न कोई सगा धरा पर , झूठा सभी लगाव । अब यह जीवन है सुन दरिया , जाऊँ जिधर बहाव ।। आओ लौट चलें अब साथी.... आओ लौट चलें अब साथी , सुंदर अपने गाँव । वहीं मिलेगी बरगद की सुन , शीतल हमको छाँव ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  *विधा     सरसी छन्द आधारित गीत*

आओ लौट चलें अब साथी , सुंदर अपने गाँव ।
वहीं मिलेगी बरगद की सुन , शीतल हमको छाँव ।।
आओ लौट चलें अब साथी ....

पूर्ण हुई वह खुशियाँ सारी , जो थी मन में चाह ।
खूब कमाकर पैसा सोचा , करूँ सुता का ब्याह ।।
आज उन्हीं बच्चों ने बोला , क्यों करते हो काँव ।
जिनकी खातिर ठुकरा आया, मातु-पिता की ठाँव ।
आओ लौट चलें अब साथी .....

स्वार्थ रहित जीवन जीने से , मरना उच्च उपाय ।
सुख की चाह लिए भागा मैं, और बढ़ाऊँ आय ।।
यह जीवन मिथ्या कर डाला , पाया संग तनाव ।
देख मनुज से पशु बन बैठा , डालो गले गराँव ।।
आओ लौट चलें अब साथी....

भूल गया मिट्टी के घर को , किया नहीं परवाह ।
मिला प्रेम था मातु-पिता से , लगा न पाया थाह ।।
अच्छा रहना अच्छा खाना , मन में था ठहराव ।
सारा जीवन लगा दिया मैं , इन बच्चों पर दाँव ।।
आओ लौट चलें अब साथी .....

झुकी कमर कहती है हमसे , मिटी हाथ की रेख ।
गर्दन भी ये अब न न  करती ,लोग रहे सब देख ।।
वो सब हँसते हम पछताते, इतने हैं बदलाव ।
मूर्ख बना हूँ छोड़ गाँव को , बदली जीवन नाँव ।।
आओ लौट चलें साथी अब ...

कभी लोभ में पड़कर भैय्या , छोड़ न जाना गाँव ।
एक प्रकृति ही देती हमको , शीतल-शीतल छाँव ।।
और न कोई सगा धरा पर , झूठा सभी लगाव ।
अब यह जीवन है सुन दरिया , जाऊँ जिधर बहाव ।।
आओ लौट चलें अब साथी....

आओ लौट चलें अब साथी , सुंदर अपने गाँव ।
वहीं मिलेगी बरगद की सुन , शीतल हमको छाँव ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

*विधा     सरसी छन्द आधारित गीत* आओ लौट चलें अब साथी , सुंदर अपने गाँव । वहीं मिलेगी बरगद की सुन , शीतल हमको छाँव ।। आओ लौट चलें अब साथी ...

15 Love

#कविता #अ  सावन में उफनती नदी का
सुन रहा हूँ शोर

मिडिया में भी है शोर कि
बह गयीं हैं 
अभी अभी की बनी सड़कें
बह गयें हैं 
अभी अभी के बने पूल

टपक रही है
नये नवेले संसद भवन 
और अयोध्या में प्रभु राम के मंदिर का छत

बहुत शोर है
मगर कितना नपुंसक है कि
बदलाव का 
एक पत्ता तक नहीं खड़कता

©Rabindra Prasad Sinha

#अ

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Sorry dear Monika 💔 But अब कोई नही आ सकती!

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#good_morning_quotes #SAD  White अपनी जिंदगी की उलझलो से
 इतना परेशान हूँ मै
की ना मै किसी को समझ रहा हूँ
और ना मुझे कोई समझ रहा है
अब तों जिंदगी जिनने से अच्छा है
चन की मौत आ जाना
By=Ramkishor

©Ramkishor Saini India

#good_morning_quotes मौत आ जाना

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