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#वीडियो

"जंगल का खजाना – बुद्धिमान खरगोश, रहस्यमय अजगर और एकता की शक्ति: Inspiring and Epic Journey" - क्या होगा जब एक घने जंगल में एक बुद्धिमान खरग

135 View

#साहिब_ए_मसनद #आवामएहिंद #राजनीति #भारतीय #अदनासा #हिंदी  मुसलसल मेरे ज़ख़्मों पर यूंही नमक मलने की
गंदी सी लत पड़ चुकी है साहिब-ए-मसनद को
पर वो आज-कल करने लगे है बातें मरहम की
और घबराने लगे है देख ज़ख़्मों के हर कद को
संगीन जुर्म है यह जले घरों पर हाथ सेंकने की
जैसी करनी वैसी भरनी पता है हर सरहद को
हम अवाम-ए-हिंद है हमें आदत नही सहने की
ना आंको साहिब-ए-मसनद आवाम की हद को

©अदनासा-

चित्र सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳https://images.app.goo.gl/5yGszMd2tUSv3h4J9 #भारतीय #साहिब_ए_मसनद #हिंदी #आदत #आवाम #आवामएहिंद #राजनीति

126 View

#सर्वधर्मसमभाव #अदनासा #हिंदी #शायरी #इंसान #मज़हब  अगर मैं इंसान हूं तो एतराज़ भला क्यों हो मज़हब से
और इंसान तो वही है जो हर मज़हब में रब देखता है
पर इंसान बेहद ग़म-ज़दा है शर्मसार सा है उन सब से 
जो इंसान में रब नही महज़ मज़हब ही ढूंढता रहता है

©अदनासा-

चित्र सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳https://pin.it/2YC358vsM #भारत #देश #सर्वधर्मसमभाव #हिंदी #मज़हब #सब #इंसान #Pinterest #Instagram #अदना

162 View

#खिलाड़ीयोंकेखिलाड़ी #विश्वविख्यात #विनेशफोगाट #मोटिवेशनल #फ़ौलादी #भारतीय  दुश्मनों की चाहत यही मैं टूटती रहूं
या इसे कुछ दोस्तों की बेरुखी कहूं
टूटकर जुड़ने का मजबूत इरादा हूं
मैं आज हर भारतीय के दिल में हूं

©अदनासा-

चित्र सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳https://images.app.goo.gl/nMQAV2oopWNu14t56 #भारतीय #कुश्ती #पहलवान #खिलाड़ीयोंकेखिलाड़ी #फ़ौलादी #विश्

162 View

White आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है पर सुंदर नहीं लग रही है न नहाने-खाने के कारण स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण चिढ भी रही है वह। होकर नाराज़ नभ देख रही है और मैं उसकी आँखों में देखते-देखते दस बजे सजे पुस्तक-पन्नों के शब्दाें को फेसबुक; व्हाट्सएप; इंस्टाग्रामादि पर सजा रहा हूँ, "प्रसन्न बच्चों की आवाज़ें सर्वत्र गूँज रही हैं; सभी के लिए यह दिवा मेहमान है, पतंगों से सजा आसमान है, जिसकी ओर कविता का भी ध्यान है और उसकी ओर मेरा ध्यान है। लाल-पीली; हरी-नीली-पतंगें युद्ध-खेल खेल रही हैं अनंत आसमानी पानी और बादलों के बगीचे में मैंने देखा उन्हें कविता की आँखों से भरी पड़ी प्रत्येक छत है, प्रत्येक पतंग प्रतिस्पर्धा में रत है, कई किन्हीं इशारों पर नाच रही हैं, कई मुक्ति पाने-जाने के लिए छटपटा रहीं हैं, पिन्नी वाली फटी फटफटा रही हैं, कई मुक्त हुए जा रही हैं पश्चिम से पूर्व की ओर मस्ती में ठुमका लगाते हुए जा रही हैं अपने लक्ष्य की ओर तो कई कैदी बने रो रही हैं पक्के धागे के पिंजरे में, जिस प्रकार पक्षी (पतंग) अपने अंग-अंग को पटकते हैं पिजरे में बड़ी बेरहमी से फिर कविता की आँखों की नमी से पूछा मैंने कि क्या हुआ इससे आगे, क्या टूट गये वे सारे धागे? कविता ने कहा, "टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी पतंगों के धागे, टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी भिन्न-भिन्न रंगों के धागे। है आवश्यक अभी कि काश टूट जाते बुराई के धागे!!" . ...✍️विकास साहनी ©Vikas Sahni

#पतंगों_के_प्रति #कविता  White 
आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है
पर सुंदर नहीं लग रही है
न नहाने-खाने के कारण
स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण
चिढ भी रही है वह।
होकर नाराज़ नभ देख रही है
और मैं उसकी आँखों में 
देखते-देखते दस बजे सजे
पुस्तक-पन्नों के शब्दाें को फेसबुक; व्हाट्सएप; इंस्टाग्रामादि पर सजा रहा हूँ,
"प्रसन्न बच्चों की आवाज़ें सर्वत्र गूँज रही हैं;
सभी के लिए यह दिवा मेहमान है,
पतंगों से सजा आसमान है,
जिसकी ओर कविता का भी ध्यान है
और उसकी ओर मेरा ध्यान है।
लाल-पीली; हरी-नीली-पतंगें युद्ध-खेल खेल रही हैं
अनंत आसमानी पानी  और बादलों के बगीचे में
मैंने देखा उन्हें कविता की आँखों से
भरी पड़ी प्रत्येक छत है,
प्रत्येक पतंग प्रतिस्पर्धा में रत है,
कई किन्हीं इशारों पर नाच रही हैं,
कई मुक्ति पाने-जाने के लिए छटपटा रहीं हैं,
पिन्नी वाली फटी फटफटा रही हैं,
कई मुक्त हुए जा रही हैं
पश्चिम से पूर्व की ओर मस्ती में ठुमका लगाते हुए
जा रही हैं अपने लक्ष्य की ओर
तो कई कैदी बने रो रही हैं पक्के धागे के पिंजरे में,
जिस प्रकार पक्षी (पतंग)
अपने अंग-अंग को पटकते हैं पिजरे में बड़ी बेरहमी से
फिर कविता की आँखों की नमी से
पूछा मैंने कि क्या हुआ इससे आगे,
क्या टूट गये वे सारे धागे?
कविता ने कहा, "टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी पतंगों के धागे,
टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी भिन्न-भिन्न रंगों के धागे।
है आवश्यक अभी कि काश टूट जाते बुराई के धागे!!"
     .                      ...✍️विकास साहनी

©Vikas Sahni

#पतंगों_के_प्रति आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है पर सुंदर नहीं लग रही है न नहाने-खाने के कारण स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण चिढ

13 Love

#कवयित्री #समर्पित #अदनासा #मित्र #हिंदी #शायरा  भले ही शराब शायरों में अपनी शोहरत बनाती रहें,
हम चाय पीने वाले तो चाहें चाह रोज़ चहकती रहें।

©अदनासा-

मित्र कवयित्री सुदीप्ता दीप्त जी एवं मेरे सभी चाय प्रेमी दोस्तों के लिए हार्दिक समर्पित।💐💐🌹🌹🙏🙏😊🇮🇳🇮🇳 चित्र सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳htt

153 View

#वीडियो

"जंगल का खजाना – बुद्धिमान खरगोश, रहस्यमय अजगर और एकता की शक्ति: Inspiring and Epic Journey" - क्या होगा जब एक घने जंगल में एक बुद्धिमान खरग

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#साहिब_ए_मसनद #आवामएहिंद #राजनीति #भारतीय #अदनासा #हिंदी  मुसलसल मेरे ज़ख़्मों पर यूंही नमक मलने की
गंदी सी लत पड़ चुकी है साहिब-ए-मसनद को
पर वो आज-कल करने लगे है बातें मरहम की
और घबराने लगे है देख ज़ख़्मों के हर कद को
संगीन जुर्म है यह जले घरों पर हाथ सेंकने की
जैसी करनी वैसी भरनी पता है हर सरहद को
हम अवाम-ए-हिंद है हमें आदत नही सहने की
ना आंको साहिब-ए-मसनद आवाम की हद को

©अदनासा-

चित्र सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳https://images.app.goo.gl/5yGszMd2tUSv3h4J9 #भारतीय #साहिब_ए_मसनद #हिंदी #आदत #आवाम #आवामएहिंद #राजनीति

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#सर्वधर्मसमभाव #अदनासा #हिंदी #शायरी #इंसान #मज़हब  अगर मैं इंसान हूं तो एतराज़ भला क्यों हो मज़हब से
और इंसान तो वही है जो हर मज़हब में रब देखता है
पर इंसान बेहद ग़म-ज़दा है शर्मसार सा है उन सब से 
जो इंसान में रब नही महज़ मज़हब ही ढूंढता रहता है

©अदनासा-

चित्र सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳https://pin.it/2YC358vsM #भारत #देश #सर्वधर्मसमभाव #हिंदी #मज़हब #सब #इंसान #Pinterest #Instagram #अदना

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#खिलाड़ीयोंकेखिलाड़ी #विश्वविख्यात #विनेशफोगाट #मोटिवेशनल #फ़ौलादी #भारतीय  दुश्मनों की चाहत यही मैं टूटती रहूं
या इसे कुछ दोस्तों की बेरुखी कहूं
टूटकर जुड़ने का मजबूत इरादा हूं
मैं आज हर भारतीय के दिल में हूं

©अदनासा-

चित्र सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳https://images.app.goo.gl/nMQAV2oopWNu14t56 #भारतीय #कुश्ती #पहलवान #खिलाड़ीयोंकेखिलाड़ी #फ़ौलादी #विश्

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White आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है पर सुंदर नहीं लग रही है न नहाने-खाने के कारण स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण चिढ भी रही है वह। होकर नाराज़ नभ देख रही है और मैं उसकी आँखों में देखते-देखते दस बजे सजे पुस्तक-पन्नों के शब्दाें को फेसबुक; व्हाट्सएप; इंस्टाग्रामादि पर सजा रहा हूँ, "प्रसन्न बच्चों की आवाज़ें सर्वत्र गूँज रही हैं; सभी के लिए यह दिवा मेहमान है, पतंगों से सजा आसमान है, जिसकी ओर कविता का भी ध्यान है और उसकी ओर मेरा ध्यान है। लाल-पीली; हरी-नीली-पतंगें युद्ध-खेल खेल रही हैं अनंत आसमानी पानी और बादलों के बगीचे में मैंने देखा उन्हें कविता की आँखों से भरी पड़ी प्रत्येक छत है, प्रत्येक पतंग प्रतिस्पर्धा में रत है, कई किन्हीं इशारों पर नाच रही हैं, कई मुक्ति पाने-जाने के लिए छटपटा रहीं हैं, पिन्नी वाली फटी फटफटा रही हैं, कई मुक्त हुए जा रही हैं पश्चिम से पूर्व की ओर मस्ती में ठुमका लगाते हुए जा रही हैं अपने लक्ष्य की ओर तो कई कैदी बने रो रही हैं पक्के धागे के पिंजरे में, जिस प्रकार पक्षी (पतंग) अपने अंग-अंग को पटकते हैं पिजरे में बड़ी बेरहमी से फिर कविता की आँखों की नमी से पूछा मैंने कि क्या हुआ इससे आगे, क्या टूट गये वे सारे धागे? कविता ने कहा, "टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी पतंगों के धागे, टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी भिन्न-भिन्न रंगों के धागे। है आवश्यक अभी कि काश टूट जाते बुराई के धागे!!" . ...✍️विकास साहनी ©Vikas Sahni

#पतंगों_के_प्रति #कविता  White 
आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है
पर सुंदर नहीं लग रही है
न नहाने-खाने के कारण
स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण
चिढ भी रही है वह।
होकर नाराज़ नभ देख रही है
और मैं उसकी आँखों में 
देखते-देखते दस बजे सजे
पुस्तक-पन्नों के शब्दाें को फेसबुक; व्हाट्सएप; इंस्टाग्रामादि पर सजा रहा हूँ,
"प्रसन्न बच्चों की आवाज़ें सर्वत्र गूँज रही हैं;
सभी के लिए यह दिवा मेहमान है,
पतंगों से सजा आसमान है,
जिसकी ओर कविता का भी ध्यान है
और उसकी ओर मेरा ध्यान है।
लाल-पीली; हरी-नीली-पतंगें युद्ध-खेल खेल रही हैं
अनंत आसमानी पानी  और बादलों के बगीचे में
मैंने देखा उन्हें कविता की आँखों से
भरी पड़ी प्रत्येक छत है,
प्रत्येक पतंग प्रतिस्पर्धा में रत है,
कई किन्हीं इशारों पर नाच रही हैं,
कई मुक्ति पाने-जाने के लिए छटपटा रहीं हैं,
पिन्नी वाली फटी फटफटा रही हैं,
कई मुक्त हुए जा रही हैं
पश्चिम से पूर्व की ओर मस्ती में ठुमका लगाते हुए
जा रही हैं अपने लक्ष्य की ओर
तो कई कैदी बने रो रही हैं पक्के धागे के पिंजरे में,
जिस प्रकार पक्षी (पतंग)
अपने अंग-अंग को पटकते हैं पिजरे में बड़ी बेरहमी से
फिर कविता की आँखों की नमी से
पूछा मैंने कि क्या हुआ इससे आगे,
क्या टूट गये वे सारे धागे?
कविता ने कहा, "टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी पतंगों के धागे,
टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी भिन्न-भिन्न रंगों के धागे।
है आवश्यक अभी कि काश टूट जाते बुराई के धागे!!"
     .                      ...✍️विकास साहनी

©Vikas Sahni

#पतंगों_के_प्रति आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है पर सुंदर नहीं लग रही है न नहाने-खाने के कारण स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण चिढ

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#कवयित्री #समर्पित #अदनासा #मित्र #हिंदी #शायरा  भले ही शराब शायरों में अपनी शोहरत बनाती रहें,
हम चाय पीने वाले तो चाहें चाह रोज़ चहकती रहें।

©अदनासा-

मित्र कवयित्री सुदीप्ता दीप्त जी एवं मेरे सभी चाय प्रेमी दोस्तों के लिए हार्दिक समर्पित।💐💐🌹🌹🙏🙏😊🇮🇳🇮🇳 चित्र सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳htt

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