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White नेता जी संसद भवन में अब,ये मारा मारी बंद करो। झूठे वादों से वोटों की कालाबाजारी बंद करो। नेता जी..... TV में जब से दिखने लगे,ज्यादा उत्तेजित रहते हो, मर जायेंगे जनता खातिर हर बात में कहते रहते हो। बोतल तोड़ो कुर्सी छोड़ो, हल्ला गुल्ला करते हो, खत्म हुआ जैसे ही सदन,कैन्टीन में सुल्ला करते हो। जाति धर्म के नाम पे नफरत की बमबारी बंद करो, नेता जी..... पढ़ने लिखने वालों पर, लाठी डंडे चलवाते हो, जान जा रही बेटी की, तुम कैन्डेल मार्च कराते हो। जनता के मुद्दों पर बोलो, उस पर बहस जरूर करो, नियम बनाना बंद करो, अब नीति बनाना शुरू करो। बहस के नाम पे जहर उगलने की ये पारी बंद करो, नेता जी ....... क्या खाकर पैदा करते, जो नेता बनने लायक हैं, अपने बेटे को मिले टिकट, बाकी जनता नालायक है। एक जाति के बने मसीहा, बाकी के खलनायक हैं, बदमासी चोरी करता जो, बनता वही विधायक है। देखके मौसम पार्टी बदलना बारी बारी बंद करो, नेता जी...... ©शुभम मिश्र बेलौरा

#कविता #Sad_Status  White नेता जी संसद भवन में अब,ये मारा मारी बंद करो।
झूठे वादों से वोटों की कालाबाजारी बंद करो।
नेता जी.....
TV में जब से दिखने लगे,ज्यादा उत्तेजित रहते हो,
मर जायेंगे जनता खातिर हर बात में कहते रहते हो।
बोतल तोड़ो कुर्सी छोड़ो, हल्ला गुल्ला करते हो,
खत्म हुआ जैसे ही सदन,कैन्टीन में सुल्ला करते हो।
जाति धर्म के नाम पे नफरत की बमबारी बंद करो,
नेता जी.....
पढ़ने लिखने वालों पर, लाठी डंडे चलवाते हो,
जान जा रही बेटी की, तुम कैन्डेल मार्च कराते हो।
जनता के मुद्दों पर बोलो, उस पर बहस जरूर करो,
नियम बनाना बंद करो, अब नीति बनाना शुरू करो।
बहस के नाम पे जहर उगलने की ये पारी बंद करो,
नेता जी .......
क्या खाकर पैदा करते, जो नेता बनने लायक हैं,
अपने बेटे को मिले टिकट, बाकी जनता नालायक है।
एक जाति के बने मसीहा, बाकी के खलनायक हैं,
बदमासी चोरी करता जो, बनता वही विधायक है।
देखके मौसम पार्टी बदलना बारी बारी बंद करो,
नेता जी......

©शुभम मिश्र बेलौरा

#Sad_Status नेता जी

11 Love

White नेता जी संसद भवन में अब,ये मारा मारी बंद करो झूठे वादों से वोटों की कालाबाजारी बंद करो। TV में जब से दिखने लगे,ज्यादा उत्तेजित रहते हो, मर जायेंगे जनता खातिर हर बात में कहते रहते हो। बोतल तोड़ो कुर्सी छोड़ो, हल्ला गुल्ला करते हो, खत्म हुआ जैसे ही सदन,कैन्टीन में सुल्ला करते हो। जाति धर्म के नाम पे नफरत की बमबारी बंद करो, नेता जी..... पढ़ने लिखने वालों पर लाठी डंडे चलवाते हो, जान जा रही बेटी की तुम कैन्डेल मार्च कराते हो। जनता के मुद्दों पर बोलो उस पर बहस जरूर करो, नियम बनाना बंद करो अब नीति बनाना शुरू करो। बहस के नाम पे जहर उगलने की ये पारी बंद करो, नेता जी ....... क्या खाकर पैदा करते वो नेता बनने लायक हैं, अपने बेटे को मिले टिकट बाकी जनता नालायक है। एक जाति के बने मसीहा बाकी के खलनायक हैं, बदमासी चोरी करता जो बनता वही विधायक है। देखके मौसम पार्टी बदलना बारी बारी बंद करो, नेता जी...... ©शुभम मिश्र बेलौरा

#कविता #Sad_Status  White  नेता जी संसद भवन में अब,ये मारा मारी बंद करो
झूठे वादों से वोटों की कालाबाजारी बंद करो।
TV में जब से दिखने लगे,ज्यादा उत्तेजित रहते हो,
मर जायेंगे जनता खातिर हर बात में कहते रहते हो।
बोतल तोड़ो कुर्सी छोड़ो, हल्ला गुल्ला करते हो,
खत्म हुआ जैसे ही सदन,कैन्टीन में सुल्ला करते हो।
जाति धर्म के नाम पे नफरत की बमबारी बंद करो,
नेता जी.....
पढ़ने लिखने वालों पर लाठी डंडे चलवाते हो,
जान जा रही बेटी की तुम कैन्डेल मार्च कराते हो।
जनता के मुद्दों पर बोलो उस पर बहस जरूर करो,
नियम बनाना बंद करो अब नीति बनाना शुरू करो।
बहस के नाम पे जहर उगलने की ये पारी बंद करो,
नेता जी .......
क्या खाकर पैदा करते वो नेता बनने लायक हैं,
अपने बेटे को मिले टिकट बाकी जनता नालायक है।
एक जाति के बने मसीहा बाकी के खलनायक हैं,
बदमासी चोरी करता जो बनता वही विधायक है।
देखके मौसम पार्टी बदलना बारी बारी बंद करो,
नेता जी......

©शुभम मिश्र बेलौरा

#Sad_Status नेता जी

15 Love

रात के 9:00 बज रहे हैं, और गाँव की गलियों में एक सुकून भरी ठंडक घुली हुई है। गली के दोनों किनारों पर लगी स्ट्रीट लाइट्स की रोशनी चारों ओर बिखरी हुई है, जो गाँव की सड़कों को चाँदनी जैसा उजाला दे रही है। गर्मी अब विदा लेने को है, और ठंडी हवा के झोंके जैसे इसे अलविदा कहने के लिए हर तरफ हाथ हिला रहे हैं। गाँव की यह रात किसी बड़े शहर की चहल-पहल से अलग है—यहाँ की सड़कों पर अब हल्की रौनक बची है। कहीं-कहीं लोग अभी भी अपने घरों के बाहर बैठकर हँसी-मज़ाक कर रहे हैं, और कहीं दूर से मोबाइल की धीमी-सी धुन सुनाई दे जाती है। खेतों के किनारे खड़े बिजली के खंभे और उनके तारों पर बैठी चिड़ियों की आवाज़ें अब शांत हो गई हैं, और सड़कों के किनारे लगे पेड़ हवा के साथ धीरे-धीरे हिल रहे हैं। चार-पाँच दिन बाद दिवाली है, और उससे पहले यह ठंडी रातें जैसे त्योहार का आगाज़ कर रही हैं। यह सिर्फ़ मौसम का बदलाव नहीं है, यह एक नई ताजगी और उम्मीद का संकेत है। जैसे ही हवा के झोंके पेड़ों से टकराते हैं, उनकी पत्तियाँ हौले से फड़फड़ाती हैं, जैसे गाँव का हर कोना इस बदलाव का हिस्सा बनना चाहता हो। आसमान में चमकते तारे और एक साफ चाँद की रोशनी, स्ट्रीट लाइट्स की पीली चमक में घुल-मिल गई है। सड़कें अब लगभग खाली हैं, पर कुछ गाड़ियों की लाइट्स अभी भी गाँव की सड़कों को पार कर रही हैं। यहाँ की रातें अब बस आराम और सुकून की होती हैं, जहाँ लोग अपने दिनभर की थकान को भुलाकर थोड़ी देर ठंडी हवा में बैठे रहते हैं। गाँव का यह दृश्य—साफ सजी-धजी गलियाँ, बिजली की रोशनी, और चारों ओर फैली हल्की ठंड—मन को एक अलग ही सुकून देती है। यह आधुनिकता और गाँव की सादगी का एक सुंदर मेल है, जहाँ रातें सिर्फ़ आराम की नहीं, बल्कि एक नए एहसास की भी हैं। धूल और हवा में तैरती ठंडक, ये सब मिलकर एक नया सुर रचते हैं, जो सीधे दिल तक पहुँचता है। यहाँ की रातें, यह शांति, और हर जगह की अपनी कहानी—सब कुछ मिलकर एक ऐसा अनुभव रचती हैं, जो बहुत गहरा और मनमोहक है। यह गाँव का नया रंग है, जहाँ आधुनिकता के साथ गाँव की आत्मा बरकरार है, और हर रात उसकी अपनी ही एक नई कहानी बुनती है। ©Veer Tiwari

#विचार  रात के 9:00  बज रहे हैं, और गाँव की गलियों में एक सुकून भरी ठंडक घुली हुई है। गली के दोनों किनारों पर लगी स्ट्रीट लाइट्स की रोशनी चारों ओर बिखरी हुई है, जो गाँव की सड़कों को चाँदनी जैसा उजाला दे रही है। गर्मी अब विदा लेने को है, और ठंडी हवा के झोंके जैसे इसे अलविदा कहने के लिए हर तरफ हाथ हिला रहे हैं।

गाँव की यह रात किसी बड़े शहर की चहल-पहल से अलग है—यहाँ की सड़कों पर अब हल्की रौनक बची है। कहीं-कहीं लोग अभी भी अपने घरों के बाहर बैठकर हँसी-मज़ाक कर रहे हैं, और कहीं दूर से मोबाइल की धीमी-सी धुन सुनाई दे जाती है। खेतों के किनारे खड़े बिजली के खंभे और उनके तारों पर बैठी चिड़ियों की आवाज़ें अब शांत हो गई हैं, और सड़कों के किनारे लगे पेड़ हवा के साथ धीरे-धीरे हिल रहे हैं।

चार-पाँच दिन बाद दिवाली है, और उससे पहले यह ठंडी रातें जैसे त्योहार का आगाज़ कर रही हैं। यह सिर्फ़ मौसम का बदलाव नहीं है, यह एक नई ताजगी और उम्मीद का संकेत है। जैसे ही हवा के झोंके पेड़ों से टकराते हैं, उनकी पत्तियाँ हौले से फड़फड़ाती हैं, जैसे गाँव का हर कोना इस बदलाव का हिस्सा बनना चाहता हो।

आसमान में चमकते तारे और एक साफ चाँद की रोशनी, स्ट्रीट लाइट्स की पीली चमक में घुल-मिल गई है। सड़कें अब लगभग खाली हैं, पर कुछ गाड़ियों की लाइट्स अभी भी गाँव की सड़कों को पार कर रही हैं। यहाँ की रातें अब बस आराम और सुकून की होती हैं, जहाँ लोग अपने दिनभर की थकान को भुलाकर थोड़ी देर ठंडी हवा में बैठे रहते हैं।

गाँव का यह दृश्य—साफ सजी-धजी गलियाँ, बिजली की रोशनी, और चारों ओर फैली हल्की ठंड—मन को एक अलग ही सुकून देती है। यह आधुनिकता और गाँव की सादगी का एक सुंदर मेल है, जहाँ रातें सिर्फ़ आराम की नहीं, बल्कि एक नए एहसास की भी हैं। धूल और हवा में तैरती ठंडक, ये सब मिलकर एक नया सुर रचते हैं, जो सीधे दिल तक पहुँचता है।

यहाँ की रातें, यह शांति, और हर जगह की अपनी कहानी—सब कुछ मिलकर एक ऐसा अनुभव रचती हैं, जो बहुत गहरा और मनमोहक है। यह गाँव का नया रंग है, जहाँ आधुनिकता के साथ गाँव की आत्मा बरकरार है, और हर रात उसकी अपनी ही एक नई कहानी बुनती है।

©Veer Tiwari

गांव की एक शाम ....

10 Love

White अच्छे थे वो, कच्चे घर भी, इमारतों में, इंतजाम बहुत है!! गाँव की गलियाँ, खाली पड़ी हैं, शहरों में, सामान बहुत है!! खुली हवा में, जो चैन मिलता, बंद कमरों में, धुआँ बहुत है!! न रिश्तों की अब, गर्मी बची है, पर तकनीकी, सम्मान बहुत है!! दादी-नानी की बातें छूटीं, मोबाईल में ही ज्ञान बहुत है!! सच्ची हंसी, कम दिखती अब, लेकिन चेहरे पर ,नकाब बहुत है!! सुख-सुविधाओं से घिरा इंसान, पर दिलों में, अरमान बहुत है!! दौड़ रही दुनिया, आगे बढ़ने को, फिर भी जीने में, थकान बहुत है!! सादगी की जो मिठास थी कभी, अब दिखावे में, ईमान बहुत है!! अकेले होते लोग भीड़ में, फिर भी दिखते, महान बहुत है!! *अशोक वर्मा "हमदर्द"*(कोलकाता) ©Ashok Verma "Hamdard"

#कविता #गांव  White अच्छे थे वो, कच्चे घर भी,
इमारतों में, इंतजाम बहुत है!!

गाँव की गलियाँ, खाली पड़ी हैं,
शहरों में, सामान बहुत है!!

खुली हवा में, जो चैन मिलता,
बंद कमरों में, धुआँ बहुत है!!

न रिश्तों की अब, गर्मी बची है,
पर तकनीकी, सम्मान बहुत है!!

दादी-नानी की बातें छूटीं,
 मोबाईल में ही ज्ञान बहुत है!!

सच्ची हंसी, कम दिखती अब,
लेकिन चेहरे पर ,नकाब बहुत है!!

सुख-सुविधाओं से घिरा इंसान,
पर दिलों में, अरमान बहुत है!!

दौड़ रही दुनिया, आगे बढ़ने को,
फिर भी जीने में, थकान बहुत है!!

सादगी की जो मिठास थी कभी,
अब दिखावे में, ईमान बहुत है!!

अकेले होते लोग भीड़ में,
फिर भी दिखते, महान बहुत है!!

*अशोक वर्मा "हमदर्द"*(कोलकाता)

©Ashok Verma "Hamdard"

#गांव और शहर

13 Love

White बेईमान ईमानदारों से हिसाब मांग रहे हैं झूठे सच बोलने की सलाह दे रहे हैं दुराचारी आचरण का ज्ञान दे रहे हैं चुनाव के दौर में नेता रंग बदल रहे हैं ©Dinesh Sharma Jind Haryana

#शायरी  White बेईमान ईमानदारों से हिसाब मांग रहे हैं 
झूठे सच बोलने की सलाह दे रहे हैं
दुराचारी आचरण का ज्ञान दे रहे हैं
चुनाव के दौर में नेता रंग  बदल रहे हैं

©Dinesh Sharma Jind Haryana

# चुनाव में नेता

11 Love

 White आखरी बस से उसे विदा कर आया हु
घर में ख़ामोशी है
और
रातें लंबी
हमारे गांव का
वो आखरी बच्चा
आज शहर
जा रहा है

©बदनाम

गांव

180 View

White नेता जी संसद भवन में अब,ये मारा मारी बंद करो। झूठे वादों से वोटों की कालाबाजारी बंद करो। नेता जी..... TV में जब से दिखने लगे,ज्यादा उत्तेजित रहते हो, मर जायेंगे जनता खातिर हर बात में कहते रहते हो। बोतल तोड़ो कुर्सी छोड़ो, हल्ला गुल्ला करते हो, खत्म हुआ जैसे ही सदन,कैन्टीन में सुल्ला करते हो। जाति धर्म के नाम पे नफरत की बमबारी बंद करो, नेता जी..... पढ़ने लिखने वालों पर, लाठी डंडे चलवाते हो, जान जा रही बेटी की, तुम कैन्डेल मार्च कराते हो। जनता के मुद्दों पर बोलो, उस पर बहस जरूर करो, नियम बनाना बंद करो, अब नीति बनाना शुरू करो। बहस के नाम पे जहर उगलने की ये पारी बंद करो, नेता जी ....... क्या खाकर पैदा करते, जो नेता बनने लायक हैं, अपने बेटे को मिले टिकट, बाकी जनता नालायक है। एक जाति के बने मसीहा, बाकी के खलनायक हैं, बदमासी चोरी करता जो, बनता वही विधायक है। देखके मौसम पार्टी बदलना बारी बारी बंद करो, नेता जी...... ©शुभम मिश्र बेलौरा

#कविता #Sad_Status  White नेता जी संसद भवन में अब,ये मारा मारी बंद करो।
झूठे वादों से वोटों की कालाबाजारी बंद करो।
नेता जी.....
TV में जब से दिखने लगे,ज्यादा उत्तेजित रहते हो,
मर जायेंगे जनता खातिर हर बात में कहते रहते हो।
बोतल तोड़ो कुर्सी छोड़ो, हल्ला गुल्ला करते हो,
खत्म हुआ जैसे ही सदन,कैन्टीन में सुल्ला करते हो।
जाति धर्म के नाम पे नफरत की बमबारी बंद करो,
नेता जी.....
पढ़ने लिखने वालों पर, लाठी डंडे चलवाते हो,
जान जा रही बेटी की, तुम कैन्डेल मार्च कराते हो।
जनता के मुद्दों पर बोलो, उस पर बहस जरूर करो,
नियम बनाना बंद करो, अब नीति बनाना शुरू करो।
बहस के नाम पे जहर उगलने की ये पारी बंद करो,
नेता जी .......
क्या खाकर पैदा करते, जो नेता बनने लायक हैं,
अपने बेटे को मिले टिकट, बाकी जनता नालायक है।
एक जाति के बने मसीहा, बाकी के खलनायक हैं,
बदमासी चोरी करता जो, बनता वही विधायक है।
देखके मौसम पार्टी बदलना बारी बारी बंद करो,
नेता जी......

©शुभम मिश्र बेलौरा

#Sad_Status नेता जी

11 Love

White नेता जी संसद भवन में अब,ये मारा मारी बंद करो झूठे वादों से वोटों की कालाबाजारी बंद करो। TV में जब से दिखने लगे,ज्यादा उत्तेजित रहते हो, मर जायेंगे जनता खातिर हर बात में कहते रहते हो। बोतल तोड़ो कुर्सी छोड़ो, हल्ला गुल्ला करते हो, खत्म हुआ जैसे ही सदन,कैन्टीन में सुल्ला करते हो। जाति धर्म के नाम पे नफरत की बमबारी बंद करो, नेता जी..... पढ़ने लिखने वालों पर लाठी डंडे चलवाते हो, जान जा रही बेटी की तुम कैन्डेल मार्च कराते हो। जनता के मुद्दों पर बोलो उस पर बहस जरूर करो, नियम बनाना बंद करो अब नीति बनाना शुरू करो। बहस के नाम पे जहर उगलने की ये पारी बंद करो, नेता जी ....... क्या खाकर पैदा करते वो नेता बनने लायक हैं, अपने बेटे को मिले टिकट बाकी जनता नालायक है। एक जाति के बने मसीहा बाकी के खलनायक हैं, बदमासी चोरी करता जो बनता वही विधायक है। देखके मौसम पार्टी बदलना बारी बारी बंद करो, नेता जी...... ©शुभम मिश्र बेलौरा

#कविता #Sad_Status  White  नेता जी संसद भवन में अब,ये मारा मारी बंद करो
झूठे वादों से वोटों की कालाबाजारी बंद करो।
TV में जब से दिखने लगे,ज्यादा उत्तेजित रहते हो,
मर जायेंगे जनता खातिर हर बात में कहते रहते हो।
बोतल तोड़ो कुर्सी छोड़ो, हल्ला गुल्ला करते हो,
खत्म हुआ जैसे ही सदन,कैन्टीन में सुल्ला करते हो।
जाति धर्म के नाम पे नफरत की बमबारी बंद करो,
नेता जी.....
पढ़ने लिखने वालों पर लाठी डंडे चलवाते हो,
जान जा रही बेटी की तुम कैन्डेल मार्च कराते हो।
जनता के मुद्दों पर बोलो उस पर बहस जरूर करो,
नियम बनाना बंद करो अब नीति बनाना शुरू करो।
बहस के नाम पे जहर उगलने की ये पारी बंद करो,
नेता जी .......
क्या खाकर पैदा करते वो नेता बनने लायक हैं,
अपने बेटे को मिले टिकट बाकी जनता नालायक है।
एक जाति के बने मसीहा बाकी के खलनायक हैं,
बदमासी चोरी करता जो बनता वही विधायक है।
देखके मौसम पार्टी बदलना बारी बारी बंद करो,
नेता जी......

©शुभम मिश्र बेलौरा

#Sad_Status नेता जी

15 Love

रात के 9:00 बज रहे हैं, और गाँव की गलियों में एक सुकून भरी ठंडक घुली हुई है। गली के दोनों किनारों पर लगी स्ट्रीट लाइट्स की रोशनी चारों ओर बिखरी हुई है, जो गाँव की सड़कों को चाँदनी जैसा उजाला दे रही है। गर्मी अब विदा लेने को है, और ठंडी हवा के झोंके जैसे इसे अलविदा कहने के लिए हर तरफ हाथ हिला रहे हैं। गाँव की यह रात किसी बड़े शहर की चहल-पहल से अलग है—यहाँ की सड़कों पर अब हल्की रौनक बची है। कहीं-कहीं लोग अभी भी अपने घरों के बाहर बैठकर हँसी-मज़ाक कर रहे हैं, और कहीं दूर से मोबाइल की धीमी-सी धुन सुनाई दे जाती है। खेतों के किनारे खड़े बिजली के खंभे और उनके तारों पर बैठी चिड़ियों की आवाज़ें अब शांत हो गई हैं, और सड़कों के किनारे लगे पेड़ हवा के साथ धीरे-धीरे हिल रहे हैं। चार-पाँच दिन बाद दिवाली है, और उससे पहले यह ठंडी रातें जैसे त्योहार का आगाज़ कर रही हैं। यह सिर्फ़ मौसम का बदलाव नहीं है, यह एक नई ताजगी और उम्मीद का संकेत है। जैसे ही हवा के झोंके पेड़ों से टकराते हैं, उनकी पत्तियाँ हौले से फड़फड़ाती हैं, जैसे गाँव का हर कोना इस बदलाव का हिस्सा बनना चाहता हो। आसमान में चमकते तारे और एक साफ चाँद की रोशनी, स्ट्रीट लाइट्स की पीली चमक में घुल-मिल गई है। सड़कें अब लगभग खाली हैं, पर कुछ गाड़ियों की लाइट्स अभी भी गाँव की सड़कों को पार कर रही हैं। यहाँ की रातें अब बस आराम और सुकून की होती हैं, जहाँ लोग अपने दिनभर की थकान को भुलाकर थोड़ी देर ठंडी हवा में बैठे रहते हैं। गाँव का यह दृश्य—साफ सजी-धजी गलियाँ, बिजली की रोशनी, और चारों ओर फैली हल्की ठंड—मन को एक अलग ही सुकून देती है। यह आधुनिकता और गाँव की सादगी का एक सुंदर मेल है, जहाँ रातें सिर्फ़ आराम की नहीं, बल्कि एक नए एहसास की भी हैं। धूल और हवा में तैरती ठंडक, ये सब मिलकर एक नया सुर रचते हैं, जो सीधे दिल तक पहुँचता है। यहाँ की रातें, यह शांति, और हर जगह की अपनी कहानी—सब कुछ मिलकर एक ऐसा अनुभव रचती हैं, जो बहुत गहरा और मनमोहक है। यह गाँव का नया रंग है, जहाँ आधुनिकता के साथ गाँव की आत्मा बरकरार है, और हर रात उसकी अपनी ही एक नई कहानी बुनती है। ©Veer Tiwari

#विचार  रात के 9:00  बज रहे हैं, और गाँव की गलियों में एक सुकून भरी ठंडक घुली हुई है। गली के दोनों किनारों पर लगी स्ट्रीट लाइट्स की रोशनी चारों ओर बिखरी हुई है, जो गाँव की सड़कों को चाँदनी जैसा उजाला दे रही है। गर्मी अब विदा लेने को है, और ठंडी हवा के झोंके जैसे इसे अलविदा कहने के लिए हर तरफ हाथ हिला रहे हैं।

गाँव की यह रात किसी बड़े शहर की चहल-पहल से अलग है—यहाँ की सड़कों पर अब हल्की रौनक बची है। कहीं-कहीं लोग अभी भी अपने घरों के बाहर बैठकर हँसी-मज़ाक कर रहे हैं, और कहीं दूर से मोबाइल की धीमी-सी धुन सुनाई दे जाती है। खेतों के किनारे खड़े बिजली के खंभे और उनके तारों पर बैठी चिड़ियों की आवाज़ें अब शांत हो गई हैं, और सड़कों के किनारे लगे पेड़ हवा के साथ धीरे-धीरे हिल रहे हैं।

चार-पाँच दिन बाद दिवाली है, और उससे पहले यह ठंडी रातें जैसे त्योहार का आगाज़ कर रही हैं। यह सिर्फ़ मौसम का बदलाव नहीं है, यह एक नई ताजगी और उम्मीद का संकेत है। जैसे ही हवा के झोंके पेड़ों से टकराते हैं, उनकी पत्तियाँ हौले से फड़फड़ाती हैं, जैसे गाँव का हर कोना इस बदलाव का हिस्सा बनना चाहता हो।

आसमान में चमकते तारे और एक साफ चाँद की रोशनी, स्ट्रीट लाइट्स की पीली चमक में घुल-मिल गई है। सड़कें अब लगभग खाली हैं, पर कुछ गाड़ियों की लाइट्स अभी भी गाँव की सड़कों को पार कर रही हैं। यहाँ की रातें अब बस आराम और सुकून की होती हैं, जहाँ लोग अपने दिनभर की थकान को भुलाकर थोड़ी देर ठंडी हवा में बैठे रहते हैं।

गाँव का यह दृश्य—साफ सजी-धजी गलियाँ, बिजली की रोशनी, और चारों ओर फैली हल्की ठंड—मन को एक अलग ही सुकून देती है। यह आधुनिकता और गाँव की सादगी का एक सुंदर मेल है, जहाँ रातें सिर्फ़ आराम की नहीं, बल्कि एक नए एहसास की भी हैं। धूल और हवा में तैरती ठंडक, ये सब मिलकर एक नया सुर रचते हैं, जो सीधे दिल तक पहुँचता है।

यहाँ की रातें, यह शांति, और हर जगह की अपनी कहानी—सब कुछ मिलकर एक ऐसा अनुभव रचती हैं, जो बहुत गहरा और मनमोहक है। यह गाँव का नया रंग है, जहाँ आधुनिकता के साथ गाँव की आत्मा बरकरार है, और हर रात उसकी अपनी ही एक नई कहानी बुनती है।

©Veer Tiwari

गांव की एक शाम ....

10 Love

White अच्छे थे वो, कच्चे घर भी, इमारतों में, इंतजाम बहुत है!! गाँव की गलियाँ, खाली पड़ी हैं, शहरों में, सामान बहुत है!! खुली हवा में, जो चैन मिलता, बंद कमरों में, धुआँ बहुत है!! न रिश्तों की अब, गर्मी बची है, पर तकनीकी, सम्मान बहुत है!! दादी-नानी की बातें छूटीं, मोबाईल में ही ज्ञान बहुत है!! सच्ची हंसी, कम दिखती अब, लेकिन चेहरे पर ,नकाब बहुत है!! सुख-सुविधाओं से घिरा इंसान, पर दिलों में, अरमान बहुत है!! दौड़ रही दुनिया, आगे बढ़ने को, फिर भी जीने में, थकान बहुत है!! सादगी की जो मिठास थी कभी, अब दिखावे में, ईमान बहुत है!! अकेले होते लोग भीड़ में, फिर भी दिखते, महान बहुत है!! *अशोक वर्मा "हमदर्द"*(कोलकाता) ©Ashok Verma "Hamdard"

#कविता #गांव  White अच्छे थे वो, कच्चे घर भी,
इमारतों में, इंतजाम बहुत है!!

गाँव की गलियाँ, खाली पड़ी हैं,
शहरों में, सामान बहुत है!!

खुली हवा में, जो चैन मिलता,
बंद कमरों में, धुआँ बहुत है!!

न रिश्तों की अब, गर्मी बची है,
पर तकनीकी, सम्मान बहुत है!!

दादी-नानी की बातें छूटीं,
 मोबाईल में ही ज्ञान बहुत है!!

सच्ची हंसी, कम दिखती अब,
लेकिन चेहरे पर ,नकाब बहुत है!!

सुख-सुविधाओं से घिरा इंसान,
पर दिलों में, अरमान बहुत है!!

दौड़ रही दुनिया, आगे बढ़ने को,
फिर भी जीने में, थकान बहुत है!!

सादगी की जो मिठास थी कभी,
अब दिखावे में, ईमान बहुत है!!

अकेले होते लोग भीड़ में,
फिर भी दिखते, महान बहुत है!!

*अशोक वर्मा "हमदर्द"*(कोलकाता)

©Ashok Verma "Hamdard"

#गांव और शहर

13 Love

White बेईमान ईमानदारों से हिसाब मांग रहे हैं झूठे सच बोलने की सलाह दे रहे हैं दुराचारी आचरण का ज्ञान दे रहे हैं चुनाव के दौर में नेता रंग बदल रहे हैं ©Dinesh Sharma Jind Haryana

#शायरी  White बेईमान ईमानदारों से हिसाब मांग रहे हैं 
झूठे सच बोलने की सलाह दे रहे हैं
दुराचारी आचरण का ज्ञान दे रहे हैं
चुनाव के दौर में नेता रंग  बदल रहे हैं

©Dinesh Sharma Jind Haryana

# चुनाव में नेता

11 Love

 White आखरी बस से उसे विदा कर आया हु
घर में ख़ामोशी है
और
रातें लंबी
हमारे गांव का
वो आखरी बच्चा
आज शहर
जा रहा है

©बदनाम

गांव

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