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#मोटिवेशनल #मोटिवेशन #विनोद #मिश्र

"चित्त को सींचने से चिंता और चेतना को सींचने से चिंतन संवर्धित होता है." #विनोद #मिश्र #मोटिवेशन ✍️

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सपनों को बांधते रहिए। निरंतर मेहनत करते रहिए। स्वप्न संजोए है तो पूरे भी होंगे, बस आत्मा को साधते रहिए। चेतना को मांजते रहिए।। ©Rimpi chaube

 सपनों को बांधते रहिए।
निरंतर मेहनत करते रहिए।
स्वप्न संजोए है तो पूरे भी होंगे,
बस आत्मा को साधते रहिए।
चेतना को मांजते रहिए।।

©Rimpi chaube

#चेतनाकोमाँजतेरहिए 😊 सपनों को बांधते रहिए। निरंतर मेहनत करते रहिए। स्वप्न संजोए है तो पूरे भी होंगे, बस आत्मा को साधते रहिए। चेतना को मांजते

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White रचना दिनांक,,,1,,,10,,,,,2024,, वार,,, मंगलवार समय सुबह छह बजे, ,,,,,,निज विचार,,,,, ,,,,,,,,,,शीर्षक,,,,,,, ््््््छाया चित्र में दिखाया गया नीले गगन में सुर्य रश्मि प्रभा सी,, स्वर्णिम किरणों का पीत वर्ण वरण करती धरा पर दृश्यावलोकन में, नदियों के ब़ीज पर आवागमन चहलकदमी कर देख रहा है।। मनुष्य में, प्राकृतिक प्रकृति से प्रेम करते जल जलाशय में कलकल बहती जलधाराओं के ,बहती हुई नदी में अपनी सुन्दरता में दरशणात चाहत में, एक सौन्दर्य छटा बिखेरती नजर आ रही है,,प्रेम मूर्ति प्रेम शब्द संसार जगत में ऐसे ही सुन्दर सी कविता चित्र भाव संदेश भाव भंगिमा दीप प्रज्जवलित कर मन को प्रफुल्लित कर देख रही है्््् आ रही है प्रेम शब्द में प्राणपण लफ्ज़ निकले,, ध्वनि से नयन में भरे जल बह निकले तन मन से धुन में मस्त हो राग रंग में रंगे है धूम धाम से मनाया गया है, पर्व काल अश्विन मास शुक्ल पक्ष नवरात्रि पर्व का मंगल कारकं दिव्य आयोजन है आमन्त्रित हैं ।। गन्धर्व नगरी मध्यप्रदेश देवास में खुशहाली और उसके परिणाम,, मां चामुण्डा देवी तुलजा भवानी, महाकाली जी के प्रांगण में , आयोजित नवरात्र का मनोरम दृश्य से सजाया गया,, और उसके अध्यात्मिक दर्शन से मन प्रसन्न हो ,, प्यारा सा जीवन में एक पूजा एवं मंत्र जाप करने वाले अच्छे लगते है।। विधि करहु विविध संस्कार जग में जगदीश्वरी मां शब्दों में आनंद हो,, जीवन मंत्र शक्ति अखण्ड दिव्य चक्षु संवरचनानिर्राकारंओकारं आत्मज्योतिनवपिण्ड धर्मश्रंखला में महान् शिवतत्व शिवअंततत्व में गिरजा देवी को सादर नमन वन्दंनीय है।। ्््््््््कवि शैलेंद्र आनंद ््् 1,,,10,,,,2024,,, ©Shailendra Anand

#भक्ति #sad_qoute  White रचना दिनांक,,,1,,,10,,,,,2024,,
वार,,, मंगलवार
समय   सुबह   छह   बजे,
,,,,,,निज विचार,,,,,
,,,,,,,,,,शीर्षक,,,,,,,
््््््छाया चित्र में दिखाया गया नीले गगन में सुर्य रश्मि प्रभा सी,,
स्वर्णिम किरणों का पीत वर्ण वरण करती धरा पर दृश्यावलोकन में,
नदियों के ब़ीज पर आवागमन चहलकदमी कर देख रहा है।।
 मनुष्य में, प्राकृतिक प्रकृति से प्रेम करते जल जलाशय में कलकल बहती 
जलधाराओं के ,बहती हुई नदी में अपनी सुन्दरता में दरशणात चाहत में,
 एक सौन्दर्य छटा बिखेरती नजर आ रही है,,प्रेम मूर्ति प्रेम शब्द संसार जगत में 
ऐसे ही सुन्दर सी कविता चित्र भाव संदेश भाव भंगिमा दीप प्रज्जवलित कर मन को प्रफुल्लित कर देख रही है््््
आ रही है प्रेम शब्द में प्राणपण लफ्ज़ निकले,,
ध्वनि से नयन में भरे जल बह निकले तन मन से
धुन में मस्त हो राग रंग में रंगे है धूम धाम से मनाया गया है,
 पर्व काल अश्विन मास शुक्ल पक्ष नवरात्रि पर्व का
 मंगल कारकं दिव्य आयोजन है आमन्त्रित हैं ।।
गन्धर्व नगरी मध्यप्रदेश देवास में खुशहाली और उसके परिणाम,,
 मां चामुण्डा देवी तुलजा भवानी, महाकाली जी के प्रांगण में ,
आयोजित नवरात्र का मनोरम दृश्य से सजाया गया,,
और उसके अध्यात्मिक दर्शन से मन प्रसन्न हो ,,
प्यारा सा जीवन में एक पूजा एवं मंत्र जाप करने वाले अच्छे लगते है।।
विधि करहु विविध संस्कार जग में जगदीश्वरी मां शब्दों में आनंद हो,,
जीवन मंत्र शक्ति अखण्ड दिव्य चक्षु संवरचनानिर्राकारंओकारं आत्मज्योतिनवपिण्ड धर्मश्रंखला में महान् शिवतत्व शिवअंततत्व में गिरजा देवी को सादर नमन वन्दंनीय है।।
्््््््््कवि शैलेंद्र आनंद ्््
1,,,10,,,,2024,,,

©Shailendra Anand

#sad_qoute अध्यात्म चेतना जागृत ज्ञान दर्शन कर देख रहा है ्््््कवि शैलेंद्र आनंद

12 Love

गीता के अनुसार मनुष्य के दुःख का कारण क्या है? यदि भगवद गीता को देखें तो हम पाते हैं कि संसार के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के विषय में हमारा अज्ञान है। हम स्वजनों की मृत्यु की आशंका से ही भयभीत हो जाते हैं। हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका भी हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वछंद नहीं होने देती। भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के बारे में अज्ञानता है. इसके अलावा, मनुष्य के दुखों के कुछ और कारण ये हैं: हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वच्छंद नहीं होने देती. मनुष्य में श्रेष्ठ गुणों का अभाव होता है. मनुष्य का शत्रुतापूर्ण और अमानवीय स्वभाव दुनिया को उदास और निराशाजनक बना देता है. अधिकांश मनुष्य इस बात का परिप्रेक्ष्य खो चुके हैं कि यह जीवन क्या है. उनकी मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया अस्तित्वगत प्रक्रिया से कहीं अधिक बड़ी हो गई है. भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य को अपने विवेक, परिश्रम, बुद्धि और उद्यम पर संदेह नहीं करना चाहिए. उसे सदैव सत्य और स्वधर्म के पक्ष में रहना चाहिए. ©person

 गीता के अनुसार मनुष्य के दुःख का कारण क्या है?


यदि भगवद गीता को देखें तो हम पाते हैं कि संसार के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के विषय में हमारा अज्ञान है। हम स्वजनों की मृत्यु की आशंका से ही भयभीत हो जाते हैं। हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका भी हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वछंद नहीं होने देती।

भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के बारे में अज्ञानता है. इसके अलावा, मनुष्य के दुखों के कुछ और कारण ये हैं: 
 
हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वच्छंद नहीं होने देती. 
 
मनुष्य में श्रेष्ठ गुणों का अभाव होता है. 
 
मनुष्य का शत्रुतापूर्ण और अमानवीय स्वभाव दुनिया को उदास और निराशाजनक बना देता है. 
 
अधिकांश मनुष्य इस बात का परिप्रेक्ष्य खो चुके हैं कि यह जीवन क्या है. 
 
उनकी मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया अस्तित्वगत प्रक्रिया से कहीं अधिक बड़ी हो गई है. 
 
भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य को अपने विवेक, परिश्रम, बुद्धि और उद्यम पर संदेह नहीं करना चाहिए. उसे सदैव सत्य और स्वधर्म के पक्ष में रहना चाहिए.

©person

गीता के अनुसार मनुष्य के दुःख का कारण क्या है? यदि भगवद गीता को देखें तो हम पाते हैं कि संसार के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के वि

18 Love

#मोटिवेशनल #मोटिवेशन #विनोद #मिश्र

"चित्त को सींचने से चिंता और चेतना को सींचने से चिंतन संवर्धित होता है." #विनोद #मिश्र #मोटिवेशन ✍️

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सपनों को बांधते रहिए। निरंतर मेहनत करते रहिए। स्वप्न संजोए है तो पूरे भी होंगे, बस आत्मा को साधते रहिए। चेतना को मांजते रहिए।। ©Rimpi chaube

 सपनों को बांधते रहिए।
निरंतर मेहनत करते रहिए।
स्वप्न संजोए है तो पूरे भी होंगे,
बस आत्मा को साधते रहिए।
चेतना को मांजते रहिए।।

©Rimpi chaube

#चेतनाकोमाँजतेरहिए 😊 सपनों को बांधते रहिए। निरंतर मेहनत करते रहिए। स्वप्न संजोए है तो पूरे भी होंगे, बस आत्मा को साधते रहिए। चेतना को मांजते

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White रचना दिनांक,,,1,,,10,,,,,2024,, वार,,, मंगलवार समय सुबह छह बजे, ,,,,,,निज विचार,,,,, ,,,,,,,,,,शीर्षक,,,,,,, ््््््छाया चित्र में दिखाया गया नीले गगन में सुर्य रश्मि प्रभा सी,, स्वर्णिम किरणों का पीत वर्ण वरण करती धरा पर दृश्यावलोकन में, नदियों के ब़ीज पर आवागमन चहलकदमी कर देख रहा है।। मनुष्य में, प्राकृतिक प्रकृति से प्रेम करते जल जलाशय में कलकल बहती जलधाराओं के ,बहती हुई नदी में अपनी सुन्दरता में दरशणात चाहत में, एक सौन्दर्य छटा बिखेरती नजर आ रही है,,प्रेम मूर्ति प्रेम शब्द संसार जगत में ऐसे ही सुन्दर सी कविता चित्र भाव संदेश भाव भंगिमा दीप प्रज्जवलित कर मन को प्रफुल्लित कर देख रही है्््् आ रही है प्रेम शब्द में प्राणपण लफ्ज़ निकले,, ध्वनि से नयन में भरे जल बह निकले तन मन से धुन में मस्त हो राग रंग में रंगे है धूम धाम से मनाया गया है, पर्व काल अश्विन मास शुक्ल पक्ष नवरात्रि पर्व का मंगल कारकं दिव्य आयोजन है आमन्त्रित हैं ।। गन्धर्व नगरी मध्यप्रदेश देवास में खुशहाली और उसके परिणाम,, मां चामुण्डा देवी तुलजा भवानी, महाकाली जी के प्रांगण में , आयोजित नवरात्र का मनोरम दृश्य से सजाया गया,, और उसके अध्यात्मिक दर्शन से मन प्रसन्न हो ,, प्यारा सा जीवन में एक पूजा एवं मंत्र जाप करने वाले अच्छे लगते है।। विधि करहु विविध संस्कार जग में जगदीश्वरी मां शब्दों में आनंद हो,, जीवन मंत्र शक्ति अखण्ड दिव्य चक्षु संवरचनानिर्राकारंओकारं आत्मज्योतिनवपिण्ड धर्मश्रंखला में महान् शिवतत्व शिवअंततत्व में गिरजा देवी को सादर नमन वन्दंनीय है।। ्््््््््कवि शैलेंद्र आनंद ््् 1,,,10,,,,2024,,, ©Shailendra Anand

#भक्ति #sad_qoute  White रचना दिनांक,,,1,,,10,,,,,2024,,
वार,,, मंगलवार
समय   सुबह   छह   बजे,
,,,,,,निज विचार,,,,,
,,,,,,,,,,शीर्षक,,,,,,,
््््््छाया चित्र में दिखाया गया नीले गगन में सुर्य रश्मि प्रभा सी,,
स्वर्णिम किरणों का पीत वर्ण वरण करती धरा पर दृश्यावलोकन में,
नदियों के ब़ीज पर आवागमन चहलकदमी कर देख रहा है।।
 मनुष्य में, प्राकृतिक प्रकृति से प्रेम करते जल जलाशय में कलकल बहती 
जलधाराओं के ,बहती हुई नदी में अपनी सुन्दरता में दरशणात चाहत में,
 एक सौन्दर्य छटा बिखेरती नजर आ रही है,,प्रेम मूर्ति प्रेम शब्द संसार जगत में 
ऐसे ही सुन्दर सी कविता चित्र भाव संदेश भाव भंगिमा दीप प्रज्जवलित कर मन को प्रफुल्लित कर देख रही है््््
आ रही है प्रेम शब्द में प्राणपण लफ्ज़ निकले,,
ध्वनि से नयन में भरे जल बह निकले तन मन से
धुन में मस्त हो राग रंग में रंगे है धूम धाम से मनाया गया है,
 पर्व काल अश्विन मास शुक्ल पक्ष नवरात्रि पर्व का
 मंगल कारकं दिव्य आयोजन है आमन्त्रित हैं ।।
गन्धर्व नगरी मध्यप्रदेश देवास में खुशहाली और उसके परिणाम,,
 मां चामुण्डा देवी तुलजा भवानी, महाकाली जी के प्रांगण में ,
आयोजित नवरात्र का मनोरम दृश्य से सजाया गया,,
और उसके अध्यात्मिक दर्शन से मन प्रसन्न हो ,,
प्यारा सा जीवन में एक पूजा एवं मंत्र जाप करने वाले अच्छे लगते है।।
विधि करहु विविध संस्कार जग में जगदीश्वरी मां शब्दों में आनंद हो,,
जीवन मंत्र शक्ति अखण्ड दिव्य चक्षु संवरचनानिर्राकारंओकारं आत्मज्योतिनवपिण्ड धर्मश्रंखला में महान् शिवतत्व शिवअंततत्व में गिरजा देवी को सादर नमन वन्दंनीय है।।
्््््््््कवि शैलेंद्र आनंद ्््
1,,,10,,,,2024,,,

©Shailendra Anand

#sad_qoute अध्यात्म चेतना जागृत ज्ञान दर्शन कर देख रहा है ्््््कवि शैलेंद्र आनंद

12 Love

गीता के अनुसार मनुष्य के दुःख का कारण क्या है? यदि भगवद गीता को देखें तो हम पाते हैं कि संसार के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के विषय में हमारा अज्ञान है। हम स्वजनों की मृत्यु की आशंका से ही भयभीत हो जाते हैं। हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका भी हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वछंद नहीं होने देती। भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के बारे में अज्ञानता है. इसके अलावा, मनुष्य के दुखों के कुछ और कारण ये हैं: हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वच्छंद नहीं होने देती. मनुष्य में श्रेष्ठ गुणों का अभाव होता है. मनुष्य का शत्रुतापूर्ण और अमानवीय स्वभाव दुनिया को उदास और निराशाजनक बना देता है. अधिकांश मनुष्य इस बात का परिप्रेक्ष्य खो चुके हैं कि यह जीवन क्या है. उनकी मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया अस्तित्वगत प्रक्रिया से कहीं अधिक बड़ी हो गई है. भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य को अपने विवेक, परिश्रम, बुद्धि और उद्यम पर संदेह नहीं करना चाहिए. उसे सदैव सत्य और स्वधर्म के पक्ष में रहना चाहिए. ©person

 गीता के अनुसार मनुष्य के दुःख का कारण क्या है?


यदि भगवद गीता को देखें तो हम पाते हैं कि संसार के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के विषय में हमारा अज्ञान है। हम स्वजनों की मृत्यु की आशंका से ही भयभीत हो जाते हैं। हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका भी हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वछंद नहीं होने देती।

भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के बारे में अज्ञानता है. इसके अलावा, मनुष्य के दुखों के कुछ और कारण ये हैं: 
 
हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वच्छंद नहीं होने देती. 
 
मनुष्य में श्रेष्ठ गुणों का अभाव होता है. 
 
मनुष्य का शत्रुतापूर्ण और अमानवीय स्वभाव दुनिया को उदास और निराशाजनक बना देता है. 
 
अधिकांश मनुष्य इस बात का परिप्रेक्ष्य खो चुके हैं कि यह जीवन क्या है. 
 
उनकी मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया अस्तित्वगत प्रक्रिया से कहीं अधिक बड़ी हो गई है. 
 
भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य को अपने विवेक, परिश्रम, बुद्धि और उद्यम पर संदेह नहीं करना चाहिए. उसे सदैव सत्य और स्वधर्म के पक्ष में रहना चाहिए.

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गीता के अनुसार मनुष्य के दुःख का कारण क्या है? यदि भगवद गीता को देखें तो हम पाते हैं कि संसार के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के वि

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