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मसौदा बना दिया इश्क़ से रिहाई का सनम, अब मुक्कमल कर बेख़ौफ़ ज़माना अपना। निगाहों से कर फ़तह आसमाँ,पैरो से ज़मीं। उड़ानभर लहरों पर बना ठिकाना अपना।। मुकेश गोगड़े ©kavi mukesh gogdey

#रिहाई #कविमन #Freedom_in_love #मसौदा  मसौदा बना दिया इश्क़ से रिहाई का सनम,
अब मुक्कमल कर बेख़ौफ़ ज़माना अपना।
निगाहों से कर फ़तह आसमाँ,पैरो से ज़मीं।
उड़ानभर लहरों पर बना ठिकाना अपना।।
                     मुकेश गोगड़े

©kavi mukesh gogdey

White अगर आप किसी भी नजदीकी रिश्ते में आपके साथ गलत होने पर भी उनका खून नही खिलता, दर्द नही, होता, गुस्सा नहीं आता या आप को ही दोष दिया जाए तो भूल जाए ऐसे रिश्तों को। उनसे नाता तोड, खुद के लिए जीना शुरू करे... ©Ramnik

#रिहाई #Motivational  White अगर आप किसी भी नजदीकी रिश्ते में आपके साथ गलत होने पर भी उनका खून नही खिलता, दर्द नही, होता, गुस्सा नहीं आता या आप को ही दोष दिया जाए तो भूल जाए ऐसे रिश्तों को। उनसे नाता तोड, खुद के लिए जीना शुरू करे...

©Ramnik

चंद सांसों की गिरफ्त में कैद रूह रिहाई की दुआएं मांगे। अब क्या करें जब तेरे बगैर ये जिंदगी ही मुझे रास ना आए जो किया था वादा तुझसे बिछड़ के खुश रहने का अब चाहता हूं , इन सब बातों से मुकर जाएं आखिर कब तक यूं झूठी मुस्कुराहट दिखा कर सबको अपना हाल बेहतर बताएं और अंदर ही अंदर सिमट कर,बिखर कर यूं बेवजह जीते जाएं मेरी अधूरी ख्वाहिशों में शामिल एक ख्वाहिश यह भी रहा कि चलो अब मर जाए कल मेरे हालातो पर तू तरस खाए इससे तो यही बेहतर है कि तू अगर भूल चुका है मुझे तो फिर तुझे हम भी कभी नजर ना आए ©BIKASH SINGH

 चंद सांसों की गिरफ्त में कैद 
रूह रिहाई की दुआएं मांगे। 

अब क्या करें 
जब तेरे बगैर ये जिंदगी ही 
मुझे रास ना आए 

जो किया था वादा 
तुझसे बिछड़ के खुश रहने का 
अब चाहता हूं ,
इन सब बातों से मुकर जाएं 

आखिर कब तक 
यूं झूठी मुस्कुराहट दिखा कर 
सबको अपना हाल बेहतर बताएं 

और अंदर ही अंदर 
सिमट कर,बिखर कर 
यूं बेवजह जीते जाएं 

मेरी अधूरी ख्वाहिशों में शामिल 
एक ख्वाहिश यह भी रहा 
कि चलो अब मर जाए 

कल मेरे हालातो पर तू तरस खाए 
इससे तो यही बेहतर है 

कि तू अगर भूल चुका है मुझे 
तो फिर तुझे हम भी कभी नजर ना आए

©BIKASH SINGH

चंद सांसों की गिरफ्त में कैद रूह रिहाई की दुआएं मांगे। अब क्या करें जब तेरे बगैर ये जिंदगी ही मुझे रास ना आए जो किया था वादा तुझसे बिछ

18 Love

White ग़ज़ल :- ज़िन्दगी पास दिखाई दी है  एक आवाज सुनाई दी है  जिसके ख्यालों में सदा ही खोया  रात ख्वाबों में दिखाई दी है दर्द से कांपता था वह दिन भर मौत ने जिसको रिहाई दी है  मिलके आया हूँ हकीमों से अब दर्द की एक दवाई दी है जन्मदिन पर हमारे वे आकर  ढेरों खुशियों की बधाई दी है  बात मत करना वफ़ा की हमसे  फिर नई चोट दिखाई दी है  रख के पत्थर कलेजे पर उसने आज बेटी को विदाई दी है  फूल ही फूल खिले जीवन में  बस प्रखर सबने दुहाई दी है  महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#शायरी  White ग़ज़ल :-

ज़िन्दगी पास दिखाई दी है 
एक आवाज सुनाई दी है 
जिसके ख्यालों में सदा ही खोया 
रात ख्वाबों में दिखाई दी है
दर्द से कांपता था वह दिन भर
मौत ने जिसको रिहाई दी है 
मिलके आया हूँ हकीमों से अब
दर्द की एक दवाई दी है
जन्मदिन पर हमारे वे आकर 
ढेरों खुशियों की बधाई दी है 
बात मत करना वफ़ा की हमसे 
फिर नई चोट दिखाई दी है 
रख के पत्थर कलेजे पर उसने
आज बेटी को विदाई दी है 
फूल ही फूल खिले जीवन में 
बस प्रखर सबने दुहाई दी है 

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- ज़िन्दगी पास दिखाई दी है  एक आवाज सुनाई दी है  जिसके ख्यालों में सदा ही खोया  रात ख्वाबों में दिखाई दी है दर्द से कांपता था वह दिन भर

11 Love

White ग़ज़ल :- ख़ैर उसने तो बताई दी है  आपने जो भी सफ़ाई दी है जेब से अपने कमाई दी है  खेत की सारे जुताई दी है  गुड़ तो यूँ ही न बना है भाई पहले गन्ने की पिराई दी है ये रक़म हाथ न ऐसे आयी  भर के बोरी आज राई दी है  ख़ूब ऊँचा है किसानों में जो बीच में छोड़ पढ़ाई दी है  आज औलाद मज़ा है करती क्योंकि हमने ही ढिलाई दी है  आसमां छू रही मँहगाई को कर में देखा न रिहाई दी है  घूस से तोंद उन्हीं की भारी जिनके कपड़ों की सिलाई दी है ये फ़सल आज प्रखर तुम देखो  इसकी हमने ही  सिंचाई दी है  महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#शायरी  White ग़ज़ल :-

ख़ैर उसने तो बताई दी है 
आपने जो भी सफ़ाई दी है
जेब से अपने कमाई दी है 
खेत की सारे जुताई दी है 
गुड़ तो यूँ ही न बना है भाई
पहले गन्ने की पिराई दी है
ये रक़म हाथ न ऐसे आयी 
भर के बोरी आज राई दी है 
ख़ूब ऊँचा है किसानों में जो
बीच में छोड़ पढ़ाई दी है 
आज औलाद मज़ा है करती
क्योंकि हमने ही ढिलाई दी है 
आसमां छू रही मँहगाई को
कर में देखा न रिहाई दी है 
घूस से तोंद उन्हीं की भारी
जिनके कपड़ों की सिलाई दी है
ये फ़सल आज प्रखर तुम देखो 
इसकी हमने ही  सिंचाई दी है 

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- ख़ैर उसने तो बताई दी है  आपने जो भी सफ़ाई दी है जेब से अपने कमाई दी है  खेत की सारे जुताई दी है  गुड़ तो यूँ ही न बना है भाई पहले गन्न

16 Love

मसौदा बना दिया इश्क़ से रिहाई का सनम, अब मुक्कमल कर बेख़ौफ़ ज़माना अपना। निगाहों से कर फ़तह आसमाँ,पैरो से ज़मीं। उड़ानभर लहरों पर बना ठिकाना अपना।। मुकेश गोगड़े ©kavi mukesh gogdey

#रिहाई #कविमन #Freedom_in_love #मसौदा  मसौदा बना दिया इश्क़ से रिहाई का सनम,
अब मुक्कमल कर बेख़ौफ़ ज़माना अपना।
निगाहों से कर फ़तह आसमाँ,पैरो से ज़मीं।
उड़ानभर लहरों पर बना ठिकाना अपना।।
                     मुकेश गोगड़े

©kavi mukesh gogdey

White अगर आप किसी भी नजदीकी रिश्ते में आपके साथ गलत होने पर भी उनका खून नही खिलता, दर्द नही, होता, गुस्सा नहीं आता या आप को ही दोष दिया जाए तो भूल जाए ऐसे रिश्तों को। उनसे नाता तोड, खुद के लिए जीना शुरू करे... ©Ramnik

#रिहाई #Motivational  White अगर आप किसी भी नजदीकी रिश्ते में आपके साथ गलत होने पर भी उनका खून नही खिलता, दर्द नही, होता, गुस्सा नहीं आता या आप को ही दोष दिया जाए तो भूल जाए ऐसे रिश्तों को। उनसे नाता तोड, खुद के लिए जीना शुरू करे...

©Ramnik

चंद सांसों की गिरफ्त में कैद रूह रिहाई की दुआएं मांगे। अब क्या करें जब तेरे बगैर ये जिंदगी ही मुझे रास ना आए जो किया था वादा तुझसे बिछड़ के खुश रहने का अब चाहता हूं , इन सब बातों से मुकर जाएं आखिर कब तक यूं झूठी मुस्कुराहट दिखा कर सबको अपना हाल बेहतर बताएं और अंदर ही अंदर सिमट कर,बिखर कर यूं बेवजह जीते जाएं मेरी अधूरी ख्वाहिशों में शामिल एक ख्वाहिश यह भी रहा कि चलो अब मर जाए कल मेरे हालातो पर तू तरस खाए इससे तो यही बेहतर है कि तू अगर भूल चुका है मुझे तो फिर तुझे हम भी कभी नजर ना आए ©BIKASH SINGH

 चंद सांसों की गिरफ्त में कैद 
रूह रिहाई की दुआएं मांगे। 

अब क्या करें 
जब तेरे बगैर ये जिंदगी ही 
मुझे रास ना आए 

जो किया था वादा 
तुझसे बिछड़ के खुश रहने का 
अब चाहता हूं ,
इन सब बातों से मुकर जाएं 

आखिर कब तक 
यूं झूठी मुस्कुराहट दिखा कर 
सबको अपना हाल बेहतर बताएं 

और अंदर ही अंदर 
सिमट कर,बिखर कर 
यूं बेवजह जीते जाएं 

मेरी अधूरी ख्वाहिशों में शामिल 
एक ख्वाहिश यह भी रहा 
कि चलो अब मर जाए 

कल मेरे हालातो पर तू तरस खाए 
इससे तो यही बेहतर है 

कि तू अगर भूल चुका है मुझे 
तो फिर तुझे हम भी कभी नजर ना आए

©BIKASH SINGH

चंद सांसों की गिरफ्त में कैद रूह रिहाई की दुआएं मांगे। अब क्या करें जब तेरे बगैर ये जिंदगी ही मुझे रास ना आए जो किया था वादा तुझसे बिछ

18 Love

White ग़ज़ल :- ज़िन्दगी पास दिखाई दी है  एक आवाज सुनाई दी है  जिसके ख्यालों में सदा ही खोया  रात ख्वाबों में दिखाई दी है दर्द से कांपता था वह दिन भर मौत ने जिसको रिहाई दी है  मिलके आया हूँ हकीमों से अब दर्द की एक दवाई दी है जन्मदिन पर हमारे वे आकर  ढेरों खुशियों की बधाई दी है  बात मत करना वफ़ा की हमसे  फिर नई चोट दिखाई दी है  रख के पत्थर कलेजे पर उसने आज बेटी को विदाई दी है  फूल ही फूल खिले जीवन में  बस प्रखर सबने दुहाई दी है  महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#शायरी  White ग़ज़ल :-

ज़िन्दगी पास दिखाई दी है 
एक आवाज सुनाई दी है 
जिसके ख्यालों में सदा ही खोया 
रात ख्वाबों में दिखाई दी है
दर्द से कांपता था वह दिन भर
मौत ने जिसको रिहाई दी है 
मिलके आया हूँ हकीमों से अब
दर्द की एक दवाई दी है
जन्मदिन पर हमारे वे आकर 
ढेरों खुशियों की बधाई दी है 
बात मत करना वफ़ा की हमसे 
फिर नई चोट दिखाई दी है 
रख के पत्थर कलेजे पर उसने
आज बेटी को विदाई दी है 
फूल ही फूल खिले जीवन में 
बस प्रखर सबने दुहाई दी है 

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- ज़िन्दगी पास दिखाई दी है  एक आवाज सुनाई दी है  जिसके ख्यालों में सदा ही खोया  रात ख्वाबों में दिखाई दी है दर्द से कांपता था वह दिन भर

11 Love

White ग़ज़ल :- ख़ैर उसने तो बताई दी है  आपने जो भी सफ़ाई दी है जेब से अपने कमाई दी है  खेत की सारे जुताई दी है  गुड़ तो यूँ ही न बना है भाई पहले गन्ने की पिराई दी है ये रक़म हाथ न ऐसे आयी  भर के बोरी आज राई दी है  ख़ूब ऊँचा है किसानों में जो बीच में छोड़ पढ़ाई दी है  आज औलाद मज़ा है करती क्योंकि हमने ही ढिलाई दी है  आसमां छू रही मँहगाई को कर में देखा न रिहाई दी है  घूस से तोंद उन्हीं की भारी जिनके कपड़ों की सिलाई दी है ये फ़सल आज प्रखर तुम देखो  इसकी हमने ही  सिंचाई दी है  महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#शायरी  White ग़ज़ल :-

ख़ैर उसने तो बताई दी है 
आपने जो भी सफ़ाई दी है
जेब से अपने कमाई दी है 
खेत की सारे जुताई दी है 
गुड़ तो यूँ ही न बना है भाई
पहले गन्ने की पिराई दी है
ये रक़म हाथ न ऐसे आयी 
भर के बोरी आज राई दी है 
ख़ूब ऊँचा है किसानों में जो
बीच में छोड़ पढ़ाई दी है 
आज औलाद मज़ा है करती
क्योंकि हमने ही ढिलाई दी है 
आसमां छू रही मँहगाई को
कर में देखा न रिहाई दी है 
घूस से तोंद उन्हीं की भारी
जिनके कपड़ों की सिलाई दी है
ये फ़सल आज प्रखर तुम देखो 
इसकी हमने ही  सिंचाई दी है 

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- ख़ैर उसने तो बताई दी है  आपने जो भी सफ़ाई दी है जेब से अपने कमाई दी है  खेत की सारे जुताई दी है  गुड़ तो यूँ ही न बना है भाई पहले गन्न

16 Love

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