रचना दिनांक,,,15,, नवम्बर,,2024
वार,,,, शुक्रवार
समय सुबह दस बजे
्््निज विचार ्््
््भावचित्र ््निज विचार ््
्भावचित्र ्
्शीर्षक ्
््दर्द ऐं ग़म पर जमाना हंसेगा,
फ़कत अश्क आंखों में हमको छुपाना पड़ा््
कहे तो जाने अंजाने में,,
आंखें यूंही बदनाम हो गई ््
प्यार करने वाले खूद ही खुद से,,
सवाल जवाब बन गये।।1 ।।
जो प्यार नहीं करते है वो प्यार के,,
मायने क्या समझेगे।।2 ।।
वो बस झुठे किस्से ख्याली पुलाव,,
बनाने वाले होते हैं ।।3 ।।
जिन्हें किसी की मोहब्बत भरी नज़रों से,,
ना था कोई वास्ता ना,ही, कोई रिश्ता नाता,
बस वो ग़म ऐं द़र्द पर जिंदगी के मज़ाक उड़ाते हैं।।4 ।।
वो लफ्जो का मोल अश्कों का तोल ,,
और मेरे प्यारे नयनों में ढलकते अश्कों के
छुपने का प्रहर।।5 ।।
मेरी मुस्कान मन्द अधर पर ले उड़े होश का आनंद लें,,
जो कोमल सा गुलाबी से लाल हो,प्यारी सी जीवन शैली ।।6 ।।
शैलेंद्र आनंद की सज गई तस्वीर,,
मेरे प्यार की रंगत इस ज़माने में।।7 ।।
्््कवि््शैलेन्द़ आनंद
©Shailendra Anand
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